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जानिए क्या है करवा चौथ व्रत की कथा,Know The Story of Karva Chauth Fast

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Karva Chauth Fast :हिंदू त्योहार करवा चौथ (Karva Chauth) विवाहित महिलाओं के बीच बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन, महिलाएं ‘निर्जला’ व्रत रखती हैं – जिसका शाब्दिक अर्थ है उपवास (fast) जिसमें सूर्योदय (sunrise) से चंद्रोदय (moonrise) तक पानी भी नहीं पिया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पतियों की सुरक्षित और लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं, हालांकि इन दिनों कई पति भी अपनी पत्नियों के साथ इसी कारण से व्रत रखते हैं । आज के इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे की करवा चौथ का व्रत कैसे मनाया जाता है करवा चौथ व्रत की कथा क्या है साथ ही हम आपको बताएंगे कि 2024 में करवा चौथ किस दिन मनाया जाएगा?, और हम आपको करवा चौथ का महत्व भी समझाएंगे, इसीलिए हमारे इस लेखक को अंत तक जरूर पढ़िए ।

टॉपिक जानिए क्या है करवा चौथ व्रत की कथा,Know the story of Karva Chauth fast
लेख प्रकार आर्टिकल 
चतुर्थी तिथि प्रारंभ20 अक्टूबर को सुबह 6:46 बजे से
चतुर्थी तिथि समापन21 अक्टूबर की सुबह 4:16 पर
करवाचौथ 2024 पर चांद निकलने का समयरात 7:54 बजे
करवाचौथ 2024 व्रत की अवधि13 घंटे और 29 मिनट
करवा चौथ व्रत का पूजा मुहूर्तशाम 5:46 से 7:54 तक
करवा चौथ व्रत का पूजा अवधिएक घंटा और 16 मिनट

कब और कैसे मनाया जाता है करवा चौथ का व्रत ?,When And How is The Fast of Karva Chauth Celebrated?

हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक माह (Kartik month) में पूर्णिमा (full moon) के बाद चौथे दिन मनाया जाता है। इस दिन, विवाहित महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं (अधिमानतः लाल जो एक खुशहाल विवाहित जीवन married life का प्रतीक है) और उत्सव के हिस्से के रूप में अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं। इस व्रत को रखने वाली महिलाएं इस दिन एकत्रित होती हैं और लोक कथा सुनाकर, करवा चौथ व्रत कथा पढ़कर और लोक गीत गाकर इसे मनाती हैं – ये सभी इसे एक जीवंत त्योहार बनाते हैं। करवा चौथ पूजा में महिलाएं देवी पार्वती के बाद भगवान शिव (Lord Shiva), भगवान गणेश (Lord Ganesh) और भगवान कार्तिकेय ( Lord Kartikeya) की भी पूजा करती हैं। बाद में चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है ।

2024 में कब है करवा चौथ?,When is Karva Chauth In 2024? 

अगर हिंदू पंचांग की माने तो इस साल यानी की 2024 में कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6:46 पर होगा और अगले दिन 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4:16 पर समाप्त होगा आपको बता दे की इसी अवधि (Time)  के बीच महिलाएं करवा चौथ का पावन पर्व मनायेंगी । 

करवाचौथ 2024 व्रत की अवधि 13 घंटे और 29 मिनट की रहेगी। करवाचौथ 2024 पर चांद निकलने का समय रात 7:54 बजे का है।

करवा चौथ की कथा और इतिहास,Story and History of Karva Chauth

इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं। उनमें से कुछ यहां हैं:

1- रानी वीरवती की कहानी

बहुत समय पहले इंद्रप्रस्थपुर नगर (Indraprastha Pur Nagar) में वेदशर्मा (Ved Sharma) नाम का एक ब्राह्मण (Brahmin) रहता था। वेदशर्मा ने लीलावती से खुशी-खुशी शादी कर ली थी और उनके सात महान बेटे और वीरावती (Veeravati) नाम की एक चतुर बेटी थी। सात भाइयों की इकलौती बहन होने के कारण वह न केवल अपने माता-पिता, बल्कि अपने भाइयों की भी लाडली थी।

जब वह परिपक्व हो गई, तो उसकी शादी एक उपयुक्त ब्राह्मण लड़के से कर दी गई। शादी के बाद जब वीरावती अपने माता-पिता के साथ थी तो उसने अपनी भाभियों के साथ मिलकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। करवा चौथ के व्रत के दौरान वीरावती को भूख सहन नहीं हुई. कमजोरी के कारण वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।

सभी भाई अपनी प्यारी बहन की दयनीय स्थिति को सहन नहीं कर सके। वे जानते थे कि पतिव्रता (fidelity to husband) वीरावती चंद्रमा देखे बिना भोजन नहीं करेगी, भले ही इसके लिए उसकी जान ही क्यों न चली जाए। सभी भाइयों ने मिलकर बहन को व्रत खुलवाने के लिए छल करने की योजना बनाई। एक भाई चलनी और दीपक लेकर दूर वट के पेड़ पर चढ़ गया. जब वीरावती को होश आया तो उसके भाइयों ने उसे बताया कि चंद्रमा निकल आया है और वे उसे चंद्रमा देखने के लिए छत पर लेकर आ गए ।

वीरावती ने दूर वट वृक्ष (Banyan Tree) पर छलनी के पीछे दीपक देखा और उसे विश्वास हो गया कि वृक्ष की ओट में चंद्रमा उग आया है। अपनी भूख मिटाने के लिए उसने तुरंत दीपक को प्रसाद दिया और व्रत तोड़ दिया।

