Home व्रत कथाएँ Sankashti Chaturthi Katha 2024: संकष्टी चतुर्थी कब क्यों मनाई जाती है? जानें...

Sankashti Chaturthi Katha 2024: संकष्टी चतुर्थी कब क्यों मनाई जाती है? जानें इतिहास व्रत और कथा

Sankashti Chaturthi Katha
Join Telegram Channel Join Now

Sankashti Chaturthi Kab Hain : संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) – एक पावन व्रत जो भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। यह व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत की एक मनमोहक पौराणिक कथा भी है जो इस व्रत के महत्व को और अधिक बढ़ा देती है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान गणेश अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं और उनके जीवन में खुशियों की बहार ले आते हैं।

इस लेख में हम आपको संकष्टी चतुर्थी व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें बताएंगे जैसे कि इस व्रत का महत्व, पौराणिक कथा, पूजा विधि, व्रत के नियम और लाभ आदि। साथ ही हम आपको इस बार 2024 में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी की तिथियों के बारे में भी बताएंगे ताकि आप समय रहते इस पावन व्रत की तैयारी कर सकें।

तो चलिए, शुरू करते हैं इस पावन व्रत की यात्रा और जानते हैं कि कैसे आप भी इस व्रत को करके अपने जीवन में सुख-समृद्धि और भगवान गणेश का आशीर्वाद पा सकते हैं…

संकष्टी चतुर्थीTable Of Content 

S.NOप्रश्न
1क्या है संकष्टी चतुर्थी?
2कब है संकष्टी चतुर्थी?
3संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
4संकष्टी चतुर्थी का इतिहास
5संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

क्या है संकष्टी चतुर्थी? (Kya Hai Sankashti Chaturthi?)

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे बुद्धि, समृद्धि, और शुभ किस्मत के देवता, भगवान गणेश की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार चंद्रमा के उभय अवस्थाओं के चतुर्थी दिन मनाया जाता है, जिसमें कृष्ण पक्ष की चतुर्थी अधिक महत्वपूर्ण होती है। इस व्रत का पालन करने से मान्यता है कि व्यक्ति की कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिलती है। उपवास के दौरान भक्त गणेशजी की पूजा, आरती, और स्तोत्र पाठ करते हैं।

कब है संकष्टी चतुर्थी? (Sankashti Chaturthi Kab Hai)

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi), जिसे भगवान गणेश (Lord Ganesh) के समर्पित किया जाता है, 2024 के ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाई जाती है। विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार, यह तिथि 26 मई को पड़ रही है, इस दिन, व्रत का पालन करने और भगवान गणेश की पूजा करने से मान्यता है कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और राहु के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।

संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? (Kyun Manai Jati hai Sankashti Chaturthi)

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें भगवान गणेश की पूजा की जाती है। प्रत्येक हिंदू कैलेंडर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) की आराधना करने से भक्तों के जीवन से विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन माता पार्वती द्वारा एक मिट्टी के बालक को जीवित करने और उसे भगवान गणेश (Lord Ganesh) का रूप देने की घटना हुई थी। भक्त पूरे श्रद्धा-भाव से संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखकर सुख, समृद्धि और कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी का इतिहास (Sankashti Chaturthi History)

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत रखने और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को लाल वस्त्र पर स्थापित करके पूजन करते हैं। पूजा में मोदक, लड्डू, फल आदि अर्पित किए जाते हैं। संकष्टी शब्द का अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाना। इसलिए इस दिन भगवान गणेश की कृपा से जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिलने की मान्यता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और उनकी विधिवत पूजा करने से हर तरह के अमंगल और विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

Also Read: Ganesh Aarti: ॐ जय गौरी नंदन – गणेश आरती

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Sankashti Chaturthi Vrat Katha)

संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat), चांद के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी दिन का हिन्दू धार्मिक अनुष्ठान है, जिसका हिन्दू धर्मग्रंथों में विशेष महत्व है। इस व्रत का पालन करने से कहा जाता है कि परिवार पर आने वाली विपत्तियों से बचाव होता है और समृद्धि आती है। 

