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Ramakrishna Jayanti : कब और क्यों मनाया जाता है रामकृष्ण परमहंस जयंती, जाने इसका महत्व, इतिहास

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Ramakrishna Paramahamsa :  भारत भूमि, सदैव से ही महान संतों, ऋषियों और महापुरुषों की जन्मभूमि रही है। इन महापुरुषों ने अपने आध्यात्मिक ज्ञान और साधना से ना केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को आलोकित किया है। ऐसे ही महान आध्यात्मिक गुरुओं में से एक हैं, स्वामी रामकृष्ण परमहंस (Swami Ramkrishna Paramhans)। 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के कामारहाटी गाँव में जन्मे, स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जीवन, प्रेरणा और त्याग की अद्भुत कहानी है। बचपन से ही ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा रखने वाले रामकृष्ण, 16 वर्ष की आयु में दक्षिणेश्वर काली मंदिर में पुजारी बन गए। यहाँ, वे देवी काली की भक्ति में लीन हो गए और तीव्र साधना में डूब गए। आज की इस विशेष लेख में हम आपको बताएंगे रामकृष्ण परमहंस कौन थे। इसके साथ ही हम आपको इस लेख के जरिए उनके द्वारा किए गए चमत्कारों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराएंगे। वहीं राम कृष्ण जी द्वारा कई किताबें भी लिखी गई है जिसकी जानकारी भी आपको इस लेख में प्रदान की जा रही है।रामकृष्ण के प्रसिद्ध कोट्स को पढ़ने के लिए और रामकृष्ण जी की इमेज देखने के लिए हमारे इस लेख को पूरा पढ़ना ज़रा भी मिस ना करें। तो चलिए शुरु करते हैं

Ramakrishna Jayanti Overview

टॉपिकRamakrishna Paramahamsa : मार्च में इस दिन मनाई जाएगी रामकृष्ण परमहंस की जयंती, जाने उनके चमत्कार , जीवनी, कहानियां
जयंतीरामकृष्ण परमहंस जयंती
जयंती का दिनशुक्रवार
महत्वआध्यात्मिकता एवं ईश्वर के प्रति समर्पण भाव को जागृति
उद्देश्यशिक्षा एवं आदर्श भाव के प्रति समर्पण
रामकृष्ण परमहंस का अन्य नामगदाधर चट्टोपाध्याय

रामकृष्ण परमहंस कौन थे (Ramkrishna Paramhans kaun The)

12 मार्च, 2024 को 19वीं सदी के धार्मिक नेता और सुधारक रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa) (1836 – 1886) की जयंती है, जो देवी काली (Goddess Kali) के भक्त थे। श्री रामकृष्ण या रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa), जिनका जन्म गदाधर चट्टोपाध्याय (Gadadhar Chattopadhyay) के नाम से हुआ था, अपने अनुयायियों के बहुत करीब माने जाते थे और उनसे हिंदू दर्शन की विशालता और सुंदरता के बारे में बहुत ही सरल भाषा में बात करते थे। वह दक्षिणेश्वर काली मंदिर (Dakshineswar Kali Temple) में पुजारी थे। रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa) के आज भी दुनिया भर में लाखों शिष्य हैं जो मठवासी रामकृष्ण आदेश का पालन करते हैं। रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa) के प्रमुख शिष्य स्वामी विवेकानन्द (Vivekananda) ने रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी, जो शिक्षा, दान और सामाजिक कार्यों से जुड़ा है। 

रामकृष्ण परमहंस के चमत्कार (Ram krishna Paramhans Miracles )

  • आत्म-साक्षात्कार: स्वामी रामकृष्ण ने आत्म-साक्षात्कार का अद्वितीय अनुभव किया और इसे अपने शिष्य विवेकानन्द को सिखाया।
  • मां काली के साथ संवाद: उन्होंने भगवती काली के साथ अनेक बार आध्यात्मिक संवाद किया और उनके द्वारा दिखाई गई दिव्य स्वरूप की घटनाएं हुईं।
  • विभिन्न धार्मिक साधनाओं का अभ्यास: स्वामी रामकृष्ण ने विभिन्न धार्मिक साधनाओं का अभ्यास किया, जैसे कि हिन्दू भक्ति, इस्लामी सुफी धारा, और ईसाई धर्म, और उन्होंने सभी में आत्मा का एकत्व अनुभव किया।
  • धार्मिक उपदेश और संस्कृति का समर्थन: स्वामी रामकृष्ण ने अपने उपदेशों के माध्यम से विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का समर्थन किया और सभी को एक ही दिव्यता की ओर प्रवृत्त किया।
  • चिकित्सा चमत्कार: कई बार स्वामी रामकृष्ण ने अपने आशीर्वाद से अस्तित्व में कई बीमारियों को ठीक किया और उन्होंने आध्यात्मिक चिकित्सा की शिक्षा दी।

