Home राशि रत्न Lehsunia Ratna Pehenne ki Vidhi: कब और कैसे धारण करें लहसुनिया रत्न?...

Lehsunia Ratna Pehenne ki Vidhi: कब और कैसे धारण करें लहसुनिया रत्न? इसे कौन पहन सकता है? जाने पहनने की विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र आदि के बारे में जानें।

Lehsunia Ratna Pehenne ki Vidhi
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लहसुनिया रत्न पहनने की विधि (Lehsunia Ratna Pehenne ki Vidhi): लहसुनिया रत्न, एक आकर्षक और दुर्लभ रत्न, ज्योतिष और आयुर्वेद में अपने अद्वितीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यह रत्न शुक्र ग्रह के साथ जुड़ा हुआ है, जो प्रेम, सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक है। लहसुनिया रत्न को पहनने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं, लेकिन इसके लिए सही ज्ञान और विधि का पालन करना आवश्यक है। लहसुनिया रत्न की महत्ता प्राचीन काल से ही ज्ञात है, जब राजा और महाराजा इसे अपने गले में पहनते थे। आज भी, लहसुनिया रत्न को एक शक्तिशाली और आकर्षक रत्न माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। लेकिन लहसुनिया रत्न के बारे में कितना जानते हैं आप? क्या आप जानते हैं कि लहसुनिया रत्न को कैसे पहचानें, कैसे पहनें, और क्या है इसका धारण मंत्र? 

इस लेख में, हम आपको लहसुनिया रत्न (Lehsunia Ratna) के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। तो आइए, जानें लहसुनिया रत्न के बारे में और अपने जीवन को अधिक सार्थक बनाएं…

लहसुनिया रत्न क्या है | Lehsunia Ratna kya Hai

लहसुनिया रत्न (Lehsunia Ratna), जिसे कैट्स आई के नाम से भी जाना जाता है, एक मूल्यवान रत्न है जो मुख्य रूप से राहु ग्रह से जुड़ा होता है। इसे पहनने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस रत्न की खास विशेषता इसका चमकदार धागा-सा प्रभाव होता है, जो बिल्ली की आंख जैसा दिखता है, इसीलिए इसे “कैट्स आई” कहा जाता है। लहसुनिया को पहनने से व्यक्ति को अचानक लाभ, स्वास्थ्य समस्याओं से राहत, और नेगेटिव एनर्जी से सुरक्षा मिलती है। ज्योतिष शास्त्र में इसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए अनुशंसित किया जाता है, जो राहु के प्रभाव से परेशान हैं। इसे चांदी या सोने की अंगूठी में सोमवार या गुरुवार को धारण करना शुभ माना जाता है।

1. हीरा रत्न2. पुखराज रत्न3.पन्ना रत्न
4. नीलम रत्न5. मूंगा रत्न6.गोमेद रत्न 
7. लहसुनिया रत्न

असली लहसुनिया रत्न की पहचान कैसे करें | Lehsunia Ratna ki Pehchan kaise kare

असली लहसुनिया रत्न की पहचान से संबंधित जानकारी को पहचान में सहायक तीन मुख्य बिंदुओं में इस प्रकार समझा जा सकता है:

  1. बिल्ली की आंख जैसी बनावट: असली लहसुनिया रत्न में बिल्ली की आंख के समान विशिष्ट चमकदार धागा या पट्टी होती है, जिससे इसे कैट्स आई भी कहा जाता है। यह अनोखी बनावट इसे अन्य रत्नों से अलग बनाती है, और इसी लक्षण से इसकी प्रामाणिकता की पहचान होती है।
  2. सफ़ेद धारियों की संख्या: असली लहसुनिया रत्न में अक्सर सफ़ेद धारियां पाई जाती हैं, जो इसकी गुणवत्ता की पहचान होती हैं। इन धारियों की संख्या सामान्यतः दो, तीन या चार होती है, लेकिन ढाई धारियों वाला लहसुनिया सर्वोत्तम माना जाता है। इन धारियों का होना इस रत्न की शुद्धता और गुणवत्ता का संकेत है।
  3. रंग और मजबूती: यह रत्न कई रंगों में मिलता है, जैसे हल्का लहसुनिया रंग, पीला, काला, सफ़ेद और हरा, जिससे यह व्यक्तिगत पसंद के अनुसार चुना जा सकता है। असली लहसुनिया रगड़ने पर टूटता नहीं है, जो इसकी मजबूती को दर्शाता है। इसे अंधेरे में रखने पर इसमें से किरणें निकलती हैं, जो इसकी असलियत को और पुख्ता करती हैं।

