रविवार व्रत कथा।Ravivar Vrat katha PDF Download: सूर्य (Sun) की ब्रह्मांडीय किरणों के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी असंभव है। संसार की जीवन रेखा माने जाने वाले भगवान सूर्य की पूजा करना कोई नई बात नहीं है। प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म के अनुयायी प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य की पूजा करते आ रहे हैं, जिनकी ऊर्जा से ही जीवन का अस्तित्व है। भारत में हर साल सूर्य से संबंधित कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें रविवार व्रत (Sunday Fast) का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जो समस्त ब्रह्मांड को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं।
रविवार व्रत को विशेष रूप से भगवान सूर्य (Lord Surya) की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के माध्यम से भक्त बुद्धि, साहस, स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, प्रतिरक्षा, और जीवन में सफलता जैसे अनमोल वरदान प्राप्त कर सकते हैं। सूर्य देव को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, जिनमें ‘रवि’ भी एक प्रसिद्ध नाम है। इसलिए, उनके दिन को ‘रविवार’ कहा जाता है। भगवान सूर्य को सूर्य नारायण के नाम से भी जाना जाता है और वे हिंदू देवताओं में सबसे पूजनीय माने जाते हैं।
अब सवाल उठता है कि रविवार व्रत की कथाक्या है? यह व्रत कब मनाया जाता है? इस व्रत के क्या नियम हैं? और रविवार व्रत की पूजा विधि क्या है? इन सभी प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें, ताकि आप भगवान सूर्य की कृपा से प्रचुर मात्रा में आशीर्वाद प्राप्त कर सकें और अपने जीवन को खुशहाल बना सकें।
Ravivar Vrat Katha Overview
टॉपिक | रविवार की व्रत कथा | Ravivar Vrat Katha |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
व्रत | रविवार व्रत |
प्रमुख देवता | भगवान सूर्य |
व्रत का दिन | रविवार |
महत्व | बुद्धि साहस एवं ज्ञान के आशीर्वाद की प्राप्ति हेतु |
व्रत का कारण | भगवान सूर्य के प्रति स्वयं को समर्पित कर देना |
प्रमुख मंत्र | ॐ सूर्याय नम: । , ॐ घृणि सूर्याय नम: । |
रविवार व्रत कथा क्या है । Ravivar Vrat Katha kya hai
प्राचीन समय में एक नगर में एक बुढ़िया (Old woman) रहती थी। वह भगवान सूर्य (Lord Surya) का व्रत (fast) करती है. वह हमेशा सुबह जल्दी उठती थी, अपने घर को साफ करती थी और गाय के गोबर से अपने घर को लीपती थी और भगवान सूर्य की पूजा करती थी। रविवर व्रत के नियम के अनुसार उसने भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद भोजन किया। वह एक आनंदमय जीवन जीती थी। वह बुढ़िया अपनी पड़ोसन से गोबर इकट्ठा करती थी।
उसके पड़ोसी की पत्नी उसकी ख़ुशी देखकर ईर्ष्या करती थी इसलिए एक दिन उसने अपनी गाय को गौशाला में बाँध दिया। इस कारण वह बुढ़िया अपना घर नहीं बनवा सकी और भगवान सूर्य को भोग न लगाने के कारण उसने भोजन नहीं बनाया। अगले दिन उसने भोजन बनाया और भगवान सूर्य को भोग लगाया। भगवान सूर्य उससे प्रसन्न हुए और स्वप्न में उसके सामने प्रकट हुए। उन्होंने कहा, मैं तुम्हारी कठिन भक्ति देखकर प्रसन्न हूं इसलिए मैं तुम्हें एक गाय देता हूं जो तुम्हारी मांग के अनुसार तुम्हें सब कुछ प्रदान करती है। जब वह बुढ़िया उठी तो उसने देखा कि उसके दरवाजे पर एक बछड़ा मौजूद है, उसने उसके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की। उसके बाद बुढ़िया अमीर बन जाती है और सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करती है।
