Home मासिक व्रत-त्योहार Nirjala Ekadashi 2024: क्या होती निर्जला एकादशी, जिसका व्रत करने से मिट...

Nirjala Ekadashi 2024: क्या होती निर्जला एकादशी, जिसका व्रत करने से मिट जाते है सारे पाप, जाने इसका इतिहास, महत्व

Nirjala Ekadashi 2024
Join Telegram Channel Join Now

Nirjala Ekadashi: हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। इन्हीं पवित्र पर्वों में से एक है निर्जला एकादशी। यह व्रत ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है।

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का अर्थ है ‘बिना जल के एकादशी’। इस दिन व्रत रखने वाले भक्त पूरे दिन एक बूंद पानी का भी सेवन नहीं करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) सिर्फ एक व्रत ही नहीं है, बल्कि यह एक उत्सव भी है। इस दिन मंदिरों में भगवान विष्णु की मूर्तियों को विशेष श्रृंगार किया जाता है और भक्तों द्वारा भजन-कीर्तन किया जाता है। कई स्थानों पर इस अवसर पर मेले भी लगते हैं जहां लोग एकत्रित होकर भगवान की आराधना करते हैं। तो आइए, इस निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) पर हम सभी मिलकर भगवान विष्णु की आराधना करें और अपने जीवन को पवित्र बनाएं। आइए, इस पावन पर्व को भक्ति और उत्साह के साथ मनाएं और अपने आध्यात्मिक विकास की ओर एक कदम बढ़ाएं।

यह निर्जला एकादशी का एक संक्षिप्त परिचय था। आगे के लेख में हम इस पर्व के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे – इसका महत्व, पूजा विधि, व्रत के नियम और इससे जुड़ी कथाएं। तो पूरा लेख जरूर पढ़ें और निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें…!!

निर्जला एकादशी Table Of Content 

S.NOप्रश्न 
1निर्जला एकादशी कब है?
2निर्जला एकादशी क्या है?
3निर्जला एकादशी का महत्व
4निर्जला एकादशी के फायदे
5निर्जला एकादशी व्रत नियम 
6निर्जला एकादशी व्रत कथा
7निर्जला एकादशी व्रत कथा पीडीएफ
8निर्जला एकादशी पारण समय

निर्जला एकादशी कब है? (Nirjala Ekadashi kab hai?)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi), जिसे भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) भी कहा जाता है, हिन्दू पंचांग के अनुसार 2024 में 18 जून को मनाया जाएगा।  इस दिन भक्त निर्जल उपवास रखते हैं और इसका पालन करने से माना जाता है कि सभी पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है।

1.निर्जला एकादशी के उपाय
2.निर्जला एकादशी पूजा विधि
3.निर्जला एकादशी व्रत के प्रमुख नियम
4.रोहिणी व्रत के दिन जरूर करें यह बेहद खास उपाय

निर्जला एकादशी क्या है? (What is Nirjala Ekadashi)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) एक बहुत ही विशेष दिन है, इस व्रत को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। “निर्जला” का अर्थ होता है “बिना पानी के”, और इस दिवस के व्रत में किसी भी प्रकार के भोजन या पानी का सेवन नहीं किया जाता है, इसे भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, महाभारत के पांडव भीम के नाम पर। इस व्रत का पालन करने से मान्यता है कि पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत के दौरान भगवान विष्णु की उपासना की जाती है, और दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं, यह व्रत सभी 24 एकादशी व्रतों में सबसे शुभ माना जाता है।

निर्जला एकादशी का महत्व (Nirjala Ekadashi Significance

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जिसका विशेष महत्व माना जाता है। इस एकादशी के बारे में तीन मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  • आध्यात्मिक महत्व: निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत करने से भक्तों को अत्यधिक आध्यात्मिक लाभ मिलता है। माना जाता है कि इस व्रत के द्वारा सभी पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत करने से एक वर्ष में होने वाली सभी 24 एकादशियों का फल मिलता है।
  • कठिन व्रत: निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत सभी एकादशी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है। इस दिन भक्त पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए उपवास रखते हैं। गर्मी के मौसम में पानी के बिना व्रत रखना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होता है। यह व्रत भक्तों की धार्मिक निष्ठा और आत्म-संयम का परीक्षण करता है।
  • दान-पुण्य का दिन: निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, छाता, जल से भरे घड़े आदि दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। दान करने से सुख-समृद्धि और भाग्योदय होता है।

निर्जला एकादशी के फायदे (Nirjala Ekadashi Benefits)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi), हिन्दू धर्म में एक उच्चाधिकारी और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे भोजन और जल के बिना मनाया जाता है। इसे पालन करने से माना जाता है कि आत्मा की मुक्ति, पापों की क्षमा, और धार्मिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।यद्यपि, यह व्रत शरीर के लिए कठिन हो सकता है और उच्च रक्तचाप या मधुमेह जैसी स्थितियों वाले व्यक्तियों को इसे नहीं पालना चाहिए।

निर्जला एकादशी व्रत नियम (Nirjala Ekadashi Fasting Rules)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत के नियम और महत्व:

  • निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत सभी एकादशी व्रतों में सबसे कठिन और महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • इस व्रत में भक्त पूरे दिन बिना पानी और भोजन के उपवास रखते हैं। इसलिए इसे “निर्जला” एकादशी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “बिना पानी के”।
  • भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, मंदिर की सफाई करनी चाहिए और भगवान विष्णु व लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। उनकी मूर्तियों को पीले कपड़े पर रखकर गंगाजल से अभिषेक करें और पीले फूल, फल व मिठाई अर्पित करें।
  • व्रत के दौरान विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ करना चाहिए। भगवान विष्णु के मंत्र “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” का 108 बार जाप करें और हरे कृष्ण महामंत्र का भी जाप करें।
  • पूरे दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ उपवास रखें। यह माना जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से आर्थिक कठिनाइयाँ दूर होती हैं और लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
  • व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद दान देकर किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी एकादशी व्रतों का फल मिलता है।

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत करना बहुत पुण्यदायी और फलदायी माना जाता है। भक्ति और विश्वास के साथ इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा क्या है? (What is the Vrat katha of Nirjala Ekadashi)

निर्जला एकादशी की व्रत कथा इस प्रकार है:

भीमसेन, पांडवों में से एक, बहुत भोजन करने वाले थे। वे कठिन तप और व्रत का पालन करने में असमर्थ थे, विशेष रूप से एकादशी के व्रत में। भीम ने अपने भाइयों और माता कुंती को एकादशी व्रत करते देखा, लेकिन स्वयं को यह कठिन कार्य नहीं कर सका। भीम को इस बारे में बहुत दुःख था कि वह भगवान विष्णु का उचित सम्मान नहीं कर पा रहे थे।

एक दिन भीम ने महर्षि व्यास से अपनी समस्या बताई। महर्षि व्यास ने भीम को एक उपाय सुझाया। उन्होंने बताया कि यदि भीम निर्जला एकादशी का व्रत रखेंगे, तो उन्हें सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होगा। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है, जिसमें बिना जल के पूरे दिन उपवास करना होता है। यह व्रत कठिन है, लेकिन इसका फल बहुत अधिक है। महर्षि व्यास की सलाह पर भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लिया। उन्होंने बिना जल और भोजन के पूरे दिन उपवास रखा। भीम के इस कठोर व्रत से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इस व्रत के प्रभाव से भीम को सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हुआ।

इस प्रकार, निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत अत्यधिक महत्व रखता है और इसे रखने वाले को सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत की कठिनाई के बावजूद, इसकी महिमा और पुण्य अत्यधिक होते हैं, इसलिए इसे ‘भीमसेनी एकादशी’ भी कहा जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा पीडीएफ (Nirjala Ekadashi vrat katha PDF)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) की पावन व्रत कथा से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप गंगा दशहरा की व्रत कथा को आप सरलता पूर्वक पढ़ सकते हैं।

निर्जला एकादशी पारण समय (Nirjala Ekadashi parana time)

जो भक्त 18 जून को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत रखेंगे, वे 19 जून को इसका पारण करके व्रत को पूर्ण करेंगे। इस विशेष दिन पर व्रत का पारण सुबह 5:24 बजे से 7:28 बजे के बीच करना होगा, क्योंकि 7:28 बजे के बाद द्वादशी तिथि समाप्त हो जाएगी। इसलिए, सुबह के इन पवित्र क्षणों में व्रत का पारण करना आवश्यक है। इस प्रकार, एकादशी व्रत का पालन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है, और इसके नियमों का पालन करके वे ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

Conclusion:

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) आत्मबल और संयम की परीक्षा है। यह व्रत शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।  यदि आप पुण्य प्राप्त करना चाहते हैं और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य रखें। निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के पावन त्यौहार से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर भी रोजाना विजिट करें।

FAQ’s

Q. निर्जला एकादशी क्या है? 

Ans. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन पूरे दिन उपवास रखा जाता है और एक बूंद पानी भी ग्रहण नहीं किया जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है।

Q. निर्जला एकादशी का महत्व क्या है? 

Ans. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत करने से साल भर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Q. निर्जला एकादशी कब मनाई जाती है? 

Ans. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। साल 2024 में यह 18 जून को शुरू होगी और 19 जून को समाप्त होगी।

Q. निर्जला एकादशी व्रत के क्या नियम हैं? 

Ans. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। पूरे दिन एक बूंद पानी भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। भगवान विष्णु, लक्ष्मी और तुलसी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रत कथा का पाठ करना चाहिए और दान-पुण्य करना चाहिए।

Q. निर्जला एकादशी पर क्या दान करना चाहिए? 

Ans. इस दिन गोदान, वस्त्रदान, छत्रदान, फलदान आदि करना चाहिए। जल से भरा कलश दान करके प्यासों को पानी पिलाना चाहिए। पक्षियों के लिए पानी और दाना छत पर रखना चाहिए।

Q. निर्जला एकादशी व्रत किसे करना चाहिए? 

Ans. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत स्त्री-पुरुष सभी को करना चाहिए। इस व्रत से शरीर को नई ऊर्जा मिलती है और यह संयम सिखाता है।