लहसुनिया रत्न पहनने की विधि | Lehsunia Ratna Pehne ki Vidhi

लहसुनिया रत्न (Lehsunia Ratna) पहनने की विधि निम्नलिखित है:

  • योग्यता निर्धारित करें: अपनी जन्मकुंडली में जांचें कि क्या केतु दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, नौवें या दसवें भाव में मौजूद है। यदि हां, तो आप लहसुनिया रत्न पहन सकते हैं। इसके अतिरिक्त, यदि आपकी जन्मकुंडली में मंगल, बृहस्पति या शुक्र का केतु के साथ युति (संयोग) है, या आप जीवन में केतु से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं, या आप छिपी हुई या आंखों से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं, तो भी इस रत्न को पहनने की सलाह दी जाती है।
  • रत्न का चयन करें: एक उच्च गुणवत्ता वाला, प्राकृतिक लहसुनिया रत्न चुनें। इसमें दरारें, बुलबुले और अन्य खामियां नहीं होनी चाहिए। आदर्श रंग शहद जैसा होता है।
  • रत्न खरीदें: बुधवार या गुरुवार को, अधिमानतः दिन के शुभ समय में रत्न खरीदें।
  • शुद्धिकरण: गंगाजल या गुलाब जल से रत्न को साफ करें। फिर, इसे शुद्ध करने के लिए रात भर कच्चे दूध के एक कटोरे में रखें।
  • ऊर्जीकरण: पहनने के दिन, रत्न को एक लाल कपड़े पर रखें और धूप, फूल और दीपक से पूजा करें। केतु मंत्र (ऊँ केतवे नमः) का 108 बार जाप करें।
  • रत्न पहनना: लहसुनिया रत्न को अपने दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में पहनें। यह उंगली इस रत्न के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। इसे चांदी या सोने की अंगूठी में पहनें। विशाखा नक्षत्र में मंगलवार के दिन इसे धारण किया जा सकता है।

लहसुनिया रत्न धारण करने का मंत्र | Lehsunia Ratna Dharan karne ka Mantra

  • लहसुनिया रत्न (Lehsunia Ratna) धारण करने से पूर्व ‘ऊं कें केतवे नमः’ मंत्र का 108 बार जाप अवश्य करना चाहिए, जिससे इसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।

लहसुनिया रत्न धारण करने का शुभ मुहूर्त | Lehsunia Dharan karne ka Shubh Muhurt

  • लहसुनिया रत्न (Lehsunia Ratna को शुभ मुहूर्त में पहनने के लिए, शुक्रवार रात इसे पंचामृत में रखें। शनिवार सुबह स्नान कर, केतु मंत्र का 21 बार जाप करें और फिर इसे मध्यमा उंगली में धारण करें।

लहसुनिया रत्न किस उंगली में पहने | Lehsunia Ratna kis Ungli Mein Pehne

  • ऐसा माना जाता है कि 2, 4, 11 और 13 रत्ती का लहसुनिया रत्न पहनने से परहेज करना चाहिए। इसे मध्यमा उंगली में धारण करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।

लहसुनिया रत्न राशि को पहनना चाहिए | Lehsunia Ratna Kis Rashi ko Pehenna Chahiye

लहसुनिया रत्न किस राशि को नहीं पहनना चाहिए | Lehsunia Ratna kis Rashi ko Nahi Pehenna Chahiye

  • जिनकी कुंडली में केतु ग्रह दूसरे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में हो, उन्हें लहसुनिया रत्न धारण करने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इससे अनचाहे प्रभाव पड़ सकते हैं।

लहसुनिया रत्न के फायदे और नुकसान | Lehsunia Ratna je Fayde Aur Nuksan

लहसुनिया रत्न (Lehsunia Ratna) के फायदे:

