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मंगला गौरी व्रत की कथा । Mangla Gauri Vrat katha: यहां जाने इस पर्व का महत्व,पूजन विधि,पूजन सामग्री,उद्यापन आदि

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मंगला गौरी व्रत की कथा।Mangla Gauri Vrat katha: श्रावण मास को शिव-शक्ति को समर्पित मास माना जाता है। इस मास में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष आराधना की जाती है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अनेक व्रत किए थे, जिनमें से एक मंगला गौरी व्रत भी है। यह व्रत विशेष रूप से मंगलवार के दिन किया जाता है, इसलिए इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। मंगला गौरी व्रत विवाहित और अविवाहित दोनों प्रकार की महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र, सुरक्षा और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। वहीं, अविवाहित लड़कियां इसे उत्तम वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। 

मंगला गौरी व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत की कथा सुनने और विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंगला गौरी व्रत के उद्यापन की विधि में पूजा के साथ सोलह श्रृंगार, सोलह आटे के लड्डू और चांदी के बर्तन का विशेष महत्व होता है। मंगला गौरी व्रत शिव-पार्वती के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है, जो महिलाओं के जीवन में खुशहाली और वैवाहिक सुख को बढ़ाता है। आज के इस लेख के जरिए हम आपको मंगला गौरी व्रत कथा के बारे में बताएंगे, साथ ही हम आपको बताएंगे की मंगला गौरी व्रत 2024 की तिथि एवं समय क्या है?, और तो और हम आपको यह भी बताएंगे कि मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि और उद्यापन विधि क्या है?, इसीलिए मंगला गौरी व्रत से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए ।

Mangla Gauri Vrat Katha Overview

टॉपिक मंगला गौरी व्रत की कथा।Mangla Gauri Vrat katha
लेख प्रकार आर्टिकल 
व्रत मंगला गौरी व्रत 
व्रत की तिथि 23 जुलाई,30 जुलाई,6 अगस्त,13 अगस्त
महत्वअखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु, मनोकामना पूर्ति
व्रत विधिब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान, व्रत का संकल्प, मंगला गौरी की पूजा, शाम को फलाहार
पूजन सामग्रीमंगला गौरी की प्रतिमा या चित्र, 16 श्रृंगार, फल, फूल, मिठाई, जल, दीपक, धूप आदि
मंत्र ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।

मंगला गौरी व्रत कथा | Mangla Gauri Vrat katha

प्राचीन समय की बात है एक नगर में धर्मपाल (Dharmapala) नाम का एक व्यापारी अपनी पत्नी के साथ रहता था। उनके पास धन और संपत्ति की किसी प्रकार की कमी नहीं थी धर्मपाल की पत्नी बेहद ही बुद्धिमान थी, लेकिन उनके कोई संतान नहीं थी और वह संतान प्राप्ति के लिए अपनी पत्नी के साथ बहुत सारे व्रत, अनुष्ठान और दान करता था। उसके अच्छे कर्मों को देखकर भगवान (God) उससे प्रसन्न हुए और कुछ समय पश्चात ही व्यापारी को एक संतान का आशीर्वाद मिला। लेकिन व्यापारी की खुशी तब कम हो गई जब पुत्र के जन्म के बाद ज्योतिषियों (Astrologers) ने यह भविष्यवाणी की कि उसका बच्चा अल्पायु है, और जीवन के सोलहवें वर्ष में सर्पदंश से मर जाएगा।

इसके बाद धर्मपाल बेहद ही परेशान हो गया लेकिन उसने अपनी सभी चिंताएं ईश्वर पर छोड़ दी। उसने अपने पुत्र की शादी एक खूबसूरत लड़की से भी कर दी सहयोग वर्ष लड़की की मां मां मंगला गौरी व्रत करती थी जिसके फल स्वरुप लड़की को अखंड सौभाग्यवती (Good Fortune) होने का वरदान मिल गया इस व्रत के फल स्वरुप धर्मपाल के पुत्र की आयु लंबी हुई साथ ही धर्मपाल का पुत्र एक सुखी जीवन व्यतीत करने लगा ।