इन चमत्कारों के माध्यम से स्वामी रामकृष्ण ने अपने अनुयायियों को आत्मा के अद्वितीयता और सर्वधर्म सामंजस्य की महत्वपूर्ण सिखें दी।

रामकृष्ण परमहंस की पत्नी (Ramkrishna Paramhans wife)

स्वामी रामकृष्ण परमहंस (Swami Ramkrishna Paramhans) जी की पत्नी शारदा देवी (Sharda Devi)  थीं। उनका जन्म 1853 में जयरामबाटी, बंगाल में हुआ था। मात्र 5 वर्ष की आयु में उनका विवाह 23 वर्षीय रामकृष्ण परमहंस (Ramkrishna Paramhansa) से हुआ था। शादी के शुरुआती वर्षों में, वे जयरामबाटी में रहीं, और 18 वर्ष की आयु में वे रामकृष्ण के साथ दक्षिणेश्वर में रहने लगीं। हालांकि उनका वैवाहिक संबंध पारंपरिक अर्थों में पूर्ण नहीं था, लेकिन शारदा देवी रामकृष्ण के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक साथी बन गयीं।

उन्होंने रामकृष्ण के आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके जीवन और शिक्षाओं को संरक्षित करने में भी योगदान दिया। 1920 में 67 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। आज, उन्हें माँ शारदा के रूप में जाना जाता है।

रामकृष्ण परमहंस और माँ काली (Ramakrishna and Maa kali )

स्वामी रामकृष्ण परमहंस (Swami Ramkrishna Paramhans) ने मां काली (Goddess Kali) में अद्वितीयता का अनुभव किया और उनकी भक्ति में अपने आत्मा को मिलाने का उदाहारण प्रस्तुत किया। उनका भक्तिभाव उनकी शिक्षाओं में भी प्रकट होता है, जिनमें सभी धर्मों को एक में मिलाने की प्रेरणा व्यक्त होती है। मां काली के साकार और निराकार स्वरूप की पूजा से उन्होंने अनंत आनंद और साक्षात्कार प्राप्त किया। उनकी दृष्टि में, मां काली समस्त जगत की माता हैं और उनमें एकता की भावना को स्थापित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

रामकृष्ण परमहंस जानकारी (Ramakrishna Paramahamsa Information)

जन्म और प्रारंभिक जीवन:

  • स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को गदाधर चट्टोपाध्याय (Gadadhar Chattopadhyay) के रूप में हुगली जिले के कामारहाटी नामक गाँव में हुआ था। उनका बचपन से ही ईश्वर के प्रति गहरी आस्था थी। वे अक्सर प्रकृति में भगवान की उपस्थिति का अनुभव करते थे। 1855 में, वे दक्षिणेश्वर काली मंदिर में पुजारी के रूप में नियुक्त हुए।

आध्यात्मिक खोज:

  • मंदिर में रहते हुए, रामकृष्ण परमहंस (Ramkrishna Paramhansa) ने विभिन्न धर्मों और दर्शनों का अध्ययन किया। उन्होंने ईश्वर की प्राप्ति के लिए कठोर साधना की। उन्होंने भक्ति, योग, और तंत्र जैसे विभिन्न मार्गों का अनुसरण किया। 1861 में, वे ‘तन्मयता’ की अवस्था में पहुंचे, जहां वे ईश्वर के साथ एकात्म हो गए।

शिक्षाएं:

  • रामकृष्ण परमहंस (Ramkrishna Paramhansa) ने सभी धर्मों की एकता पर बल दिया। उनका मानना था कि सभी धर्म ईश्वर की ओर ले जाने वाले विभिन्न मार्ग हैं। उन्होंने प्रेम, भक्ति, और आत्म-साक्षात्कार की शिक्षा दी।

प्रमुख शिष्य:

  • स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे। विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं को पश्चिमी दुनिया में फैलाया।

मृत्यु:

