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Budh Pradosh Vrat Katha 2024: आखिर क्यों मनाया जाता है बुध प्रदोष व्रत? क्या है इसकी पौराणिक कथा?

Budh Pradosh Vrat Katha
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Budh Pradosh Vrat Katha: हिंदू धर्म में व्रतों और त्योहार का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह में कई व्रत और पर्व आते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण व्रत है – बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat)। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 

मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बुध प्रदोष व्रत का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खासकर, जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही है या जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा है, उनके लिए यह व्रत वरदान साबित हो सकता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि बुध प्रदोष व्रत क्या है, इसका क्या महत्व है और इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा कैसे की जाती है। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि वर्ष इस जून के महीने में बुध प्रदोष व्रत कब पड़ रहा है। 

तो चलिए, शुरू करते हैं यह रोचक सफर बुध प्रदोष व्रत Budh (Pradosh Vrat) के रहस्यों को जानने का…!!

बुध प्रदोष व्रत? Budh Pradosh

S.NOप्रश्न
1क्या है बुध प्रदोष व्रत?
2कब है बुध प्रदोष व्रत?
3बुध प्रदोष व्रत का महत्व
4बुध प्रदोष व्रत क्यों मनाई जाती है?
5बुध प्रदोष व्रत का इतिहास?
6बुध प्रदोष व्रत कथा?
7बुध प्रदोष व्रत कथा पीडीएफ

क्या है बुध प्रदोष व्रत? (Kya hai Budh Pradosh Vrat)

क्या-है-बुध-प्रदोष-व्रत

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बुधवार के दिन पड़ने पर मनाया जाता है। इस व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भक्त व्रत रखकर, पूजा-अर्चना करके और शिव चालीसा का पाठ करके भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करते हैं। मान्यता है कि बुध प्रदोष व्रत करने से बच्चों को उत्तम बुद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इस व्रत की एक प्रसिद्ध कथा भी है जिसमें एक स्त्री अपने पति को पहचानने में असमर्थ होती है, लेकिन भगवान शिव की कृपा से उसका संकट दूर होता है। कुल मिलाकर, बुध प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना का एक शुभ अवसर है।

कब है बुध प्रदोष व्रत? (Kab Hai Budh Pradosh Vrat)

जून 2024 में बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) का आयोजन शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी, यानी 19 जून, को होगा। व्रत का पालन करने वाले भक्त 19 जून को सुबह 7:28 बजे से व्रत आरंभ करेंगे और 20 जून को सुबह 7:49 बजे व्रत समाप्त होगा। इस दिन शिव जी की उपासना की जाती है। व्रती इस दिवस को उपवास रखेंगे और संध्या काल में पूजन करेंगे। पूजन में महामृत्युंजय मंत्र, रुद्र गायत्री मंत्र, और शिव प्रार्थना मंत्र का पाठ किया जाता है।

बुध प्रदोष व्रत का महत्व (Budh Pradosh Vrat Significance)

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) एक विशेष व्रत है जो हिंदू धर्म के अनुसार बुधवार के दिन त्रयोदशी तिथि पर आयोजित किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और इसे मनाने से बुध ग्रह (मर्क्यूरी) और भगवान गणेश की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के करियर और व्यापार में सफलता मिलती है, सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और परिवार की खुशी बनी रहती है। बुध को सभी ग्रहों में सबसे बुद्धिमान माना जाता है, इसलिए व्रत को इस व्रत के दौरान हरे रंग का वस्त्र पहनना चाहिए या हरे रंग की कोई वस्तु अपने पास रखनी चाहिए।

बुध प्रदोष व्रत क्यों मनाई जाती है? (Kyun manai jati hai budh pradosh Vrat)

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो विशेष रूप से भगवान शिव (Lord Shiva) की उपासना के लिए मनाया जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन जब यह व्रत बुधवार को पड़ता है, तो इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है।

इस व्रत को रखने का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त करना है। इसके अलावा, यह व्रत बुद्धि, विवेक, और मानसिक शांति के लिए भी किया जाता है, क्योंकि बुधवार का संबंध ग्रह बुध से है, जो बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। बुध प्रदोष व्रत की विधि में दिनभर उपवास रखा जाता है और संध्या समय भगवान शिव की पूजा की जाती है। व्रतधारी शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, और बेलपत्र अर्पित करते हैं और शिव मंत्रों का जाप करते हैं। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है। बुध प्रदोष व्रत से व्यक्ति के जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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बुध प्रदोष व्रत का इतिहास? (Budh Pradosh Vrat History)

एक छोटे से गांव में एक युवक की नई शादी हुई थी। शादी के दो दिन बाद ही उसकी पत्नी अपने मायके चली गई। कुछ दिनों बाद, जब पति उसे वापस लेने गया, तो ससुराल वालों ने कहा, “आज बुधवार है, और बुधवार के दिन लड़की को मायके से ससुराल नहीं भेजना चाहिए। आप आज यहीं रुक जाइए।”

युवक ने उनकी बात नहीं मानी और अपनी पत्नी को लेकर चल पड़ा। रास्ते में पत्नी को प्यास लगी, तो पति पानी की तलाश में निकल गया। जब वह पानी लेकर लौटा, तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी और आदमी के साथ हंस-खेल रही थी और पानी पी रही थी। युवक को गुस्सा आया और वह उस व्यक्ति के पास पहुंचा। वह देखकर हैरान रह गया कि वह व्यक्ति बिल्कुल उसी जैसा दिखता था। पत्नी भी चौंक गई, उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसका असली पति कौन है। उसने भगवान शिव से प्रार्थना की, “हे भगवान! यह कैसी उलझन है? कृपया मुझे बताइए कि मेरा असली पति कौन है?” भगवान से प्रार्थना करने के बाद वह दूसरा व्यक्ति अचानक गायब हो गया।  

