देश की 5 सबसे प्रसिद्ध महिला कथा वाचक: भारत की संस्कृति और परंपरा में कहानी कहने की कला का एक विशेष स्थान है। युगों से, महिला कथावाचकों ने अपनी प्रतिभा और कौशल से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है। उनकी आवाज़ में जादू है जो हमें एक अलग दुनिया में ले जाती है, जहाँ कल्पना और वास्तविकता का संगम होता है।
इन महिला कथावाचकों में से कुछ ने अपनी अनूठी शैली और अभिव्यक्ति के कारण देश-विदेश में ख्याति अर्जित की है। वे न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि अपनी कहानियों के माध्यम से समाज को एक नई दिशा भी देती हैं। उनकी कहानियाँ हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं, हमारी संस्कृति और विरासत को संजोती हैं। इस लेख में, हम भारत की पाँच प्रसिद्ध महिला कथावाचकों की झलक पाएँगे। ये वो कलाकार हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से कहानी कहने की कला को एक नया आयाम दिया है। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी हर किसी को प्रेरित करती है। इन पाँच महिलाओं ने न सिर्फ़ भारत में, बल्कि विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने सदियों पुरानी परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ा है और कहानी कहने की कला को एक नया स्वरूप दिया है। उनकी प्रस्तुति देखने-सुनने वालों को अपनी ओर आकर्षित करती है और एक अलग ही रोमांच से भर देती है।
तो चलिए, इस लेख के माध्यम से हम इन पाँच धुरंधर महिला कथावाचकों की दुनिया में प्रवेश करते हैं। उनके जीवन, संघर्ष और यात्रा को जानते हैं…!!
List of 5 Famous Female Katha Vachak of India
SN.O | प्रसिद्ध महिला कथा वाचकों के नाम |
1 | जया किशोरी जी |
2 | देवी चित्रलेखा |
3 | देवी कृष्णप्रिया जी |
4 | पलक किशोरी जी |
5 | देवी नेहा सारस्वत |
1. जया किशोरी जी (Jaya Kishori)
जया किशोरी (Jaya Kishori) एक प्रसिद्ध भारतीय कथावाचक, भजन गायिका और वक्ता हैं। वह 13 जुलाई 1995 को राजस्थान (Rajasthan) के सुजानगढ़ में एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में पैदा हुईं। बचपन से ही उन्हें भक्ति और अध्यात्म में गहरी रुचि थी। उन्होंने कोलकाता में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में बी.कॉम की पढ़ाई की।
जया किशोरी (Jaya Kishori) मात्र 9 साल की उम्र से स्तोत्र पाठ करने लगी थीं और 10 साल की उम्र तक सुंदरकांड के पाठ से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध कर चुकी थीं। उन्हें भागवत कथा और नानी बाई के मायरो के पाठ में विशेष महारत हासिल है। वह 7 साल की उम्र से भागवत कथा का वाचन कर रही हैं और उनकी 3 दिवसीय और 10 दिवसीय भागवत कथा को खूब लोकप्रियता मिली है। उन्होंने 1000 से अधिक बार सुंदरकांड का पाठ भी किया है। जया किशोरी की भागवत कथा एक आध्यात्मिक यात्रा है जो श्रोताओं को भगवान कृष्ण के जीवन और उपदेशों से रूबरू कराती है। वह सरल और आकर्षक तरीके से कथा का वाचन करती हैं, जिससे श्रोताओं को उपदेशों को समझने और उनसे जुड़ने में आसानी होती है। उनकी कथा दैनिक जीवन के उदाहरणों से भरपूर होती है, जिससे वह प्रासंगिक और व्यावहारिक बन जाती है। वह भक्ति, निस्वार्थ सेवा और सरल व ईमानदार जीवन जीने के महत्व पर जोर देती हैं। जया किशोरी के भाषण न केवल अध्यात्म के बारे में होते हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी केंद्रित होते हैं। वह बड़ों का सम्मान करने, सामाजिक सद्भाव बनाए रखने और समाज में महिलाओं की भूमिका के बारे में बात करती हैं। वह अपने श्रोताओं को करुणामय, दयालु और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं। उनके भाषण कई लोगों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का स्रोत हैं।