यह व्रत हर महीने मनाया जाता है, और तिथियाँ चांद्र मासिक पंचांग पर निर्भर करती हैं। पुरानिक गणेश कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब कई देवताओं को विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने भगवान शिव से मदद मांगी। भगवान शिव (Lord Shiva) ने कार्तिकेय और गणेश से पूछा कि कौन देवताओं की कठिनाइयों को दूर कर सकता है। दोनों ने दावा किया कि वे इसे कर सकते हैं। गणेश ने अपने माता-पिता, भगवान शिव और पार्वती, के चारों ओर सात बार घूमकर पृथ्वी का परिक्रमा करने का काम समाप्त कर दिया। गणेश ने कहा कि उनके माता-पिता सभी लोकों का प्रतीक हैं, और उनके चारों ओर घूमना पृथ्वी के परिक्रमा के समान है। गणेश की बुद्धि से प्रभावित होकर, भगवान शिव ने उन्हें देवताओं की कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति प्रदान की। तब से माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने और उन्हें रात में चांद्र देव का दर्शन करने के बाद अर्घ्य देने से व्यक्ति की भौतिक, दैविक और भौतिक पीड़ायें दूर हो जाती हैं।

इस प्रकार, संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) हिन्दू अनुष्ठान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे विपत्तियों को दूर करने और समृद्धि लाने के लिए मनाया जाता है। व्रत की उत्पत्ति पुरानिक गणेश कथा में है, जहां भगवान गणेश (Lord Ganesh) की बुद्धि और उनके माता-पिता के प्रति भक्ति ने उन्हें कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति दिलाई। व्रत का पालन करके, भक्त मानते हैं कि वे अपनी पीड़ा को दूर कर सकते हैं और खुशी, यश और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

Conclusion:

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) भगवान गणेश (Lord Ganesh) की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का पावन अवसर है। इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से, भक्तों को सुख-समृद्धि, विघ्नों से मुक्ति, और बुद्धि प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेखक अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इस लेख को अपने सभी प्रिय जनों के साथ साझा करें, ऐसे ही और भी पावन त्योहार और व्रत से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s

Q. संकष्टी चतुर्थी क्या है?

Ans. संकष्टी चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो विघ्नहर्ता भगवान गणेश के समर्पित होता है। इस दिन विशेष प्रार्थनाएं और अनुष्ठान भगवान गणेश को समर्पित की जाती हैं, जिससे कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

Q. संकष्टी चतुर्थी कब मनाई जाती है?

Ans. संकष्टी चतुर्थी हर हिन्दू कैलेंडर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है। यह त्योहार पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी के रूप में जाना जाता है।

Q. भगवान गणेश कौन हैं?

Ans. भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के देवता हैं। उनका हाथी का सिर बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है, जबकि उनके बड़े कान सुनने की क्षमता को दर्शाते हैं।

Q. भगवान गणेश क्यों पूजा के अग्रणी देवता माने जाते हैं?

Ans. भगवान गणेश को शुभारंभ के देवता के रूप में माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि उनकी पूजा से हर बाधा दूर होती है और सफलता मिलती है।

Q. संकष्टी चतुर्थी का महत्व क्या है?

Ans. संकष्टी चतुर्थी का महत्व भगवान गणेश की आराधना में है, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि और ज्ञान के देवता माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा द्वारा भगवान गणेश से बाधाओं के निवारण और सफलता की प्रार्थना की जाती है।

Q. संकष्टी चतुर्थी का आचरण कैसे किया जाता है?

Ans. संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्तगण एक कठोर व्रत रखते हैं, जो केवल चंद्रमा के दर्शन और गणेश पूजा करने के बाद ही तोड़ा जाता है। पूजा में आरती, दीप जलाने और मिठाई, मोदक समेत अन्य प्रसाद भगवान गणेश को चढ़ाए जाते हैं।