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Maa Katyayani Mata Keywords- कात्यायनी माता) (use- कात्यायनी माता का महत्व,कात्यायनी माता पूजा विधि,कात्यायनी माता चालीसा) in Title 

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Maa Katyayani: नवरात्रि (Navratri) के छठे दिन, माता कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा की जाती है। देवी कात्यायनी (Goddess Katyayani) का नाम कात्यायन (Katyayan) नामक ऋषि (Sage) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने देवी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। देवी कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर नामक असुर का वध किया था।

माता कात्यायनी (Maa Katyayani) का स्वरूप अत्यंत भव्य और शक्तिशाली है। देवी के चार हाथ हैं, जिनमें से दो हाथों में वरद मुद्रा और अभय मुद्रा है, और शेष दो हाथों में तलवार और कमल का फूल है। देवी कात्यायनी (Goddess Katyayani) का वाहन सिंह है। नवरात्रि (Navratri) के दौरान, भक्त माता कात्यायनी की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। देवी कात्यायनी (Goddess Katyayani) की पूजा करने के लिए, भक्त देवी की मूर्ति को स्थापित करते हैं और उन्हें फल, फूल, मिठाई, और दीप अर्पित करते हैं। भक्त देवी कात्यायनी के मंत्रों का जाप भी करते हैं। माता कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा करने से भक्तों को (मोक्ष) की प्राप्ति भी होती है। देवी कात्यायनी भक्तों को सच्चा मार्ग दिखाती हैं और उन्हें भव-सागर से पार कराती हैं।

माता कात्यायनी (Maa Katyayani) से संबंधित इस विशेष लेख में हम आपको बताएंगे की माता कात्यायनी कौन है?, माता कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा का महत्व क्या है?,  माता कात्यायनी का महत्व क्या है?, माता कात्यायनी के प्रमुख मंत्र क्या है?,  इत्यादि इसीलिए मां कात्यायनी से संबंधित हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए ।

Maa Katyayani Mata overview

टॉपिककात्यायनी माता
लेख प्रकारआर्टिकल
भाषाहिंदी
साल2024
त्योहारनवरात्रि
प्रमुख देवीदेवी कात्यायनी
व्रत का प्रथम दिन9 अप्रैल
व्रत का अंतिम दिन17 अप्रैल
महत्वमां दुर्गा के 9 दिवसीय पावन दिन
माता कात्यायनी का महत्व 9 अप्रैल सुबह 06.02 – सुबह 10.16 तक

कौन है कात्यायनी माता (Who is Maa Katyayani Mata)

माता कात्यायनी (Maa Katyayani), नवदुर्गा (Nav Durga) का छठा स्वरूप, शक्ति और ज्ञान की देवी हैं। इनकी उत्पत्ति महर्षि कात्यायन (Katyayan) की तपस्या से हुई थी। देवी कात्यायनी (Goddess Katyayani) सिंह पर विराजमान, वरद मुद्रा में, कमल, गदा, तलवार और त्रिशूल धारण किए हुए दर्शाया जाता है। माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) का स्वरूप शांत और दयालु है, लेकिन वे शत्रुओं का नाश करने में भी सक्षम हैं। भक्त माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा शक्ति, साहस, ज्ञान, बुद्धि, विद्या, कला, और मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं। नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन भक्त माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) का ध्यान करते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।

कात्यायनी माता का महत्व (Maa Katyayani Mata importance )

माता कात्यायनी (Maa Katyayani) , नवदुर्गा (Nav Durga)  के छठे स्वरूप, का अत्यंत महत्व है। देवी कात्यायनी (Goddess Katyayani), महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतरित हुईं थीं। इनकी पूजा ज्ञान, शक्ति, और साहस प्राप्त करने के लिए की जाती है। माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) को सिंह पर विराजमान, वरद मुद्रा में, कमल, गदा, तलवार और त्रिशूल धारण किए हुए दर्शाया जाता है। माता कात्यायनी का स्वरूप शांत और दयालु है, लेकिन वे शत्रुओं का नाश करने में भी सक्षम हैं।

  • शक्ति और साहस: माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) शक्ति और साहस की देवी हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों में आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।
  • ज्ञान और बुद्धि: माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) ज्ञान और बुद्धि की देवी भी हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  • विद्या और कला: माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) विद्या और कला की देवी भी हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों में विद्या और कला की प्राप्ति होती है।
  • मोक्ष प्राप्ति: माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) मोक्ष (Moksh) प्राप्ति का मार्ग भी दिखाती हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को जीवन में मोक्ष प्राप्ति की प्राप्ति होती है।