जया किशोरी (Jaya Kishori) की भागवत कथा एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव है जो श्रोताओं को प्रबुद्ध और प्रेरित महसूस कराता है। उनका कथा वाचन भक्ति और भावना से भरपूर होता है, जिससे यह एक शक्तिशाली और भावुक अनुभव बन जाता है। उनमें गहरे स्तर पर अपने श्रोताओं से जुड़ने की क्षमता है, जिससे वे स्वयं को आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा महसूस करते हैं।
2. देवी चित्रलेखा (Devi Chitralekha)
कथावाचक देवी चित्रलेखा जी (Devi Chitralekha) का जन्म 19 जनवरी 1997 को हरियाणा (Haryana) के पलवल जिले के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मात्र 4 साल की उम्र में ही उन्होंने गुरु गिरधारी बाबा की संस्था से जुड़कर कथा वाचन की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। 6 साल की उम्र से ही उन्होंने लोगों को उपदेश देना और कथा सुनाना शुरू कर दिया था।
देवी चित्रलेखा एक प्रभावशाली युवा कथावाचक, आध्यात्मिक वक्ता और भगवद्गीता की उपदेशक हैं। उनके कंठ में साक्षात मां सरस्वती का वास माना जाता है। 2019 में उन्हें आध्यात्मिक और युवा उपदेशक के लिए ‘वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था। 23 मई 2017 को 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने माधव तिवारी उर्फ़ माधव प्रभु से विवाह किया, जो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले हैं। कुछ समय पहले अफवाह फैली थी कि उन्होंने एक मुस्लिम युवक से शादी की है, लेकिन उन्होंने खुद इस बात का खंडन किया है। आज देवी चित्रलेखा जी भारत की सबसे कम उम्र की लोकप्रिय कथावाचकों में से एक हैं। वे टीवी और सोशल मीडिया के माध्यम से लाखों लोगों तक अपना संदेश पहुंचाती हैं। उनकी कथाओं और उपदेशों से प्रभावित होकर अनेक लोग उन्हें फॉलो करते हैं।
3. देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya ji)
देवी कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya ji) एक प्रसिद्ध कथावाचक और प्रेरक वक्ता हैं। वे 26 जनवरी 1997 को मथुरा, उत्तर प्रदेश में एक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुईं। उनके पिता एक पुजारी हैं और उनका परिवार धार्मिक मान्यताओं और प्रथाओं में गहराई से जुड़ा हुआ है। बचपन से ही कृष्णप्रिया जी को धार्मिक गतिविधियों में रुचि थी और चार साल की उम्र में ही उन्होंने नियमित रूप से आरती करना शुरू कर दिया था।
कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya ji) के दादाजी एक पुजारी थे और वे उन्हें भागवत कथा, महाभारत, रामायण और कृष्ण लीला जैसी हिंदू पौराणिक कथाएं सुनाया करते थे। इससे उन्हें इन ग्रंथों की गहन जानकारी प्राप्त हुई। 13 साल की उम्र में ही वे धार्मिक प्रवचन देने लगी थीं और उनके ग्रंथों के ज्ञान और समझ की व्यापक सराहना होने लगी। कृष्णप्रिया जी देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करती हैं। उन्होंने 380 से अधिक महा ज्ञान यज्ञ किए हैं, जो ज्ञान फैलाने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक आयोजन होते हैं। वे गरीबों के लिए सामूहिक विवाह और कमजोर वर्गों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने जैसी सामाजिक सेवा गतिविधियों में भी सक्रिय रहती हैं। कृष्णप्रिया जी (Devi Krishna Priya ji) एक प्रतिभाशाली गायिका भी हैं और उन्होंने कई भक्ति एल्बम जारी किए हैं। वे लंदन, सिंगापुर और कनाडा सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भजन गाती हैं और कॉन्सर्ट देती हैं। उनकी मधुर आवाज और भक्ति ने उन्हें एक बड़ा अनुयायी समूह दिया है।
