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मकर संक्रांति की व्रत कथा।Makar Sankranti ki Katha Pdf Download: 2025 में कब मनाई जाएगी मकर संक्राति? यहां जाने महत्व,पूजा विधि,व्रत विधि,रीति रिवाज

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मकर संक्रांति की व्रत कथा।Makar Sankranti ki Katha Pdf Download: : मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो हर साल जनवरी महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है और इसके साथ ही उत्तरायण की शुरुआत भी होती है। मकर संक्रांति का त्योहार पूरे भारत में अलग-अलग नामों से और अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और विशेष पकवान बनाकर खाते हैं। खासकर तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का इस दिन बहुत महत्व होता है। मकर संक्रांति का यह पर्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं देते हैं और मिलकर इस पर्व की खुशियां बांटते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि मकर संक्रांति का पर्व आखिर क्यों और कैसे मनाया जाता है? इस लेख में हम आपको मकर संक्रांति से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात बताने जा रहे हैं। साथ ही यह भी बताएंगे कि साल 2025 में मकर संक्रांति कब पड़ेगी और इस दिन क्या पूजा-पाठ और व्रत-उपवास करना चाहिए। 

तो चलिए शुरू करते हैं मकर संक्रांति 2025 के पावन पर्व से संबंधित इस विशेष लेख को….

टॉपिक मकर संक्रांति की व्रत कथा।Makar Sankranti ki Katha Pdf Download
लेख प्रकार आर्टिकल 
व्रत मकर संक्रांति व्रत कथा
तिथिजनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन
महत्वसूर्य का उत्तरायण होना
नामपोंगल,बिहू,खिचड़ी,लोहड़ी आदि
रीति-रिवाजस्नान, दान, तिल-गुड़ का वितरण, सूर्य देव की पूजा, आदि 
अन्य महत्वएकता और भाईचारे का प्रतीक

मकर संक्रांति क्या होती है? (Makar Sankranti kya hoti hai?)

मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का दिन है, जो एक विशेष रूप से पुण्यकारी तिथि मानी जाती है। इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन से सूर्य का उत्तरायण काल प्रारंभ होता है। शास्त्रों के अनुसार, उत्तरायण समय को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को उनकी रात के रूप में वर्णित किया गया है। मकर संक्रांति का यह समय विशेष रूप से तात्त्विक महत्व रखता है, जब दान और पुण्य के कार्यों को विशेष आशीर्वाद मिलता है।

मकर संक्रांति 2025 कब है? (Makar Sankranti 2025 kab hai?) 

साल 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से गंगा स्नान और दान का महत्व है, जो शुभ मुहूर्त में करना बेहद लाभकारी माना जाता है। यह मुहूर्त सुबह 9:03 बजे से लेकर 10:48 बजे तक रहेगा, जो पुण्यप्राप्ति के लिए अत्यंत उपयुक्त समय होगा। इस शुभ अवसर पर धार्मिक क्रियाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि पुण्य का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है? (Makar Sankranti kyon manayi jati hai?) 

मकर संक्रांति का पर्व मनाने के कई विशेष कारण है जिनमें से यह तीन मुख्य कारण निम्नलिखित है: 

  1. सूर्य का उत्तरायण होना: मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं, यानी सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर चलने लगता है। इसे शुभ समय माना जाता है क्योंकि इस दिन से दिन बढ़ने लगते हैं और रात्रियाँ छोटी होने लगती हैं। यह धार्मिक दृष्टि से सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है, जिसे आत्मिक उन्नति और खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
  1. कृषि से जुड़ा त्यौहार: मकर संक्रांति कृषि के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह समय फसल कटाई का होता है, खासकर रबी फसलों की। किसान इस दिन अपनी मेहनत की कमाई के रूप में फसल काटते हैं और इसका जश्न मनाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ का सेवन करने की परंपरा है, जिसे एक दूसरे के साथ साझा करके मिठास और सुख-शांति की कामना की जाती है।
  1. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक दृष्टि से भी विशेष है। इस दिन गंगा स्नान और पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है, जिसे पुण्य लाभ के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा, इस दिन दान और तप का भी महत्व है। लोग तिल, गुड़, वस्त्र, और अन्य चीजों का दान करते हैं, जिससे पुण्य प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।

मकर संक्रांति व्रत कथा। Makar Sankranti Story

मकर संक्रांति की व्रत कथा कुछ इस प्रकार है-

एक गांव (Village)  में एक बूढी औरत (Old Woman) हुआ करती थी । वह बूढी महिला व्रत-नियम बहुत रखती थी। एक दिन भगवान के घर से यमदूत (Messenger of Death) लेने आये। बुढ़िया माई यमदूत के साथ चली गई। आगे गहरी नदी बह रही थी। बुढ़िया माई डूबने लगी, तब यमदूत ने पूछा-‘माई गाय दान की हुई है क्या?’ बुढ़िया माई ने मन में गाय माता का ध्यान किया तो गाय माता उपस्थित हो गई। गाय की पूँछ पकड़कर बुढ़िया माई ने नदी पार कर लिया। 