एक दिन पड़ोसी महिला की नजर उस बुढ़िया की गाय पर पड़ी, उसने देखा कि गाय का गोबर सोने का है। उसे बुढ़िया से ईर्ष्या होने लगी और उसने साधारण गोबर को सोने के गोबर से बदल दिया। भगवान सूर्य ने पड़ोसी महिला के धोखे को देखा और और बारिश को पृथ्वी पर जाने का आदेश दिया। उस बुढ़िया ने खराब मौसम देखा तो उसने अपनी गाय को गौशाला में बांध दिया, तभी उसने देखा कि उसकी गाय सोने का गोबर नहीं कर रही है, और उसे पड़ोसी महिला की धोखाधड़ी के बारे में पता चल गया। इस घटना के बाद वह बुढ़िया अपनी गाय को गौशाला में बांध देती थी ताकि पड़ोसी महिला सोने के गोबर को साधारण गोबर से न बदल सके।
जब वह निराश हो गई तो वह राजा के पास गई और उसे गाय की दिव्यता के बारे में बताया। राजा लालची था इसलिए उसने अपने सैनिकों को उस गाय को अपने महल में रखने का आदेश दिया। राजा के आदेश पर सैनिक उस गाय को जबरदस्ती बाँधकर राजा के महल में ले जाते हैं। बुढ़िया ने गाय की रक्षा के लिए रो-रोकर भगवान सूर्य से उस गाय (cow) को सुरक्षित रखने की प्रार्थना की। भगवान सूर्य ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया और राजा को सपने में वह गाय बुढ़िया को लौटाने का आदेश दिया। जब राजा जागे तो भयभीत हो गए और देखा कि महल गोबर से भरा हुआ है, इसलिए उन्होंने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे उस गाय को बड़े सम्मान के साथ बुढ़िया को लौटा दें और उसे धन और गहने भी दे दें।
रविवार व्रत कथा PDF Download
सोमवार व्रत कथा PDF Downloadरविवार व्रत कब से शुरू करना चाहिए| Ravivar vrat kab se shuru karna chahiye
आश्विन माह (सितंबर-अक्टूबर) के शुक्ल पक्ष (शुक्ल पक्ष) के पहले रविवार को रविवर व्रत शुरू करना शुभ माना जाता है। इस शुभ व्रत को लगातार 12 या 30 रविवार तक करना चाहिए
रविवार व्रत के नियम (Ravivar vrat ke Niyam)
- व्रत का संकल्प लें और सूर्य देव की पूजा करें: रविवार के दिन प्रातः काल स्नान आदि से शुद्ध होकर सूर्य देव के सामने व्रत का संकल्प लें। सूर्य देव की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर उनकी आराधना करें।
- एक समय सात्विक भोजन करें: दिन में केवल एक बार उत्तम और सात्विक भोजन करें। भोजन में नमक का उपयोग न करें और सूर्यास्त के बाद नमक न खाएं। चावल में दूध और गुड़ मिलाकर खाने से सूर्य के बुरे प्रभाव दूर होते हैं।
- सूर्य को अर्घ्य दें: सुबह, दोपहर और शाम को सूर्य को जल का अर्घ्य अर्पित करें। सुबह के सूर्य को जल चढ़ाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है, दोपहर में नाम-यश बढ़ता है और शाम को संपन्नता आती है।
- व्रत कथा का श्रवण करें: रविवार व्रत कथा का पाठ या श्रवण अवश्य करें। कथा सुनने और पढ़ने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
12 या 30 रविवार तक व्रत करें: रविवार का व्रत लगातार 12 रविवार, 30 रविवार या एक वर्ष तक करने का विधान है। नियमित रूप से व्रत करने से मान-सम्मान बढ़ता है, शत्रु परास्त होते हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
रविवार व्रत की पूजा विधि क्या है? What is The Worship Method of Sunday Fast?
