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Budh Pradosh Vrat: क्या आप जानते हैं की क्या है बुध प्रदोष व्रत की कथा और इसके नियम ?

Budh Pradosh Vrat
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Budh Pradosh Vrat: प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने विभिन्न व्रतों और पूजा विधियों का वर्णन किया है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण व्रत है – बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat)। यह व्रत हर महीने में दो बार आता है जब प्रदोष तिथि बुधवार के दिन पड़ती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की विशेष कृपा बरसती है।

क्या आप भी अपनी मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं? क्या आपके जीवन में कोई ऐसी इच्छा है जो अभी तक अधूरी है? फिर चाहे वह विवाह हो, संतान प्राप्ति हो या फिर करियर की सफलता। बुध प्रदोष व्रत आपको इन सभी इच्छाओं को साकार करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है। इस व्रत की सबसे खास बात यह है कि इसमें भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की पूजा एक साथ की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शिव-पार्वती को आदर्श दाम्पत्य जीवन का प्रतीक माना जाता है। उनकी कृपा से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इतना ही नहीं, बुध ग्रह को बुद्धि और ज्ञान का कारक माना जाता है। अतः इस दिन बुध ग्रह की पूजा करने से मन की शांति और एकाग्रता बढ़ती है। नौकरी-व्यवसाय में सफलता मिलती है। छात्रों को पढ़ाई में मन लगता है।

तो फिर देर किस बात की? आइए जानते हैं कि बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) किस प्रकार किया जाता है और इसकी पूजा विधि क्या है। साथ ही यह भी जानेंगे कि इस व्रत को करने से क्या-क्या लाभ मिलते हैं। पढ़िए यह रोचक और ज्ञानवर्धक लेख अंत तक…

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Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1बुध प्रदोष व्रत कब है
2बुध प्रदोष व्रत क्या है
3बुध प्रदोष व्रत का महत्व
4बुध प्रदोष व्रत के फायदे
5बुध प्रदोष व्रत नियम
6बुध प्रदोष व्रत कथा 
7बुध प्रदोष व्रत कथा पीडीएफ
8बुध प्रदोष व्रत पारण समय

बुध प्रदोष व्रत कब है (Budh Pradosh Vrat kab Hai)

जून 2024 में बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) का आयोजन शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी, यानी 19 जून, को होगा। व्रत का पालन करने वाले भक्त 19 जून को सुबह 7:28 बजे से व्रत आरंभ करेंगे और 20 जून को सुबह 7:49 बजे व्रत समाप्त होगा। इस दिन शिव जी की उपासना की जाती है।

19 जूनसुबह 7:28 बजे
20 जून सुबह 7:49 बजे

बुध प्रदोष व्रत क्या है (What is  Budh Pradosh Vrat)

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो हर महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जब यह बुधवार के दिन पड़ता है। यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) को समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान के स्वास्थ्य और बुद्धि में वृद्धि होती है। व्रत के दौरान, भक्त प्रदोष काल में स्नान करके भगवान शिव और गणेश की पूजा करते हैं, घी के दीपक, फूल और अन्य सामग्री अर्पित करते हैं। शिव चालीसा और शिवलिंग पूजा भी की जाती है। भक्त भगवान शिव को सफेद चावल का खीर भी अर्पित करते हैं। 

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बुध प्रदोष व्रत का महत्व (Budh Pradosh Vrat Significance)

  • सफलता, समृद्धि, और खुशहाली का मार्ग प्रशस्त करना: बुध प्रदोष व्रत करने से माना जाता है कि भक्तों को बुध ग्रह और भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्त होती है, जो सफलता, समृद्धि, और खुशहाली लाती है। इस व्रत के द्वारा, एक व्यक्ति अपने करियर या व्यापार में सफल हो सकता है, सभी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है, और अपने परिवार के साथ एक खुशहाल जीवन जी सकता है।
  • बुध ग्रह की कृपा प्राप्त करना: बुध, सभी ग्रहों में सबसे बुद्धिमान होने के लिए जाना जाता है, इस दिन पूजा जाता है। इसलिए, भक्तों को इस व्रत के दौरान हरे वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है या उनके साथ कुछ हरा रखने की सलाह दी जाती है। बुध की बुद्धिमत्ता, बुद्धि, और अनुशासन के लिए जाना जाता है, और बुध प्रदोष व्रत का पालन करके, एक व्यक्ति बुध की कृपा के लिए प्रार्थना कर सकता है, जो तीक्ष्ण बुद्धि, अच्छा निर्णय, और अपने प्रयासों में सफलता लाता है।
  • पापों का नाश और मोक्ष प्राप्त करना: बुद्ध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) का पालन करने और बुद्ध प्रदोष व्रत कथा की सुनने से माना जाता है कि सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह एक शुभ दिन है जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है, और बुधवार को व्रत करना बहुत शुभ माना जाता है।