कात्यायनी माता की कहानी (Maa Katyayani Mata ki kahani)

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बार कात्यायन (Katyayan) नाम के एक ऋषि (sage) थे, वह नि:संतान थे और वह मां पार्वती (Goddess Parvati) के परम भक्त भी थे। ऋषि कात्यायन (Katyayan) ने देवी पार्वती की कठोर तपस्या की और देवी से उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने की प्रार्थना की। माँ पार्वती (Goddess Parvati) उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन्हें इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद दिया। देवी पार्वती उनकी पुत्री के रूप में अवतरित हुईं और उनका नाम कात्यायनी रखा गया । जब देवी कात्यायनी (Maa Katyayani) बड़ी होकर शक्तिशाली हो गईं तब उन्होंने राक्षस महिषासुर (Mahishasura) का वध किया। माता कात्यायनी Maa Katyayani का पृथ्वी पर जन्म लेने का मुख्य उद्देश्य केवल राक्षस महिषासुर को मारना था।

कात्यायनी माता पूजा का महत्व (Maa Katyayani Mata puja significance)

  • शक्ति और विजय: माता कात्यायनी (Maa Katyayani) को शक्ति और विजय की देवी माना जाता है। इनकी पूजा करने से भक्तों को जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  • बुद्धि और ज्ञान: माता कात्यायनी (Maa Katyayani) ज्ञान और बुद्धि की देवी भी हैं। इनकी पूजा करने से भक्तों को बुद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है, जिससे वे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
  • संतान प्राप्ति: माता कात्यायनी (Maa Katyayani) को संतान प्राप्ति की देवी भी माना जाता है। जिन महिलाओं को संतान प्राप्ति की इच्छा होती है, वे माता कात्यायनी की पूजा करती हैं।
  • कष्टों से मुक्ति: माता कात्यायनी (Maa Katyayani) कष्टों से मुक्ति देने वाली देवी भी हैं। इनकी पूजा करने से भक्तों के जीवन में आने वाले सभी कष्टों का नाश होता है।

कात्यायनी माता पूजा विधि (Maa Katyayani Mata puja vidhi)

सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को साफ करें। एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। माँ कात्यायनी को लाल रंग के फूल, कुमकुम, अक्षत, रोली, हल्दी, इत्र, धूप, दीप, नैवेद्य, शहद आदि अर्पित करें।

माँ कात्यायनी का षोडशोपचार पूजन:

  • आवाहन: मां कात्यायनी का आह्वान करें।
  • आसन: मां को आसन अर्पित करें।
  • पाद्य: मां के चरणों में जल अर्पित करें।
  • अर्घ्य: मां को जल अर्पित करें।
  • आचमन: मां को जल ग्रहण करवाएं।
  • स्नान: मां को दूध, दही, घी, शहद और जल से स्नान करवाएं।
  • वस्त्र: मां को लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें।
  • आभूषण: मां को सोने, चांदी या अन्य धातुओं के आभूषण अर्पित करें।
  • गंध: मां को इत्र या चंदन अर्पित करें।
  • पुष्प: मां को लाल रंग के फूल अर्पित करें।
  • दीप: मां के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
  • नैवेद्य: मां को भोग अर्पित करें।
  • आचमन: मां को जल ग्रहण करवाएं।
  • ताम्बूल: मां को ताम्बूल अर्पित करें।
  • दक्षिणा: मां को दक्षिणा अर्पित करें।
  • प्रदक्षिणा: मां की परिक्रमा करें।

माँ कात्यायनी की पूजा विधि में कुछ विशेष बातें:

  • नवरात्रि (Navratri) के छठे दिन माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा के लिए लाल रंग का विशेष महत्व है।
  • इस दिन माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) को लाल रंग के फूल, वस्त्र और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है।
  • माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा के लिए षोडशोपचार पूजन विधि का पालन किया जाता है।
  • इस दिन माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) की आरती एवं स्तुति का पाठ करना भी बहुत लाभदायक होता है।
  • माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते समय मन में पूर्ण विश्वास और भक्ति का होना चाहिए।

कात्यायनी माता पूजा विधि pdf (Maa Katyayani Mata puja samagri pdf) 

माता कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा विधि से संबंधित या विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं,  इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप माता कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा विधि के बारे में सरलता पूर्वक पढ़ सकते हैं यह पीडीएफ (PDF) आपके लिए काफी सहायक होगा ।

कात्यायनी माता पूजा सामग्री (Katyayani Mata puja samagri)

