Vat Savitri Puja vidhi: क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म में एक ऐसा व्रत है जो विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए किया जाता है? जी हां, यह व्रत है वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat)। यह व्रत न सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह एक ऐसी कहानी है जो हर किसी को प्रेम, त्याग और समर्पण का संदेश देती है।
सावित्री और सत्यवान की प्रेम कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार किसी भी परिस्थिति में डगमगाता नहीं है। सावित्री ने अपने पति के प्राण बचाने के लिए स्वयं यमराज से भी लोहा लिया और अपनी अडिग श्रद्धा और समर्पण से उन्हें वापस लाने में सफल रहीं। यह कहानी हमें बताती है कि जीवन में कैसे हमें अपने प्रियजनों के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) का महत्व सिर्फ विवाहित महिलाओं तक ही सीमित नहीं है। यह हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो जीवन में प्रेम और रिश्तों की अहमियत को समझता है। यह व्रत हमें याद दिलाता है कि हमें अपने जीवन साथी का सम्मान करना चाहिए और उनके साथ हर सुख-दुख में खड़ा रहना चाहिए।
तो आइए, इस लेख के माध्यम से हम वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Puja Vidhi) की इस अद्भुत कहानी को विस्तार से जानें और समझें कि कैसे यह व्रत हमारे जीवन में खुशियां और सकारात्मकता ला सकता है। साथ ही जानेंगे इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथाएं, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में। तो पढ़ते रहिए यह रोचक और प्रेरणादायक लेख…
Vat Savitri Puja Vidhi:-Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | वट सावित्री व्रत पूजा विधि |
2 | क्या है वट सावित्री व्रत? |
3 | कैसे करें वट सावित्री व्रत पूजा? |
4 | वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त |
5 | वट सावित्री व्रत पूजन विधि |
6 | वट सावित्री व्रत मुहूर्त |
7 | वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री |
8 | वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री लिस्ट पीडीएफ |
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वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Puja vidhi)
सबसे पहले, बरगद के पेड़ की जड़ों को पानी से अच्छी तरह धोकर साफ करें। फिर गंगाजल, दूध, घी और शहद से पेड़ की जड़ों और तने को स्नान कराएं। हल्दी और चंदन का लेप बनाकर पेड़ की जड़ों और तने पर लगाएं। एक लाल रंग का कलावा लेकर पेड़ के तने पर 5 या 11 बार बांधें। हर बार कलावा बांधते समय, एक मनोकामना बोलें। दीपक और अगरबत्ती जलाकर पेड़ के समीप रखें। पेड़ को फूल, बेल पत्र, दूब, सुपारी, नारियल और मौली अर्पित करें। आरती की थाली में धूप, दीपक, अगरबत्ती और फूल रखकर बरगद के पेड़ की आरती उतारें। सावित्री-सत्यवान की व्रत कथा पढ़ें या सुनें। अंत में, बरगद के पेड़ की 11 या 21 बार परिक्रमा करें और पंडित या ब्राह्मण को दक्षिणा दें।
क्या है वट सावित्री व्रत? (Kya Hai Vat Savitri?)
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जिसे भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार सत्यवान की पत्नी सावित्री के सम्मान में मनाया जाता है, यह ज्येष्ठ मास की नई चाँदनी और पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। वट वृक्ष की पूजा करके पत्नियाँ अपने पतियों की दीर्घायु की कामना करती हैं। सावित्री और सत्यवान की कहानी को इस त्योहार के साथ जोड़ा गया है, जिसमें सावित्री (Savitri) ने अपने पति की आयु बढ़ाने के लिए यमराज (Yamraj) से बातचीत की थी। इस त्योहार का पालन करने से माना जाता है कि पति और पत्नी के बीच का बंधन मजबूत होता है।
कैसे करें वट सावित्री व्रत पूजा? (Kaise karen Vat Savitri Puja?)
