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Temple to Visit During Chaitra Navratri : इस चैत्र नवरात्रि जरुर जाएं माता रानी के इन दरबार में और पाएं उनकी अपरंपार कृपा

Temple to visit during Chaitra Navratri
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Chaitra Navratri: नवरात्रि (Navratri), देवी शक्ति (Goddess Shakti) की आराधना का पर्व, वर्ष में चार बार आता है, और चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) इसका पहला और सबसे महत्वपूर्ण अध्याय है। इस नौ दिवसीय उत्सव में, भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, प्रत्येक दिन एक अलग रूप को समर्पित होता है। मां दुर्गा के भक्तों के लिए, नवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर भी है। इस अवधि में, भक्त उपवास करते हैं, मां दुर्गा की स्तुति करते हैं, और मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं। भारत में, मां दुर्गा के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो नवरात्रि के दौरान भक्तों की भारी भीड़ आकर्षित करते हैं। इनमें से कुछ मंदिरों का इतिहास सदियों पुराना है और इनकी स्थापत्य कला अद्भुत है।

इस लेख में, हम आपको भारत के कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिरों से परिचित कराएंगे, जो नवरात्रि (Navratri) के दौरान दर्शन के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। इन सभी विशेष मंदिरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया हमारे इसलिए को अंत तक अवश्य पढ़िए ।

Temple to Visit During Chaitra Navratri – Overview 

S.NOमंदिरस्थान
1वैष्णो देवी मंदिरजम्मू और कश्मीर
2माँ धारी देवी मंदिर उत्तराखंड
3माँ नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश
4ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश
5शीतला देवी मंदिर हरियाणा
6चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश
7चिंतपूर्णी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश
8ब्रजेश्वरी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश 
9मनसा देवी मंदिर  उत्तराखंड
10कालीघाट कोलकाता
11कामाख्या मंदिर गुवाहाटी
12कालकाजी मंदिर दिल्ली

क्या होती है चैत्र नवरात्रि (What is Chaitra Navratri)

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है। इस दौरान, लोग घरों में कलश स्थापित करते हैं और देवी दुर्गा की प्रतिमाओं को सजाते हैं। भक्त उपवास रखते हैं, भजन गाते हैं और देवी दुर्गा (Goddess Durga) की आरती करते हैं। नवरात्रि (Navratri) के नौवें दिन, कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है, जिसमें नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है।

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को भक्ति, त्याग और समर्पण की भावना सिखाता है।

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चैत्र नवरात्रि का महत्व (Chaitra Navratri Significance)

भक्त दस दिनों के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस विशिष्ट समय अवधि के दौरान बिना किसी इच्छा के उनकी पूजा करता है उसे मोक्ष (Moksh) की प्राप्ति होती है। चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) वर्ष के उस समय के दौरान मनाई जाती है जब प्रकृति, जलवायु में बड़े परिवर्तन से गुजरती है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान व्रत रखने से गर्मी के मौसम की तैयारी में मदद मिलती है।

इसके अलावा, चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) के अनुसार नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। यह वसंत ऋतु की शुरुआत का भी प्रतीक है जब नए फूल और फल खिलने लगते हैं। लोग देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती से आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं। नौ दिनों की पूरी अवधि और दसवां दिन जब मूर्ति विसर्जित की जाती है, प्रार्थना, उपवास, नृत्य और आनंद लेने के बारे में है। यह सब समग्र रूप से लोगों को गर्मी के मौसम के लिए व्यवस्थित होने में मदद करता है।

1.वैष्णो देवी मंदिर: जम्मू और कश्मीर (Vaishno Devi Temple: Jammu & Kashmir)

माता वैष्णो देवी का मंदिर (Maa Vaishno Devi Temple), जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir ) राज्य में स्थित, (भारत India) के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह मंदिर त्रिकुटा पर्वत की तलहटी में स्थित है और देवी दुर्गा के स्वरूप माता वैष्णो देवी को समर्पित है। मंदिर समुद्र तल से 5,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, मंदिर में तीन पिंडियां हैं, जो माता वैष्णो देवी, माता लक्ष्मी और माता सरस्वती का प्रतिनिधित्व करती हैं मंदिर के पास एक गुफा है, जहाँ माता वैष्णो देवी (Mata Vaishno Devi) ने ध्यान किया था।

कैसे पहुंचें: रोड से (By Road) :

