Maa Siddhidatri: नवरात्रि (Navratri), देवी शक्ति की नौ दिवसीय उपासना का पर्व, जब अपने अंतिम चरण में पहुंचता है तब, नौवें दिन, भक्त देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं, जो नवदुर्गा का अंतिम रूप हैं। मां सिद्धिदात्री का नाम ही उनके गुणों को दर्शाता है – “सिद्धि” यानी शक्ति और “दात्री” यानी प्रदान करने वाली।
मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) को आठ भुजाओं वाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है। उनके हाथों में कमल, गदा, चक्र, शंख, धनुष, तलवार, त्रिशूल और अमृत का कलश होता है। ये सभी वस्तुएं देवी की शक्ति और विविधता का प्रतीक हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ज्ञान, धन, शक्ति, स्वास्थ्य, और मोक्ष – ये सभी मां की कृपा से प्राप्त किए जा सकते हैं। नवरात्रि (Navratri) के नौवें दिन, भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं, कथा सुनते हैं, और व्रत रखते हैं।
आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, साथ ही हम आपको बताएंगे कि माता सिद्धिदात्री कौन है?, माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) का महत्व क्या है?, माता सिद्धिदात्री की पूजा विधि क्या है?, माता सिद्धिदात्री के प्रमुख मंत्र क्या है?, इत्यादि! इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए ।
कौन है मां सिद्धिदात्री (Who is Maa Siddhidatri Mata)
देवी सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) नवदुर्गा (Nav Durga) का नौवां रूप हैं। ‘सिद्धि’ का अर्थ है ‘पूर्णता’ और ‘दात्री’ का अर्थ है ‘देने वाली’। देवी सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं, चाहे वह भौतिक हो या आध्यात्मिक। इनकी पूजा से ज्ञान, भक्ति, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
देवी सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) का स्वरूप अत्यंत शांत और सुंदर है। इनके चार हाथ हैं। ऊपरी दाएं हाथ में कमल का फूल, ऊपरी बाएं हाथ में त्रिशूल, निचले दाएं हाथ में गदा और निचले बाएं हाथ में अभय मुद्रा होती है। इनका वाहन सिंह है।
मां सिद्धिदात्री का महत्व (Maa Siddhidatri Mata Importance )
- सिद्धियां प्राप्ति: देवी सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को ज्ञान, धन, संतान, और मोक्ष जैसी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: देवी सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायता करती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को मन की शांति, एकाग्रता, और आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
- भय से मुक्ति: देवी सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) भय से मुक्ति भी प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को सभी प्रकार के भयों से मुक्ति मिलती है।
- कष्टों से मुक्ति: देवी सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) कष्टों से मुक्ति भी प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: देवी सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति भी करती हैं। इनकी पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
देवी सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) की पूजा करने का सबसे अच्छा समय नवरात्रि का नौवां दिन है। इस दिन भक्त देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मां सिद्धिदात्री की कहानी (Maa Siddhidatri Mata ki kahani)
Mata Siddhidatri Story: माँ सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की कहानी उस समय शुरू होती है जब हमारा ब्रह्मांड एक गहरे शून्य से ज्यादा कुछ नहीं था। वह अंधकार से भरा हुआ था और जीवन का कोई चिन्ह नहीं था। यह वह समय था जब देवी कुष्मांडा ने अपनी मुस्कान के तेज से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसके बाद मां कुष्मांडा ने भगवान ब्रम्हा , भगवान विष्णु , और भगवान शिव की (त्रिमूर्ति) का निर्माण किया। एक बार जब वे निर्मित हो गए, तो भगवान शिव ने माँ कुष्मांडा से उन्हें पूर्णता प्रदान करने के लिए कहा।
माता कुष्मांडा (Maa Kushmanda) ने भगवान शिव (Lord Shiva) को सिद्धियां प्रदान करने के लिए एक देवी की रचना की और यह देवी थी मां सिद्धिदात्री मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की सहायता से भगवान शिव ने ब्रह्मांड की सभी सीढ़ियां को प्राप्त कर लिया । कहा जाता है कि भगवान शिव (Lord Shiva) ने 18 प्रकार की सिद्धियां प्राप्त कर ली थी । माता सिद्धिदात्री के कारण ही भगवान शिव पूर्ण हो पाए थे।
भगवान ब्रह्मा (Lord Brahma) को शेष ब्रह्मांड का निर्माण करने के लिए कहा गया लेकिन उन्हें सृष्टि के निर्माण के लिए महिला एवं पुरुष की आवश्यकता थी वह अत्यधिक चिंतित थे लेकिन उन्होंने मां सिद्धिदात्री का ध्यान किया और उनसे प्रार्थना की ब्रह्मा ने मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) से मदद मांगी तो माता सिद्धिदात्री ने भगवान शिव को अर्धनारीश्वर के रूप में बदल दिया इसके पश्चात ब्रह्मा ने बचे हुए ब्रह्मांड की रचना भी शुरू कर दी इसीलिए कहा जाता है की मां सिद्धिदात्री की वजह से इस ब्रह्मांड का निर्माण हो पाया उनके बिना यह सब मुमकिन नहीं था ।
मां सिद्धिदात्री पूजा का महत्व (Maa Siddhidatri Mata puja Significance)
- सिद्धियों की प्राप्ति: मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) ‘सिद्धि’ शब्द से जानी जाती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को आठ सिद्धियां प्राप्त होती हैं – अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व।
- मनोकामना पूर्ति: मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
