Home मासिक व्रत-त्योहार Trayodashi Vrat: क्या होता है त्रयोदशी? व्रत का महत्व, नियम, कथा? जाने

Trayodashi Vrat: क्या होता है त्रयोदशी? व्रत का महत्व, नियम, कथा? जाने

Pradosh Vrat Katha
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Trayodashi Vrat: क्या आप जानते हैं कि हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) किया जाता है? जी हां, यह एक ऐसा व्रत है जो भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) को समर्पित है। 

प्रदोष व्रत के दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम के समय भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करते हैं। इस व्रत को करने से भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, यह व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। 20 मई 2024 को सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष कहा जाता है और इसका विशेष महत्व होता है। तो क्या आप भी इस पवित्र व्रत को करने का मन बना रहे हैं? अगर हां, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। इस लेख में हम आपको प्रदोष व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें बताएंगे जैसे कि प्रदोष व्रत की विधि, नियम, महत्व और लाभ। साथ ही, हम आपको बताएंगे कि 20 मई 2024 के प्रदोष व्रत को कैसे किया जाए।

तो देर किस बात की, आइए जानते हैं प्रदोष व्रत के बारे में विस्तार से…

त्रयोदशी व्रतTable Of Content 

S.NO प्रश्न
1त्रयोदशी व्रत विधि इन हिंदी
2त्रयोदशी व्रत कब है
3क्या होता है त्रयोदशी व्रत
4त्रयोदशी व्रत का महत्व
5त्रयोदशी व्रत के नियम
6त्रयोदशी व्रत कथा
7त्रयोदशी व्रत कथा PDF
8त्रयोदशी व्रत विधि

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त्रयोदशी व्रत विधि इन हिंदी (Pradosh Vrat Vidhi in Hindi)

त्रयोदशी व्रत (Trayodashi vrat) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की विशेष पूजा की जाती है। व्रत की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान करने और साफ वस्त्र पहनने से होती है। फिर भगवान शिव के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लिया जाता है। दिनभर उपवास रखने के बाद प्रदोष काल में शिव मंदिर जाकर या घर पर ही शिवलिंग की पूजा की जाती है। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद आदि चढ़ाया जाता है और बेलपत्र अर्पित किये जाते हैं। पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट दूर करते हैं।

त्रयोदशी व्रत कब है (Trayodashi Vrat Kab Hai)

हमारे हिंदू पंचांग के अनुसार, 20 मई 2024 को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 03 बजकर 10 मिनट उपरांत त्रयोदशी तिथि शुरू हो रही है। यह तिथि सोम प्रदोष व्रत के लिए विशेष मानी जाती है, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना की जाती है।

क्या होता है त्रयोदशी व्रत (What is Trayodashi Vrat)

त्रयोदशी (Trayodashi) का व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और उनके परिवार की पूजा की जाती है। भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लेते हैं। दिन भर उपवास रखकर शाम को शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र और गंगाजल चढ़ाते हुए “नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हैं। इस व्रत को करने से पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है तथा अविवाहित लड़कियों को अच्छा वर मिलता है।

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त्रयोदशी व्रत का महत्व (Trayodashi Vrat Significance)

  • शिव-पार्वती की कृपा प्राप्ति: त्रयोदशी व्रत को मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। 
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: त्रयोदशी व्रत (Trayodashi vrat) रखने और शिव परिवार की विधिवत पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जिन लोगों को लंबे समय से अपने कार्यों में सफलता नहीं मिल रही, उन्हें इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। 
  • आध्यात्मिक उन्नति और पापों का नाश: प्रदोष काल में शिव आराधना करने से सभी पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करके अपने जीवन को कष्टों से मुक्त किया जा सकता है। प्रदोष व्रत का पालन करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और साधक के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

त्रयोदशी व्रत के नियम (trayodashi vrat niyam)

त्रयोदशी व्रत (Trayodashi vrat) के मुख्य नियम इस प्रकार हैं:

  • व्रत के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्नान के पानी में काले तिल डालें। स्वच्छ और अखंड वस्त्र धारण करें। पूरा दिन भगवान शिव का ध्यान और मंत्र जाप करते हुए बिताएं।
  • गंगाजल, दूध, बिल्वपत्र, धतूरा, शहद आदि से भगवान शिव का अभिषेक करें। शाम के प्रदोष मुहूर्त में पुनः स्नान कर शिव जी का पूजन करें।
  • पूरे दिन व्रत रखें और केवल फलाहार ग्रहण करें। नमक का सेवन न करें। धूप, दीप, अगरबत्ती से शिव जी की आरती करें और नैवेद्य चढ़ाएं।
  • तालाब या नदी किनारे जाकर मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। गरीबों को अन्न और वस्त्र का दान करें।
  • काले तिल मिला कच्चा दूध शिव जी पर चढ़ाएं और काले तिल का दान करें। यह पितृ दोष से मुक्ति, पितरों की शांति और धन-यश-कीर्ति प्राप्ति का सूत्र है।
  • दिनभर गुस्सा, विवाद और अपशब्दों से बचें। ब्रह्मचर्य का पालन करें। शिव मंत्रों का जाप करते रहें जैसे – ॐ नमः शिवाय, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे आदि।

इस प्रकार भक्ति और श्रद्धा के साथ त्रयोदशी व्रत के ये नियम पालन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इससे भक्तों के कष्ट दूर होते हैं, दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

त्रयोदशी व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha)