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) की पूजा विधि निम्नलिखित चरणों में की जा सकती है:
- प्रातः काल उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। दिन भर के लिए व्रत का संकल्प लें। कुछ लोग केवल फल और दूध का सेवन करके आंशिक व्रत भी रखते हैं।
- पीपल के पेड़ की जड़ों को घर लाएं, उन्हें साफ करें और लाल कपड़े पर रखें। जड़ों के पास देवी सावित्री और सत्यवान की मूर्तियाँ या तस्वीरें स्थापित करें।
- मूर्तियों या तस्वीरों पर रोली, चंदन, कुमकुम और सिंदूर लगाएं। फूल, पत्ते, अक्षत अर्पित करें और दीपक जलाएं।
- सत्य नारायण व्रत कथा या वट सावित्री व्रत कथा का पाठ करें, जिसमें सावित्री और सत्यवान की कहानी का वर्णन हो।
- आरती करें और परिवार के सदस्यों और मित्रों में प्रसाद वितरित करें।
- शाम को कथा सुनने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। पूजा के बाद फल, मिठाई और सूखे मेवे का भोग लगाएं।
- व्रत के दौरान सावित्री की निष्ठा, प्रेम और अटूट विश्वास का स्मरण करें। अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करें।
वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त (Vat Savitri Puja Muhurat)
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) इस वर्ष 6 जून को मनाया जाएगा, जो ज्येष्ठ मास की अमावस्या के अवसर पर होता है। अमावस्या तिथि 5 जून की शाम 5:54 बजे से शुरू होकर 6 जून 2024 की शाम 6:07 बजे तक रहेगी। व्रत के दिन, पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 11:52 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक रहेगा। इस विशेष दिन पर महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं और सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं, जिससे वे अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इसे बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
वट सावित्री व्रत पूजन विधि क्या है? (What is The vidhi of Vat Savitri Pujan)
वट सावित्री व्रत, जिसे 6 जून 2024 को मनाया जाएगा, हिन्दू सुहागिन महिलाओं द्वारा पतियों की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। इस व्रत की पूजन विधि कुछ इस प्रकार है:
- व्रत के दिन सुबह महिलाएं स्नान करके लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनती हैं।
- फिर शृंगार करके सभी पूजन सामग्री को एकत्रित करती हैं।
- वट (बरगद) वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
- वृक्ष की जड़ में जल, पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ और मिठाई चढ़ाई जाती है।
- वट के वृक्ष को सूत से बांधकर सात बार परिक्रमा की जाती है, अंत में, वट सावित्री की कथा पढ़ी या सुनी जाती है।
यह व्रत पति की लंबी आयु और समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। यह व्रत सावित्री की भक्ति और बुद्धिमत्ता को याद दिलाता है, जिन्होंने उनके पति सत्यवान को मृत्यु से वापस लाया था।
वट सावित्री व्रत मुहूर्त (Vat Savitri Muhurat)
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) ज्येष्ठ मास की अमावस्या (Amavasya) पर मनाया जाता है। इस साल अमावस्या तिथि 5 जून की शाम 5:54 बजे शुरू होकर 6 जून 2024 की शाम 6:07 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) 6 जून को रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 11:52 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक है।
Date | Timing |
5 जून | शाम 5:54 बजे शुरू |
6 जून 2024 | 6:07 बजे समाप्त |
पूजा का शुभ मुहूर्त | प्रातः 11:52 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक |
वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री (Vat Savitri Pujan samagiri list)
बट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री की सूची इस प्रकार है:
S.NO | पूजन सामग्री |
1 | सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या तस्वीर |
2 | कच्चा सूत |
3 | बांस का पंखा |
4 | लाल कलावा या रक्षा सूत्र |
5 | बरगद का फल |
6 | धूप, अगरबत्ती |
7 | घी |
8 | मिट्टी का दीया |
9 | फल जैसे आम, लीची आदि मौसमी फल |
10 | लाल और पीले फूल |
11 | बताशे, मिठाई |
12 | रोली (कुमकुम) |
13 | 1.25 मीटर का कपड़ा |
14 | इत्र |
15 | सुपारी |
16 | पान |
17 | नारियल |
18 | सिंदूर |
19 | दूर्वा घास |
20 | अक्षत (चावल) |
21 | सोलह श्रृंगार का सामान |
22 | जल से भरा कलश |
23 | घर में बना पकवान |
24 | सोलह श्रृंगार का सामान |
25 | भिगोए हुए चने |
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Conclusion:-
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat), केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, अपितु स्त्री-पति के बीच अटूट प्रेम और त्याग का प्रतीक है। यह व्रत हमें सिखाता है कि प्रेम और विश्वास के बल पर, जीवन की हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। वट सावित्री व्रत से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर भी रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. वट सावित्री व्रत क्या है?
Ans. वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) एक हिंदू महिलाओं द्वारा अपने पति के लंबे जीवन और खुशहाली की प्रार्थना के लिए मनाया जाने वाला उपवास है। यह व्रत हिंदू मास ज्येष्ठ की अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
Q. सावित्री कौन हैं और यह व्रत उनके नाम पर क्यों है?
Ans. सावित्री हिंदू पुराणों की एक प्रसिद्ध पत्नी थीं, जिन्होंने अपने पति सत्यवान के प्रति अत्यंत निष्ठा और प्रेम दिखाया। यह व्रत उनके नाम पर है, जिससे उनके पति के प्रति उनकी अनुरागी भावना को मान्यता दी जाती है।
Q. वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष का महत्व क्या है?
Ans. वट वृक्ष, या बरगद का वृक्ष, हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और इसे यम, मृत्यु के देवता, का निवास स्थान माना जाता है। इस व्रत के दौरान, महिलाएं इस वृक्ष के चारों ओर सूत बांधती हैं और अपने पति के लंबे जीवन की कामना करती हैं।
Q. वट सावित्री व्रत कैसे मनाया जाता है?
Ans. वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) के दिन, महिलाएं सुबह उठकर स्नान करती हैं, नए कपड़े पहनती हैं, वट वृक्ष की पूजा करती हैं, प्रार्थना करती हैं और वृक्ष के चारों ओर सूत बांधती हैं।
Q. वट सावित्री व्रत की कहानी क्या है?
Ans. वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) की कहानी सावित्री और सत्यवान की प्रेम कथा है। इस कहानी में, सावित्री ने अपने पति के जीवन की बचत के लिए यम, मृत्यु के देवता, को प्रभावित किया।
Q. वट सावित्री व्रत के पालन से लाभ क्या होते हैं?
Ans. वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) के पालन से विश्वास किया जाता है कि परिवार को आशीर्वाद और सौभाग्य मिलता है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच के संबंध को मजबूत करता है और परिवार में सुख-समृद्धि लाता है।