Maa Kalratri: नवरात्रि (Navratri) के सातवें दिन, देवी कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा की जाती है। यह स्वरूप देवी दुर्गा की शक्ति और भय का अद्भुत मिश्रण है। एक ओर, देवी कालरात्रि (Goddess Kalratri) अपने भक्तों के लिए रक्षा का कवच हैं, तो वहीं दूसरी ओर, वे दुष्टों के लिए भय और काल का प्रतीक हैं। मां कालरात्रि (Maa Kalratri) को गहरे रंग की त्वचा के साथ चित्रित किया जाता है। उनके चार हाथ हैं, जिनमें वे तलवार, खड्ग, त्रिशूल और अभय मुद्रा धारण करती हैं। उनके गले में मुंडों की माला है, और वे भयंकर रूप धारण करती हैं।
मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा से अनेक लाभ होते हैं। वे भक्तों को भय, शत्रु, और नकारात्मक शक्तियों से बचाती हैं। वे साहस, आत्मविश्वास और शक्ति प्रदान करती हैं। मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा उन लोगों के लिए भी विशेष रूप से फलदायी है जो जीवन में कठिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप भयंकर है, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए अत्यंत दयालु और ममतामयी हैं। वे उन भक्तों की रक्षा करती हैं जो उनकी शरण में आते हैं।
नवरात्रि (Navratri) के पावन त्योहार से संबंधित इस विशेष लेख में हम आपको माता कालरात्रि (Maa Kalratri) से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, हम आपको बताएंगे की माता कालरात्रि कौन है?, माता कालरात्रि का महत्व क्या है?, माता कालरात्रि की पूजा विधि क्या है?, माता कालरात्रि की पूजा विधि का महत्व क्या है?, माता कालरात्रि के प्रमुख मंत्र क्या है?, माता कालरात्रि की कथा क्या है?, इत्यादि इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए ।
Maa Kalratri Mata overview
टॉपिक | मां कालरात्रि |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
भाषा | हिंदी |
साल | 2024 |
त्योहार | नवरात्रि |
प्रमुख देवी | देवी कालरात्रि |
व्रत का प्रथम दिन | देवी दुर्गा |
व्रत का अंतिम दिन | 17 अप्रैल |
महत्व | मां दुर्गा के 9 दिवसीय पावन दिन |
मां कालरात्रि का महत्व | शक्ति साहस और शौर्य की देवी |
कौन है मां कालरात्रि (Who is Maa Kalratri Mata)
माँ कालरात्रि (Maa Kalratri) देवी दुर्गा का सातवां रूप हैं। नवरात्रि के सातवें दिन इनकी पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि (Maa Kalratri) का स्वरूप भयंकर और क्रूर है। इनका शरीर घने अंधकार की तरह काला है। इनके तीन नेत्र हैं, जो ब्रह्मांड (world) की तरह गोल हैं। इनके दाहिने हाथ में वर मुद्रा और बाएं हाथ में अभय मुद्रा है। वे गधे की सवारी करती हैं।
माँ कालरात्रि (Maa Kalratri) को ‘शुंभ-निशुंभ’ नामक राक्षसों का वध करने वाली देवी माना जाता है। इनकी पूजा से भक्तों के मन से भय, शत्रु, और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
मां कालरात्रि का महत्व (Maa Kalratri Mata importance )
माँ कालरात्रि (Maa Kalratri) देवी दुर्गा का सबसे उग्र स्वरूप हैं। माना जाता है कि मां दुर्गा का यह रूप हर जगह से राक्षसों, बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाला है। काल रात्रि – वह जो काल है – मृत्यु और रात्रि – रात्रि जिसका अर्थ है वह जो अंधकार और सभी नकारात्मक शक्तियों के खिलाफ काल के रूप में काम करती है। वह जन्म के अंधकार को भी दूर करती है जिससे मोक्ष (Moksh) प्राप्त करने में मदद मिलती है।
मां कालरात्रि की कहानी (Maa Kalratri Mata ki kahani)
Maa Kalratri: हिंदू पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि जब शुंभ (Sumbh) और निशुंभ (Nishumbh) ने चंड-मुंड और रक्तबीज (Raktbeej) की मदद से देवताओं (Gods) को हरा दिया, तो इंद्र और अन्य देवताओं ने देवी पार्वती (Goddess Parvati) से प्रार्थना की। उन्होंने फिर राक्षसों को मारने के लिए देवी चंडी (Goddess Chandi) की रचना की। पलक झपकते ही देवी चंडी (Goddess Chandi) ने अन्य राक्षसों को मार डाला, लेकिन वह चंड मुंड और रक्तबीज को नहीं हरा सकीं। ऐसा मान्यता है कि उन्हें समाप्त करने के लिए उन्होंने अपने मस्तक से मां कालरात्रि (Maa Kalratri) को उत्पन्न किया।