देवी की प्रतिमा या तस्वीर:

  • मां कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर
  • लाल रंग का कपड़ा
  • लाल रंग के फूल (गुलाब, कमल, गेंदा)
  • लाल रंग का फल (सेब, अनार)

पूजा सामग्री:

  • अक्षत (चावल)
  • रोली
  • कुमकुम
  • हल्दी
  • इत्र
  • धूप
  • दीप
  • नैवेद्य (फल, मिठाई, हलवा)
  • शहद
  • सुपारी
  • पान
  • कपूर
  • दीपक
  • आरती की थाली
  • घंटी
  • शंख
  • कलश
  • जल
  • फल
  • फूल
  • मिठाई
  • दान

नोट: पूजा करते समय ध्यान रखें कि सभी सामग्री स्वच्छ और शुद्ध हो।

कात्यायनी माता पूजा सामग्री लिस्टpdf ( Katyayani Mata puja Samagri list pdf) 

कात्यायनी माता (Maa Katyayani) की पूजा सामग्री से संबंधित विशेष लिस्ट हम आपसे पीडीएफ (PDF) के जरिए शेयर  कर रहे हैं,  इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड करके आप माता कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा सामग्री की पूर्ण लिस्ट देख सकते हैं ।

कात्यायनी माता की कथा (katyayani Mata ki katha)

कहा जाता है कि बहुत समय पहले कात्यायन नाम के एक ऋषि (sage) थे। वह देवी शक्ति का बहुत बड़े भक्त थे और प्रार्थना में दिन और रात व्यतीत करते थे। ऋषि कात्यायन हमेशा यही कामना करते थे कि देवी शक्ति उनकी पुत्री के रूप में जन्म लें। 

इस अवधि के दौरान, महिषासुर ( Mahishasura ) नाम का एक दुष्ट राक्षस देवताओं के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर रहा था। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, उसमें और अधिक शक्ति आ गई और देवताओं को उसके बारे में चिंता बढ़ने लगी। उन्होंने देवी शक्ति से प्रार्थना की और उनसे महिषासुर ( Mahishasura ) के प्रकोप से बचाने के लिए कहा। देवी शक्ति (Goddess Shakti) ने पृथ्वी पर जन्म लेने और महिषासुर (Mahishasura)  के शासन को समाप्त करने का निर्णय लिया। उन्होंने ऋषि कात्यायन (Rishi Katyayan) की इच्छा पूरी की और उनकी बेटी के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया। वह बड़ी होकर एक साहसिक, सुंदर योद्धा बनी और कात्यायन (Katyayan) की बेटी कात्यायनी (Katyayani) के नाम से जानी जाने लगी।

एक दिन, महिषासुर के दो दूतों – चंड और मुंड- ने कात्यायनी (Katyayani) को देखा और माता की  सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गए। वे वापस अपने गुरु के पास गए और उन्हें कात्यायनी (Katyayani) के बारे में सब कुछ बताया। यह सुनकर महिषासुर (Mahishasura) बहुत खुश हुआ और उसने तुरंत अपने दूसरे दूत – दुंदुभी – को जाकर कात्यायनी (Katyayani) से बात करने के लिए कहा दुंदुभि ने कात्यायनी (Katyayani) से मुलाकात की और उसे महिषासुर (Mahishasura) के बारे में सब कुछ बताया। उसने उसे अपनी महानता के बारे में बताया और शेखी बघारी कि कैसे महिषासुर अब तीनों लोकों का शासक है। उन्होंने कात्यायनी से कहा कि उसे महिषासुर से विवाह करना चाहिए।

कात्यायनी (Maa Katyayani) मुस्कुराई और दुंदुभी से कहा कि उसकी पारिवारिक परंपरा के अनुसार, महिषासुर को पहले उसे युद्ध में हराना होगा। तभी वे दोनों शादी कर सकते हैं। दुंदुभी वापस चला गया और उसे इस चुनौती के बारे में बताया। महिषासुर (Mahishasura) सहमत हो गया और जल्द ही तैयारी शुरू हो गई। कात्यायनी (Katyayani) और महिषासुर (Mahishasura) के बीच भयंकर युद्ध हुआ। वह उसके राक्षस सैनिकों को हराने में कामयाब रही और उनमें से अधिकांश को मार भी डाला। जब कात्यायनी और महिषासुर का आमना-सामना हुआ तो उसने खुद को भैंसे में बदल लिया। यह कात्यायनी (Maa Katyayani) के लिए एक वास्तविक चुनौती साबित हुई क्योंकि उसे उससे लड़ने के लिए संघर्ष करना पड़ा।

