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Kajli Teej Vrat Katha: कजली तीज व्रत के दिन जरूर करिए इस कथा का पाठ, आपका दांपत्य जीवन होगा सुखमय।

Kajli Teej Vrat Katha
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कजली तीज व्रत कथा (Kajli Teej Vrat Katha): कजली तीज (Kajli Teej) – एक पवित्र उत्सव जो भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं और आस्थाओं को दर्शाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। कजली तीज महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन वे अपने पति की लंबी आयु और घर में सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस पर्व के पीछे एक प्राचीन व्रत कथा भी छिपी हुई है, जो इसके महत्व को और भी बढ़ा देती है। क्या आप जानना चाहते हैं कि कजली तीज क्यों मनाई जाती है? क्या आप इस व्रत के पीछे की पौराणिक कथा को समझना चाहते हैं? इस लेख में, हम आपको कजली तीज के बारे में सब कुछ बताएंगे। साथ ही, हम आपके साथ कजली तीज व्रत कथा (Kajli Teej Vrat Katha) का एक पीडीएफ भी साझा करेंगे, ताकि आप इस पवित्र कथा को विस्तार से पढ़ सकें और समझ सकें।

तो चलिए जानते हैं कजली तीज के बारे में कुछ खास बातें और इस पावन दिन से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में। पढ़िए यह लेख और जानिए कजली तीज का सच्चा महत्व…

Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1कजली तीज क्या है?
2कजली तीज व्रत कथा
3कजली तीज व्रत कथा पीडीएफ

कजली तीज क्या है? (Kajli Teej kya Hai)

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कजली तीज (Kajli Teej) के पावन दिन पर विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए, और अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की कामना से व्रत रखती हैं। इस दिन खासतौर पर जौ, चने, चावल और गेहूं के सत्तू से बने व्यंजनों में घी और मेवा मिलाकर स्वादिष्ट पकवान तैयार किए जाते हैं। शाम को चंद्रमा की पूजा के साथ व्रत का समापन होता है। इस त्योहार की एक और खासियत है गायों की पूजा, जो सम्पन्नता का प्रतीक मानी जाती हैं। साथ ही, घरों में झूले सजाए जाते हैं, और महिलाएं एकत्र होकर नृत्य-गान में मग्न होती हैं। इस दिन कजली माता की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है, जो पूरे उत्सव को और भी पवित्र बना देती है।

कजली तीज व्रत कथा (Kajli Teej Vrat katha)

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कजली तीज (Kajli Teej) की पौराणिक कथा हमें एक छोटे से गांव के गरीब ब्राह्मण दंपति की कहानी सुनाती है, जिनका जीवन भाद्रपद मास की कजली तीज के अवसर पर एक अद्भुत मोड़ लेता है। इस विशेष दिन पर ब्राह्मणी ने तीज माता का व्रत रखा और अपने पति से सत्तू लाने का आग्रह किया। परंतु, गरीब ब्राह्मण के पास सत्तू लाने का कोई साधन नहीं था। जब ब्राह्मण ने अपनी असमर्थता व्यक्त की, तो ब्राह्मणी ने उसे चाहे चोरी से या किसी भी तरह से, सत्तू लाने को कहा।

रात के अंधेरे में, ब्राह्मण साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने चने की दाल, घी, और शक्कर से सवा किलो सत्तू बना लिया और चुपचाप निकलने लगा। लेकिन दुकान के नौकरों ने आवाज सुन ली और चोर-चोर चिल्लाने लगे। साहूकार ने ब्राह्मण को पकड़ा, और जब ब्राह्मण ने अपनी गरीबी और ब्राह्मणी के व्रत की बात बताई, तो साहूकार ने उसकी तलाशी ली। ब्राह्मण के पास सत्तू के अलावा कुछ नहीं मिला, जिससे साहूकार को उसकी बात पर विश्वास हो गया।

चंद्रमा की शीतल रोशनी में ब्राह्मणी अपने पति की प्रतीक्षा कर रही थी। साहूकार ने ब्राह्मण को सत्तू के साथ गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर विदा किया। उसने ब्राह्मणी को अपनी धर्म बहन मान लिया और पूरे गांव ने मिलकर कजली माता की पूजा की। यह कथा इस बात का प्रतीक है कि जब सच्चे मन से विश्वास और श्रद्धा के साथ कोई कार्य किया जाता है, तो ईश्वर की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिर गए, वैसे ही कजली माता की कृपा से सबके दिन सुधरें।

कजली तीज व्रत कथा पीडीएफ (Kajli Teej Vrat Katha PDF)

कजली तीज व्रत कथा पीडीएफ PDF Download

इस विशेष लेख में हम आपसे कजली तीज (Kajli Teej) व्रत कथा का पीडीएफ (PDF) साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ को डाउनलोड करने के बाद आप कजली तीज व्रत कथा को श्रद्धापूर्वक और सरलता पूर्वक पढ़ सकते हैं।

Conclusion

आशा करते हैं की कजली तीज की पावन व्रत कथा से संबंधित यह बेहद खास लेख आपको पसंद आया होगा अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

Q. कजली तीज का व्रत कौन रखता है?

Ans. कजली तीज का व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए और अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं।

Q. कजली तीज पर कौन से विशेष पकवान बनाए जाते हैं?

Ans. कजली तीज पर जौ, चने, चावल, और गेहूं के सत्तू से बने व्यंजनों में घी और मेवा मिलाकर स्वादिष्ट पकवान तैयार किए जाते हैं।

Q. कजली तीज के दिन कौन सी पूजा विशेष रूप से की जाती है?

Ans. कजली तीज के दिन विशेष रूप से कजली माता की पूजा की जाती है, जो इस त्योहार को और भी पवित्र बना देती है।

Q. कजली तीज का व्रत कब समाप्त होता है?

Ans. कजली तीज का व्रत शाम को चंद्रमा की पूजा के साथ समाप्त होता है।

Q. कजली तीज पर घरों में क्या सजाए जाते हैं?

Ans. कजली तीज पर घरों में झूले सजाए जाते हैं, और महिलाएं एकत्र होकर नृत्य और गान में मग्न होती हैं।

Q. कजली तीज की पूजा का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

Ans. कजली तीज की पूजा का प्रमुख उद्देश्य विवाहित महिलाओं के लिए पति की लंबी उम्र और अविवाहित लड़कियों के लिए अच्छे वर की प्राप्ति की कामना करना है।