  1. यह रत्न नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस करता है।
  2. लहसुनिया रत्न व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता और अंतर्ज्ञान को बढ़ाता है, आत्म-विश्वास और साहस में भी वृद्धि करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करने के साथ, यह रत्न ज्ञान, धन, समृद्धि और प्रचुरता को आकर्षित करता है, जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।

लहसुनिया रत्न (Lehsunia Ratna) के नुकसान:

  1. यदि यह रत्न कुंडली के अनुसार उपयुक्त न हो या अनुपचारित हो, तो यह शारीरिक चोट या दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।
  2. अनुचित लहसुनिया पहनने से मानसिक अस्थिरता, चिंता, और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  3. यह रिश्तों और करियर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, साथ ही वित्तीय अस्थिरता और हानि का जोखिम बढ़ा सकता है।

लहसुनिया रत्न पहनने के शुभ और अशुभ संकेत | Lehsunia Ratna Pehenne ke Shubh Aur Ashubh Sanket

लहसुनिया रत्न पहनने के शुभ संकेत-

लहसुनिया रत्न पहनने के शुभ संकेतों में मानसिक शांति, आत्मविश्वास में वृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव शामिल है। यदि आप इस रत्न को धारण करने के बाद अचानक जीवन में प्रेम, सौंदर्य और समृद्धि के संकेत देखना शुरू करते हैं, तो यह शुभ संकेत है। साथ ही, यदि आपको वित्तीय स्थिरता और करियर में प्रगति की अनुभूति होती है, तो यह भी इस रत्न के शुभ प्रभाव का प्रतीक है।

लहसुनिया रत्न पहनने के अशुभ संकेत-

लहसुनिया रत्न पहनने के अशुभ संकेतों में अवसाद, मानसिक तनाव और असामान्य भावनात्मक परिवर्तन शामिल हैं। यदि आप इस रत्न को पहनने के बाद स्वास्थ्य में गिरावट, संबंधों में तनाव या किसी भी प्रकार की असुविधा का अनुभव करते हैं, तो यह अशुभ संकेत हो सकता है। इसके अलावा, यदि धन की हानि या पेशेवर बाधाएँ उत्पन्न होती हैं, तो इसे तुरंत हटाने पर विचार करें।

Conclusion 

आशा करते हैं की ( लहसुनिया रत्न – पहनने की विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कौन पहन सकता है, कौन नहीं) से संबंधित यह बेहद खास लेख आपको पसंद आया होगा अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s

Q: लहसुनिया रत्न क्या है?

Ans: लहसुनिया रत्न, जिसे कैट्स आई कहा जाता है, एक मूल्यवान रत्न है जो मुख्य रूप से राहु ग्रह से जुड़ा है। इसे पहनने से मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

Q: असली लहसुनिया रत्न की पहचान कैसे करें?

Ans: असली लहसुनिया रत्न में बिल्ली की आंख जैसी विशिष्ट चमकदार धागा होती है। इसके अलावा, सफ़ेद धारियों की संख्या और रंग की मजबूती भी इसकी पहचान में मदद करती है

Q. लहसुनिया रत्न पहनने की विधि क्या है?

Ans: लहसुनिया रत्न पहनने के लिए पहले कुंडली की जांच करें, फिर उच्च गुणवत्ता वाला रत्न चुनें। इसे गंगाजल से शुद्ध करें, फिर पूजा के बाद मध्यमा उंगली में धारण करें।

Q: लहसुनिया रत्न का धारण मंत्र क्या है?

Ans: लहसुनिया रत्न धारण करने से पूर्व ‘ऊं कें केतवे नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए, जिससे इसके पूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं।

Q: लहसुनिया रत्न का शुभ मुहूर्त कब है?

Ans: लहसुनिया रत्न को शुक्रवार रात पंचामृत में रखने के बाद शनिवार सुबह स्नान कर के पहनना शुभ माना जाता है।

Q: लहसुनिया रत्न किस उंगली में पहनें?

Ans: लहसुनिया रत्न को विशेष रूप से मध्यमा उंगली में पहनना शुभ माना जाता है, जिससे इसके प्रभावों में वृद्धि होती है।