Pradosh Vrat Ki Katha: त्रयोदशी की कथा किंवदंतियों की एक अनूठी कड़ी है। एक ब्राह्मणी थी, जिसके पति का स्वर्गवास हो गया था। वह और उसका पुत्र दिनचर्या में भिक्षा मांगकर अपनी जीवन यात्रा को आगे बढ़ा रहे थे। एक दिन, ब्राह्मणी ने एक घायल राजकुमार को पाया, जो विदर्भ का था। उसके पिता को बंदी बनाकर उसके शत्रुओं ने उसका राज्य हड़प लिया था। ब्राह्मणी ने उसे अपने घर ले जाकर उसकी देखभाल की।

ब्राह्मणी प्रदोष व्रत की अनुष्ठान करती थीं। एक दिन, एक गंधर्व राजकुमारी, अंशुमति, ने राजकुमार को देखा और उससे प्रेम हो गया। अंशुमति के माता-पिता ने भी राजकुमार को पसंद किया और उन्होंने अपनी बेटी की शादी उससे कर दी। इसके बाद, राजकुमार ने गंधर्व सेना और ब्राह्मणी के आशीर्वाद की सहायता से अपने शत्रुओं को हराया और उसने अपना राज्य वापस प्राप्त कर लिया। राजकुमार ने ब्राह्मणी के पुत्र को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

त्रयोदशी व्रत की कथा भक्ति और अनुष्ठान की शक्ति को उजागर करती है। ब्राह्मणी की अडिग आस्था ने राजकुमार को उसके राज्य को वापस पाने में मदद की। इसी प्रकार, भगवान शिव अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं, जैसा कि उन्होंने राजकुमार और ब्राह्मणी पर की।

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त्रयोदशी व्रत कथा PDF (Trayodashi Vrat Katha PDF)

इस विशेष लेख के जरिए हम आपसे त्रयोदशी व्रत कथा (Trayodashi vrat katha) को पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ को डाउनलोड करके त्रयोदशी की व्रत कथा को पढ़ सकते हैं।

त्रयोदशी व्रत विधि (Trayodashi Vrat Vidhi)

त्रयोदशी व्रत (Trayodashi Vrat), जिसे प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है, का पालन करने की विधि निम्नलिखित है:

  • व्रत की तारीख का चयन: प्रदोष व्रत हिन्दू पंचांग के दोनों कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (13वें दिन) को मनाया जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से तीन घंटे पहले होता है।
  • व्रत रखें: प्रदोष व्रत के दिन भक्त पूरे दिन का उपवास रखते हैं, कुछ लोग केवल फल और दूध का सेवन करते हैं, जबकि कुछ पूर्ण उपवास रखते हैं।
  • पूजा की सामग्री इकट्ठा करें: पंचोपचार पूजा विधि में पांच वस्तुएं चाहिए – चंदन (चंदन की पेस्ट), फूल, बेलपत्र, नवदेव (नौ प्रकार के अनाज), और जल, भक्तों के पास रुद्राक्ष माला भी होनी चाहिए।
  • भगवान शिव की पूजा करें: भक्तों को भगवान शिव की पूजा शुरू करने के लिए उन्हें आह्वान करना चाहिए और पंचोपचार वस्तुओं का उपहार देना चाहिए, इसके बाद उन्हें भगवान शिव के मंत्र और स्तोत्र, जैसे कि महा मृत्युंजय मंत्र, का पाठ करना चाहिए।
  • भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें: पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने से माना जाता है कि भक्त के जीवन में शांति और समृद्धि आती है, महा मृत्युंजय मंत्र एक लोकप्रिय विकल्प है।
  • व्रत तोड़ें: पूजा के बाद, भक्त एक सादे भोजन से या पूजा के दौरान तैयार किए गए प्रसाद से अपना व्रत तोड़ सकते हैं।
  • भगवान शिव के मंदिर जाएं: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के मंदिर जाना भी शुभ माना जाता है।
  • इस व्रत का पालन करने से माना जाता है कि भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार की इच्छाएं पूरी होती हैं।

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Conclusion:

त्रयोदशी व्रत (Trayodashi Vrat) भगवान शिव (Lord Shiva) की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है। इस व्रत को रखने से न केवल  पापों का नाश होता है, बल्कि  सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। त्रयोदशी व्रत से संबंधित यह बेहद खास लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इसे अपने सभी प्रियजनों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य रोचक आर्टिकल्स को भी एक बार जरूर पढ़ें ऐसी और भी रोचक लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें ।

FAQ’s

Q. त्रयोदशी व्रत क्या होता है?

Ans. त्रयोदशी व्रत हिन्दू पंचांग के अनुसार मासिक रूप से शिव और उनके परिवार की आराधना के लिए किया जाता है।

Q. त्रयोदशी व्रत कब मनाया जाता है?

Ans. त्रयोदशी व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

Q. त्रयोदशी व्रत का महत्व क्या है?

Ans. त्रयोदशी व्रत का पालन करने से यह माना जाता है कि भक्त अपनी मुसीबतों से मुक्त हो सकते हैं और समृद्धि और सामंजस्य से भरी खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

Q. सबसे प्रसिद्ध त्रयोदशी व्रत कौन से हैं?

Ans. फाल्गुन त्रयोदशी (महाशिवरात्रि) और सावन शिवरात्रि त्रयोदशी व्रत के सबसे प्रसिद्ध रूप हैं।

Q. त्रयोदशी व्रत में भगवान शिव को क्या चढ़ाया जाता है?

Ans. त्रयोदशी व्रत में भगवान शिव को बिल्व पत्र, दूध, दही, शहद, घी, और गंगा जल चढ़ाया जाता है।

Q. भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र क्या है?

Ans. भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र “नमः शिवाय” है।