मां कालरात्रि (Maa Kalratri) ने दोनों राक्षसों से युद्ध किया। जबकि देवी कालरात्रि (Goddess Kalratri) ने चंड-मुंड को मार डाला, उनके लिए रक्तबीज को हराना मुश्किल था। उसे भगवान ब्रह्मा (Lord Brahma) से वरदान प्राप्त था कि जमीन पर गिरने वाली उसके खून की हर बूंद उसके क्लोन में बदल जाती थी। अविचलित, माँ कालरात्रि (Maa Kalratri) ने रक्तबीज के सभी अन्य बीजो का रक्त पीना शुरू कर दिया। और मां कालरात्रि (Maa Kalratri) ने अंततः उसे मार डाला।
मां कालरात्रि पूजा का महत्व (Maa Kalratri Mata puja Significance)
नवरात्रि (Navratri) के सातवें दिन मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा का विशेष महत्व है। देवी कालरात्रि (Goddess Kalratri) शक्ति और वीरता की प्रतीक हैं। इनकी पूजा से भक्तों को शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। मां कालरात्रि (Maa Kalratri) को अंधकार और बुराई को दूर करने वाली देवी माना जाता है। इनकी पूजा से भक्तों के जीवन में आने वाली बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं। देवी कालरात्रि (Goddess Kalratri) भक्तों को नकारात्मक विचारों और भावनाओं से मुक्त करती हैं।
मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा से भक्तों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। इनकी पूजा से भक्तों को रोगों से मुक्ति और दीर्घायु प्राप्त होती है। मां कालरात्रि (Goddess Kalratri) की पूजा करते समय भक्तों को लाल रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए। देवी कालरात्रि (Maa Kalratri) को लाल रंग अतिप्रिय है।
मां कालरात्रि पूजा विधि (Maa Kalratri Mata puja vidhi)
माँ कालरात्रि नवरात्रि की सातवीं देवी हैं। इनकी पूजा करने से भक्तों के सभी कष्टों का नाश होता है और उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
पूजा विधि:
सुबह:
- स्नान से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माँ कालरात्रि की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- रोली, कुमकुम, चंदन, धूप, दीप अर्पित करें।
- पुष्प, पंचमेवा, फल अर्पित करें।
- गुड़ का भोग लगाएं।
- माँ कालरात्रि का ध्यान करें।
- माँ कालरात्रि की आरती करें।
- मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नमः।”
शाम:
- पुनः स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माँ कालरात्रि की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करें।
- धूप, दीप, आरती अर्पित करें।
- माँ कालरात्रि की स्तुति करें।
- माँ कालरात्रि का ध्यान करें।
- मंत्र: “ॐ सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य समृद्धिदा। देवी कालरात्रि नमस्तुः सर्वसिद्धि प्रदायिनी।।”
मां कालरात्रि पूजा विधि pdf (Maa Kalratri Mata puja samagri pdf)
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मां कालरात्रि पूजा सामग्री (Maa Kalratri Puja Samagri )
पूजा सामग्री:
- दीपक: घी या तेल से भरे हुए दीपक
- बत्ती: रुई की बत्ती
- धूप: अगरबत्ती, धूपबत्ती
- नैवेद्य: खीर, फल, मिठाई
- फूल: गुलाब, चंपा, मोगरा, कमल
- फल: मौसमी फल, नारियल
- पान: सुपारी, लौंग, इलायची
- हल्दी: कुमकुम, रोली
- चंदन: चंदन की लकड़ी, चंदन का पाउडर
- कपूर: कपूर
- घंटी: घंटी
- कलश: जल से भरा कलश
- आसन: लाल कपड़ा
- माता कालरात्रि की मूर्ति या चित्र: मां कालरात्रि की मूर्ति या चित्र।
- मंत्र पुस्तिका: मंत्रों की पुस्तिका
अन्य सामग्री:
पान का पत्ता | पान का पत्ता |
सुगंधित जल | गुलाब जल, चंदन जल |
नारियल | नारियल |
कलावा | लाल रंग का कलावा |
फलों का रस | मौसमी फल का रस |