  • जम्मू से कटरा तक बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
  • दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, और अन्य राज्यों से भी जम्मू तक बसें उपलब्ध हैं।
  • जम्मू से कटरा तक की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है।

ट्रेन (By Railway) :

  • जम्मू तवी रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • कटरा रेलवे स्टेशन भी उपलब्ध है, जो जम्मू से थोड़ी दूरी पर स्थित है।

फ्लाइट (By Flight) :

  • जम्मू में एक हवाई अड्डा भी है, जो दिल्ली, चंडीगढ़, और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • हवाई अड्डे से कटरा तक टैक्सी या बस द्वारा पहुंचा जा सकता है।

2. माँ धारी देवी मंदिर: उत्तराखंड (Maa Dhari Devi Temple: Uttarakhand)

माँ धारी देवी मंदिर (Maa Dhari Devi Temple), उत्तराखंड (Uttrakhand) के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर, श्रीनगर (Srinagar) और रुद्रप्रयाग के बीच स्थित है। माँ धारी देवी  (Goddess Dhara Devi) को देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है और यहाँ उनकी मूर्ति का ऊपरी आधा भाग स्थापित है। मूर्ति का निचला आधा हिस्सा कालीमठ में स्थित है, जहाँ उन्हें देवी काली के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि माँ धारी देवी मंदिर 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था। माँ धारी देवी मंदिर उत्तराखंड (uttarakhand ) के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यदि आप उत्तराखंड की यात्रा कर रहे हैं, तो माँ धारी देवी मंदिर अवश्य जाना चाहिए।

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कैसे पहुंचें: सड़क मार्ग (By Road) :

  • श्रीनगर (20 किमी) या रुद्रप्रयाग (40 किमी) तक पहुंचें।
  • श्रीनगर और रुद्रप्रयाग से नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग (By Railway) :

  • ऋषिकेश (130 किमी) या हरिद्वार (150 किमी) तक पहुंचें।
  • ऋषिकेश और हरिद्वार से श्रीनगर या रुद्रप्रयाग के लिए ट्रेनें उपलब्ध हैं।

फ्लाइट (By Flight):

  • देहरादून हवाई अड्डे (180 किमी) तक पहुंचें।
  • हवाई अड्डे से श्रीनगर या रुद्रप्रयाग के लिए टैक्सी या बसें उपलब्ध हैं।

3.माँ नैना देवी मंदिर: हिमाचल प्रदेश (Maa Naina Devi Temple: Himachal Pradesh)

माँ नैना देवी मंदिर (Maa Naina Devi Temple), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के बिलासपुर जिले में शिवालिक पर्वत श्रृंखला पर स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर देवी सती के नेत्रों से जुड़ा हुआ है, जिसके कारण इसे “शक्तिपीठों” में से एक माना जाता है। मान्यता है कि सती के पिता दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ में जब भगवान शिव ने सती का पार्थिव शरीर उठा लिया, तब भगवान शिव के विलाप से उनके आँसू पृथ्वी पर गिरने लगे। इन आँसुओं से कई जगहों पर शक्तिपीठों का निर्माण हुआ, जिनमें से एक नैना देवी मंदिर भी है। माँ नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यदि आप हिमाचल प्रदेश की यात्रा कर रहे हैं, तो माँ नैना देवी मंदिर ( Naina Devi temple) अवश्य जाना चाहिए। 

कैसे पहुंचे (How to Reach)

सड़क मार्ग(By Road) :

  • बिलासपुर (30 किमी) या चंडीगढ़ (120 किमी) पहुंचें।
  • बिलासपुर और चंडीगढ़ से नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
  • मंदिर तक जाने के लिए पहाड़ी रास्ता है, इसलिए सावधानी से वाहन चलाएं।

रेल मार्ग: (By Railway) :

  • निकटतम रेलवे स्टेशन बिलासपुर (25 किमी) है।
  • बिलासपुर से मंदिर के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं।

हवाई मार्ग (By Flight):

  • निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ (120 किमी) है।
  • चंडीगढ़ से बिलासपुर के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं, और फिर बिलासपुर से मंदिर के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं।

4.ज्वाला देवी मंदिर: हिमाचल प्रदेश(Jwala Devi Temple: Himachal Pradesh)

