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Narak Chaturdashi 2024 kab Hai: अक्टूबर में कब मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी? क्या है, इसकी पूजा विधि व शुभ मुहूर्त 

Narak Chaturdashi 2024 kab Hai
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नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं? महत्व पूजा विधि,और शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi 2024 kab Hai ): हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हमें अपने जीवन में पापों से मुक्ति और पवित्रता की ओर ले जाने का अवसर प्रदान करता है। नरक चतुर्दशी का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी अवसर है। इस दिन, भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करने से हमारे जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है। नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा में भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) द्वारा नरकासुर राक्षस का वध करने की कहानी है, जो हमें पापों से मुक्ति और सच्चाई की जीत का संदेश देती है। 

इस लेख में, हम नरक चतुर्दशी के महत्व, पूजा विधि, और पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही, आप नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा का पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं और इस त्योहार के महत्व को गहराई से समझ सकते हैं।यह लेख आपको नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के महत्व को समझने और इसका लाभ उठाने के लिए प्रेरित करेगा। तो आइए, नरक चतुर्दशी के पावन त्यौहार के बारे में विस्तार से जानते हैं…

नरक चतुर्दशी क्या है? (Narak Chaturdashi kya Hai)

दिवाली के एक दिन पूर्व मनाए जाने वाले नरक चतुर्दशी का पर्व, हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली, काली चौदस और रूप चौदस के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की विशेष पूजा की जाती है और उनकी प्रसन्नता हेतु दक्षिण दिशा में दीप जलाने की परंपरा निभाई जाती है। साथ ही, इस दिन यम पूजा के साथ भगवान कृष्ण और देवी काली की पूजा का भी विशेष महत्व है।

नरक चतुर्दशी कब है 2024?  (Narak Chaturdashi kab Hai)

2024 में नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) का आयोजन गुरुवार, 31 अक्टूबर को होगा। यह पर्व दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है, खासकर दक्षिण भारत में। इस दिन लोग यमराज, मृत्यु के देवता, की पूजा करते हैं।

नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं? (Narak Chaturdashi kyon Manate Hain)

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi), जिसे रूप चौदस या काली चौदस भी कहा जाता है, दीपावली के त्योहार से एक दिन पूर्व मनाई जाती है। इसका संबंध धार्मिक मान्यता से है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। नरकासुर ने अनेक ऋषि-मुनियों और देवताओं को कष्ट दिया था, जिसे समाप्त करने के लिए श्रीकृष्ण ने उसका संहार किया और 16,100 कन्याओं को मुक्त कराया। इस उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विशेष स्नान और पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को नरक के भय से मुक्ति मिलती है। इस दिन घर से नकारात्मकता को दूर करने और लक्ष्मी जी के स्वागत की तैयारियां की जाती हैं।

नरक चतुर्दशी का महत्व (Narak Chaturdashi ka Mahatva)

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi), जिसे रूप चतुर्दशी, छोटी दीवाली, रूप चौदस, और काली चतुर्दशी भी कहा जाता है, इस त्योहार का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

नरकासुर की पराजय: हिंदू पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने दानव राजा नरकासुर को पराजित किया था, जिससे 16,100 महिलाओं को मुक्ति मिली थी जिन्हें दानव ने अपहरण कर लिया था। यह विजय अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है, और दमनितों की मुक्ति का।

यमदीपदान: इस दिन दीपक जलाने का धर्म है, जो मृत्यु के देवता यम के सम्मान में होता है। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी पर दीपक जलाने से मृत्यु के भय को दूर करने में मदद मिलती है और पूर्वजों की आत्माओं को स्वर्ग की दिशा में मार्गदर्शन मिलता है।

अनुष्ठान और प्रथाएं: नरक चतुर्दशी से जुड़ी अनुष्ठान और प्रथाएं आशीर्वाद, समृद्धि, और मोक्ष प्राप्त करने के लिए होती हैं। इनमें सुबह जल्दी उठकर स्नान करना, शरीर पर तेल लगाना, और भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) की पूजा करना शामिल है। दीपक जलाने, पटाखे फोड़ने, और पारंपारिक मिठाईयों की तैयारी भी उत्सव के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।

नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) की पूजा विधि निम्नलिखित 5 पॉइंट में विस्तार से दी जा रही है:

  • अहोई अष्टमी की तैयारी: कार्तिक कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी के दिन एक लोटे में जल भरकर घर के किसी पवित्र स्थान पर रखा जाता है। यह जल अगले दिन नरक चतुर्दशी पर स्नान के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • स्नान विधि: नरक चतुर्दशी के दिन प्रातः काल, इस लोटे के जल को नहाने के पानी में मिलाकर स्नान किया जाता है। मान्यता है कि इससे नरक के भय से मुक्ति मिलती है और पापों का नाश होता है।
  • यमराज की पूजा: स्नान के उपरांत, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यमराज का ध्यान करते हुए, उनसे प्रार्थना की जाती है, ताकि वर्षभर किए गए पापों से मुक्ति मिले और जीवन में सुख-शांति बनी रहे।
  • दीपदान की परंपरा: इस दिन, यमराज के निमित्त घर के मुख्य द्वार के बाहर तेल का दीपक जलाया जाता है। शाम के समय सभी देवताओं की पूजा करने के बाद घर की चौखट और मुख्य द्वार पर भी दीपक प्रज्वलित किया जाता है।
  • घर की सफाई और नकारात्मकता का नाश: निशीथ काल (रात का समय) में घर से बेकार और अवांछित वस्तुएं बाहर फेंक दी जाती हैं, ताकि दीपावली के दिन लक्ष्मी जी का घर में प्रवेश हो और समृद्धि व सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके।

नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Narak Chaturdashi ki Pauranik katha)

पौराणिक कथाओं में वर्णित एक अत्याचारी दैत्य, भौमासुर, जिसे नरकासुर (Narkasur) के नाम से भी जाना जाता है, देवताओं और पृथ्वीवासियों के लिए आतंक का कारण बना हुआ था। उसकी क्रूरता ने तीनों लोकों को हिला कर रख दिया था। उसने देवताओं से वरुण का छत्र, अदिति के कुंडल और अमूल्य मणि छीन ली थी। इतना ही नहीं, भौमासुर ने कई राजाओं की कन्याओं का अपहरण कर उन्हें अपने बंदीगृह में कैद कर रखा था। देवताओं की यही दुर्दशा देखकर देवराज इंद्र भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) के पास पहुंचे और उनसे इस राक्षस से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की।

भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) ने इंद्र की विनती सुनी और अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ गरूड़ पर सवार होकर भौमासुर के गढ़, प्रागज्योतिषपुर, की ओर प्रस्थान किया। वहां पहुंचते ही उन्होंने मुर नामक दैत्य और उसके छह पुत्रों का वध कर दिया। मुर का अंत होते ही भौमासुर ने विशाल सेना के साथ भगवान कृष्ण पर आक्रमण कर दिया। किंतु, भौमासुर को यह अभिशाप था कि वह केवल एक स्त्री के हाथों मारा जाएगा। यही कारण था कि भगवान कृष्ण ने सत्यभामा को अपने सारथी के रूप में नियुक्त किया। युद्ध के अंतिम चरण में, सत्यभामा की सहायता से भगवान कृष्ण ने भौमासुर का वध कर उसके अत्याचारों का अंत कर दिया।

इसके बाद, भौमासुर के पुत्र भगदत्त को अभयदान देते हुए उसे प्रागज्योतिष का राजा बना दिया गया। इस प्रकार भगवान कृष्ण ने न केवल देवताओं को राहत दी, बल्कि पृथ्वी के कई राजाओं की कन्याओं को भी मुक्त कर दिया।

नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा पीडीएफ (Narak Chaturdashi ki Pauranik katha Pdf)

इस विशेष लेखक के जरिए हम आपसे नरक चतुर्दशी व्रत कथा पीडीएफ (Narak Chaturdashi Vrat Katha Pdf) का पीडीएफ साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ को डाउनलोड करने के बाद आप सरलता पूर्वक श्रद्धा भाव से  नरक चतुर्दशी व्रत कथा पढ़ सकते हैं।

Conclusion:-Narak Chaturdashi 2024 kab Hai

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं?) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s

प्रश्न 1: नरक चतुर्दशी क्या है?
उत्तर: नरक चतुर्दशी, जिसे काली चौदस या रूप चौदस भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्मा के शांति के लिए तर्पण करते हैं और स्नान आदि करते हैं।

प्रश्न 2: नरक चतुर्दशी 2024 में कब मनाई जाएगी?
उत्तर: नरक चतुर्दशी 2024 में 10 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी।

प्रश्न 3: नरक चतुर्दशी पर क्या करना चाहिए?
उत्तर: इस दिन विशेष रूप से उबटन करने, स्नान करने और अपने पूर्वजों को तर्पण अर्पित करने की परंपरा है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और देवी-देवताओं की पूजा करते हैं।

प्रश्न 4: नरक चतुर्दशी का महत्व क्या है?
उत्तर: नरक चतुर्दशी का महत्व इस बात में है कि इसे मृत्यु के बाद की स्थिति को सुधारने के लिए एक अवसर माना जाता है। इस दिन पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए श्रद्धा भाव से तर्पण किया जाता है।

प्रश्न 5: नरक चतुर्दशी पर कौन सी विशेष पूजा होती है?
उत्तर: इस दिन विशेष रूप से काल भैरव और यमराज की पूजा की जाती है। भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष भोग अर्पित करते हैं और अपने परिवार की भलाई की कामना करते हैं।

प्रश्न 6: क्या इस दिन व्रत रखने की कोई विशेष विधि है?
उत्तर: हां, इस दिन व्रत रखने के लिए संध्या के समय स्नान करना चाहिए, फिर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिनभर फल-फूल खाकर व्रत रखना और रात्रि को देवी-देवताओं की आरती करना विशेष फलदायी माना जाता है।