अनाज | गेहूं, चावल, चना |
दक्षिणा | दक्षिणा के लिए पैसे |
मां कालरात्रि (Maa Kalratri) को गुड़हल के फूल और नारियल चढ़ाना शुभ माना जाता है। मां कालरात्रि (Maa Kalratri) को लाल रंग का वस्त्र और लाल रंग का चंदन चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।
मां कालरात्रि पूजा सामग्री लिस्टpd (Maa Kalratri puja Samagri list pdf)
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मां कालरात्रि की कथा (Maa Kalratri ki katha)
माता कालरात्रि (Maa Kalratri) की पावन कथा कुछ इस प्रकार है- शुभ और निशुंभ नाम के दो शक्तिशाली राक्षस भाई हुआ करते थे। उन्होंने अपनी विशाल सेना भी तैयार करके रखी थी, इसी सेना के बल पर शुंभ-निशुंभ देवताओं को युद्ध में हरा दिया और उनके सिंहासन पर कब्जा भी कर लिया , अर्थात अब देवलोक पर केवल राक्षसों का आधिपत्य था।
अपनी ऐसी दुर्गति देख कर देवता निराश होकर देवराज इंद्र के पास पहुंचे और उनका मार्गदर्शन चाहा , लेकिन देवराज इंद्र ने सभी देवताओं से साफ-साफ कह दिया कि शुंभ और निशुंभ दोनों ही बलवान राक्षस हैं, इन्हें हरा पाना हमारे हाथ में नहीं है । इनसे लड़ने के लिए हमें भगवान शिव (Lord Shiva) की मदद लेनी होगी इसके पश्चात सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे, उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की कि उनकी रक्षा की जाए तभी भगवान शिव (Lord Shiva) ने देवी पार्वती (Goddess Parvati) से उनकी सहायता करने के लिए आग्रह किया और देवी पार्वती ने भगवान शिव की बात मान ली और अत्यंत भयानक रूप धारण किया । मां पार्वती के इस रूप को लोग अंबिका के नाम से भी जानते हैं।
अपनी महान सेना को लेकर मां अंबिका राक्षसों से युद्ध करने के लिए युद्ध मैदान में पहुंची । देवी अंबिका एक तेजस्वी देवी हैं जो दिव्य हथियारों से सुशोभित हैं, जैसे ही देवी अंबिका युद्ध के लिए आगे बढ़ी तभी ही शुंभ-निशुंभ और ने चंड-मुंड नामक दो राक्षसों को माता के सामने खड़ा कर दिया इसके पश्चात माता अंबिका का क्रोध और भी ज्यादा बढ़ गया । माता अंबिका ने मां कालरात्रि का रूप धारण किया , माता कालरात्रि (Maa Kalratri) ने चंड-मुंड का संघार किया और देवलोक में शांति स्थापित की चंड-मुंड नाश करने के कारण माता कालरात्रि (Maa Kalratri) का नाम चामुंडा पड़ गया ।
चंड-मुंड और सभी राक्षसों के संघार के पश्चात भी माता कालरात्रि (Maa Kalratri) का क्रोध शांत नहीं हुआ , माता कालरात्रि क्रोध में आगे बढ़ती रही हालात ऐसे हो गए की माता कालरात्रि के क्रोध से स्वयं मां धरती भी जलने लगी। माता कालरात्रि (Maa Kalratri) के क्रोध के कारण धरती पर मानव जीवन पर खतरा बढ़ गया, माता कालरात्रि के क्रोध को शांत करने के लिए स्वयं महादेव जमीन पर आकर लेट गए और माता कालरात्रि (Maa Kalratri) ने गलती से महादेव की छाती पर अपना पैर रख दिया । जब माता को एहसास हुआ कि उन्होंने अपने पति के ऊपर पैर रख दिया है तो उनकी जीभ बाहर आ गई और फिर उन्हें खूब पछतावा भी हुआ , हालांकि इस गलती के चलते माता कालरात्रि (Maa Kalratri) का क्रोध शांत हो गया ।
मां कालरात्रि की कथा pdf (Maa Kalratri ki katha pdf)
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मां कालरात्रि की आरती (Maa Kalratri ki Aarti)
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय
मां कालरात्रि की आरती pdf (Maa Kalratri ki Aarti pdf)
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मां कालरात्रि की आरती youtube (Maa Kalratri ki Aarti youtube)
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड तेरे द्वार खडे ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले ज्वाला तेरी भेट धरे ॥
सुन जगदम्बे न कर विलम्बे,
संतन के भडांर भरे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ॥
बुद्धि विधाता तू जग माता,
मेरा कारज सिद्व करे ।
