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Radha Ashtami kab Hai: 2024 सितंबर में कब मनाई जाएगी राधा अष्टमी? क्या है इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व?

Radha Ashtami kab hai 2024
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राधा अष्टमी 2024 कब है, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व (Radha Ashtami kab Hai): राधा अष्टमी हिंदू धर्म के सबसे पावन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व प्रेम, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राधा भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की अनन्य प्रेमिका और शक्ति स्वरूपा हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राधा के बिना कृष्ण और कृष्ण के बिना राधा अधूरे हैं। दोनों की लीलाएँ अद्भुत और प्रेरणादायक हैं। वृंदावन और बरसाना में राधा-कृष्ण के प्रेम की अमर कहानियाँ आज भी गूंजती हैं। राधा अष्टमी का व्रत करने और राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन राधा-कृष्ण की विधिवत पूजा और उपासना करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।

तो चलिए जानते हैं राधा अष्टमी 2024 (Radha Ashtami 2024) की तिथि, शुभ मुहूर्त और इस पर्व के धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से। साथ ही जानेंगे कि राधा जी के जन्मोत्सव पर क्या करें और कैसे करें ताकि हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके….

Table of content 

S.NOप्रश्न
1राधा अष्टमी क्या है?
2राधा अष्टमी कब है?
3राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त शुभ तिथि
4राधा अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त
5राधा अष्टमी का महत्व

राधा अष्टमी क्या है? (Radha Ashtami Kya Hai)

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राधा अष्टमी (Radha Ashtami) हिंदू धर्म में देवी राधा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है। राधा जी, भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय सखी और प्रेम की प्रतीक मानी जाती हैं। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, और राधा-कृष्ण (Radha-krishna)  की लीलाओं का स्मरण करते हैं। मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं, जहां राधा जी की प्रतिमा को सुसज्जित किया जाता है और भजन-कीर्तन होते हैं। राधा अष्टमी का पर्व मुख्य रूप से ब्रज क्षेत्र, विशेषकर मथुरा और वृंदावन में धूमधाम से मनाया जाता है।

राधा अष्टमी कब है? (Radha Ashtami Kab Hai)

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राधा अष्टमी 2024 में 11 सितंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर की रात 11:11 बजे शुरू होगी और 11 सितंबर की रात 11:46 बजे समाप्त होगी। इस दिन राधा रानी और श्री कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है और शुभ फल पाने के लिए व्रत रखा जाता है। राधा अष्टमी का पर्व राधा रानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त शुभ तिथि (Radha Ashtami Shubh Muhurat)

राधा अष्टमी (Radha Ashtami) का पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। इस वर्ष, यह पावन दिन 11 सितंबर 2024 को आएगा। राधा जी, जिन्हें प्रेम की सर्वोच्च प्रतिमा माना जाता है, का जन्मोत्सव इस दिन विशेष भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। 

राधा अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त (Radha Ashtami 2024 Subh Muhurat)

राधा अष्टमी तिथि 10 सितंबर रात्रि 11:11 से 11 सितंबर रात्रि 11:46 तक है और राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त दिनभर रहेगा  ।

राधा अष्टमी तिथि10 सितंबर रात्रि 11:11 से 11 सितंबर रात्रि 11:46 तक
राधा अष्टमी शुभ मुहूर्तराधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त दिनभर रहेगा  

राधा अष्टमी का महत्व (Radha Ashtami ka Mahatva)

राधा अष्टमी का महत्व निम्नलिखित तीन बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:

  • धार्मिक महत्व: राधा अष्टमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भगवान श्री कृष्ण की प्रेयसी राधा रानी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, राधा जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस दिन राधा और कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति राधा जी को प्रसन्न कर लेता है, उसे भगवान श्री कृष्ण भी मिल जाते हैं। वैष्णव तंत्र में राधा और कृष्ण का मिलन ही व्यक्ति का अंतिम उद्देश्य माना जाता है।
  • पौराणिक महत्व: पौराणिक शास्त्रों में राधा रानी को श्री कृष्ण की बाल सहचरी और भगवती शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, राधा जी लक्ष्मी जी का अवतार हैं। इसीलिए राधा अष्टमी के दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है। राधा रानी को श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। उनका जन्म कृष्ण के साथ सृष्टि में प्रेम भाव को मजबूत करने के लिए हुआ था।
  • व्रत और पूजा का महत्व: राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने और पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होने और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होने की मान्यता है। यह व्रत संतान सुख देने वाला भी माना जाता है। राधा अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त मध्याह्न का समय होता है। पूजा में राधा जी की मूर्ति की स्थापना कर षोडशोपचार विधि से उनकी आराधना की जाती है। इस दिन पूरा उपवास रखने या एक समय भोजन करने का विधान है।

Conclusion:-Radha Ashtami kab Hai

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (राधा अष्टमी तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

Q.राधा अष्टमी का महत्व क्या है?

Ans.राधा अष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका और देवी राधा के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे राधा-कृष्ण की दिव्य प्रेम लीला का प्रतीक माना जाता है।

Q. राधा अष्टमी क्या है?

Ans. राधा अष्टमी (Radha Ashtami) हिंदू धर्म में देवी राधा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है।

Q. राधा अष्टमी कब मनाई जाएगी 2024 में?

Ans. राधा अष्टमी 2024 (Radha Ashtami 2024) में 11 सितंबर को मनाई जाएगी, और अष्टमी तिथि 10 सितंबर की रात 11:11 बजे से शुरू होकर 11 सितंबर की रात 11:46 बजे समाप्त होगी।

Q. राधा अष्टमी के शुभ मुहूर्त क्या है? 

Ans. राधा अष्टमी (Radha Ashtami) का शुभ मुहूर्त दिनभर रहेगा, खासकर मध्याह्न का समय पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है।

Q. राधा अष्टमी व्रत कैसे किया जाता है?

Ans.राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने वाले भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं, इसके बाद देवी राधा की पूजा और कथा का आयोजन करते हैं। दिनभर व्रत रखकर और देवी के भजन-कीर्तन करते हुए इस व्रत को पूर्ण किया जाता है।

Q.राधा अष्टमी पर क्या प्रसाद चढ़ाया जाता है?

Ans.राधा अष्टमी के दिन खीर, माखन मिश्री, और फल आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है। कुछ जगहों पर विशेष रूप से माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है, जो श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है।