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Buddha Purnima: बुद्ध पूर्णिमा कब और क्यों मनाई जाती हैं? जानें इतिहास और महत्व?

Buddha Purnima 2024
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Buddha Purnima: हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन पूरी दुनिया में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। यह दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की स्मृति में मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 में बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी।

यह पर्व न केवल बौद्ध अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। बुद्ध के जीवन और उपदेशों ने हमें शांति, अहिंसा, करुणा और प्रेम का संदेश दिया है। उनके सिद्धांतों ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और आज भी प्रासंगिक हैं। इस लेख में हम बुद्ध पूर्णिमा के इतिहास और महत्व पर गहराई से चर्चा करेंगे। हम यह भी जानेंगे कि कैसे इस पर्व को विभिन्न देशों में अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। साथ ही, हम बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में उनका अनुसरण कैसे कर सकते हैं, इस पर भी प्रकाश डालेंगे।

तो आइए, इस यात्रा पर निकलते हैं और बुद्ध पूर्णिमा के इस महत्वपूर्ण पर्व के बारे में विस्तार से जानते हैं। यह लेख आपको बुद्ध के जीवन और संदेश के बारे में एक नई अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा और आपके जीवन में प्रबुद्धता और करुणा का प्रकाश फैलाने में मदद करेगा…

बुद्ध पूर्णिमाTable Of Content 

S.NOप्रश्न
1बुद्ध पूर्णिमा कब है?
2बुद्ध पूर्णिमा क्या है?
3क्यो मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा?
4बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
5बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
6बुद्ध पूर्णिमा आयोजन

बुद्ध पूर्णिमा कब है? (Buddha Purnima Kab Hai)

बुद्ध पूर्णिमा, जिसे बुद्ध जयंती या वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, वो दिन है जब गौतम बुद्ध का जन्म, बोधि और महापरिनिर्वाण का स्मरण किया जाता है। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल, यह त्योहार 23 मई, गुरुवार को मनाया जाएगा। यह दिन विश्व भर के बौद्धों द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा क्या है? (What is Buddha Purnima)

बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima), जिसे वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध जयंती भी कहा जाता है, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। यह गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण  तीनों महत्वपूर्ण घटनाओं का स्मरण दिवस है। विभिन्न देशों में बुद्ध पूर्णिमा अलग-अलग तारीखों को मनाई जा सकती है, क्योंकि वे विभिन्न कैलेंडर का उपयोग करते हैं। यह त्यौहार बौद्धों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी लोगों के लिए आत्म-अवलोकन और आध्यात्मिक प्रगति का अवसर भी प्रदान करता है।

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क्यो मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा? (Why Buddha Purnima is Celebrated)

बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) हिंदू महीने वैशाख की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई में पड़ता है। यह गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण को चिह्नित करने के लिए बौद्ध और हिंदुओं दोनों द्वारा मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार थे।

गौतम बुद्ध (Lord Buddha) का जन्म लगभग 563-483 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। 29 वर्ष की आयु में उन्होंने ज्ञान की खोज में अपना राजसी जीवन त्याग दिया। वर्षों की साधना के बाद उन्हें बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई और वाराणसी के पास सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया। इस दिन भक्त प्रार्थना करते हैं, दीपक जलाते हैं और अपने घरों को फूलों से सजाते हैं। बौद्ध भिक्षु पवित्र ग्रंथों का पाठ करते हैं और बुद्ध की मूर्ति को भेंट चढ़ाते हैं। यह दिन दान जैसे परोपकारी कार्यों से भी चिह्नित किया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व | Buddha Purnima Significance

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  • गौतम बुद्ध के जीवन का प्रतीक: बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) गौतम बुद्ध (Lord Buddha) के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है। बौद्ध मान्यताओं के अनुसार, ये तीनों घटनाएं वैशाख पूर्णिमा के दिन हुईं। इस संयोग ने इस दिन को महान आध्यात्मिक व्यक्तित्वों के जीवन में अद्वितीय बना दिया है। बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को याद करने का यह दिन है।
  • बौद्ध और हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहार: बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है और दुनिया भर में इसके अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। हिंदू धर्म में, गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है, जिससे यह दिन हिंदुओं के लिए भी पवित्र हो जाता है। यह भारत, चीन, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, जापान, कंबोडिया, म्यांमार, इंडोनेशिया और विएतनाम सहित कई देशों में मनाया जाता है।
  • शांति, करुणा और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने का अवसर: बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि शांति, सद्भाव और करुणा को बढ़ावा देने का अवसर भी है। बुद्ध की शिक्षाएं अहिंसा, स्मृति और ज्ञान की खोज के महत्व पर जोर देती हैं, जो समकालीन समाज के लिए प्रासंगिक और लागू होने योग्य मूल्य हैं। यह त्योहार हिंदू धर्म में आध्यात्मिक विकास और आत्म-अनुशासन के दिन के रूप में भी मनाया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास (Buddha Purnima History)

बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का इतिहास बौद्ध धर्म की एक महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की याद में मनाया जाता है।

गौतम बुद्ध (Lord Buddha) का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में वैशाख पूर्णिमा के दिन नेपाल के लुम्बिनी में एक राजघराने में हुआ था। 29 साल की उम्र में उन्होंने घर त्याग दिया और सत्य की खोज में निकल पड़े। कठोर तपस्या के बाद 35 साल की उम्र में उन्हें बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके बाद उन्होंने 45 साल तक भारत के कोने-कोने में अपने उपदेशों का प्रचार किया। 80 साल की उम्र में वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उन्होंने कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। इस प्रकार उनका जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण, तीनों ही घटनाएं वैशाख पूर्णिमा को हुईं। इसलिए इस दिन को ‘बुद्ध पूर्णिमा’ या ‘बुद्ध जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। बुद्ध के मूल उपदेश अहिंसा और करुणा के थे। उन्होंने मानव जाति को प्रेम, सद्भाव और शांति का मार्ग दिखाया। उनके अनमोल विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा था कि व्यक्ति वही बनता है जो वह सोचता है। नकारात्मक सोच दुख देती है जबकि सकारात्मक सोच सुख देती है। स्वयं पर विजय पाना हजार युद्ध जीतने से बेहतर है। घृणा को प्रेम से ही जीता जा सकता है। चिंता न करें, वर्तमान में जिएं। खुशी बांटने से वह बढ़ती है।

आज भारत सहित दुनिया भर में लाखों लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं और बुद्ध के सिद्धांतों पर चलते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध मठों में विशेष पूजा और प्रवचन होते हैं। बुद्ध की शिक्षाओं का प्रसार किया जाता है। यह दिन विश्व शांति और मानवता के लिए समर्पित होता है।

बुद्ध पूर्णिमा आयोजन (Buddha Purnima Celebration)

बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के दिन बौद्ध धर्मावलंबी और हिंदू समुदाय के लोग बड़े उत्साह के साथ विभिन्न आयोजन करते हैं। बौद्ध मंदिरों और विहारों में धार्मिक सभाएं, प्रार्थना सभाएं और ध्यान सत्र आयोजित किए जाते हैं। श्रद्धालु बुद्ध की शिक्षाओं और उपदेशों का पाठ करते हैं, भजन-कीर्तन गाते हैं और दान-पुण्य करते हैं। बोधि वृक्ष की पूजा की जाती है और उसकी जड़ों पर दूध, पानी आदि चढ़ाया जाता है। कुशीनगर में एक विशाल मेला लगता है जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं। इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, धार्मिक प्रवचन और ध्यान सत्र भी आयोजित किए जाते हैं।

Conclusion:

बुद्ध पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह आत्म-अवलोकन और आध्यात्मिक प्रगति का भी समय है। भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को याद करके, हम उनके द्वारा सिखाए गए करुणा, प्रेम और ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। बुद्ध पूर्णिमा से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे इस लेखक को अपने सभी प्रिय जनों के साथ अवश्य साझा करें, ऐसे ही अन्य लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर भी रोजाना विजिट करें।

FAQ’s

Q. वैशाख पूर्णिमा क्या है?

Ans. वैशाख पूर्णिमा एक हिन्दू त्योहार है जो वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान बुद्ध, विष्णु और चंद्र देव की पूजा का दिन माना जाता है।

Q. वैशाख पूर्णिमा के दिन कौन से मंत्र का जप किया जाता है?

Ans. वैशाख पूर्णिमा के दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ और ‘ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।’ जैसे मंत्रों का जप किया जाता है।

Q. वैशाख पूर्णिमा के दिन क्या दान किया जाता है?

Ans. इस दिन जल पात्र, सत्तू, मिष्ठान्न, भोजन और वस्त्र का दान किया जाता है, इसके अलावा शक्कर और तिल का दान करने से पापों का क्षय होता है।

Q. वैशाख पूर्णिमा को कैसे मनाया जाता है?

Ans. इस दिन भक्तगण मंदिरों में हवन-पूजन करते हैं और वैशाख महात्म्य कथा का पाठ करते हैं। विशेष महत्व दान-पुण्य का होता है।

Q. वैशाख पूर्णिमा का महत्व क्या है?

Ans. वैशाख पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र और फलदायी तिथि माना जाता है। इस दिन की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और संकटों का नाश होता है।

Q. वैशाख पूर्णिमा के दिन किसकी पूजा होती है?

Ans. वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध, भगवान विष्णु और भगवान चंद्र देव की पूजा की जाती है।