चरण कमल का लिया आसरा,
शरण तुम्हारी आन पडे ॥
जब-जब भीड पडी भक्तन पर,
तब-तब आप सहाय करे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली,
जय काली कल्याण करे ॥
गुरु के वार सकल जग मोहयो,
तरुणी रूप अनूप धरे ।
माता होकर पुत्र खिलावे,
कही भार्या भोग करे ॥
शुक्र सुखदाई सदा सहाई,
संत खडे जयकार करे ।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जै काली कल्याण करे ॥
ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये,
भेट देन तेरे द्वार खडे ।
अटल सिहांसन बैठी मेरी माता,
सिर सोने का छत्र फिरे ॥
वार शनिचर कुमकुम बरणो,
जब लुंकड़ पर हुकुम करे ।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशाली,
जै काली कल्याण करे ॥
खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये,
रक्त बीज को भस्म करे ।
शुम्भ-निशुम्भ को क्षण में मारे,
महिषासुर को पकड दले ॥
आदित वारी आदि भवानी,
जन अपने को कष्ट हरे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जै काली कल्याण करे ॥
कुपित होकर दानव मारे,
चण्ड-मुण्ड सब चूर करे ।
जब तुम देखी दया रूप हो,
पल में सकंट दूर करे ॥
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता,
जन की अर्ज कबूल करे ।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जै काली कल्याण करे ॥
सात बार की महिमा बणनी,
सब गुण कौन बखान करे ।
सिंह पीठ पर चढी भवानी,
अटल भवन में राज्य करे ॥
दर्शन पावे मंगल गावे,
सिद्ध साधक तेरी भेट धरे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जै काली कल्याण करे ॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड तेरे द्वार खडे ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले ज्वाला तेरी भेट धरे ॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड तेरे द्वार खडे ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले ज्वाला तेरी भेट धरे ॥
कालरात्रि मंत्र (Maa Kalratri Mantra)
‘ॐ कालरात्र्यै नम:।’ |
‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।’ |
‘ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।’ |
कालरात्रि मंत्र इन हिंदी (Maa Kalratri Mantra in Hindi)
- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।
- एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
कालरात्रि मंत्र pdf (Maa Kalratri M antra pdf)
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मां कालरात्रि इमेज (Maa Kalratri Images)
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Summary
माँ कालरात्रि (Maa Kalratri) दुर्गा का भयंकर रूप हैं, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए अत्यंत दयालु और माँ समान हैं। इनकी पूजा से भक्तों को जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। माँ कालरात्रि (Maa Kalratri) हमें सिखाती हैं कि हमें बुराई से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसका सामना करना चाहिए। माता कालरात्रि से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें , और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
FAQ’s
Q. माता कालरात्रि का अवतार कब हुआ था?
Ans. माता कालरात्रि का अवतार देवी दुर्गा के नौवें रूप के रूप में हुआ था।
Q. माता कालरात्रि का वाहन क्या है?
Ans. माता कालरात्रि का वाहन गधा है। गधा धैर्य और दृढ़ता का प्रतीक है।
Q. माता कालरात्रि का रंग क्या है?
Ans. माता कालरात्रि का अत्यंत ही काला रंग है। काला रंग अंधकार का प्रतीक है, जिसे माता कालरात्रि दूर करती हैं।
Q. माता कालरात्रि के हाथों में क्या है?
Ans. माता कालरात्रि के चार हाथ हैं। एक हाथ में तलवार, दूसरे में खड्ग, तीसरे में त्रिशूल और चौथे हाथ में वरद मुद्रा है।
Q. माता कालरात्रि की पूजा क्यों की जाती है?
Ans. माता कालरात्रि की पूजा बुराई से बचाव, शक्ति और साहस प्राप्त करने के लिए की जाती है।