बुध प्रदोष व्रत के फायदे (Budh Pradosh Vrat Benefits)

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat), जो हिन्दू कैलेंडर के एक महीने में दोनों पक्षों के तेरहवें दिन (त्रयोदशी), विशेषकर बुधवार को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित होता है और इसका पालन करने से माना जाता है कि भगवान बुध (बुधवार) और गणेश की कृपा प्राप्त होती है। इसके पालन से भक्तों को व्यापार या करियर में सफलता, इच्छाओं की पूर्ति, और परिवार में खुशहाली मिलती है। इस व्रत का पालन करने से बुध ग्रह की शांति होती है, जो बुद्धिमत्ता और ज्ञान के लिए जाने जाते हैं। इसके साथ ही यह व्रत व्यावसायिक जीवन में बेहतर अवसर और सफलता के लिए भगवान बुध के आशीर्वाद को आकर्षित करता है।

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बुध प्रदोष व्रत नियम (Budh Pradosh Vrat Fasting Rules)

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) एक विशेष उपवास और पूजा है जो हिन्दू धर्म में प्रत्येक चंद्रमा के पक्ष के त्रयोदशी दिन रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना के लिए किया जाता है, और यह माना जाता है कि इससे समृद्धि, संतान, और मोक्ष प्राप्त होता है। यहां बुध प्रदोष व्रत रखने के सात नियम और उनकी विस्तृत जानकारी दी गई है:

  • संकल्प: पूर्ण समर्पण और ईमानदारी के साथ व्रत रखने का संकल्प लें। भगवान शिव से उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन की प्रार्थना करें।
  • स्नान: सुबह और शाम में स्नान करें, विशेष रूप से नदी या पवित्र तालाब में। यदि यह संभव नहीं हो, तो गंगा जल से स्नान करना चाहिए।
  • ध्यान: भगवान शिव पर ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें। महा मृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का एक शक्तिशाली मंत्र है, जिसे आध्यात्मिक विकास और मोक्ष के लिए जपा जा सकता है।
  • व्रत: पूरे दिन का कठोर उपवास रखें। यदि यह संभव नहीं हो, तो एक फल, दूध, और अन्य हल्के भोजन का सेवन किया जा सकता है। हालांकि, व्रत के दौरान नमक और अनाज से बचने की सिफारिश की गई है।
  • पूजा: भगवान शिव की पूजा करें, फूल, अगरबत्ती, और अन्य प्रस्तावित सामग्री के साथ। उन्हें बिल्व पत्र पेश करें, जिसे भगवान शिव के लिए पवित्र माना जाता है। एक दीपक जलाएं और प्रार्थना करें।
  • मंत्र जाप: भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे कि महा मृत्युंजय मंत्र, ओम नमः शिवाय, और अन्य। मंत्रों का जाप करने से सकारात्मक वाइब्रेशन पैदा होती है और यह मन और परिवेश को शुद्ध करने में मदद करती है।
  • व्रत तोड़ना: भगवान शिव की पूजा करने के बाद शाम में उपवास तोड़ें। उपवास तोड़ने के लिए हल्के भोजन, जैसे कि फल, दूध, या एक साधारण भोजन की सिफारिश की गई है।

बुध प्रदोष व्रत कथा (Budh Pradosh Vrat Vrat katha)

