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Nirjala Ekadashi Vrat Katha: निर्जला एकादशी व्रत से पूर्ण होगी आपकी सभी मनोकामनाएं, जानिए क्या है इसकी पौराणिक कथा

Nirjala Ekadashi Vrat Katha 2024
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Nirjala Ekadashi Vrat Katha: निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi)- वह पवित्र दिन जब भक्ति और आस्था की ज्योत जगमगाती है। यह वह दिन है जब हम अपने आध्यात्मिक मार्ग पर एक कदम आगे बढ़ते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। 

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत वर्ष की सभी एकादशियों में सबसे कठिन और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त पूरे दिन बिना पानी के उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की आराधना में लीन रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस व्रत के पीछे क्या कथा और इतिहास छिपा हुआ है? क्या आप जानते हैं कि इस व्रत को करने से क्या लाभ मिलते हैं और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है? आइए, इस लेख के माध्यम से हम निर्जला एकादशी के रहस्यों को उजागर करते हैं और जानते हैं कि यह व्रत हमारी आध्यात्मिक यात्रा में कैसे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। तो तैयार हो जाइए एक रोमांचक और ज्ञानवर्धक यात्रा के लिए, जहां हम मिलकर खोजेंगे निर्जला एकादशी के अनसुलझे रहस्यों को और जानेंगे इसके पीछे छिपी प्रेरणादायक कथाओं को। 

तो पढ़ते रहिए हमारे इस विशेष लेख को अंत तक…!!

निर्जला एकादशी व्रत कथाTable Of Content 

S.NOप्रश्न 
1क्या है निर्जला एकादशी व्रत?
2कब है निर्जला एकादशी व्रत?
3निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
4निर्जला एकादशी व्रत क्यों मनाई जाती है?
5निर्जला एकादशी व्रत का इतिहास
6निर्जला एकादशी व्रत कथा
7निर्जला एकादशी व्रत कथा पीडीएफ

क्या है निर्जला एकादशी व्रत? (Kya hai Nirjala Ekadashi Vrat?)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi), जिसे भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है, सभी एकादशीयों में सबसे महत्वपूर्ण और कठिन माना जाता है। इसे बिना पानी के उपवास करके मनाया जाता है, जिससे यह सभी एकादशीयों का सबसे कठिन होता है। निर्जला एकादशी का व्रत धारण करने से विष्णु पुराण (Vishnu Puran) में उल्लेखित सभी एकादशीयों के धारण करने के बराबर फल प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के घर से दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मी देवी की कृपा प्राप्त होती है, इस व्रत के धारण से भीम, पांडवों में से एक, को मुक्ति और दीर्घायु प्राप्त हुई थी।

कब है निर्जला एकादशी व्रत? (Kab Hai Nirjala Ekadashi Vrat)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi), जिसे भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) भी कहा जाता है, हिन्दू पंचांग के अनुसार 2024 में 18 जून को मनाया जाएगा।  इस दिन भक्त निर्जल उपवास रखते हैं और इसका पालन करने से माना जाता है कि सभी पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व (Nirjala Ekadashi Vrat Significance)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है जिसका विशेष महत्व इस प्रकार है:

  • आध्यात्मिक लाभ: निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत करने से साल भर की सभी एकादशियों का फल मिलता है। हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। ऋषि व्यास ने भीम को सलाह दी थी कि वे निर्जला एकादशी का व्रत करें जिससे उन्हें सभी एकादशियों का लाभ मिल जाएगा।
  • शरीर व मन की शुद्धि: निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के दिन बिना पानी के उपवास रखने से शरीर व मन की शुद्धि होती है। यह व्रत शांति, समृद्धि और खुशहाली लाता है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उनका ध्यान किया जाता है जिससे साधक को भगवान के करीब जाने का अवसर मिलता है।

निर्जला एकादशी व्रत क्यों मनाई जाती है? (Why Do we Celebrate Nirjala Ekadashi Vrat)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi), हिन्दू धर्म का एक उच्चतम व्रत है, जिसे ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाया जाता है। इसे ‘निर्जला’ कहते हैं क्योंकि इस व्रत को जल के बिना पालन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है, जिन्हें हिन्दू धर्म में पालनहार माना जाता है। यह व्रत पांडव पुत्र भीम द्वारा शुरू किया गया था, जिन्हें भोजन के बिना व्रत रखने में कठिनाई होती थी। निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का पालन करने से मान्यता है कि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जन्म-मरण के चक्र से मोक्ष मिलता है।

निर्जला एकादशी व्रत का इतिहास (Nirjala Ekadashi  Vrat History)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होती है और इसे बिना जल ग्रहण किए व्रत रखने के लिए जाना जाता है। इस एकादशी के व्रत को रखने से अन्य सभी एकादशियों के व्रतों का पुण्य फल प्राप्त होता है। इसके पीछे की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है।