ज्वाला देवी मंदिर (Jwala Devi Temple), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कांगड़ा जिले में ज्वालामुखी पर्वत श्रृंखला पर स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर देवी ज्वाला देवी को समर्पित है, जिन्हें देवी शक्ति का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि ज्वाला देवी मंदिर सतयुग में स्थापित किया गया था। कहा जाता है कि जब सती के पिता दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ में भगवान शिव ने सती का पार्थिव शरीर उठा लिया, तब भगवान शिव के विलाप से उनके आँसू पृथ्वी पर गिरने लगे। इन आँसुओं से कई जगहों पर शक्तिपीठों का निर्माण हुआ, जिनमें से एक ज्वाला देवी मंदिर भी है। ज्वाला देवी को शक्ति और समृद्धि की देवी माना जाता है। भक्तों का मानना है कि ज्वाला देवी उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। मंदिर में हर साल नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri) के दौरान विशेष उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

कैसे पहुंचे (How to Reach)

सड़क मार्ग (By Road) :

  • ज्वालामुखी मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 154 से जुड़ा हुआ है।
  • दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर और लखनऊ सहित भारत के कई प्रमुख शहरों से ज्वालामुखी के लिए बसें उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग (By Railway):

  • निकट में रेलवे स्टेशन ज्वाला देवी रोड है, जो मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर है।
  • स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने के लिए आप ऑटो-रिक्शा या टैक्सी ले सकते हैं।
  • दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर और लखनऊ सहित भारत के कई प्रमुख शहरों से ज्वालामुखी रोड के लिए सीधी ट्रेनें हैं।

हवाई मार्ग (By Flight):

  • निकटतम हवाई अड्डा कांगड़ा का गग्गल हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 45 किलोमीटर दूर है।
  • हवाई अड्डे से मंदिर तक पहुंचने के लिए आप टैक्सी या बस ले सकते हैं।
  • दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु सहित भारत के कई प्रमुख शहरों से कांगड़ा के लिए सीधी उड़ानें हैं।

5.शीतला देवी मंदिर: हरियाणा (Sheetla Devi Temple: Haryana)

हरियाणा (Haryana State) राज्य के गुरुग्राम जिले में स्थित, शीतला देवी मंदिर (Sheetla Devi Temple) एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर देवी शीतला को समर्पित है, जिन्हें चेचक और अन्य बीमारियों से बचाने वाली देवी माना जाता है। मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था और यह अपनी सुंदर वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मंदिर में देवी शीतला (sheetala Devi) की प्रतिमा स्थापित है, जिसे संगमरमर से बनाया गया है। मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। लोग देवी शीतला से आशीर्वाद प्राप्त करने और विभिन्न बीमारियों से बचने के लिए यहां आते हैं। चैत्र और नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। इन त्योहारों के दौरान, मंदिर भक्तों से भरा जाता है।

कैसे पहुंचे (How to Reach)

सड़क मार्ग (By Road) :

  • शीतला माता मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 48 से जुड़ा हुआ है।
  • दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर और आगरा सहित भारत के कई प्रमुख शहरों से गुरुग्राम के लिए बसें उपलब्ध हैं।
  • आप अपनी कार या किराए की कार से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग (By Railway) :

  • निकटतम रेलवे स्टेशन गुरुग्राम है, जो मंदिर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है।
  • स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने के लिए आप ऑटो-रिक्शा या टैक्सी ले सकते हैं।
  • दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता सहित भारत के कई प्रमुख शहरों से गुरुग्राम के लिए सीधी ट्रेनें हैं।

हवाई मार्ग  (By Flight):

  • निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 40 किलोमीटर दूर है।
  • हवाई अड्डे से मंदिर तक पहुंचने के लिए आप टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।
  • भारत और विदेश के कई प्रमुख शहरों से दिल्ली के लिए सीधी उड़ानें हैं।

6.चामुंडा देवी मंदिर: हिमाचल प्रदेश (Chamunda Devi Temple: Himachal Pradesh)

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कांगड़ा शहर में स्थित चामुंडा देवी मंदिर (Chamunda Devi Temple), देवी चामुंडा (Goddess Chamunda) को समर्पित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। देवी चामुंडा, देवी दुर्गा का उग्र रूप माना जाता है और उन्हें शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। मंदिर का इतिहास 8वीं शताब्दी का है और इसका निर्माण राजा साहिल वर्मन द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर नागर शैली में बनाया गया है और इसमें एक विशाल गर्भगृह, मंडप और शिखर है। 

चामुंडा देवी मंदिर (Chamunda Devi Temple) हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है।

कैसे पहुंचे (How to Reach)

सड़क मार्ग से (By Road) :