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) की कथा कुछ इस प्रकार है- 

इस कथा के अनुसार किसी गांव में एक युवक की नई-नई शादी हुई थी। विवाह के केवल दो दिन बाद ही पत्नी अपने मायके चली गई और कुछ दिनों के बाद जब उसका पति उसे मायके लेने गया तो मायके वालों ने अपने दामाद से कहा कि आप आज यहीं पर ठहर जाइए क्योंकि आज बुधवार है और बुधवार के दिन लड़की को अपने मायके से ससुराल नहीं जाना चाहिए, लेकिन युवक ने अपने मायके वालों की एक न मानी और अपनी पत्नी को लेकर निकल गया। रास्ते में पत्नी को प्यास लगी तो पति लोटा लेकर पानी की तलाश में निकल गया, जब महिला का पति पानी लेकर आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी दूसरे पुरुष के साथ खूब हंस-खेल रही थी और पानी भी पी रही थी। युवती के पति को जब गुस्सा आया तो उस व्यक्ति के पास पहुंचा और वह स्तब्ध हो गया क्योंकि उसने देखा कि उसकी पत्नी के साथ जो पुरुष था वह पूरी तरह से उसी का हमशक्ल था। अब जब उस युवती ने अपने पति और उस पुरुष को देखा तो वह चौंक गई और उसे mein समझ नहीं आया कि उसका असली पति कौन है! तभी अचानक उसने भगवान शिव से हाथ जोड़कर प्रार्थना की की  हे भगवान! यह कैसी दुविधा है? कृपया मुझे इस दुविधा से बाहर निकलिए और यह बताइए कि इनमें से मेरा असली पति कौन है? भगवान से प्रार्थना करने के बाद वह दूसरा पुरुष अंतरध्यान हो गया और फिर दोनों पति-पत्नी अपने घर चले गए और उस पुरुष ने भगवान से माफी भी मांगी कि “भगवान मुझे क्षमा करें मुझे बुधवार के दिन अपनी पत्नी को मायके से ससुराल लेकर नहीं आना चाहिए था” इस घटना के बाद से ही देश भर में बुध प्रदोष व्रत रखने का चलन हो गया।

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बुध प्रदोष व्रत पारण समय (Budh Pradosh Vrat Parana Time)

प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) का महत्व भगवान शिव (Lord Shiva) की संध्याकालीन पूजा-अर्चना में निहित है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 जून को सुबह 07:28 बजे प्रारंभ होगी और 20 जून को सुबह 07:49 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, प्रदोष व्रत का पारण 20 जून को रखा जाएगा। बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) के दिन भक्तजन संध्या समय में भगवान शिव की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। प्रदोष व्रत के इस विशेष अवसर पर भक्तजन शिवलिंग का अभिषेक कर, व्रत कथा सुनते हैं और भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं। यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति के लिए किया जाता है।

Conclusion:-

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) भगवान शिव की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सरल और शक्तिशाली तरीका है। यदि आप अपनी मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं, ग्रह दोषों से मुक्ति चाहते हैं या जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, तो बुध प्रदोष व्रत अवश्य रखें। बुध प्रदोष व्रत से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर भी रोजाना विजिट करें।

FAQ’s

Q. बुध प्रदोष व्रत कब मनाया जाता है? 

Ans. बुध प्रदोष व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जब यह तिथि बुधवार के दिन पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और गणेश की पूजा की जाती है।

Q. बुध प्रदोष व्रत का क्या महत्व है? 

Ans. मान्यता है कि बुध प्रदोष व्रत करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत को करने से भगवान शिव, गणेश और बुध ग्रह प्रसन्न होते हैं। इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Q. बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होता है?

Ans. बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद और चंद्रोदय से पहले का समय होता है। 

Q. बुध प्रदोष व्रत में किन देवताओं की पूजा होती है? 

Ans. बुध प्रदोष व्रत में मुख्य रूप से भगवान शिव और गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके अलावा माता पार्वती और बुध ग्रह को भी प्रसन्न किया जाता है।

Q. बुध प्रदोष व्रत में क्या-क्या चढ़ाया जाता है? 

Ans. इस व्रत में भगवान शिव को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराया जाता है। इसके अलावा सफेद चावल की खीर का भोग लगाया जाता है। भगवान गणेश को लाल रंग के फल और मिठाई अर्पित किए जाते हैं।

Q. बुध प्रदोष व्रत से बच्चों को क्या लाभ मिलते हैं? 

Ans. मान्यता है कि बुध प्रदोष व्रत करने से बच्चों को उत्तम बुद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इससे उनकी जन्मकुंडली के दोष भी दूर होते हैं। बच्चों की बुद्धि बढ़ाने के लिए इस दिन गणेश जी को हरी इलायची अर्पित करनी चाहिए।