हालाँकि, कात्यायनी (Maa Katyayani) उसकी पीठ पर चढ़ गई। वह इस हरकत से आश्चर्यचकित हो गया और माता को झटकने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहा। तब कात्यायनी (Maa Katyayani) ने अपना पैर महिषासुर की गर्दन के पीछे रखा, उसे अपने त्रिशूल से छेदा और उसका सिर काट दिया। इस प्रकार माँ कात्यायनी ने दुष्ट और शक्तिशाली राक्षस महिषासुर का वध किया। ऐसा करके, उसने देवताओं को उसके खतरे से बचाया और इस दुनिया में शांति वापस लौट आई।

कात्यायनी माता की कथा pdf (katyayani Mata ki katha pdf)

कात्यायनी माता (Maa Katyayani) की कथा से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप माता कात्यायनी Maa Katyayani की कथा (Katha) को कभी भी पढ़ सकते हैं।

कात्यायनी माता की आरती (katyayani Mata ki Aarti)

जय जय अंबे जय कात्यायनी ।
जय जगमाता जग की महारानी ।।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा ।।

कई नाम हैं कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की ।।

झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
अपना नाम जपानेवाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी ।।

जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

कात्यायनी माता की आरती pdf (katyayani Mata ki Aarti pdf)

कात्यायनी माता (Maa Katyayani) से संबंधित है यह विशेष आरती (Aarti)  हम आपसे साझा कर रहे हैं , इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप माता कात्यायनी की प्रमुख आरती को पढ़ सकते हैं ।

कात्यायनी माता की आरती youtube (katyayani Mata ki Aarti youtube)

कात्यायनी मंत्र (katyayani Mata Mantra)

  • ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
  • चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
  • या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

कात्यायनी मंत्र इन हिंदी (katyayani Mata Mantra in Hindi)

  • ‘ॐ ह्रीं नम:।।’
  • चन्द्रहासोज्जवलकराशार्दुलवरवाहना।
  • कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
  • ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

कात्यायनी मंत्र pdf (katyayani Mata Mantra pdf) 

कात्यायनी माता (Maa Katyayani) से संबंधित प्रमुख मंत्र हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए हम शेयर कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप कात्यायनी माता के प्रमुख मंत्र पढ़ सकते हैं।

कात्यायनी माता इमेज (Katyayani Mata images)

कात्यायनी माता (Maa Katyayani) की कुछ विशेष एवं सुंदर तस्वीर हम आपसे साझा कर रहे हैं जिन्हें आप आसानी से डाउनलोड (Download) भी कर सकते हैं और अपने मित्रों को भी शेयर कर सकते हैं।

कात्यायनी माता इमेज डाउनलोड (Katyayani Mata devi images download) 

कात्यायनी माता (Maa Katyayani) की इन सभी विशेष तस्वीरों को आप बेहद ही सरलतापूर्वक डाउनलोड (Download) कर सकते हैं और अपने परिवारजनों एवं मित्रगणों को शेयर भी कर सकते हैं ।

Summary

माता कात्यायनी, नवदुर्गा की छठी शक्ति, शक्ति, वीरता और ज्ञान का प्रतीक हैं। वे भक्तों को शक्ति, साहस, ज्ञान और विवेक प्रदान करती हैं। देवी कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा करने से भक्तों को उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। माता कात्यायनी (Maa Katyayani) से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें,  साथ ही हमारे आने आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

FAQ’s

Q. कात्यायनी माता कौन हैं?

Ans. कात्यायनी माता देवी दुर्गा का छठा रूप हैं। नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है।

Q. कात्यायनी माता का स्वरूप कैसा है?

Ans. माता कात्यायनी सिंह पर सवार हैं और उनके चार हाथ हैं। उनके हाथों में तलवार, कमल, त्रिशूल और वरद मुद्रा है।

Q. कात्यायनी माता का व्रत कैसे रखा जाता है?

Ans. कात्यायनी माता का व्रत छठे नवरात्रि को रखा जाता है। इस दिन भक्त माता कात्यायनी की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं।

Q. कात्यायनी माता की आरती कैसे की जाती है?

Ans. कात्यायनी माता की आरती दीपक जलाकर और भजन गाकर की जाती है।

Q. कात्यायनी माता का महत्व क्या है?

Ans. कात्यायनी माता को शक्ति और बुद्धि की देवी माना जाता है।

Q. कात्यायनी माता की स्तुति क्या है?

Ans. कात्यायनी माता की स्तुति “या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”