कैसे करें श्राद्ध, क्या है विधि पितृ तर्पण विधि मंत्र (Kaise Karen Shradh, kya Hai Vidhi Pitra Tarpan Vidhi Mantra): श्राद्ध, एक ऐसी धार्मिक परंपरा जो हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है। यह एक ऐसा कर्म है जो हर हिंदू को अपने जीवन में अवश्य करना चाहिए।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध कैसे किया जाता है? क्या आपको पता है कि श्राद्ध करने का अधिकार किसे है? और क्या आप जानते हैं कि तर्पण और पिंडदान की विधि क्या है? अगर नहीं, तो चिंता की कोई बात नहीं है। आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देंगे और आपको श्राद्ध करने की पूरी विधि समझाएंगे। श्राद्ध एक ऐसा विषय है जिसके बारे में हर किसी को जानना बहुत जरूरी है। क्योंकि यह हमारे धर्म और संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। Kaise Karen Shradh, kya Hai Vidhi Pitra Tarpan Vidhi Mantra श्राद्ध के माध्यम से हम अपने पितरों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। लेकिन श्राद्ध करने के लिए सही विधि और नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। अगर आप भी श्राद्ध करने की सही विधि जानना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।
हम आपको श्राद्ध से जुड़े हर एक पहलू के बारे में विस्तार से बताएंगे और आपके सभी सवालों का जवाब देंगे।…
श्राद्ध कैसे करें? (Shradh Kaise Karen)
श्राद्ध (Shraddha) एक महत्वपूर्ण हिन्दू अनुष्ठान है जो मृतक पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। इसे आमतौर पर पितृ पक्ष के दौरान किया जाता है। श्राद्ध (Shraddha) की प्रक्रिया में सबसे पहले पंडित को आमंत्रित किया जाता है, जो पूजा विधि को निभाता है। पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहां एक पीठ तैयार की जाती है, जिस पर पितृ देवताओं की तस्वीर या मूर्ति रखी जाती है। फिर, तर्पण, आहुतियाँ और नैवेद्य (भोजन) अर्पित किए जाते हैं। पंडित के मंत्र के साथ पारंपरिक तरीके से जप और हवन किया जाता है। अंत में, ब्राह्मणों को दान देकर सम्मानित किया जाता है। यह अनुष्ठान मृत्यु के बाद के जीवन के लिए शांति और पुण्य प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
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श्राद्ध की विधि
पितरों (Pitra) की शांति और तृप्ति की कामना करते हुए, श्राद्ध तिथि पर सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र पहनकर, श्राद्ध और दान के लिए दृढ़ संकल्प लें। इस दिन का उद्देश्य पूर्ण श्रद्धा और सात्विकता से भोजन तैयार करना है, जबकि भूखा रहना श्राद्ध की मूल भावना है। पौराणिक परंपराओं के अनुसार, भोजन को गोग्रास और पंच ग्रास में विभाजित करें और इसे विशेष रूप से तैयार की गई थाली में रखें। इस थाली को मृत परिजनों की तस्वीर के सामने प्रस्तुत करें, हाथ जोड़कर उन्हें दया की दृष्टि से देखे जाने और भोजन ग्रहण करने की प्रार्थना करें। उनसे अपने संतान के लिए धन, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करने की याचना करें।
ब्राह्मण को तृप्ति पूर्वक भोजन करवा कर, श्रद्धा अनुसार दान और दक्षिणा प्रदान करें, ताकि वे संतुष्ट हो सकें और उनका आशीर्वाद मिल सके। भोजन समाप्त होने के बाद, जो गोग्रास बचा है, उसे गाय को दें और पंच ग्रास को कौओं, कुत्तों, और कीड़ों को वितरित करें। इसके बाद, घर के अन्य सदस्य भी भोजन करें। इस प्रकार, श्राद्ध की विधि पूरी कर, पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करने का पुण्य कार्य संपन्न करें।
श्राद्ध करने का अधिकार किसे है?
पिता के श्राद्ध (Shraddha) का विशेष अधिकार मुख्यतः पुत्र को प्राप्त होता है, और जब एक से अधिक पुत्र होते हैं, तो इस पवित्र कर्म को ज्येष्ठ पुत्र द्वारा सम्पन्न करना चाहिए। यदि परिवार में पुत्र नहीं है, तो पत्नी को श्राद्ध की जिम्मेदारी मिलती है। पत्नी की अनुपस्थिति में, यह महत्वपूर्ण कर्तव्य सहोदरी भाई, पौत्र, प्रपौत्र, जवाई, दोहित्र, या भतीजे पर आ सकता है। यह व्यवस्था इस बात की पुष्टि करती है कि पिता की आत्मा को शांति प्रदान करने की जिम्मेदारी परिवार के निकटतम सदस्यों पर होती है, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि श्राद्ध विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ किया जाए। इस प्रकार, हर स्थिति में, परिवार के किसी सदस्य द्वारा इस धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करना अनिवार्य होता है, जिससे पिता की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्राद्ध करने की सामान्य विधि (Shradh karne ki Samanya Vidhi)
श्राद्ध करने की सामान्य विधि निम्नलिखित है:
- पितृ तर्पण: श्राद्ध करने से पहले पितृ तर्पण करना आवश्यक है। इसमें जल में कुशा और तिल मिलाकर पितृों को तर्पण किया जाता है।
- पिंड दान: पिंड दान करना श्राद्ध का मुख्य अंग है। इसमें चावल, जौ, या अन्य अनाज से बने पिंडों को ब्राह्मणों या पितृों को अर्पित किया जाता है।
- ब्राह्मण भोजन: श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराना आवश्यक है। इसमें ब्राह्मणों को विशेष भोजन जैसे कि खीर, पूड़ी, और सब्जी खिलाई जाती है।
- दक्षिणा दान: ब्राह्मणों को दक्षिणा देना भी आवश्यक है। इसमें ब्राह्मणों को धन या अन्य सामग्री दान में दी जाती है।