  • रामकृष्ण परमहंस का 16 अगस्त 1886 को 50 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

विरासत:

  • स्वामी रामकृष्ण परमहंस (Swami Ramkrishna Paramhansa) भारतवर्ष (India) के महान संतों (saints) और आध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे। उनकी शिक्षाओं (Teaching) ने दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित किया है।

रामकृष्ण परमहंस की कहानियाँ (Ramakrishna Paramahamsa Stories)

1836 में गदाधर चट्टोपाध्याय के रूप में जन्मे, रामकृष्ण परमहंस बचपन से ही ईश्वर के प्रति अत्यंत समर्पित थे। प्रकृति और धार्मिक अनुष्ठानों में उन्हें गहरी रुचि थी।

आध्यात्मिक यात्रा:

  • युवावस्था में, रामकृष्ण परमहंस ने विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया और कई आध्यात्मिक गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की।

देवी काली की भक्ति:

  • उनकी सबसे बड़ी आध्यात्मिक प्रेरणा देवी काली थीं। उन्होंने देवी काली की तीव्र भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया।

रामकृष्ण मठ की स्थापना:

  • रामकृष्ण परमहंस ने दक्षिणेश्वर काली मंदिर में अपना आश्रम स्थापित किया।

शिष्य और रामकृष्ण मिशन:

  • स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस के सबसे प्रसिद्ध शिष्य थे। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं को दुनिया भर में फैलाने का कार्य करता है।

शिक्षाएं:

  • रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मों की समानता, भगवान के प्रति प्रेम, और मानवता की सेवा पर बल दिया।

मृत्यु:

  • 1886 में, रामकृष्ण परमहंस का निधन हुआ।

राम कृष्ण परमहंस की कहानी हिंदी में (Ram Krishna Paramhans Story in Hindi)

रामकृष्ण जयंती (Ramakrishna Jayanti) भक्तों के लिए श्री रामकृष्ण के कालातीत ज्ञान और शिक्षाओं पर विचार करने का एक अवसर है। इसके अलावा, यह भारत और उसके बाहर के आध्यात्मिक और दार्शनिक परिदृश्य पर उनके गहरे प्रभाव की याद दिलाता है। इसके अलावा, यह इस महान संत की विरासत का सम्मान करते हुए, भक्तों के लिए प्रार्थना और ध्यान में एक साथ आने का समय है।

उन्होंने विभिन्न शिक्षकों (Teachers) और गुरुओं से आध्यात्मिक मार्गदर्शन मांगा, उनके ज्ञान और अंतर्दृष्टि को आत्मसात किया। इसके अलावा, उन्हें गहन आध्यात्मिक अनुभवों और दर्शनों का अनुभव हुआ, जिससे उनकी आध्यात्मिक खोज को और बढ़ावा मिला। इसके अलावा, उन्होंने खुद को सत्य और ज्ञान की खोज के लिए समर्पित कर दिया, खुद को गहन आध्यात्मिक प्रथाओं और ध्यान में डुबो दिया। परिणामस्वरूप, वह एक श्रद्धेय आध्यात्मिक नेता और सभी पृष्ठभूमि के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए।

रामकृष्ण ( Ramkrishna) के जीवन में निर्णायक क्षणों में से एक तब हुआ जब उनकी मुलाकात अद्वैत वेदांत परंपरा के एक भटकते भिक्षु तोतापुरी से हुई। तोतापुरी के मार्गदर्शन में, श्री परमहंस ने निर्विकल्प समाधि का अनुभव किया, जो गहन आध्यात्मिक अनुभूति की एक अवस्था है जिसमें स्वयं की सीमाएँ विलीन हो जाती हैं, जिससे सभी अस्तित्व की एकता का पता चलता है। इस परिवर्तनकारी अनुभव ने श्री परमहंस की आध्यात्मिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया और उन्हें दिव्य चेतना की गहराई का और अधिक पता लगाने के लिए प्रेरित किया।

1886 में रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa) के निधन के बाद, स्वामी विवेकानन्द (Swami Vivekananda) के नेतृत्व में उनके शिष्यों ने उनकी शिक्षाओं का प्रचार करने और मानवता की सेवा करने के लिए रामकृष्ण मिशन (Ramkrishna Mission) की स्थापना की। इसके अतिरिक्त, मिशन के उद्देश्यों में धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना, मानवीय पीड़ा को कम करना और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार शामिल था। इसके अलावा, आज, श्री परमहंस मिशन केंद्र और संबद्ध संगठन उनकी विरासत को कायम रखते हुए जरूरतमंद लोगों को शैक्षिक, स्वास्थ्य देखभाल और मानवीय सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