- रविवर व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक मनाया जाता है। एक भक्त को सूर्योदय से पहले सुबह उठकर स्नान और अन्य घरेलू गतिविधियों को पूरा करना चाहिए।
- पूजा शुरू करने से पहले इस व्रत को करने वाले को सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इसमें सफेद चावल, कुमकुम और कुछ लाल फूल भी मिला सकते हैं।
- अपने पूजा कक्ष में सूर्य देव की एक मूर्ति रखें, फिर भगवान को लाल रंग की पोशाक और लाल रंग के फूलों से सजाएं क्योंकि लाल रंग सूर्य का रंग है।
- जल से भरा कलश रखें और धूप, चंदन का लेप, गेहूं के दाने, कुमकुम, लाल फूल और साथ ही इस व्रत के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए व्यंजन चढ़ाएं।।
- इसके बाद सूर्य देव के मंत्रों, विभिन्न नामों का जाप करें और सच्चे मन से रविवर व्रत कथा पढ़ें।
- पूजा विधि के समापन पर अंत में पंचामृत, जल, फूल और आरती चढ़ाएं।
- भक्त अपने भोजन में नमक और तेल मिलाए बिना सूर्यास्त से पहले एक बार भोजन कर सकते हैं।
- जो लोग 24 घंटे का व्रत रखना चाहते हैं उन्हें अगले दिन सुबह सूर्य देव के दर्शन और उन्हें जल चढ़ाने के बाद अपना व्रत समाप्त करना चाहिए।
- कई लोग इस शुभ दिन पर गरीबों को दान भी देते हैं।
रविवार के व्रत की विधि (Ravivar vrat ki vidhi)
रविवार व्रत की विधि – 5 मुख्य बिंदु
1.स्नान और सूर्य स्मरण: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शांत मन से सूर्यदेव का स्मरण करें। व्रत की शुरुआत पूरी शुद्धता और श्रद्धा के साथ करें।
2.भोजन नियम: व्रत के दिन केवल एक समय का भोजन करें और यह सूर्यास्त से पहले ही पूरा कर लें। यदि निराहार हैं और सूर्य छिप जाए, तो अगले दिन सूर्योदय के बाद अर्घ्य अर्पित कर ही भोजन ग्रहण करें।
3. भोजन में परहेज: तेलयुक्त और नमकीन भोजन ग्रहण न करें। केवल सात्विक भोजन और फलाहार का ही सेवन करें।
4. पूजन और कथा श्रवण: भगवान सूर्य का गंध, पुष्प आदि से विधिवत पूजन करें। पूजन के बाद व्रत कथा का श्रवण करें और फिर आरती करें।
5. सूर्य अर्घ्य और समापन: आरती के बाद सूर्यदेव का स्मरण करते हुए उन्हें जल अर्पित करें। व्रत की सभी विधियों को श्रद्धा और नियमपूर्वक पूरा करें।
रविवार व्रत का महत्व । Ravivar Vrat Significance
- वैदिक ग्रंथों के अनुसार, रविवार का व्रत जीवन भर कभी न खत्म होने वाली ऊर्जा के साथ स्वस्थ और खुश रहने में मदद कर सकता है।
- जिन लोगों की कुंडली के अनुसार सूर्य कमजोर है, उन्हें मन, हृदय, रक्त परिसंचरण, प्रसव में समस्याएं, करियर/ प्रसिद्धि में गिरावट आदि से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए रविवर व्रत का पालन करना चाहिए।
- रविवार को व्रत रखने से आंखों की समस्याओं और कई अन्य बीमारियों से भी राहत मिलती है और यह सकारात्मक दृष्टिकोण और तेज बुद्धि प्राप्त करने में भी सहायक होता है।
- हिंदू भविष्यसूचक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रह सबसे शक्तिशाली ग्रह है, और ग्रह को सही स्थान पर स्थापित करने और जन्म कुंडली में किसी भी कष्ट को दूर करने के लिए रविवर व्रत का पालन करना बहुत सहायक होता है।
रविवार व्रत उद्यापन विधि (Ravivar vrat udyapan vidhi)
रविवार व्रत उद्यापन विधि इस प्रकार है:
- व्रत पूरा होने के बाद अगले दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें। फिर पूजा घर में जाकर सूर्य भगवान की मूर्ति या चित्र के सामने बैठ जाएं। सूर्य देव को अर्घ्य, चंदन, फूल, नैवेद्य आदि से पूजन करें। इसके बाद सूर्य देव को प्रणाम करके उनसे आशीर्वाद लें।
- अब सूर्य भगवान को भोग लगाएं। भोग में फल, मिठाई, दूध, खीर आदि का उपयोग करें। भोग लगाते समय सूर्य देव को ये वस्तुएं अर्पित करें और मन ही मन प्रार्थना करें कि वे इसे स्वीकार करें। भोग लगाने के बाद कुछ देर प्रार्थना करें।
- इसके बाद भोग का प्रसाद ग्रहण करें और परिवार के सदस्यों में बांटें। भोग का प्रसाद खाने से पहले सूर्य देव को भोग का पहला ग्रास अर्पित करना न भूलें। प्रसाद खाने के बाद सूर्य भगवान का आशीर्वाद लेकर पूजा स्थल से उठ जाएं।
- अब व्रत की कथा का पाठ करें या सुनें। रविवार व्रत कथा सुनने या पढ़ने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। कथा सुनने के बाद सूर्य देव को दक्षिणा अर्पित करें। दक्षिणा में लाल वस्त्र, लाल फल या लाल चंदन का उपयोग करें।