मंगला गौरी व्रत कथा PDF Download

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मंगला गौरी व्रत क्या होता है। Mangala Gauri Vrat kya hota hai

मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) भारतीय संस्कृति का एक पवित्र और महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना के लिए करती हैं। यह व्रत श्रावण माह के पहले मंगलवार से आरंभ होता है और पांच सालों तक जारी रहता है। व्रति महिलाएं इस दौरान मंगला गौरी की पूजा करती हैं, जिसमें दीप जलाना, कलश स्थापना करना, और विशेष आहार का पालन करना शामिल है। इस व्रत की मान्यता है कि इसे करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है, जिससे विवाहित जीवन में आने वाली परेशानियाँ दूर होती हैं। व्रत के अंतिम दिन, मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या पोखर में विसर्जित किया जाता है, जो इस व्रत की समाप्ति का प्रतीक होता है।

मंगला गौरी व्रत का महत्व क्या है। Mangla Gauri ka Mahatva kya hai

मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) का महत्व दो प्रमुख पहलुओं में व्यक्त किया जा सकता है:

  • सुहाग और संतान की प्राप्ति के लिए: मंगला गौरी व्रत का मुख्य उद्देश्य विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और संतान सुख की कामना करना है। इस व्रत के दौरान मां पार्वती की पूजा करके महिलाएं उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं, जिससे उन्हें जीवनभर सुहागिन रहने का वरदान मिलता है। साथ ही, यह व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा अच्छे वर की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है, और संतानहीन दंपत्ति इसे संतान सुख की प्राप्ति के लिए करते हैं।
  • पारिवारिक सुख, शांति और समृद्धि के लिए: मंगला गौरी व्रत का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। इस व्रत के प्रभाव से पति-पत्नी के रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है, जिससे दांपत्य जीवन मजबूत होता है। इसके अलावा, घर-परिवार में समृद्धि का वास होता है, और परिवार के सदस्यों के बीच सजीव सद्भाव और एकता बनी रहती है।

मंगला गौरी व्रत 2024 । Mangala Gauri Vrat 2024

मान्यता है की मंगला गौरी व्रत को मंगलवार के दिन ही मनाना चाहिए आपको बता दें कि इस साल मंगला गौरी का पहला व्रत 23 जुलाई,दिन मंगलवार को मनाया जाएगा । दूसरा मंगला गौरी व्रत 30 जुलाई और फिर तीसरा मंगला गौरी व्रत 6 अगस्त को मनाया जाएगा , फिर चौथा और आखिरी मंगला गौरी व्रत 13 अगस्त को विधि विधान से मनाया जाएगा ।

मंगला गौरी मंत्र। Mangala Gauri Mantra

मंगला गौरी व्रत शुभ मंत्र कुछ इस प्रकार हैं-

  •  ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।
  • सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
  • कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
  • ॐ गौरीशंकराय नमः।

मंगला गौरी पूजन विधि। Mangala Gauri Pujan Vidhi

  • व्रत रखने वाली महिलाओं को श्रावण मास के पहले मंगलवार से संकल्प लेकर ये व्रत प्रारंभ करने चाहिए।
  • श्रावण मास के पहले मंगलवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद मंगला गौरी की मूर्ति या छवि को एक लकड़ी की पटिया पर लाल कपड़े के साथ स्थापित किया जाता है।
  • चावल से नौ ग्रह बनाकर थाली में लाल कपड़े पर रखें; गेहूं से सोलह देवियां बनाई जाती हैं।
  • थाली के एक तरफ चावल और फूल रखकर कलश की स्थापना की जाती है. मंगला गौरी पूजा के नियम के अनुसार कलश में थोड़ा सा पानी अवश्य  रखें।
  • इसके बाद गेहूं के आटे से एक दीपक बनाया जाता है; इस दीपक में 16-16 तार की चार छड़ियाँ बनाकर जलाई जाती हैं।
  • सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस पूजा में भगवान गणेश (Lord Ganesh) को जल, रोली, मौली, चंदन, सिन्दूर, सुपारी, पान का पत्ता, चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, सूखे मेवे और दक्षिणा चढ़ाई जाती है।
  • इसके बाद कलश की पूजा भगवान गणेश की पूजा की तरह ही की जाती है। अर्पित की गई सभी सामग्री किसी गरीब व्यक्ति को दे देनी चाहिए।
  • मंगला गौरी की मूर्ति का जल, दूध, दही आदि से अभिषेक करके उनकी मूर्ति पर रोली, चंदन, सिन्दूर, मेहंदी और काजल लगाएं।
  • देवी (माँ) को श्रृंगार की सोलह वस्तुओं से सजाया जाता है।
  • साथ इसके अलावा 16 प्रकार के फूल चूड़ियां मेहंदी पेट माला आदि भी मां मंगला गौरी को भेंट किया जाता है,  अंत में मंगला गौरी व्रत की कथा कही जाती है।
  • कहानी सुनने के बाद विवाहित महिलाएं अपनी सास और ननद को सोलह लड्डुओं का दान करती हैं और दिन में केवल एक बार भोजन करना होता है।
  • इन सभी चीजों के बाद ब्राह्मणों को आमंत्रित किया जाता है और उन्हें प्रसाद खिलाया जाता है साथ ही अंतिम व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मां मंगला गौरी की मूर्ति को किसी नदी या तालाब में विसर्जित भी कर दिया जाता है

आपको बता दें कि इस व्रत को लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है और इसके बाद आप उद्यापन भी कर सकते हैं ।

मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री । Mangala Gauri Vrat Pujan Samagari

  • मंगला गौरी की प्रतिमा या चित्र
  • सफेद और लाल वस्त्
  • घृत का दीपक (16 बत्तियाँ लगाने के लिए)
  • 16 दुग्ध की माला
  • 16 चूड़ियाँ
  • 16 दिये
  • पूजा के लिए इत्र, गुलाल, आरती की थाली
  • इत्र, पुष्प, धूप, दीपक, आसन
  • पंचामृत (शुद्ध दूध, शुद्ध घी, शुद्ध शहद, शुद्ध गंगाजल, तुलसी पत्र
  • कपूर, चंदन, गुग्गल, धूप, दीपक
  • पंचोपचार की थाली (पंचामृत, पंचमेवा, पंचदल, पंचफल, पंचपत्र)
  • पान, सुपारी, मिश्री, चावल, दही, घी, तिल, मूंग दाल)
  • कुमकुम
  • सिंदूर, हल्दी, अक्षत, चंदन
  • 16 माला
  • लौंग, सुपारी, इलायची, दालचीनी
  • फल, मेवा, मिठाई

मंगला गौरी व्रत विधि क्या है। Mangala Gauri Vrat vidhi kya hai

मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) की पूजा विधि को पांच प्रमुख बिंदुओं में विस्तार से समझाया जा सकता है:

  • स्नान और शुद्धता: मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) की शुरुआत सूर्योदय से पहले स्नान करके करनी चाहिए। स्नान के बाद महिला को स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए ताकि पूजा में शुद्धता बनी रहे।
  • पूजा स्थल की सजावट: पूजा के लिए गौरी माता की मूर्ति या चित्र के सामने लाल वस्त्र रखना चाहिए। यह स्थान को विशेष रूप से पवित्र और सुंदर बनाता है, जिससे पूजा की माहौल में भक्ति और श्रद्धा का संचार होता है।
  • पूजा सामग्री का अर्पण: पूजा में फूल, फल, मिठाई और अन्य पूजा सामग्री गौरी माता को अर्पित की जाती है। यह अर्पण देवी के प्रति समर्पण का प्रतीक होता है और पूजा को पूर्णता प्रदान करता है।
  • मंत्र का उच्चारण: पूजा के दौरान एक खास मंत्र का उच्चारण करना चाहिए: ‘मम पुत्र पौत्र सौभाग्यवृद्धये श्री मंगलागौरी प्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरी व्रत महं करिष्ये’। यह मंत्र विशेष रूप से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए बोला जाता है।
  • नैवेद्य और प्रसाद वितरण: पूजा का समापन देवी को नैवेद्य अर्पित करने और फिर प्रसाद वितरित करने से होता है। यह परिवार के सदस्यों और मित्रों के साथ खुशियाँ साझा करने का अवसर होता है और इस तरह व्रत का उद्देश्य पूरा होता है।

मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि । Mangala Gauri Vrat Udyapan Vidhi

  1. समय का चयन: मंगला गौरी व्रत का उद्यापन श्रावण मास में मंगलवार व्रत पूरा होने के बाद करना चाहिए।
  2. भोजन वर्जित: उद्यापन के दिन पूजा से पहले भोजन करना वर्जित है।
  3. मेहंदी अनिवार्यता: पूजा करने से पहले महिलाओं को मेहंदी लगानी चाहिए।
  4. विद्वानों की उपस्थिति: पूजा चार विद्वानों की उपस्थिति में करानी चाहिए।
  5. मंडप की तैयारी: मंडप के चारों कोनों पर केले के चार डंडे लगाकर पर्दा बांधें। कलश के ऊपर एक कटोरा रखें और उसमें मंगला गौरी की स्थापना करें।
  6. सामग्री की व्यवस्था:पूजा करने वाली महिला की साड़ी, नथ (नाक की नथ) और विवाह से संबंधित अन्य चीजें मंगला गौरी के पास रखें।
  7. हवन और कथा:हवन संपन्न करें। हवन के बाद मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें।
  8. फल:मंगला गौरी व्रत को पूरे अनुष्ठान और सच्चे मन से करने पर वैवाहिक जीवन में सभी खुशियाँ और सुख-सुविधाएँ प्राप्त होती हैं।
  9. आरती:पूजा और कथा के बाद विधिवत आरती करें।
  10. सास को उपहार:चांदी के बर्तन में सोलह आटे के लड्डू, कुछ पैसे और एक साड़ी रखकर सास को भेंट करें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।
  11. विद्वानों को आदर:पूजा कराने वाले विद्वानों को भोजन कराएं और उपहार दें।

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मंगला गौरी व्रत | व्रत पूजन सामग्री | आरती | चालीसा

Conclusion:-Mangla Gauri Vrat katha

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया मंगला गौरी व्रत कथा Mangla Gauri Vrat katha पर लेख आपको पंसद आया होगा।यदि आपके मन में किसी तरह के सवाल है तो उन्हें कमेंट बॉक्स में दर्ज करें,हम जल्द से जल्द आपको उत्तर देने का प्रयास करेंगे।आगे भी ऐसे रोमांच से भरे लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोज़ाना विज़िट करे,धन्यवाद!

FAQ’S 

Q. मंगला गौरी व्रत का महत्व क्या है?

Ans.  मंगला गौरी व्रत सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति, सुखी वैवाहिक जीवन और समृद्धि प्रदान करता है।

Q. मंगला गौरी व्रत की विधि क्या है?

Ans. व्रत रखने वाली स्त्रियां सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।

Q. मंगला गौरी व्रत से जुड़ी कौन सी मान्यता है?

Ans.मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत रखने से स्त्रियों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Q. मंगला गौरी व्रत में कौन से फल चढ़ाए जाते हैं?

Ans. मंगला गौरी व्रत में केला, नारियल, अनार, सेब, अमरूद आदि फल चढ़ाए जाते हैं।

Q. मंगला गौरी व्रत में कौन सी मिठाई चढ़ाई जाती है?

Ans. मंगला गौरी व्रत में खीर, लड्डू, बर्फी आदि मिठाई चढ़ाई जाती है।

Q. मंगला गौरी व्रत कब किया जाता है?

Ans. मंगला गौरी (Mangala Gauri) के इस व्रत को सावन के हर मंगलवार को रखा जाता है और यह मां पार्वती को समर्पित होता है।

Q. मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए?

Ans. व्रत के दौरान महिलाओं को फलाहार में साबूदाने की खीर और खिचड़ी शामिल करनी चाहिए, साथ ही नमक का सेवन न करते हुए फल का सेवन करना चाहिए।