  • चामुंडा देवी मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू और हिमाचल प्रदेश के अन्य शहरों से मंदिर तक नियमित बस सेवाएं हैं। आप अपनी कार या बाइक से भी मंदिर जा सकते हैं।

रेल मार्ग से (By Railway) :

  • चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन चामुंडा देवी मंदिर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 10 किलोमीटर दूर है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु सहित भारत के कई प्रमुख शहरों से चंडीगढ़ के लिए सीधी ट्रेनें हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर तक आप टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।

हवाई मार्ग से (By Flight):

  • चंडीगढ़ हवाई अड्डा चामुंडा देवी मंदिर के लिए निकटतम हवाई अड्डा है, जो लगभग 10 किलोमीटर दूर है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु सहित भारत के कई प्रमुख शहरों से चंडीगढ़ के लिए सीधी उड़ानें हैं। हवाई अड्डे से मंदिर तक आप टैक्सी या ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।

7. चिंतपूर्णी देवी मंदिर: हिमाचल प्रदेश(Chintpurni Devi Temple: Himachal Pradesh)

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के ऊना जिले में स्थित चिंतपूर्णी देवी मंदिर Chintpurni Devi Temple), 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर देवी दुर्गा के “चिंतपूर्णी” रूप को समर्पित है, जो मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली देवी के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह मंदिर पहाड़ी ढलान पर स्थित है और इसकी वास्तुकला (Architecture) नागर शैली से प्रेरित है। मंदिर का प्रवेश द्वार भव्य है और इसमें कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। मंदिर के गर्भगृह में देवी चिंतपूर्णी की प्रतिमा स्थापित है, जो पत्थर से बनी है और सोने के मुखौटे से ढकी हुई है। 

चिंतपूर्णी देवी (chintapurni Devi) मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। मंदिर के आसपास का क्षेत्र हरी-भरी पहाड़ों और घाटियों से घिरा हुआ है, जो इसे एक शांत और मनोरम स्थान बनाता है।

कैसे पहुंचे (How to Reach)

सड़क मार्ग से (By Road):

  • चिंतपूर्णी मंदिर सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
  • दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के अन्य शहरों से मंदिर तक नियमित बसें चलती हैं।
  • मंदिर तक टैक्सी या किराए की कार द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।

हवाई मार्ग से (By Flight ):

  • चिंतपूर्णी मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है, जो कांगड़ा शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • गग्गल हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।

(रेल मार्ग से By Flight) :

  • चिंतपूर्णी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन ऊना हिमाचल रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • ऊना हिमाचल रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • रेलवे स्टेशन से मंदिर तक टैक्सी, बस या ऑटो रिक्शा द्वारा पहुंचा जा सकता है।

8.ब्रजेश्वरी देवी मंदिर: हिमाचल प्रदेश (Brajeshwari Devi Temple: Himachal Pradesh)

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कांगड़ा शहर में स्थित ब्रजेश्वरी देवी मंदिर, 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर देवी दुर्गा के “ब्रजेश्वरी” रूप को समर्पित है, जो शक्ति और विजय का प्रतीक हैं। मंदिर का इतिहास 2000 वर्षों से भी अधिक पुराना है और इसका निर्माण राजा सुधाक द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर नागर शैली में बनाया गया है, जिसमें एक विशाल गर्भगृह, मंडप और शिखर है। गर्भगृह में देवी ब्रजेश्वरी की प्रतिमा स्थापित है, जो पत्थर से बनी है और सोने के मुखौटे से ढकी हुई है। मंदिर के परिसर में कई अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं, जिनमें भगवान शिव (Lord Shiva), भगवान गणेश (Lord Ganesh) , और भगवान हनुमान (Lord Hanuman) शामिल हैं।

कैसे पहुंचे (How to Reach)

रेल मार्ग से:

  • ब्रजेश्वरी देवी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन कांगड़ा रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है। 
  • कांगड़ा रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से मंदिर तक टैक्सी, बस या ऑटो रिक्शा द्वारा पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग से ( ByRoad) :

  • ब्रजेश्वरी देवी मंदिर सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कांगड़ा शहर से मंदिर तक नियमित बसें चलती हैं। मंदिर तक टैक्सी या किराए की कार द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।

हवाई मार्ग से (By Flight) : 

  • ब्रजेश्वरी देवी मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है, जो कांगड़ा शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है। गग्गल हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डे से मंदिर तक टैक्सी या बस द्वारा पहुंचा जा सकता है।