इसके बाद, पति-पत्नी अपने घर लौट आए। पति ने भगवान से माफी मांगी, “भगवान, मुझे माफ करें। मुझे बुधवार के दिन अपनी पत्नी को मायके से नहीं लाना चाहिए था।” इस घटना के बाद से ही देश भर में लोग बुध प्रदोष व्रत रखने लगे।

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बुध प्रदोष व्रत कथा? (Budh Pradosh Vrat Katha)

इस कथा के अनुसार किसी गांव में एक युवक की नई-नई शादी हुई थी। विवाह के केवल दो दिन बाद ही पत्नी अपने मायके चली गई और कुछ दिनों के बाद जब उसका पति उसे मायके लेने गया तो मायके वालों ने अपने दामाद से कहा कि आप आज यहीं पर ठहर जाइए क्योंकि आज बुधवार है और बुधवार के दिन लड़की को अपने मायके से ससुराल नहीं जाना चाहिए, लेकिन युवक ने अपने मायके वालों की एक न मानी और अपनी पत्नी को लेकर निकल गया। रास्ते में पत्नी को प्यास लगी तो पति लोटा लेकर पानी की तलाश में निकल गया, जब महिला का पति पानी लेकर आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी दूसरे पुरुष के साथ खूब हंस-खेल रही थी और पानी भी पी रही थी। युवती के पति को जब गुस्सा आया तो उस व्यक्ति के पास पहुंचा और वह स्तब्ध हो गया क्योंकि उसने देखा कि उसकी पत्नी के साथ जो पुरुष था वह पूरी तरह से उसी का हमशक्ल था। अब जब उस युवती ने अपने पति और उस पुरुष को देखा तो वह चौंक गई और उसे समझ नहीं आया कि उसका असली पति कौन है! तभी अचानक उसने भगवान शिव से हाथ जोड़कर प्रार्थना की की  हे भगवान! यह कैसी दुविधा है? कृपया मुझे इस दुविधा से बाहर निकलिए और यह बताइए कि इनमें से मेरा असली पति कौन है? भगवान से प्रार्थना करने के बाद वह दूसरा पुरुष अंतरध्यान हो गया और फिर दोनों पति-पत्नी अपने घर चले गए और उस पुरुष ने भगवान से माफी भी मांगी कि “भगवान मुझे क्षमा करें मुझे बुधवार के दिन अपनी पत्नी को मायके से ससुराल लेकर नहीं आना चाहिए था” इस घटना के बाद से ही देश भर में बुध प्रदोष व्रत रखने का चलन हो गया।

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बुध प्रदोष व्रत कथा पीडीएफ (Budh Pradosh Vrat Katha PDF)

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) की पावन व्रत कथा से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप गंगा दशहरा की व्रत कथा को आप सरलता पूर्वक पढ़ सकते हैं।

बुध प्रदोष व्रत कथा PDF Download

Conclusion:

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक उत्तम माध्यम है। इस व्रत को रखने से न केवल मनोकामनाएं पूरी होती हैं, बल्कि भगवान शिव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। बुध प्रदोष व्रत से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करें।

FAQ’s:

Q. बुध प्रदोष व्रत कब मनाया जाता है? 

Ans. बुध प्रदोष व्रत हिन्दू कैलेंडर के हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जब यह तिथि बुधवार के दिन पड़ती है। यह भगवान शिव और गणेश को समर्पित एक शाम का व्रत है।

Q. बुध प्रदोष व्रत का क्या महत्व है? 

Ans. बुध प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति को अपनी नौकरी या व्यवसाय में सफलता मिलती है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यह व्रत बुध ग्रह और भगवान शिव-गणेश को प्रसन्न करने का एक शुभ अवसर है।

Q. बुध प्रदोष व्रत कथा क्या है? 

Ans. प्रसिद्ध बुध प्रदोष व्रत कथा के अनुसार, एक नववधू ने अपने पति के साथ बुधवार को मायके से विदा ली। रास्ते में उसकी एक समस्या आई, जिससे उसके पति ने भगवान शिव से प्रार्थना की और उनकी कृपा से सब ठीक हो गया। तब से दोनों ने हर वर्ष बुध प्रदोष का व्रत रखना शुरू किया।

Q. बुध प्रदोष व्रत के दौरान क्या प्रतिबंध होते हैं?

Ans. इस व्रत के दौरान पूजा उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए। पहले पहने हुए कपड़े नहीं पहनने चाहिए। पूजा के समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए।

Q. बुध प्रदोष व्रत के दौरान पूजा कैसे की जाती है? 

Ans. इस व्रत में भगवान शिव और गणेश की विधिवत पूजा की जाती है। शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाकर जल अर्पित किया जाता है। भगवान गणेश को लाल रंग के फल, मिठाई और खीर का भोग लगाया जाता है। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप भी किया जाता है।

Q. बुध प्रदोष व्रत के दौरान क्या खास ध्यान रखना चाहिए? 

Ans. इस व्रत के दिन हरे रंग का उपयोग करना शुभ माना जाता है, क्योंकि बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। बुध बुद्धिमान ग्रह होने के कारण, इस व्रत में परिपक्वता और अनुशासन का भी महत्व है। इसलिए कुछ प्रतिबंधों का पालन भी करना पड़ता है।