जब बूढी मां आगे पहुंची तो उन्हें काले कुत्ते खाने को दौड़ पड़े तभी यमदूत ने बूढी मां से पूछा कि “क्या आपने कुत्ते को रोटी दी थी?” तभी बूढी मां ने काले कुत्ते का ध्यान किया तभी सभी काले कुत्ते वहां से चले गए । जब बूढी मां फिर आगे चली तब उन्हें वहां पर कौवे मिल गए वे सभी कौवे बूढी मां को चोंच करने लगे तभी यमदूत ने पूछा कि “क्या अपने ब्राह्मण की बेटी को सिर में तेल लगाने को दिया?” तभी बूढी मां ने ब्राह्मण की बेटी को याद किया और कौवे ने चोंच मारना बंद कर दिया ।

आगे गई तो पैरो में काँटे (spine) चुभने लगे। यमदूत ने कहा-‘चप्पल दान किया है?’ बुढ़िया माई ने याद किया तो चप्पल (sleeper) पैरो में आ गई। आगे चली तो चित्रगुप्त (Chitragupta) जी ने यमदूतों से पूछा-‘आप किसको ले आये हो? ’ यमदूतों ने कहा बुढ़िया माई ने बहुत दान-पुण्य किये हैं, लेकिन धर्मराज (God of death) जी का कुछ नहीं किया। इसलिये आगे के द्वार बंद है। तब बुढ़िया माई ने विनती की कि मुझे सात दिनों के लिये धरती पर जाने दो मैं इन सात दिनों में धर्मराज जी की कहानी सुनकर उद्यापन कर वापस आ जाऊँगी। 

धर्मराज जी ने उसके प्राण लौटा दिये। धरती पर बुढ़िया माई के शरीर में जान वापस आ गई। सभी लोग बुढ़िया माई को जीवित देखकर ‘भूतनी-भूतनी’ चिल्लाकर भाग ख‌ोड़े हुये। बुढ़िया माई अपने घर आ गई ।
बुढ़िया माई ने बेटे-बहू से कहा- मैं भूतनी नहीं हूँ। मैं तो धर्मराज के कहने पर वापस आई हूँ। मैं प्रत्येक दिन धर्मराज की कहानी सुनकर, उसका उद्यापन करके वापस परलोक चली जाऊँगी। यह सुनकर बेटे-बहू ने पूजा की सभी सामग्री ला दी। लेकिन कहानी के समय हुँकारा नहीं भरा। तब बुढ़िया माई पड़ोसन (Neighbor) के पास गई। पड़ोसन ने कहानी सुनी और हुँकारा भी भरा।

बुढ़िया माई ने सात दिनों के पश्चात् उद्यापन कर दान किया। सातवें दिन धर्मराज जी ने बुढ़िया माई के लिये स्वर्ग से विमान भेजा। विमान (aircraft) देखकर सभी गाँव वालों ने स्वर्ग जाने के लिये कहा। तब बुढ़िया माई ने कहा- मेरी कहानी तो केवल पड़ोसन ने सुनी है। यह सुनकर सभी गाँववालों ने बुढ़िया माई के पाँव पकड़ लिये और धर्मराज की कहानी सुनाने को कहा। बुढ़िया माई से कहानी सुनने के बाद सभी गाँववासी विमान में बैठकर स्वर्ग पहुँच गये। सभी गाँववासी को देखकर धर्मराज ने कहा-‘मैंने तो केवल बुढ़िया माई के लिये विमान भेजा था।। बुढ़िया माई ने कहा- मेरी कहानी इन सब ने सुनी है, इसलिये मेरा आधा पुण्य इनको दे दो और स्वर्ग में वास भी दो। तब धर्मराज जी ने सभी गाँववासियों को स्वर्ग में वास दे दिया।

मकर संक्रांति व्रत कथा PDF Download | Makar Sankranti Story PDF Download

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मकर संक्रांति का महत्व । Importance of Makar Sankranti

मकर संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन को नए वर्ष की शुरुआत माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य (sun) उत्तरायण हो जाता है, जिसका अर्थ है कि दिन के समय की अवधि बढ़ने लगती है और रात के समय की अवधि घटने लगती है। इस कारण से, मकर संक्रांति को समृद्धि का प्रतीक (symbol of prosperity) माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, और खिचड़ी का विशेष महत्व होता है। लोग इन चीजों का प्रसाद ग्रहण करते हैं और दूसरों को भी बांटते हैं।

मकर संक्रांति पूजा विधि (Makar Sankranti Puja Vidhi)

  1. सूर्य को जल अर्पित करना: मकर संक्रांति के दिन सूर्य जब मकर राशि में आते हैं, तो शनि महाराज भी उनका तिल से पूजन करते हैं। इस अवसर पर तांबे के पात्र में जल, सिंदूर, लाल फूल और तिल मिलाकर उगते सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। यह पूजा विधि सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
  1. नदी स्नान के दौरान मंत्र जाप: अगर आप मकर संक्रांति पर नदी में स्नान कर रहे हैं, तो अंजुली में जल लेकर सूर्य देव का ध्यान करते हुए तीन बार ‘ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करें। इससे शरीर, मन और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
  1. श्रीनारायण कवच और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ: मकर संक्रांति के दिन श्रीनारायण कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यधिक पुण्यकारी माना गया है। इन ग्रंथों का पाठ सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  1. ब्राह्मण को दान: मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद तिल, उड़द दाल, चावल, गुड़, सब्जी और धन (अगर संभव हो तो वस्त्र) किसी ब्राह्मण को दान करें। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  1. भगवान को तिल और खिचड़ी का भोग लगाना: इस दिन भगवान सूर्य को तिल और खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए। यह विशेष रूप से सूर्य देव को प्रिय माना जाता है, और इससे विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। तिल का सेवन इस दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  1. ब्राह्मणों को भोजन कराना: मकर संक्रांति पर ब्राह्मणों को भोजन करवाना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। यह दान और सेवा का सर्वोत्तम रूप माना गया है।

इन सभी पूजा विधियों का पालन करके मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति व्रत विधि (Makar Sankranti Vrat Vidhi)

मकर संक्रांति की व्रत विधि कुछ इस प्रकार है: 

  • मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। स्नान के पानी में तिल मिलाएं और तांबे के लोटे से सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस जल में लाल फूल, लाल चंदन, तिल और गुड़ मिलाएं।
  • स्नान के बाद लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें। दाहिने हाथ में जल लेकर पूरे दिन बिना नमक खाए व्रत रखने का संकल्प लें। साथ ही दान करने का भी संकल्प लें।
  • सूर्य देव की पूजा करते समय विशेष मंत्रों का उच्चारण करें जैसे – “ऊं घृणि सूर्याय नमः”, “ऊं सूर्याय नमः”, “ऊं आदित्याय नमः”, “ऊं भास्कराय नमः” आदि। सूर्य चालीसा का पाठ भी करें।
  • सूर्य देव को अर्घ्य देते समय अंजलि में तिल लेकर बहती जलधारा में प्रवाहित करें। ऐसा करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पूजा समाप्त करने के बाद तिल और गुड़ से बने पकवान बनाकर प्रसाद के रूप में वितरित करें। साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करें।

मकर संक्रांति के कुछ विशेष रीति-रिवाज Some special customs of Makar Sankranti

पवित्र नदियों में स्नान: मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों (sacred rivers), जैसे गंगा (Ganga), यमुना (Yamuna), और सरस्वती (Saraswati) में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि (happiness and prosperity) आती है।

दान: मकर संक्रांति के दिन लोग दान (Donation) करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से पुण्य की प्राप्ति (attainment of virtue) होती है और भगवान प्रसन्न होते हैं।

तिल, गुड़, और खिचड़ी का प्रसाद: मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, और खिचड़ी का विशेष महत्व होता है। लोग इन चीजों का प्रसाद ग्रहण करते हैं और दूसरों को भी बांटते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और धन-धान्य (wealth and grain) में वृद्धि होती है।

पतंगबाजी: मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी (kite flying) का विशेष महत्व होता है। लोग सुबह से शाम तक पतंग उड़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पतंगबाजी करने से बुराई दूर होती है और (सुख-समृद्धि happiness and prosperity) आती है।

Conclusion

मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार नई शुरुआत, उजास, और समृद्धि का प्रतीक है। मकर संक्रांति के दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। मकर संक्रांति के पर्व से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा जरूर करें साथ ही हमारे जन भक्ति अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।

FAQ’S

1. मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और दिन-रात के संतुलन का स्वागत करने के लिए मनाई जाती है।

2. इस दिन तिल-गुड़ का महत्व क्या है?
तिल-गुड़ शीत ऋतु में शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ रिश्तों में मिठास का प्रतीक है।

3. मकर संक्रांति के दिन कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
इस दिन गंगा स्नान, तिल-गुड़ का दान, खिचड़ी बनाने और ब्राह्मणों को भोजन कराने का महत्व है।