- अंत में सूर्य देव की आरती करें। आरती के बाद सूर्य भगवान को प्रणाम करके उनसे विदा लें। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें। गरीबों और जरूरतमंदों को भी भोजन कराएं और उन्हें कुछ दान दें।
- व्रत उद्यापन के बाद सामान्य जीवन में लौट आएं लेकिन सूर्य भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति बनाए रखें। रविवार के दिन नियमित रूप से सूर्य देव की पूजा अवश्य करें। ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न रहते हैं और अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं।
रविवार व्रत के फायदे (Ravivar vrat ke fayde)
रविवार व्रत (Ravivar) के तीन प्रमुख फायदे इस प्रकार हैं:
- मान-सम्मान में वृद्धि: रविवार का व्रत (Ravivar vrat) करने से व्यक्ति के जीवन में मान-सम्मान बढ़ता है। “हिंदी पाठ” वेबसाइट के अनुसार, “इस व्रत के करने से मान-सम्मान बढ़ता है तथा शत्रुओं का क्षय होता है।”1 जब व्यक्ति नियमित रूप से इस व्रत को करता है, तो उसके व्यक्तित्व में एक दिव्य आभा आ जाती है जिससे लोग उसका आदर करने लगते हैं।
- समृद्धि और सफलता: रविवार व्रत (Ravivar vrat) करने से व्यक्ति को धन-संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। “हिंदी वस्तु” के अनुसार, “रविवार का व्रत करने से व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं और जीवन में तरक्की के मार्ग भी खुलते हैं।” इस व्रत को करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं जिससे व्यक्ति के सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं।
- उत्तम स्वास्थ्य: रविवार व्रत (Ravivar vrat) का एक महत्वपूर्ण लाभ अच्छा स्वास्थ्य है। “हिंदी खबर” वेबसाइट बताती है कि “रविवार का व्रत करने से जीवन में उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।” इस व्रत के दौरान सात्विक और हल्का भोजन किया जाता है जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है। साथ ही, व्रत के नियमों का पालन करने से मन भी प्रसन्न रहता है जो तनाव को दूर करता है।
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Conclusion
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया सूर्य मंदिर पर लेख आपको पंसद आया होगा।यदि आपके मन में किसी तरह के सवाल है तो उन्हें कमेंट बॉक्स में दर्ज करें,हम जल्द से जल्द आपको उत्तर देने का प्रयास करेंगे।आगे भी ऐसे रोमांच से भरे लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोज़ाना विज़िट करे,धन्यवाद!
FAQ’S
Q. रविवार का व्रत किस देवता को समर्पित है?
उत्तर: रविवार का व्रत भगवान सूर्य को समर्पित है।
Q. रविवार व्रत करने का क्या लाभ है?
उत्तर: रविवार व्रत करने से स्वास्थ्य, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
Q. रविवार व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?
Ans. रविवार व्रत में मांस, मदिरा, तामसिक भोजन और नमक नहीं खाना चाहिए।
Q. रविवार व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans.रविवार व्रत में सुबह स्नान करके भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए। पूजा में सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए।
Q. रविवार व्रत का पारण कैसे करें?
Ans. रविवार व्रत का पारण सोमवार को सूर्योदय के बाद करना चाहिए।
Q. रविवार का व्रत किस महीने से करना चाहिए?
Ans. रविवार का व्रत (Ravivar vrat) किसी भी महीने से शुरू किया जा सकता है, लेकिन शुभ फल पाने के लिए इसे सूर्य ग्रहण के बाद या किसी शुभ मुहूर्त में शुरू करना अधिक उचित माना जाता है।
Q. रविवार को नमक क्यों नहीं खाना चाहिए?
Ans. रविवार को नमक नहीं खाने का नियम सूर्य देव की कृपा पाने के लिए होता है। मान्यता है कि इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य और मानसिक शांति बेहतर रहती है।
Q. रविवार व्रत कब से शुरू करें?
Ans. रविवार व्रत (Ravivar vrat) किसी शुभ रविवार से शुरू करना चाहिए, विशेषकर सूर्य के नक्षत्र वाले दिन। व्रत आरंभ करते समय पूजा विधि का पालन करें और संकल्प लें।
Q. रविवार के कितने व्रत करने चाहिए?
Ans. रविवार के 12 या 16 व्रत करने का नियम है। हालांकि, व्यक्ति अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार व्रत की संख्या तय कर सकता है।