- ज्ञान और बुद्धि: मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) ज्ञान और बुद्धि की देवी भी हैं। इनकी पूजा से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- समृद्धि और सफलता: मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) भक्तों को जीवन में समृद्धि और सफलता प्रदान करती हैं।
- मोक्ष: मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
मां सिद्धिदात्री पूजा विधि (Maa Siddhidatri Mata Puja Vidhi)
- मां सिद्धिदात्री का यह दिन नवरात्रि (Navratri) पूजा का आखिरी दिन है, इसलिए इस दिन को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
- इस दिन नौ फूल, नौ विभिन्न प्रकार के फल, नौ विभिन्न प्रकार के सूखे मेवे भी चढ़ाए जाएंगे।
- दिन की शुरुआत में सबसे पहला काम जो किया जाता है वह है कलश पूजा। इससे दिन की सभी नकारात्मकताएं दूर हो जाएंगी। मेरु पृष्ठ श्री यंत्र की पूजा करने से भी आपको नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद मिल सकती है।
- फिर कलश पूजा के दौरान नीचे दिए गए मंत्र का जाप किया जाता है। दरअसल, देश के कुछ हिस्सों में मंत्र का जाप नौ बार किया जाता है।
- फिर नौ कन्या लड़कियों को, जो आमतौर पर दस साल से कम उम्र की होती हैं, आमंत्रित किया जाता है और उन्हें भोजन और पोशाक सामग्री दी जाती है। यह कन्या रूप में देवी की आराधना का प्रतीक है।
- अंत में, माँ सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की आरती की जाती है, और इन कन्याओं को उत्सव के समापन के लिए ले जाया जाता है।
- नवरात्रि (Navratri) के नौवें दिन, रामलीला समारोह भी समाप्त हो जाते हैं जबकि दसवें दिन, दुनिया भर में दशहरा मनाया जाता है
मां सिद्धिदात्री पूजा विधि pdf (Maa Siddhidatri Mata puja Samagri pdf)
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मां सिद्धिदात्री पूजा सामग्री (Maa Siddhidatri Puja Samagri)
आसन:
लाल या पीले रंग का कपड़ा |
कुश का आसन |
चौकी |
कलश स्थापना:
मिट्टी का कलश |
पंचमेवा (नारियल, सुपारी, मौली, बूंदी, लौंग) |
आम के पत्ते |
कलश के मुख पर नारियल |
माता की प्रतिमा:
माता सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र |
लाल या पीले रंग का वस्त्र |
आभूषण |
पूजा सामग्री:
दीपक |
घी |
बत्ती |
अगरबत्ती |
धूप |
रोली |
चंदन |
अक्षत |
फूल |
फल |
मिठाई |
नैवेद्य |
जल |
पंचामृत |
कपूर |
आरती |
चालीसा |
मां सिद्धिदात्री पूजा सामग्री लिस्टpdf (Maa Siddhidatri puja Samagri list pdf)
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सिद्धिदात्री माता की कथा (Maa Siddhidatri ki katha)
Maa Siddhidatri Katha: नवरात्रि (Navratri) के नौवें दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री का नाम सिद्धि और धात्री दो शब्दों से मिलकर बना है। सिद्धि का अर्थ है शक्ति और धात्री का अर्थ है देने वाली। इस प्रकार, मां सिद्धिदात्री का अर्थ है शक्ति प्रदान करने वाली।मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनके हाथों में कमल, गदा, चक्र और शंख हैं। मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान हैं। इनका वाहन सिंह है।
माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) का जन्म मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) के कारण ही हुआ इसके माता कुष्मांडा ने माता सिद्धिदात्री को उनका कार्य सौंप दिया कार्य के अनुसार माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) ने अपने सभी भक्तों को सिद्धियां प्रधान की कहा जाता है कि माता सिद्धिदात्री के कारण ही सृष्टि का पूर्ण निर्माण हो पाया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव (Lord Shiva) ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या की थी। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव ने सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही भगवान शिव (Lord Shiva) का आधा शरीर देवी का हुआ। इन्हें अर्धनारीश्वर कहा गया।
मां सिद्धिदात्री की कथा pdf (Maa Siddhidatri ki katha pdf)
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सिद्धिदात्री माता की आरती (Maa Siddhidatri ki Aarti)
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माता सिद्धिदात्री की आरती से संबंधित यह विशेष पीडीएफ हम आपसे साझा कर रहे हैं इस पीडीएफ को डाउनलोड करके आप कभी भी और कहीं भी माता सिद्धिदात्री की आरती का पठान कर सकते हैं।
सिद्धिदात्री माता मंत्र (Maa Siddhidatri Mantra)
सिद्धिदात्री मंत्र इन हिंदी (Maa Siddhidatri Mantra in Hindi)
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मां सिद्धिदात्री इमेज (Maa Siddhidatri Images)
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Summary
मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा से भक्तों का जीवन सुख और समृद्धि से भर जाता है। मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें।
FAQ’s
Q. माता सिद्धिदात्री किस नवदुर्गा का रूप हैं?
Ans. माता सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नौवां रूप हैं।
Q. माता सिद्धिदात्री का वाहन क्या है?
Ans. माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।
Q. माता सिद्धिदात्री के हाथों में क्या-क्या शस्त्र हैं?
Ans. माता सिद्धिदात्री के चार हाथ हैं। उनके दाहिने ऊपरी हाथ में गदा, दाहिने निचले हाथ में चक्र, बाएं ऊपरी हाथ में कमल और बाएं निचले हाथ में शंख है।
Q. माता सिद्धिदात्री का पूजन कब किया जाता है?
Ans. माता सिद्धिदात्री का पूजन नवरात्रि के नौवें दिन किया जाता है।
Q. माता सिद्धिदात्री का मंत्र क्या है?
Ans. माता सिद्धिदात्री का मंत्र “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः” है।
Q. माता सिद्धिदात्री की उपासना से क्या लाभ होता है?
Ans. माता सिद्धिदात्री की उपासना से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं।