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Radha Ashtami Vrat Katha । राधा अष्टमी व्रत कथा: व्रत के दिन जरुर सुने इस कहानी को, मिलेगा राधा कृष्ण का आशीर्वाद।

Radha Ashtami Vrat Katha
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राधा अष्टमी व्रत कथा (Radha Ashtami Vrat Katha): श्री राधा और कृष्ण के प्रेम की कथा हर किसी के दिल को छू लेती है। राधा और कृष्ण का प्रेम इतना पवित्र और गहरा था कि उनकी भक्ति आज भी लोगों के मन-मस्तिष्क में बसी हुई है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन श्री राधा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। राधा को भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण की पूजा राधा की पूजा के बिना अधूरी है। वेद और पुराणों में भी राधा की महिमा का वर्णन किया गया है। श्रीमद् देवी भागवत में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति राधा की पूजा नहीं करता है तो उसे कृष्ण की पूजा का अधिकार नहीं है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि राधाष्टमी का त्योहार क्यों और कैसे मनाया जाता है? राधा का जन्म कैसे हुआ था? राधा और कृष्ण के बीच क्या संबंध था? इस लेख में हम इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे। साथ ही राधाष्टमी की व्रत कथा के बारे में भी विस्तार से चर्चा करेंगे। तो चलिए, राधाष्टमी के पावन त्योहार से संबंधित इस लेख को शुरू करते हैं…

Table Of Content:- Radha Ashtami Vrat Katha

S.NOविषय
1राधा अष्टमी क्या है?
2राधा अष्टमी व्रत कथा
3राधा अष्टमी व्रत कथा पीडीएफ

राधा अष्टमी क्या है? (Radha Ashtami Kya Hai)

राधा अष्टमी (Radha Ashtami) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो श्री राधा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। 2024 में राधा अष्टमी 11 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। श्री राधा को भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की सबसे प्रिय भक्त और शक्ति का स्वरूप माना जाता है। इस दिन भक्तगण राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। राधा अष्टमी पर व्रत रखने और पूजा करने से जीवन में सफलता और समृद्धि मिलने का विश्वास है। यह पर्व कृष्ण भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।

राधा अष्टमी व्रत कथा (Radha Ashtami Vrat Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी राधा (Goddess Radha) का जन्म किसी साधारण मानव के गर्भ से नहीं हुआ था, बल्कि वे वृषभानु जी की तपोभूमि से प्रकट हुई थीं। ब्रह्मवैवर्त पुराण में राधा रानी के जन्म की एक पवित्र कथा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि राधा श्रीकृष्ण के साथ गोलोक में वास करती थीं। एक बार, जब राधा गोलोक में नहीं थीं, श्रीकृष्ण अपनी एक सखी विराजा के साथ विहार कर रहे थे। जब राधाजी को इस बात का पता चला, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गईं और तुरंत श्रीकृष्ण के पास पहुंचकर उन्हें उलाहना देने लगीं। श्रीकृष्ण (Lord Krishna) के मित्र श्रीदामा को राधाजी का यह क्रोध सहन नहीं हुआ, और उन्होंने राधा को पृथ्वी पर जन्म लेने का शाप दे दिया। इस घटना से विराजा इतनी व्यथित हो गईं कि वे नदी रूप धारण कर गोलोक से प्रस्थान कर गईं। राधाजी ने भी क्रोधित होकर श्रीदामा को राक्षस कुल में जन्म लेने का शाप दे दिया। इस शाप के कारण श्रीदामा ने शंखचूड़ नाम के राक्षस के रूप में जन्म लिया, जो बाद में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का परम भक्त बना।

राधाजी के शाप के कारण उन्हें भी पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा। भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने उन्हें बताया कि वे वृषभानु जी और उनकी पत्नी देवी कीर्ति की पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। वहीं, पृथ्वी पर राधाजी का विवाह रायाण नामक एक वैश्य से होगा, जो वास्तव में श्रीकृष्ण का अंशावतार होगा। इस प्रकार, राधाजी और श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर भी प्रेम और विछोह का अनुभव किया। 

राधा के पृथ्वी पर जन्म की कथा में एक अन्य रोचक घटना भी घटित होती है। जब देवी कीर्ति गर्भवती हुईं, तो योग माया की प्रेरणा से उनके गर्भ में वायु का प्रवेश हुआ और वायु के रूप में उन्होंने एक शिशु को जन्म दिया। उसी समय, देवी राधा कन्या रूप में प्रकट हुईं। भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को जन्मी राधा रानी के जन्मोत्सव को तब से लेकर आज तक पूरे संसार में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

राधा अष्टमी व्रत कथा पीडीएफ (Radha Ashtami Vrat Katha PDF Download)

राधा अष्टमी व्रत कथा PDF Download | View Katha

राधा अष्टमी (Radha Ashtami) से संबंधित इस विशेष लेख के जरिए हम आपसे राधा अष्टमी व्रत कथा का पीडीएफ (PDF) साझा कर रहे हैं इस पीडीएफ को डाउनलोड करने के बाद आप राधा अष्टमी व्रत कथा को सरलता एवं श्रद्धा पूर्वक पढ़ सकते हैं।

Conclusion:-Radha Ashtami Vrat Katha

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (राधा अष्टमी व्रत कथा) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद।

FAQ’s

Q. राधा अष्टमी क्या है?

Ans: राधा अष्टमी श्री राधारानी का जन्मोत्सव है। यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। राधा अष्टमी को व्रत और पूजा के माध्यम से मनाया जाता है, जिसमें भक्तजन श्री राधा-कृष्ण की आराधना करते हैं।

Q. राधा अष्टमी का महत्व क्या है?

Ans: राधा अष्टमी का महत्व अत्यंत आध्यात्मिक है। यह दिन प्रेम, भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। श्री राधारानी, जो भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति और प्रेम का प्रतीक हैं, उनके जन्मदिवस पर उनकी आराधना से भक्तों को अनंत सुख और शांति प्राप्त होती है।

Q. राधा अष्टमी व्रत कैसे रखा जाता है?

Ans: राधा अष्टमी के दिन भक्तजन व्रत रखते हैं, जिसमें वे उपवास करते हैं और दिन भर श्री राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं। व्रत के दौरान राधा अष्टमी व्रत कथा का पाठ किया जाता है और विशेष रूप से राधा-कृष्ण के मंदिरों में जाकर उनकी आराधना की जाती है।

Q. क्या राधा अष्टमी व्रत का पालन गैर-हिंदू भी कर सकते हैं?

Ans: हालांकि राधा अष्टमी व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन जो भी व्यक्ति इस व्रत की आध्यात्मिकता और भक्ति को समझता है और उसे मानता है, वह इस व्रत का पालन कर सकता है। भक्ति और श्रद्धा के साथ कोई भी इस व्रत का लाभ उठा सकता है।

Q. राधा अष्टमी व्रत के दौरान क्या खा सकते हैं?

Ans: राधा अष्टमी के व्रत के दौरान भक्त फल, दूध, और अन्य सात्विक भोजन का सेवन कर सकते हैं। व्रत के नियमों के अनुसार, अनाज और नमक का त्याग किया जाता है। व्रत का उद्देश्य दिन भर भगवान की भक्ति और पूजा में संलग्न रहना है।

Q. राधा अष्टमी और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बीच क्या संबंध है?

Ans: राधा अष्टमी और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दोनों पर्व भगवान श्रीकृष्ण और उनकी परम प्रेमिका श्री राधारानी से संबंधित हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उनके जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है, जबकि राधा अष्टमी श्री राधारानी के जन्मदिवस के रूप में। दोनों ही पर्व भक्ति और प्रेम का प्रतीक हैं।