रामकृष्ण परमहंस की जीवनी (Ramakrishna paramahamsa Biography)

स्वामी रामकृष्ण परमहंस (Swami Ramkrishna Paramhansa) जी का जन्म 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के कामारहाटी गाँव में गदाधर चट्टोपाध्याय के रूप में हुआ था। बचपन से ही वे ईश्वर भक्ति और आध्यात्मिकता में रुचि रखते थे। वे प्रकृति से प्रेम करते थे और अक्सर ध्यान में लीन रहते थे।1855 में वे दक्षिणेश्वर काली मंदिर में पुजारी के रूप में कार्यरत हुए। यहाँ उन्होंने माँ काली की भक्ति में तल्लीन होकर कठोर साधना की। विभिन्न धर्मों और दर्शनों का अध्ययन किया।रामकृष्ण परमहंस (Ramkrishna Paramhansa) जी ने ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति पर बल दिया। उन्होंने सभी धर्मों को समान माना और सहिष्णुता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि ईश्वर प्राप्ति का मार्ग भक्ति, ज्ञान और कर्म योग से होकर गुजरता है। उन्होंने मानव सेवा को ईश्वर सेवा के समान माना।16 अगस्त 1886 को रामकृष्ण परमहंस जी का निधन हो गया। आज भी वे भारत और दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं।

रामकृष्ण परमहंस की जीवनी पीडीएफ (Ramakrishna Paramahamsa Biography pdf)

स्वामी रामकृष्ण परमहंस (Swami Ramkrishna Paramhansa) जी की जीवनी से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड करके रामकृष्ण परमहंस (Ram Krishna Paramhans) जी की जीवनी को पढ़ सकते हैं ।

राम कृष्ण परमहंस कोट्स (Ram krishna Paramhans Quotes)

  • नाव पानी में रह सकती है, लेकिन पानी नाव में नहीं रहना चाहिए। एक आध्यात्मिक साधक संसार में रह सकता है, लेकिन संसार उसके भीतर नहीं रहना चाहिए।
  • अहंकार के मरते ही सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं
  • आध्यात्मिकता स्वतः ही विनम्रता की ओर ले जाती है। जब एक फूल विकसित होकर फल बन जाता है, तो पंखुड़ियाँ अपने आप गिर जाती हैं। जब कोई आध्यात्मिक हो जाता है तो अहंकार धीरे-धीरे अपने आप खत्म हो जाता है। फलों से लदा पेड़ हमेशा नीचे झुका रहता है। विनम्रता महानता की निशानी है.
  • मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य और लक्ष्य… प्रेम को विकसित करना है।
  • सभी धर्म सत्य हैं। विभिन्न धर्मों से ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है। अनेक नदियाँ अनेक मार्गों से बहती हैं परन्तु समुद्र में गिरती हैं। वे सभी एक हैं.

रामकृष्ण के कोट्स ( Quotes of Ramakrishna)

  • भगवान से प्रार्थना करें कि धन, नाम और भौतिक सुख-सुविधाओं जैसी क्षणभंगुर चीजों के प्रति आपका लगाव दिन-ब-दिन कम होता जाए।
  • यदि तुम्हें पागल होना ही है, तो दुनिया की चीज़ों के लिए न हो। भगवान के प्यार से पागल हो जाओ.
  • ईश्वर सभी मनुष्यों में है, परन्तु सभी मनुष्य ईश्वर में नहीं हैं; इसीलिए हम पीड़ित हैं।
  • कृपा की हवाएँ हमेशा बहती रहती हैं, लेकिन पाल आपको ऊपर उठाना होगा।
  • ईश्वर हर जगह है लेकिन वह मनुष्य में सबसे अधिक प्रकट है। इसलिए मनुष्य की ईश्वर के समान सेवा करो। यह भगवान की पूजा करने के समान ही अच्छा है।
  • जब फूल खिलता है तो मधुमक्खियाँ बिन बुलाए आ जाती हैं।
  • ईश्वर की भक्ति या प्रेम के अलावा काम असहाय है और अकेले खड़ा नहीं रह सकता।

रामकृष्ण परमहंस पर पुस्तकें (Books on Ramakrishna Paramahamsa)