- पितृों का स्मरण: श्राद्ध में पितृों का स्मरण करना आवश्यक है। इसमें पितृों के नाम और उनके कार्यों का स्मरण किया जाता है।
- श्राद्ध का समय: श्राद्ध करने का समय भी महत्वपूर्ण है। इसमें श्राद्ध पितृपक्ष में किया जाता है, जो भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में होता है।
- श्राद्ध की सामग्री: श्राद्ध में उपयोग होने वाली सामग्री भी महत्वपूर्ण है। इसमें चावल, जौ, तिल, कुशा, और अन्य सामग्री का उपयोग किया जाता है।
पितृ तर्पण विधि मंत्र (Pitru Tarpan Vidhi Mantra)
- गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः”।
श्राद्ध कर्म विधि मंत्र
- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्। ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:। ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।
श्राद्ध कर्म विधि मंत्र पीडीएफ (Shradh karma Vidhi Mantra PDF)
इस विशेष लेख के जरिए हम आपसे श्राद्ध कर्म विधि मंत्र पीएफ के जरिए सजा कर रहे हैं इस पीडीएफ को डाउनलोड करने के बाद आप श्राद्ध कर्म विधि मंत्र को सरलता पूर्वक पढ़ सकते हैं।
तर्पण के लिए मंत्र (Tarpan ke liye Mantra)
- पिता को तर्पण देते समय मंत्र:“ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:””ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्””ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्”
- दादा जी को तर्पण देते समय मंत्र:“गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः”
- माता को जल देने के लिए मंत्र:“(गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः”
पितृ पूजा मंत्र पितरों के लिए मंत्र (Pitra Puja Mantra Pitro ke liye)
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
- ॐ पितृ देवतायै नम:।
- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
- ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
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Conclusion:-Kaise Karen Shradh, kya Hai Vidhi Pitra Tarpan Vidhi Mantra
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FAQ’s
Q. श्राद्ध क्या है?
Ans. श्राद्ध एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ “श्रद्धा के साथ किया गया कार्य” है। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें पितरों को तर्पण (जल अर्पण), पिंड दान, और विशेष प्रकार के भोजन का अर्पण किया जाता है। माना जाता है कि श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
Q.श्राद्ध करने का महत्व क्या है?
Ans. श्राद्ध का महत्व भारतीय परंपरा और धर्म में बहुत अधिक है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं, उन्हें उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। साथ ही, श्राद्ध करने से पितृ दोष भी शांत होते हैं, जो कि कुंडली में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करते हैं।
Q.श्राद्ध की विधि क्या है?
Ans. श्राद्ध की विधि को निम्नलिखित चरणों में बांटा जा सकता है:
- प्रारंभिक तैयारी: सबसे पहले, श्राद्ध करने वाले को स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनने चाहिए। श्राद्ध के लिए एक पवित्र स्थान का चयन करें जहाँ आप अनुष्ठान करेंगे।
- संकल्प: श्राद्ध के दौरान, “संकल्प” लिया जाता है। यह एक प्रकार की प्रतिज्ञा होती है जिसमें व्यक्ति पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करने का संकल्प करता है।
- तर्पण: तर्पण का अर्थ है जल अर्पण करना। तर्पण के लिए काले तिल, जौ, कुशा घास, और जल का उपयोग किया जाता है। पितरों के नाम का उच्चारण करते हुए जल अर्पण किया जाता है।
- पिंड दान: पिंड दान श्राद्ध का मुख्य हिस्सा होता है। इसमें चावल, जौ का आटा, घी, और काले तिल से बने पिंड (गोल आकार के आहार) को पितरों को अर्पित किया जाता है।
- भोजन का अर्पण: पितरों को प्रसन्न करने के लिए विशेष प्रकार का भोजन अर्पित किया जाता है, जिसे श्राद्ध भोज कहा जाता है। इस भोजन में आमतौर पर चावल, दाल, सब्ज़ी, पूरी, और मिठाई होती है। इसे गाय, कौआ, कुत्ता, और ब्राह्मण को खिलाया जाता है।
- दक्षिणा और दान: श्राद्ध के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
Q.पितृ तर्पण विधि क्या है?
Ans. पितृ तर्पण एक विशेष अनुष्ठान है जिसे श्राद्ध के दौरान किया जाता है। इसमें पितरों को जल अर्पण कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। तर्पण की विधि निम्नलिखित है:
- तर्पण के लिए सामग्री: कुशा घास, जल, काले तिल, चावल, और जौ का उपयोग किया जाता है।
- जल अर्पण: अपने हाथ में कुशा और काले तिल लेकर, पवित्र जल को तीन बार पितरों के नाम का उच्चारण करते हुए अर्पित करें।
- मंत्र उच्चारण: “ॐ पितृभ्यः नमः” मंत्र का जाप करते हुए पितरों को जल अर्पण करें। इस प्रक्रिया को कम से कम तीन बार दोहराएं।
Q. श्राद्ध के लिए मंत्र कौन से हैं?
- तर्पण मंत्र:
“ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः।” - श्राद्ध संकल्प मंत्र:
“ॐ अद्य श्राद्धं करिष्ये।”
Q.श्राद्ध के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- श्राद्ध के दिन उपवास रखें या सात्विक भोजन ही करें।
- श्राद्ध के दिन घर में शुद्धता और पवित्रता बनाए रखें।
- श्राद्ध में दक्षिणा और दान अवश्य दें, क्योंकि इसे अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।