जब वीरावती भोजन करने लगी तो उसे तरह-तरह के अपशकुन (Bad Omen)  मिलने लगे। पहले निवाले में उसे बाल मिले, दूसरे निवाले में उसे छींक आई और तीसरे निवाले में उसे अपने ससुराल वालों से निमंत्रण मिला। पति के घर पहुंचने पर पहली बार उसे अपने पति का शव मिला।

अपने पति के शव को देखकर वीरावती रोने लगी और करवा चौथ के व्रत के दौरान कुछ गलती करने के लिए खुद को दोषी ठहराया। वह दुःखी होकर विलाप करने लगी। उसका विलाप सुनकर देवराज इंद्र की पत्नी देवी इंद्राणी वीरावती को सांत्वना देने पहुंचीं।

वीरावती ने इंद्राणी से पूछा कि करवा चौथ के दिन उसके साथ ऐसा दुर्भाग्य क्यों हुआ , और उसने अपने पति को जीवित करने की भीख मांगी। वीरावती के पश्चाताप को देखकर, देवी इंद्राणी ने उससे कहा कि उसने चंद्रमा को अर्घ दिए बिना व्रत तोड़ दिया है और इसके कारण उसके पति की अकाल मृत्यु हो गई। इंद्राणी ने वीरावती को करवा चौथ के व्रत सहित पूरे वर्ष हर महीने चौथ का व्रत करने की सलाह दी और आश्वासन (Assurance) दिया कि उसका पति जीवित वापस आ जाएगा।

इसके बाद वीरावती ने पूरे विश्वास और पूरे विधि-विधान से मासिक व्रत रखा। अंततः इस व्रत के पुण्य से वीरावती को उसका पति वापस मिल गया।

2- महाभारत की कहानी

अपने पति की सलामती के लिए व्रत रखने के पीछे एक और किंवदंती महाभारत (Mahabharata) काल से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी (Draupadi) ने भी अपने पतियों की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखा था। कहानी: जब अर्जुन (Arjun) नीलगिरी में तपस्या के लिए गए थे, तो उनकी अनुपस्थिति में बाकी पांडवों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। तभी द्रौपदी ने मदद के लिए भगवान कृष्ण (Lord Krishna) को याद किया, जिन्होंने उसे याद दिलाया कि पहले भी इसी तरह की स्थिति में देवी पार्वती (Goddess Parvati) ने भगवान शिव (Lord Shiva) के लिए व्रत रखा था। इसी से प्रेरित होकर द्रौपदी भी अपने पतियों के लिए पूरे विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखती हैं। और परिणामस्वरूप, पांडव अपनी समस्याओं का सामना करने और उन पर काबू पाने में सक्षम हो पाते हैं ।

3- करवा की कहानी

पौराणिक कथाओं में एक और लोकप्रिय कहानी करवा (Karva)  नाम की एक महिला की थी जो एक समर्पित पत्नी थी। कथा: एक बार नदी में स्नान करते समय करवा के पति को मगरमच्छ (crocodile) ने पकड़ लिया। उसे बचाने के लिए करवा ने मगरमच्छ को सूती धागे से बांध दिया और मृत्यु के देवता ( God of death) यम से जानवर को नरक भेजने के लिए कहा। जब यम ने इनकार कर दिया, तो उसने उसे अपने शाप से नष्ट करने की धमकी दी। तब भयभीत यम ने मगरमच्छ को नरक भेज दिया और करवा के पति को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया। और इस तरह, करवा और उसका पति एक साथ खुशी से रहने लगे।

करवा चौथ का महत्व|Importance of Karva Chauth

करवा चौथ हिंदू महिलाओं के जीवन में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन विवाहित महिलाएं एक दिन का व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। त्यौहार की भावना को बढ़ाने के लिए सजे हुए बाज़ार हैं, जहाँ महिलाएँ खरीदारी का आनंद उठाती हैं। करवा चौथ को देवी पार्वती को अर्पित की जाने वाली विभिन्न वस्तुओं और व्रत समाप्त होने से पहले एक बुजुर्ग महिला द्वारा सुनाई जाने वाली एक उपदेशात्मक कहानी के कारण अधिक धार्मिक स्वरूप प्राप्त हुआ है ।

हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार, साल 2024 में कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी।

Summary 

करवा चौथ एक ऐसा व्रत है जो भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। करवा चौथ का व्रत एक सांस्कृतिक विरासत भी है। यह व्रत भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, करवा चौथ का व्रत एक ऐसा त्योहार है जो भारतीय संस्कृति (Indian culture) के समृद्ध इतिहास और विविधता (diversity) को दर्शाता है। यह व्रत एकता और भाईचारे (brotherhood) का भी प्रतीक है। करवा चौथ के व्रत से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो अपने मित्रों के साथ जरूर साझा करिए साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़िए ।

FAQ’S 

Q.करवा चौथ कब मनाया जाता है?

Ans. यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

Q. करवा चौथ का क्या महत्व है?

Ansयह त्योहार पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है।

Q. करवा चौथ व्रत का विधान क्या है?

Ans. इस दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

Q.करवा चौथ का पूजन कैसे किया जाता है?

Ans.इस दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। पूजा में फल, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं।

Q.करवा चौथ व्रत के क्या लाभ हैं?

Ans.यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है।

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सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।