4. पलक किशोरी जी (Palak Kishori ji)
पलक किशोरी जी (Palak Kishori ji), जिन्हें शाम्भवी मिश्रा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सतना शहर में एक धार्मिक हिन्दू परिवार में पैदा हुईं। उनका जन्म 24 दिसंबर, 2005 को हुआ था। ये अभी 12वीं कक्षा की छात्रा हैं और धार्मिक ग्रंथों और कथाओं के प्रति गहरी रुचि रखती हैं।
2021 के लॉकडाउन के दौरान, सिर्फ 16 साल की पलक ने अपना पहला सार्वजनिक कथा वाचन दिया था, जिसने सुनने वालों की एक बड़ी संख्या को आकर्षित किया। उनके संगीतमय और प्रेरणादायक भाषणों ने कई लोगों के हृदय को छू लिया है, और उन्हें प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी से तुलना की जाती है। पलक की कथा वाचन की शैली सरल, प्राकृतिक और आकर्षक है, और वे हास्य और उदाहरणों का उपयोग करके अपनी दर्शकों से जोड़ती हैं। उनका जीवन का लक्ष्य लोगों को आध्यात्मिकता और भक्ति की ओर मार्गदर्शन करना है। वे मानती हैं कि कथा वाचन लोगों को प्रेरित और शिक्षित करने का एक शक्तिशाली साधन है, और वे इसे विश्वास, प्रेम, और करुणा के महत्वपूर्ण संदेश पहुंचाने के लिए उपयोग करती हैं। उनके कथा वाचन की शैली अद्वितीय और मनोहारी है। वे सरल भाषा और संबंधित उदाहरणों का उपयोग करके जटिल विचारों को व्यक्त करती हैं, जिससे वे सभी आयु और पृष्ठभूमियों के लोगों के लिए सुलभ हो जाते हैं। उनकी हास्य और बुद्धिमत्ता से उनका दर्शक संलग्न रहता है, और उनके प्रेम और भक्ति के संदेशों की गूंज कई लोगों के साथ गूंजती है।
पलक की कथा वाचन की कला सिर्फ मनोरंजन के बारे में नहीं है, यह परिवर्तन को प्रेरित करने के बारे में है। वे अपने मंच का उपयोग सकारात्मक मूल्यों को प्रमोट करने और अपने दर्शकों को खुद के प्रति और दूसरों के प्रति अधिक दयालु, अधिक सहानुभूतिपूर्ण, और अधिक प्रेमी बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए करती हैं। उनके संदेश हिन्दू दर्शन और शिक्षाओं में गहराई से जड़े होते हैं, और वे उनका उपयोग अपने श्रोताओं को मार्गदर्शन और सहारा प्रदान करने के लिए करती हैं।
5. देवी नेहा सरस्वत (Devi Neha Saraswat)
देवी नेहा सरस्वत Devi Neha Saraswat), भारतीय अध्यात्म की दुनिया की एक उभरती हुई स्तर हैं। उनका जन्म 26 जून 1997 को उदयपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा चिरंजीलाल गर्ल्स इंटर कॉलेज, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश से हुई थी। बचपन से ही उन्होंने अपना ध्यान भगवान की आराधना में व्यतीत करना शुरू कर दिया था। उन्होंने पहली बार 8 साल की उम्र में श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किया था।
