Som Pradosh Vrat Katha: प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व रहा है। इन्हीं में से एक है सोम प्रदोष व्रत, जो भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना का पर्व माना जाता है।
यह व्रत हर महीने में एक बार सोमवार (Monday) और प्रदोष तिथि के संयोग पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और शिव पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत के पीछे एक रोचक कथा भी है जो इसके महत्व को और बढ़ा देती है। सोम प्रदोष व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी लाभकारी माना जाता है। इस दिन उपवास रखने और सात्विक भोजन करने से शरीर को विषाक्त तत्वों से मुक्ति मिलती है और मन को शांति प्राप्त होती है। साथ ही, शिव पूजा और व्रत कथा सुनने से आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
तो आइए, इस लेख के माध्यम से सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) के बारे में विस्तार से जानते हैं – इसका महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा और इससे जुड़े रोचक तथ्य। यह जानकारी न केवल आपकी जिज्ञासा को शांत करेगी, बल्कि आपको इस पावन पर्व को मनाने के लिए भी प्रेरित करेगी। तो तैयार हो जाइए एक आध्यात्मिक यात्रा के लिए…
सोम प्रदोष व्रत – Table Of Content
क्या होता है सोम प्रदोष व्रत (What is Som Pradosh Vrat)
सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत प्रदोष काल (सूर्यास्त से तीन घंटे पहले) में सोमवार (Monday) के दिन किया जाता है। इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होने का विश्वास है। व्रत करने वाले को दिन में केवल एक बार भोजन करना होता है। शाम को शिव-पार्वती की पूजा की जाती है और उनकी कथा सुनी या पढ़ी जाती है। सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) के अलावा सोमवार (Monday) को साधना सोम और सोला सोम नामक अन्य व्रत भी किए जाते हैं।
मई में कब है सोम प्रदोष व्रत (When is Som Pradosh in May)
वर्ष 2024 का पहला सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर, यानी 20 मई को है। यह व्रत शाम 03:58 बजे से शुरू होकर अगले दिन, 21 मई को शाम 05:39 बजे समाप्त होगा। शिव पूजा का सर्वाधिक उपयुक्त समय, प्रदोष काल, 20 मई की शाम 07:08 बजे से 09:08 बजे तक रहेगा। इस व्रत को मनाने से व्यक्ति अपने दुःख और कठिनाईयों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
सोम प्रदोष व्रत महत्व (Som Pradosh Significance)
- शिव भक्ति और कृपा की प्राप्ति: सोम प्रदोष व्रत का पालन करने से भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा और भक्ति प्राप्त होती है। शिव पुराण (Shiv Puran) के अनुसार, “जो व्यक्ति सोम प्रदोष व्रत करता है, वह भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रिय होता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सोम प्रदोष के दिन शिवलिंग पर बेल पत्र, दूध, धतूरा चढ़ाने और शिव मंत्र का जाप करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: सोम प्रदोष व्रत का पालन करने से व्रती की सभी इच्छाएं और कामनाएं पूरी होती हैं। व्रत कथा के अनुसार, एक ब्राह्मणी ने इस व्रत को करके अपने पुत्र और एक राजकुमार की मुश्किलें दूर की थीं। “ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही भगवान शिव भी अपने दूसरे भक्तों को भी इसी प्रकार आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
- सुख-समृद्धि और कष्टों का निवारण: सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) करने से भक्तों को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है और उनके कष्ट दूर होते हैं। “सोम प्रदोष व्रत का पालन करने वालों को समस्त कामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत शक्ति देने वाला है और सफलता और समृद्धि के लिए लाभदायक है। शिव पुराण में कहा गया है कि इस व्रत के प्रभाव से विवाह की बाधाएं दूर होती हैं, संतान सुख मिलता है और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
अत: सोम प्रदोष व्रत का पालन करके शिव भक्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति और सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है और उनकी कृपा पाने का एक शक्तिशाली माध्यम है।
सोम प्रदोष व्रत विधि (Pradosh Vrat Vdhi)
सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान शिव की आराधना की जाती है। इसे सोमवार के दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के तीन घंटे पहले) में किया जाता है। व्रत की शुरुआत सुबह जल्दी नहाने से होती है। फिर भगवान शिव, पार्वती और नंदी की पंचामृत और गंगा जल से पूजा की जाती है। बिल्व पत्र, चंदन, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान के पत्ते, सुपारी, लौंग और इलायची का भेंट चढ़ाया जाता है, शाम को प्रदोष काल में पुनः पूजा की जाती है। इसके बाद, घी और चीनी का भोग चढ़ाया जाता है और आठ दिशाओं में दीप जलाए जाते हैं।शिव की आरती की जाती है और रात भर जागरण किया जाता है, जिसमें ‘ओम सोम सोमाय नमः’ या ‘ओम नमः शिवाय‘ का जाप किया जाता है।
सोम प्रदोष व्रत कथा (Som Prodosh Vrat Katha)
सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) की कथा हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्रत हर पक्ष के त्रयोदशी (13वें दिन) को किया जाता है। इस व्रत की कथा में एक ब्राह्मण महिला का उल्लेख है जिसका पति स्वर्गवासी हो चुका था, और उसके पास अपने और अपने पुत्र का पालन-पोषण करने का कोई साधन नहीं था। एक दिन, वह भिक्षा के लिए घर लौटती हुई, एक घायल राजकुमार को मिलती है, जिसे वह अपने घर ले जाती है और उसकी देखभाल करती है। यह राजकुमार विदर्भ का था, जिसके पिता को दुश्मनों ने कैद कर लिया था। राजकुमार ने ब्राह्मण महिला और उसके पुत्र के साथ रहना शुरू कर दिया। एक दिन, गन्धर्व राजकुमारी अंशुमति ने उसे देखा और वह उससे प्यार करने लगी। अंशुमति के माता-पिता ने अपनी बेटी की शादी राजकुमार से करने का निर्णय किया। इस विवाह के बाद, राजकुमार ने गन्धर्व सेना की सहायता से अपने दुश्मनों को पराजित किया और अपनी राजधानी वापस प्राप्त की। उसने ब्राह्मण महिला के पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। यह कथा प्रदोष व्रत के महत्व को उजागर करती है। यह व्रत ब्राह्मण महिला और उसके पुत्र को गरीबी से बाहर निकालने में सहायता करता है, और राजकुमार को उसकी राजधानी वापस प्राप्त करने में मदद करता है। व्रत के पालन करने वाले भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। सोम प्रदोष के दिन व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं |
सोम प्रदोष व्रत कथा पीडीएफ (Som Pradosh Vrat Katha PDF)
सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) की पावन कथा से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप कभी भी सोम प्रदोष की व्रत (Som Pradosh Vrat) कथा को पढ़ सकते हैं और भगवान शिव (Lord Shiva) का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि (Som Pradosh Vrat Puja Vidhi)
सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव (Lord Shiva), माता पार्वती (Goddess Parvati) और नंदी की पंचामृत व गंगा जल से पूजा करें। बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में (सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व) पुन: शिव जी का पूजन करें। सायंकाल में प्रदोष के समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके शिव जी की पूजा करें। घी और शकर मिले मिष्ठान्न या मिठाई का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। शिव जी (Lord Shiva) की आरती करें। रात्रि जागरण करके शिव मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नम:’ या ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करें। इस प्रकार सोम प्रदोष व्रत की पूजा करने से हर इच्छा पूरी हो सकती है।
सोम प्रदोष व्रत पूजन सामग्री (Som Pradosh Vrat Pujan Samagiri)
1.पूजन सामग्री | 15.पूजन सामग्री |
2.पंच मेवा | 16.गाय का कच्चा दूध |
3.दक्षिणा | 17.कपूर |
4.धतूरा | 18.धूप |
5.मलयागिरी चंदन | 19.दीप |
6.रुद्राक्ष | 20.रूई |
7.शमी पत्र | 21.आक का फूल |
8.मौली जनेऊ | 22. भस्म |
9.शहद | 23.मंदार पुष्प |
10.तुलसी दल | 24.गंगा जल |
11.शुद्ध देशी घी | 25.गंध रोली |
12.भगवान शिव और माता पार्वती की श्रृंगार सामग्री | 26.जौ की बालें |
13.बिल्वपत्र | 27.ईख का रस |
14.आम्र मंजरी | 28.आम्र मंजरी |
Conclusion:
सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आत्म-संयम और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है। सोम प्रदोष व्रत से संबंधित यह बेहद खास लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इसे अपने सभी प्रिय जनों के साथ भी साझा करें, इस लेख से उत्पन्न अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो तो उन प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए हम आपके सभी प्रश्नों का हर संभव जवाब देने का प्रयास भी करेंगे, ऐसी और भी महत्वपूर्ण व्रत और व्रत की कथाओं को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s:
Q. सोम प्रदोष व्रत क्या है और यह कितनी बार मनाया जाता है?
Ans. सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव के समर्पित एक व्रत है, जो प्रत्येक चंद्र पक्ष के त्रयोदशी (13वें दिन) को मनाया जाता है।
Q. सोम प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?
Ans. सोम प्रदोष व्रत सोमवार को मनाया जाता है और इसे भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
Q. सोम प्रदोष व्रत मनाने के क्या लाभ हैं?
Ans. सोम प्रदोष व्रत मनाने वाले भक्त जो प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें उनका आशीर्वाद मिलता है और उनकी कठिनाईयां दूर होती हैं।
Q. सोम प्रदोष व्रत की कथा क्या है?
Ans. यह कथा एक ब्राह्मण महिला के बारे में है जिसने एक घायल राजकुमार को अपने यहां लिया और उसे स्वस्थ किया, और प्रदोष व्रत की शक्ति और गंधर्व सेना की सहायता से उसे अपनी राजधानी वापस पाने में मदद की।
Q. सोम प्रदोष व्रत सोमवार को क्यों विशेष महत्वपूर्ण होता है?
Ans. सोम प्रदोष व्रत सोमवार को मनाया जाता है, इससे माना जाता है कि यह भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करता है और उन्हें विशाल लाभ प्रदान करता है।
Q. भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए भक्तों को सोम प्रदोष व्रत कैसे मनाना चाहिए?
Ans. भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए, भक्तों को व्रत का पालन करना चाहिए, प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और व्रत से सम्बंधित क्रियाएँ करनी चाहिए।