स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी से संबंधित कई किताबें लिखी गई हैं, जिनमें उनकी जीवनी, शिक्षाएं, और उनके शिष्यों के अनुभव शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पुस्तकें और उनके लेखक निम्नलिखित हैं:

  • श्री रामकृष्ण लीला प्रसंग: स्वामी रामकृष्ण परमहंस (Swami Ramkrishna Paramhansa) जी की सबसे प्रसिद्ध जीवनी, स्वामी सारदानंद द्वारा लिखी गई।
  • श्री रामकृष्ण परमहंस: रोमां रोलां द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध जीवनी।
  • रामकृष्ण परमहंस: स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखी गई एक संक्षिप्त जीवनी
  • रामकृष्ण परमहंस के वचन: स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की शिक्षाओं का एक संग्रह, स्वामी विवेकानंद द्वारा संकलित।
  • रामकृष्ण परमहंस के उपदेश: स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की शिक्षाओं का एक और संग्रह, स्वामी ब्रह्मानंद द्वारा संकलित।
  • रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएं: स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की शिक्षाओं का एक आधुनिक संकलन, क्रिस्टोफर ईशरवुड (Christopher Isherwood) द्वारा संपादित।

रामकृष्ण परमहंस के बारे में 10 वाक्य (10 Sentences About Ramakrishna Paramahamsa)

  • आध्यात्मिक अनुभूति: रामकृष्ण परमहंस (Ramkrishna Paramhansa) जी को ईश्वर के प्रति अगाध प्रेम और भक्ति थी। उन्होंने ईश्वर को विभिन्न रूपों में अनुभव किया, जिसके कारण उन्हें “परमहंस” की उपाधि मिली।
  • साधना और तपस्या: उन्होंने जीवन भर साधना और तपस्या में लगे रहे।
  • सर्वधर्म समभाव: रामकृष्ण परमहंस जी सभी धर्मों का सम्मान करते थे।
  • रामकृष्ण मिशन: उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • शिष्य: स्वामी विवेकानंद, स्वामी ब्रह्मानंद, स्वामी रामकृष्णानंद जैसे महान शिष्य
  • सरलता: वे सरल जीवन जीते थे और लोगों को भी सरलता से जीने का उपदेश देते थे।
  • ज्ञान: वे आध्यात्मिक ज्ञान के भंडार थे और लोगों को ज्ञान प्रदान करते थे।
  • प्रेम: वे प्रेम के प्रतीक थे और लोगों को प्रेम से जीने का उपदेश देते थे।
  • प्रभाव: उनका जीवन और शिक्षा आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
  • महानता: स्वामी रामकृष्ण परमहंस (Swami Ramkrishna Paramhansa)जी 19वीं शताब्दी (19th century) के महान संतों में से एक थे।

राम कृष्ण परमहंस की Image ( Ram Krishna Paramhans Image )

इस लेख के जरिए हम आपसे रामकृष्ण परमहंस जी की कुछ विशेष तस्वीरें (images) साझा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो आप इन सभी तस्वीरों को डाउनलोड (Download) भी कर सकते हैं।

Summary

स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक महान आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक थे। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखाती हैं। स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी के जीवन से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।

FAQ’s

Q. रामकृष्ण परमहंस का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Ans. रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को हुगली जिले के कामारहाटी नामक गाँव में हुआ था।

Q. रामकृष्ण परमहंस का जन्म नाम क्या था?

Ans.  रामकृष्ण परमहंस का जन्म नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था।

Q. रामकृष्ण परमहंस को किसने आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की थी?

Ans. रामकृष्ण परमहंस को तोतापुरी जी ने आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की थी।

Q. रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं का आधार क्या था?

Ans. रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं का आधार वेदांत दर्शन, भक्ति मार्ग और तंत्र विद्या थी।

Q. रामकृष्ण परमहंस जयंती कब मनाई जाती है?

Ans.  रामकृष्ण परमहंस जयंती हर साल 18 फरवरी को मनाई जाती है।

Q. रामकृष्ण परमहंस का जीवन और शिक्षा समाज के लिए कैसे प्रासंगिक है?

Ans.रामकृष्ण परमहंस का जीवन और शिक्षा समाज के लिए प्रासंगिक है क्योंकि वे प्रेम, भक्ति, और आध्यात्मिकता का संदेश देते हैं। 

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सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।