9.मनसा देवी मंदिर: उत्तराखंड (Mansa Devi Temple: Uttarakhand)

मनसा देवी मंदिर  (Mansa Devi Temple) हरिद्वार  (Haridwar) के पास बिलवा पर्वत पर स्थित देवी मनसा देवी (Goddess Mansa) के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। यह मंदिर देवी मनसा की पूजा करने के लिए एक पवित्र स्थान है, जिन्हें शक्ति का एक रूप माना जाता है, जो महान ऋषि कश्यप के मन से उत्पन्न हुई थीं। मनसा देवी मंदिर एक प्रसिद्ध सिद्धपीठ है और हरिद्वार शहर का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।

मनसा देवी चंडी देवी और माया देवी के साथ हरिद्वार में सिद्धपीठ की तिकड़ी पूरी करती हैं। मनसा देवी मंदिर के आंतरिक मंदिर में दो मूर्तियाँ हैं जिनकी भक्तों द्वारा पूजा की जाती है। नील पर्वत में चंडी देवी मंदिर के सामने स्थित मनसा देवी मंदिर का हरिद्वार से 3 किमी पैदल रास्ता है।

कैसे पहुंचे (How to Reach)

रेल मार्ग से (By Railway) :

  • निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार जंक्शन (हर) है, जो मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर है।
  • आप रिक्शा, ऑटो या टैक्सी लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं। किराया लगभग ₹100-₹150 होगा।

सड़क मार्ग से (By Road):

  • NH-7 पर चंडीगढ़ से पंचकूला जाएं। और फिर NH-5 पर पंचकूला से मंदिर तक जाएं (10 किमी)।
  • NH-58 पर हरिद्वार से मंदिर तक जाएं (8 किमी)।

हवाई मार्ग से (By Flight):

  • देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा (DED) है, जो मंदिर से लगभग 55 किलोमीटर दूर है।
  • आप टैक्सी या बस लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं। टैक्सी का किराया लगभग ₹1000-₹1200 होगा, और बस का किराया लगभग ₹200-₹250 होगा।

10.कालीघाट,कोलकाता(Kalighat,Kolkata)

कालीघाट मंदिर (Kalighat Temple), कोलकाता (Kolkata) में स्थित, 51 शक्तिपीठों में से एक महत्वपूर्ण पीठ है। देवी काली (Goddess Kali), जो शक्ति और विनाश की देवी हैं, यहाँ विराजमान हैं। मंदिर अपनी अनोखी तंत्र-मंत्र परंपरा और देवी काली की दाहिनी जांघ की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। 

मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी का माना जाता है, और इसका उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। मंदिर का निर्माण राजा कृष्णचंद्र राय ने करवाया था। यहाँ कई त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें काली पूजा सबसे महत्वपूर्ण है। यह त्यौहार हर साल अक्टूबर-नवंबर में मनाया जाता है और लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

मंदिर का निर्माण शिखर शैली में किया गया है, और इसमें कई मंडप, गर्भगृह और शिखर हैं। मंदिर के गर्भगृह में देवी काली की दाहिनी जांघ के रूप में एक प्राकृतिक चट्टान की पूजा की जाती है।

कैसे पहुंचे (How to Reach)

रेल मार्ग से (ByRailway):

  • सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हावड़ा जंक्शन है, जो कालीघाट मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से, आप टैक्सी, बस या ऑटो-रिक्शा लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग से (By Road):

  • यदि आप सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, तो आप राष्ट्रीय राजमार्ग 117 (NH 117) ले सकते हैं जो आपको कालीघाट मंदिर तक ले जाएगा। यात्रा में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं, यह यातायात की स्थिति पर निर्भर करता है।

हवाई मार्ग से (By Flight) :

  • सबसे नजदीकी हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो कालीघाट मंदिर से लगभग 22 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से, आप टैक्सी, बस या मेट्रो लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

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11.कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी(Kamakhya Temple,Guwahati)

कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) , असम के नीलाचल पर्वत पर स्थित, देवी सती (Goddess Sati) को समर्पित एक प्राचीन और प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर तांत्रिक शक्ति और देवी के योनि रूप के लिए जाना जाता है। कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) का इतिहास अनेक किंवदंतियों से जुड़ा हुआ है। एक किंवदंती के अनुसार, जब भगवान शिव (Lord Shiva) ने सती के शव को उठाया था, तो सती का योनि भाग नीलाचल पर्वत पर गिर गया था। इसी स्थान पर कामाख्या मंदिर का निर्माण हुआ।