कथा के अनुसार, पांडवों में से भीमसेन (Bhimsen) को भोजन का बहुत शौक था और वह कभी भूखे नहीं रह सकते थे। उनकी माता कुंती, भाई युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव और पत्नी द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत रखते थे, परंतु भीमसेन को भूख के कारण यह संभव नहीं था। उन्होंने इस बारे में ऋषि वेदव्यास से पूछा कि क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे वे सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त कर सकें। ऋषि वेदव्यास ने भीमसेन को बताया कि यदि वे ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निराहार और निर्जल रहकर व्रत करें, तो उन्हें सभी एकादशियों के व्रत का पुण्य फल प्राप्त हो सकता है। इस व्रत को निर्जला एकादशी कहा जाता है क्योंकि इसमें जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। भीमसेन ने इस व्रत को करने का निश्चय किया। उन्होंने व्रत के दिन जल, भोजन, और फल तक नहीं ग्रहण किया। व्रत की रात को भीमसेन को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा, परंतु उन्होंने भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत पूरा किया। अगले दिन, द्वादशी के दिन, उन्होंने व्रत का पारण किया। भीमसेन के इस कठिन तप और व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें सभी एकादशियों के व्रत का पुण्य प्रदान किया।

इस व्रत की धार्मिक महत्ता को देखते हुए, इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पालन करना चाहिए, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो सके।

1.निर्जला एकादशी के उपाय
2.निर्जला एकादशी पूजा विधि
3.निर्जला एकादशी व्रत के प्रमुख नियम
4.रोहिणी व्रत के दिन जरूर करें यह बेहद खास उपाय

निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat katha)

भीमसेन, पांडवों में से एक, बहुत भोजन करने वाले थे। वे कठिन तप और व्रत का पालन करने में असमर्थ थे, विशेष रूप से एकादशी के व्रत में। भीम ने अपने भाइयों और माता कुंती को एकादशी व्रत करते देखा, लेकिन स्वयं को यह कठिन कार्य नहीं कर सका। भीम को इस बारे में बहुत दुःख था कि वह भगवान विष्णु का उचित सम्मान नहीं कर पा रहे थे।

एक दिन भीम ने महर्षि व्यास से अपनी समस्या बताई। महर्षि व्यास ने भीम को एक उपाय सुझाया। उन्होंने बताया कि यदि भीम निर्जला एकादशी का व्रत रखेंगे, तो उन्हें सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होगा। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है, जिसमें बिना जल के पूरे दिन उपवास करना होता है। यह व्रत कठिन है, लेकिन इसका फल बहुत अधिक है। महर्षि व्यास की सलाह पर भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लिया। उन्होंने बिना जल और भोजन के पूरे दिन उपवास रखा। भीम के इस कठोर व्रत से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इस व्रत के प्रभाव से भीम को सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हुआ।

इस प्रकार, निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत अत्यधिक महत्व रखता है और इसे रखने वाले को सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत की कठिनाई के बावजूद, इसकी महिमा और पुण्य अत्यधिक होते हैं, इसलिए इसे ‘भीमसेनी एकादशी’ भी कहा जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा पीडीएफ (Nirjala Ekadashi Vrat Katha PDF)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) की पावन व्रत कथा से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप गंगा दशहरा की व्रत कथा को आप सरलता पूर्वक पढ़ सकते हैं।

Conclusion:

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत एक कठिन व्रत है, लेकिन इसके फल अत्यंत लाभकारी होते हैं। यदि आप इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं, तो आपको निश्चित रूप से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होगा। निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के पावन त्यौहार से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर भी रोजाना विजिट करें।

FAQ’s

Q. निर्जला एकादशी क्या है? 

Ans. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) साल की 24 एकादशियों में से सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्त एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगली द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक पूरी तरह उपवास रखते हैं और पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं।

Q. निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व क्या है? 

Ans. मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से मृत्यु के बाद आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियाँ मिलती हैं। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है।

Q. निर्जला एकादशी का व्रत कैसे किया जाता है? 

Ans. इस व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक 24 घंटे तक जल और भोजन का पूरी तरह त्याग किया जाता है। जो पूरा उपवास नहीं कर सकते, वे फल, दूध आदि का सेवन कर सकते हैं।

Q. निर्जला एकादशी कब मनाई जाती है? 

Ans. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह आमतौर पर मई या जून महीने में पड़ती है। 2024 में यह 18 जून को मनाई जाएगी।

Q.निर्जला एकादशी की तैयारी कैसे की जाती है? 

Ans. भक्त एकादशी से एक दिन पहले दशमी तिथि से ही आंशिक उपवास रखना शुरू कर देते हैं। वे सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान विष्णु को प्रार्थना करते हैं।

Q. निर्जला एकादशी का व्रत किन्हें नहीं करना चाहिए? 

Ans. गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को निर्जला एकादशी का व्रत नहीं करना चाहिए। वे आंशिक उपवास कर सकते हैं या किसी आध्यात्मिक गुरु या चिकित्सक से मार्गदर्शन ले सकते हैं।