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Santan Saptami 2024: सितंबर में कब मनाई जाएगी संतान सप्तमी, क्या है इसका शुभ मुहूर्त व पूजन विधि?

Santan Saptami
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संतान सप्तमी कब है,तिथि शुभ मुहूर्त पूजन विधि और महत्त्व (Santan Saptami 2024): संतान सप्तमी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो माता-पिता द्वारा अपनी संतान के कल्याण और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। माता-पिता अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करते हैं। संतान सप्तमी का व्रत न केवल संतान प्राप्ति के लिए बल्कि संतान की रक्षा और उनकी समस्याओं के निवारण के लिए भी किया जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक प्राचीन कथा भी है जो इसके महत्व को और भी बढ़ा देती है। 

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि संतान सप्तमी 2024 में कब मनाई जाएगी, इस दिन की पूजा विधि क्या है, इसका क्या महत्व है और इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है। तो आइए, संतान सप्तमी के इस महत्वपूर्ण व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं…

Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1संतान सप्तमी व्रत क्या होता है?
2संतान सप्तमी व्रत 2024 कब है?
3संतान सप्तमी व्रत का महत्व
4संतान सप्तमी व्रत पूजा विधि
5संतान सप्तमी व्रत शुभ मुहूर्त

संतान सप्तमी व्रत क्या होता है? (Santan Saptami Vrat Kya Hota Hai)

संतान सप्तमी (Santan Saptami) हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला एक पावन पर्व है, जिसे माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए मनाती हैं। यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन माताएं पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ भगवान शिव, माता पार्वती, और भगवान गणेश की आराधना करती हैं, ताकि उनकी संतानें जीवन में सफलता और खुशहाली प्राप्त करें। पूजा के दौरान तुलसी के पत्ते, अक्षत, धूप, दीप, और नैवेद्य का विशेष महत्व होता है।संतान सप्तमी का व्रत रखने वाली महिलाएं दिनभर निराहार रहकर अपने संकल्प को निभाती हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत का पारण करती हैं।

संतान सप्तमी व्रत 2024 कब है? (Santan Saptami Vrat 2024 kab Hai)

संतान सप्तमी, जिसे संतान सते या ललिता सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है, एक हिन्दू व्रत है जिसे माताओं द्वारा अपने संतानों की सुरक्षा और लंबी आयु के लिए आयोजित किया जाता है। यह व्रत हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में आयोजित किया जाता है, जो अगस्त या सितम्बर में आता है। वर्ष 2024 में, संतान सप्तमी का आयोजन 10 सितम्बर को होने जा रeहा है।

संतान सप्तमी व्रत का महत्व (Santan Saptami Vrat Ka Mahatva) 

संतान सप्तमी व्रत का महत्व निम्नलिखित तीन प्रमुख बिंदुओं में विस्तार से समझा जा सकता है:

  • संतान सुख और समृद्धि की प्राप्ति: संतान सप्तमी व्रत को विशेष रूप से संतान सुख प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत मान्यता प्राप्त धार्मिक आस्थाओं के अनुसार संतान के अच्छे स्वास्थ्य, सुरक्षा और दीर्घकालिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे करने से न केवल संतान सुख प्राप्ति की आशा होती है, बल्कि परिवार में खुशहाली और समृद्धि का संचार भी होता है।
  • भविष्य की सुखमयी यात्रा की शुरुआत: यह व्रत परिवार के सुख और शांति की प्रतीक है। इसे निभाने से जीवन साथी के साथ एक सुखद और समृद्ध यात्रा की शुरुआत होती है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत के माध्यम से परिवार के सभी सदस्य एकत्र होकर एक साथ प्रार्थना करते हैं, जो उनके रिश्तों को और मजबूत करता है और परिवार में एकता और सामंजस्य बनाए रखता है।
  • धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व: संतान सप्तमी व्रत का ऐतिहासिक महत्व भी है, जो इसे धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं से जोड़ता है। इस व्रत की शुरुआत एक समय हुआ था जब साधुओं ने इसे संतान सुख और समृद्धि के लिए किया था। इसके माध्यम से परिवारों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और यह धार्मिक अनुशासन के तहत जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण उपाय है।