कैसे पहुंचे (How to Reach)

रेल मार्ग (By Train) :

  • कामाख्या रेलवे स्टेशन मंदिर से 7 किलोमीटर दूर है।
  • अगर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो यह सफर आपके लिए सुविधाजनक होगा और आप बिना किसी दुविधा के मंदिर पहुंचकर दर्शन कर सकते हैं 

सड़क मार्ग (By Road):

  • गुवाहाटी से मंदिर तक बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हवाई मार्ग (By Flight) :

  • लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मंदिर से 20 किलोमीटर दूर है।
  • गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचने के बाद आप बस या टैक्सी से मंदिर पहुंच सकते हैं। 

12.कालकाजी मंदिर, दिल्ली(Kalkaji Temple,Delhi)

कालकाजी मंदिर (Kalka Temple) , दिल्ली (Delhi) में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है जो देवी कालका (Goddess Kalka) को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और भव्यता के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर 2000 वर्ष से भी अधिक पुराना है। यहाँ स्थापित देवी कालका की मूर्ति को स्वयंभू माना जाता है। यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है: गर्भगृह, मंडप और शिखर। गर्भगृह में देवी कालका की मूर्ति स्थापित है। मंडप में भगवान शिव (Lord Shiva) , हनुमान (Lord Hanuman), गणेश और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। शिखर मंदिर का सबसे ऊँचा भाग है और यह सोने से मढ़ा हुआ है।

कालकाजी मंदिर (Kalkaji Temple) में हर साल लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं। मंदिर में नवरात्रि (Navratri) और चैत्र नवरात्रि के दौरान विशेष उत्सव मनाए जाते हैं।

कैसे पहुंचे (How to Reach)

सड़क मार्ग (By Road):

  • यदि आप दिल्ली में ही रहते हैं, तो आप बस या ऑटो रिक्शा द्वारा कालकाजी मंदिर पहुंच सकते हैं।
  • दिल्ली परिवहन निगम की कई बसें कालकाजी मंदिर के पास रुकती हैं।

रेल मार्ग (By Train) :

  • यदि आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं, तो आपको पहले नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा।
  • नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कालकाजी मंदिर की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है।
  • आप टैक्सी, ऑटो रिक्शा या बस द्वारा कालकाजी मंदिर पहुंच सकते हैं।

हवाई मार्ग (By Flight) :

  • यदि आप हवाई मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, तो आपको पहले इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचना होगा।
  • इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से कालकाजी मंदिर की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है।
  • आप टैक्सी, ऑटो रिक्शा या बस द्वारा कालकाजी मंदिर पहुंच सकते हैं।

Conclusion:

माता दुर्गा के सभी मंदिरों में भक्तों की अपार श्रद्धा और विश्वास है। भक्त माता दुर्गा से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। माता दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें कष्टों से मुक्ति प्रदान करती हैं। माता दुर्गा के प्रमुख मंदिरों से संबंधित या विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें , और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

FAQ’s

Q. मां दुर्गा के कितने नाम हैं?

Ans. मां दुर्गा के 108 नाम हैं, जिनमें शक्ति, दुर्गा, काली, भवानी, आदि शामिल हैं।

Q. मां दुर्गा का वाहन क्या है?

Ans. मां दुर्गा का वाहन शेर है।

Q. मां दुर्गा को कौन सी शक्ति प्रदान करती है?

Ans. मां दुर्गा को ‘त्रिदेवी’ की शक्ति प्राप्त है, जिसमें ‘सरस्वती’, ‘लक्ष्मी’ और ‘पार्वती’ शामिल हैं।

Q.  मां दुर्गा का मुख्य त्योहार कौन सा है?

Ans.  मां दुर्गा का मुख्य त्योहार ‘नवरात्रि’ है।

Q. मां दुर्गा का जन्म कैसे हुआ?

Ans. मां दुर्गा का जन्म ‘देवी शक्ति’ और ‘शिव’ के तेज से हुआ था।

Q. मां दुर्गा के नौ रूप कौन से हैं?

Ans. मां दुर्गा के नौ रूप ‘शैलपुत्री’, ‘ब्रह्मचारिणी’, ‘चंद्रघंटा’, ‘कुष्मांडा’, ‘स्कंदमाता’, ‘कात्यायनी’, ‘कालरात्रि’, ‘महागौरी’ और ‘सिद्धिदात्री’ हैं।