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Rohini Vrat Puja Vidhi 2024: क्या आप भी रखना चाहते हैं रोहिणी व्रत? लेकिन नहीं पता है व्रत के नियम

Rohini Vrat Puja Vidhi 2024
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Rohini Vrat Puja vidhi: क्या आप जानते हैं कि हमारे भारतीय संस्कृति में ऐसे अनेक व्रत और त्योहार हैं जो न सिर्फ हमारी आस्था और विश्वास को दर्शाते हैं, बल्कि हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी लाते हैं। ऐसा ही एक पावन व्रत है – रोहिणी व्रत (Rohini Vrat)। 

यह व्रत प्रतिमाह रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाया जाता है और इसका विशेष महत्व जैन धर्म में माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से न केवल धन-धान्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और मानसिक संतोष भी आता है। इस व्रत की विशेषता यह है कि इसे पुरुष और महिला दोनों ही कर सकते हैं। हालांकि, महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रती सुबह स्नान आदि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर भगवान वासुपूज्य की पूजा-अर्चना करते हैं। उनकी कथा का श्रवण और मनन करते हैं। दिन भर एकासना रहकर प्रार्थना और ध्यान में लीन रहते हैं। रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के अनेक लाभ बताए गए हैं। इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और धन-संपदा की वृद्धि होती है। पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं और उसे एक स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है।

तो आइए, इस लेख के माध्यम से हम रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के महत्व और इसे करने की विधि के बारे में विस्तार से जानें। साथ ही यह भी जानें कि कैसे इस व्रत को अपने जीवन में उतारकर हम अपना जीवन खुशहाल और समृद्ध बना सकते हैं। पढ़िए यह रोचक और ज्ञानवर्धक लेख अंत तक…

रोहिणी व्रत पूजा विधि – Table Of Content 

S.NOप्रश्न 
1रोहिणी व्रत पूजा विधि
2क्या है रोहिणी व्रत?
3कैसे करें रोहिणी व्रत पूजा?
4रोहिणी व्रत पूजा मुहूर्त
5रोहिणी व्रत पूजन सामग्री
6रोहिणी व्रत मुहूर्त
7रोहिणी व्रत पूजन सामग्री

रोहिणी व्रत पूजा विधि (Rohini Vrat Puja Vidhi)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) की पूजा विधि इस प्रकार है – सुबह जल्दी उठकर गंगाजल से स्नान करें और आचमन करके व्रत का संकल्प लें। सूर्य देव को जल अर्पित करें। पूजा स्थल को साफ करके भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा में सुगंधित द्रव्य, फल, पुष्प और ध्रुव घास अर्पित करें। इस व्रत में रात्रि में भोजन नहीं करते हैं, इसलिए सूर्यास्त से पहले आरती कर हल्का भोजन ग्रहण करें। अगले दिन पूजा-पाठ का विसर्जन करके व्रत का पारण करें। अपनी क्षमता के अनुसार भोजन कराएं और दान करें। रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) से महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्त कर सकती हैं और जीवन से दरिद्रता व कष्ट दूर होते हैं।

क्या है रोहिणी व्रत? (Kya Hai Rohini Vrat)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat), जैन समुदाय का महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे हर महीने के रोहिणी नक्षत्र के दिन आचरण किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से दिगंबर जैन समुदाय में 22वें तीर्थंकर, भगवान वासुपूज्य की पूजा के लिए समर्पित है। यह व्रत किसी विशेष अवधि के लिए संकल्प करके किया जाता है, जिसमें कुछ खाद्य पदार्थों का परहेज और स्व-चिंतन, ध्यान और दान जैसी गतिविधियों में सहभागी होना शामिल होता है। इस व्रत का पालन करने से आर्थिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं, जैसे की आयु वृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी, समृद्धि और धन।

कैसे करें रोहिणी व्रत पूजा? (Kaise Kare Rohini Vrat)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) की पूजन प्रक्रिया इस प्रकार है:

  • रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और गंगाजल का उपयोग करें। आचमन करके व्रत का संकल्प लें। फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और वासुपूज्य भगवान की मूर्ति को वेदी पर स्थापित करें। पूजन विधि के दौरान सुगंधित वस्तुएं, फल, फूल और धृव (पवित्र घास) भगवान वासुपूज्य को अर्पित करें।
  • रोहिणी व्रत की रात में कोई भोजन नहीं किया जाता है, इसलिए शाम को आरती-आराधना करें और सूर्यास्त से पहले हल्का भोजन करें।
  • अगले दिन पूजा-पाठ पूरा करें और व्रत तोड़ें। अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करें।
  • रोहिणी व्रत को कम से कम पांच साल तक करने की सिफारिश की जाती है।
  • व्रत का निरंतरता भी आवश्यक है। विस्तार के दौरान, जरूरतमंदों को भोजन और दान देना चाहिए।

जैन मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) करने वाली महिलाएं अटूट समृद्धि प्राप्त कर सकती हैं और यह गरीबी को दूर करने में मदद करता है। ऐसा भी माना जाता है कि जो लोग इस व्रत को पूरी निष्ठा से करते हैं, वे सभी कठिनाइयों को पार कर सकते हैं और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

रोहिणी व्रत पूजा मुहूर्त (Rohini Vrat Puja Muhurat)