संतान सप्तमी व्रत पूजा विधि (Santan Saptami Vrat Puja Vidhi)

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संतान सप्तमी व्रत की पूजा विधि को 7 पॉइंट में विस्तार से इस प्रकार लिखा जा सकता है:

  • पूजा की तैयारी: पूजा के लिए साफ-सुथरा स्थान चुनें और वहां भगवान शिव, माता पार्वती, और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा सामग्री में बेलपत्र, फूल, धूप, दीप, प्रसाद (जैसे पुआ, गुड़ की पूड़ियां), और सूती डोरा रखें।
  • व्रत का संकल्प: संतान सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थान पर बैठकर व्रत का संकल्प लें, जिसमें आप भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान विष्णु की पूजा के प्रति अपने समर्पण को व्यक्त करें।
  • भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा: पहले भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। भगवान शिव को बेलपत्र, जल, दूध, और धूप-दीप अर्पित करें। माता पार्वती को सूखा नारियल, चूड़ी, और सिंदूर अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा: इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें तुलसी, फूल, और प्रसाद अर्पित करें। भगवान विष्णु के समक्ष अपनी संतान की रक्षा, दीर्घायु, और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
  • संतान सप्तमी व्रत कथा का पाठ: पूजा के बाद, संतान सप्तमी व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें। यह कथा पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सुनने से व्रती महिलाओं को संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • सूती डोरा का धारण: पूजा के समापन पर भगवान शिव को अर्पित किया गया सूती डोरा व्रती महिलाएं अपने गले में धारण करती हैं। इस डोरे को धारण करना संतान सुख की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।
  • अर्घ्य और प्रसाद ग्रहण: संतान सप्तमी के दिन भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देना आवश्यक है। अर्घ्य देने के बाद, व्रती महिलाएं पूजा का प्रसाद (विशेषकर पुआ और गुड़ से बनी पूड़ियां) ग्रहण करती हैं और व्रत का पारण करती हैं।

संतान सप्तमी व्रत शुभ मुहूर्त (Santan Saptami Vrat Shubh Muhurat)

संतान सप्तमी, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाएगा , सप्तमी तिथि का आरंभ 10 सितंबर 2024 रात 9 बजकर 53 मिनट से होगा और इसका समापन 10 सितंबर 2024 रात 11 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। संतान सप्तमी का शुभ मुहूर्त 9 सितंबर के रात्रि 9:53 से 10 सितंबर की रात्रि 11:30 तक है।

सप्तमी तिथि का आरंभ10 सितंबर 2024, रात 9 बजकर 53 मिनट
सप्तमी तिथि का समापन10 सितंबर 2024, रात 11 बजकर 11 मिनट
संतान सप्तमी शुभ मुहूर्त9 सितंबर के रात्रि 9:53 से 10 सितंबर की रात्रि 11:30 तक

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Conclusion

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (संतान संप्तमी व्रत) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

Q. संतान सप्तमी व्रत क्या है?

Ans. संतान सप्तमी व्रत एक हिंदू पर्व है, जिसे माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए मनाती हैं। यह भाद्रपद माह की शुक्ल सप्तमी तिथि को मनाया जाता है।

Q. संतान सप्तमी व्रत कब मनाया जाता है?

Ans. संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में आती है।

Q.संतान सप्तमी के दिन क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

Ans.इस दिन व्रतधारियों को संयमित आचरण, सात्विक भोजन, और भगवान की आराधना पर विशेष ध्यान देना चाहिए। व्रत के नियमों का पालन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए।

Q. क्या संतान सप्तमी का व्रत सिर्फ महिलाएं ही कर सकती हैं?

Ans.नहीं, संतान सप्तमी का व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं। यह व्रत माता-पिता दोनों के लिए संतान की कुशलता के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।