उनकी छोटी बहन देवी निधि सारस्वत ने बहुत ही कम उम्र में उनके साथ कथा प्रचार में शामिल होना शुरू कर दिया था। जल्द ही दोनों बहनें ‘युगल जोड़ी’ के रूप में लोकप्रिय हो गईं। उन्हें अपार लोकप्रियता मिली और उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में कथा का आयोजन करना शुरू कर दिया। देवी नेहा सारस्वत की कथाएं विशेष रूप से श्रीमद्भगवद् कथा और रामायण पर आधारित होती हैं। उनके उपदेशों में वेदांत के सिद्धांतों का गहनता से अध्ययन और उनके समकालीन जीवन में उनके प्रयोग का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। उनके उपदेशों की विशेषता उनके सादगीपूर्ण और स्पष्ट भाषा में है, जो सुनने वालों के दिलों में गूंज उठती है। देवी नेहा सारस्वत की कथाएं विभिन्न भारतीय भक्ति चैनलों पर प्रसारित की जाती हैं। उनकी कथाएं सुनने के लिए दूर-दूर से करोड़ों लोग आते हैं और उनकी पापुलैरिटी भी बहुत ज्यादा है।
देवी नेहा सारस्वत ने अपने भाई देवी निधि सारस्वत के साथ मिलकर एक गैर सरकारी संगठन ‘युगल सरकार फाउंडेशन’ (वाईएसएफ) शुरू किया, जो जानवरों और जरूरतमंद लोगों के लिए काम कर रहा है।
Conclusion:
भारतीय महिला कथावाचक (Kathavachak) अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन और नारी सशक्तिकरण की अग्रणी रही हैं। इनकी कहानियां न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहन अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती हैं। भारत की 5 प्रसिद्ध महिला कथावाचकों से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी लेख को भी एक बार जरूर पढ़िए साथ ही इस लेख से उत्पन्न अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो तो उन प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में जरूर लिखिए हम आपके सभी प्रश्नों के हर संभव जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही और भी विशेष लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s:
Q. भागवत कथा में कितने अध्याय होते हैं?
Ans. श्रीमद्भागवत महापुराण में कुल 335 अध्याय हैं जो 12 स्कंधों में विभाजित हैं। प्रत्येक स्कंध में कई अध्याय होते हैं जो भगवान विष्णु और उनके अवतारों से संबंधित विभिन्न कथाओं और उपदेशों से भरे हुए हैं।
Q. भागवत कथा का प्रारंभ कैसे होता है?
Ans. भागवत कथा का शुभारंभ मंगलाचरण से होता है। इसमें गणेश वंदना, सरस्वती वंदना, गुरु वंदना और कथा के आयोजक की प्रशंसा की जाती है। कथा वाचक भगवान कृष्ण और राधा के स्वरूप का वर्णन करते हुए कथा का मंगल प्रारंभ करता है।
Q. भागवत कथा का श्रवण कैसे किया जाना चाहिए?
Ans. भागवत कथा का श्रवण पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से करना चाहिए। श्रोताओं को अपना मन एकाग्र करके कथा में लीन हो जाना चाहिए।
Q. कथा वाचन की परंपरा कब से चली आ रही है?
Ans. कथा वाचन की परंपरा प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रही है। वेदों, पुराणों और उपनिषदों में कथाओं के माध्यम से ज्ञान और सद्गुणों का प्रसार किया जाता रहा है। महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों की कथाएँ भी लोगों को प्रेरित करती रही हैं।
Q. भागवत कथा का महत्व क्या है?
Ans. भागवत कथा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक श्रीमद्भागवत पुराण पर आधारित है। इसमें भगवान कृष्ण और अन्य अवतारों की लीलाओं का वर्णन है। भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की भावना जागृत होती है।
Q. भागवत कथा सुनने से क्या लाभ होते हैं?
Ans. भागवत कथा सुनने से कई लाभ होते हैं। इससे मन की शुद्धता बढ़ती है, पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह शरीर और मन के संताप को दूर करके सुख-शांति प्रदान करती है। भागवत कथा सुनने से निराशा और नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मक सोच और उत्साह का संचार होता है।