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून को रात 7 बजकर 54 मिनट पर होगी और इसका समापन 6 जून को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगा। ऐसे में, 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या मनाई जाएगी। इस पवित्र दिन पर स्नान का शुभ समय सुबह 4 बजकर 2 मिनट से लेकर 4 बजकर 42 मिनट तक है। इस अवधि में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए, भक्तगण इस समय का ध्यान रखते हुए स्नान और पूजा-अर्चना करें, जिससे वे भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

रोहिणी व्रत पूजन विधि (Rohini Vrat Pujan Vidhi)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat), जैन और हिन्दू समाज में महत्वपूर्ण, भगवान वासुपूज्य और रोहिणी देवी (Rohini Devi) की पूजा के लिए निर्धारित होता है। व्रत का आरंभ सूर्योदय के बाद होता है, जिसमें पहले स्नान किया जाता है, फिर भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है। वासुपूज्य की प्रतिमा को दो वस्त्र, फूल, फल अर्पित करके पूजा जाती है, और फिर उन्हें नैवेध्य का भोग लगाया जाता है। व्रत के अंत में, भगवान से क्षमा याचना की जाती है, और गरीबों को दान देना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। व्रत का पालन तीन, पांच, या सात वर्षों तक किया जाता है, उसके बाद इसे अनंत काल तक जारी रखा जाता है।

रोहिणी व्रत मुहूर्त (Rohini Vrat Muhurat)

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून को रात 7 बजकर 54 मिनट पर होगी और इसका समापन 6 जून को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगा। इसलिए, 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या मनाई जाएगी। इस पवित्र दिन का विशेष महत्व है, और स्नान का शुभ समय सुबह 4 बजकर 2 मिनट से लेकर 4 बजकर 42 मिनट तक निर्धारित किया गया है। मान्यता है कि इस अवधि में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और यह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। अतः, भक्तगण इस समय का ध्यान रखते हुए स्नान और पूजा-अर्चना करें, जिससे वे भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि का संचार कर सकें।

रोहिणी व्रत पूजन सामग्री (Rohini Vrat Pujan Samagri List)

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) की पूजन सामग्री की सूची इस प्रकार है:

S.NOपूजन सामग्री 
1भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा या फोटो
2पूजा थाली
3लाल वस्त्र या चुनरी
4कलश और कलश में पानी
5पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण)
6पंचरत्न (सोना, चांदी, मोती, मूंगा और पन्ना)
7चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल)
8दीपक, अगरबत्ती और लोबान
9पान, सुपारी, इलायची, लौंग
10फूल और फूलों की माला
11नैवेद्य (मिष्ठान्न या फल)
12गंगाजल
13दूर्वा घास
14आसन या वस्त्र (पूजा के लिए बैठने हेतु)
15पूजा की थाली में रोली, अक्षत, कुमकुम, हल्दी आदि रखने के लिए छोटे कटोरे

Conclusion:

रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) के सकारात्मक बदलाव लाने का एक उत्तम माध्यम है। यह व्रत हमें संयम, त्याग और करुणा जैसे जैन धर्म के मूल सिद्धांतों का पालन करने की प्रेरणा देता है। रोहिणी व्रत (Rohini Vrat) से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और साथ ही हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर भी रोजाना विजिट करें।

FAQ’s:

Q. रोहिणी व्रत किस धर्म से संबंधित है?

Ans. रोहिणी व्रत मुख्य रूप से जैन धर्म से संबंधित है। यह व्रत जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी की पूजा से जुड़ा हुआ है। हालांकि, हिंदू धर्म में भी इस व्रत का महत्व माना जाता है। यह व्रत 27 नक्षत्रों में से एक रोहिणी नक्षत्र के नाम पर रखा गया है।

Q. रोहिणी व्रत का महत्व क्या है?

Ans. रोहिणी व्रत को करने से भक्त को महान समृद्धि मिलती है और उसके पापों का नाश होता है। इससे भारी पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को हर प्रकार के दुख और कष्ट से मुक्ति मिलती है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करती हैं।

Q. रोहिणी व्रत कब किया जाता है?

Ans. रोहिणी व्रत उस दिन किया जाता है जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है। यह व्रत रोहिणी नक्षत्र में शुरू किया जाता है और अगले दिन मार्गशीर्ष नक्षत्र लगने तक चलता है। आमतौर पर एक साल में 24 रोहिणी व्रत होते हैं। इसे लगातार तीन, पांच या सात साल तक किया जाता है। इसकी आदर्श अवधि पांच वर्ष या पांच महीने मानी जाती है।

Q. रोहिणी नक्षत्र का क्या महत्व है?

Ans. रोहिणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में चौथा क्रम का है और इसे शुभ एवं सौभाग्यशाली माना जाता है। जैन धर्म में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व 12वें तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी से जुड़ा होने के कारण है।

Q. रोहिणी व्रत की पूजा विधि क्या है?

Ans. रोहिणी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर भगवान वासुपूज्य की मूर्ति स्थापित कर पूजा करें। उन्हें सुगंधित सामग्री, फल, फूल, दूर्वा आदि अर्पित करें। शाम में सूर्यास्त से पहले आरती-आराधना कर फलाहार करें। इस व्रत में रात्रि में भोजन नहीं किया जाता। अगले दिन पूजा पूरी कर व्रत खोलें और गरीबों को दान दें।

Q. रोहिणी व्रत करने से क्या लाभ मिलते हैं?

Ans. जैन मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। इससे व्यक्ति की दरिद्रता भी दूर होती है। जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से यह व्रत करता है, उसके जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।