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Jagannath Rath Yatra in Hindi: घर पर कैसे की जाती है भगवान जगन्नाथ की पूजा? जानिए संपूर्ण नियम व विधि

Jagannath Rath Yatra in Hindi
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Jagannath Rath Yatra in Hindi: जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और भव्य त्योहारों में से एक है। यह प्रतिवर्ष ओडिशा के पुरी शहर में आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित की जाती है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को विशाल और सुसज्जित रथों पर बैठाकर उनकी मौसी के घर ले जाया जाता है। 

इस पर्व का महत्व बहुत अधिक माना जाता है क्योंकि इसके माध्यम से मान्यता है कि भगवान अपने भक्तों के समीप आते हैं और उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यहां तक ​​कि यात्रा में भाग लेने से लोग अपने आप में एक आध्यात्मिक अनुभव का भी साक्षी बनते हैं। रथ यात्रा Jagannath Rath Yatra in Hindi का इतिहास बहुत पुराना है। यह मनाने का तरीका उन दिनों की जीवनशैली, संस्कृति और धार्मिक अभिव्यक्ति का भी प्रतीक है। इस यात्रा के पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हैं जो इसे और भी रोमांचक बनाती हैं।आज के इस लेख में हम आपको इस अद्भुत रथ यात्रा के बारे में विस्तार से बताएंगे। हम इसके इतिहास, पौराणिक कथाओं, मान्यताओं और महत्व पर प्रकाश डालेंगे। साथ ही, हम आपको भगवान जगन्नाथ की पूजा विधि और इस यात्रा से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में भी जानकारी देंगे। 

तो चलिए, इस लेख में जानते हैं कि आखिर क्यों देश नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध है उड़ीसा की जगन्नाथ रथ यात्रा।

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Shree Jagannatha Temple Administration, puri
Contact Number;- 91-6752-222002
Fax Number:- +91-6752-252100

Address: Puri, Odisha 752001

website visit Now:- https://www.shreejagannatha.in/

Location Map:-

Jagannath Rath Yatra in Hindi Table Of Content 

S.NO प्रश्न 
1जगन्नाथ रथ यात्रा क्या है?
2जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास
3जगन्नाथ रथ यात्रा का पौराणिक महत्व
4भगवान जगन्नाथ की पूजा घर पर कैसे करें?
5भगवान जगन्नाथ की पूजा के लिए पूजा सामग्री

जगन्नाथ भगवान की पूजा का शुभ मुहूर्त

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वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का प्रारंभ 07 जुलाई को सुबह 04:24 बजे होगा और इसका समापन 08 जुलाई को सुबह 04:59 बजे होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है, इसलिए भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा 07 जुलाई 2024, रविवार को निकाली जाएगी। यह पवित्र यात्रा भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करते हैं। इस महोत्सव का वातावरण भक्तिमय और उत्साह से भरा होता है, जो पूरे समाज को एकता और समर्पण का संदेश देता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा-  महत्व और इतिहास 

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जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो हर साल आषाढ़ माह में ओडिशा के पुरी शहर में मनाया जाता है। इस उत्सव में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को विशाल रथों में बैठाकर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। कथा के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण और बलराम व्रज की लीलाओं की कथा सुनने में इतने मग्न हो गए कि मूर्ति की तरह खड़े रह गए। तभी नारद मुनि ने प्रार्थना की कि…..आगे की कथा विस्तार से जानने के लिए क्लिक करें..

भगवान जगन्नाथ की पूजा घर पर कैसे करें? (How To Worship Lord Jagannath At Home)

  • पूजा स्थान की स्थापना: घर के पूजा स्थल पर श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें सुंदर वस्त्रों और फूलों से सजाएं। सामने घी का दीपक जलाएं।
  • भोग अर्पण: भगवान जगन्नाथ को सात्विक भोग जैसे फल, मिठाई, पकवान आदि अर्पित करें। भोग में तुलसी पत्ते अवश्य रखें। भोग लगाने के बाद आरती करें।
  • पूजा और स्तुति: भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की पूजा करते हुए उनकी स्तुति के मंत्र पढ़ें, जैसे “जय जगन्नाथ, जय बलभद्र, जय सुभद्रा”। उनके गुणों का ध्यान करें और प्रेम से प्रार्थना करें।
  • हरि नाम संकीर्तन: पूजा के दौरान भगवान के नाम जैसे “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे” का कीर्तन करें। परिवार के सभी सदस्य मिलकर भक्ति भाव से कीर्तन करें।
  • प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भगवान को अर्पित भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और सभी को वितरित करें। जो भी इस प्रसाद को श्रद्धा से ग्रहण करेगा, उसकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। 

इस प्रकार भगवान जगन्नाथ की घर पर पूजा करने से आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होगा। पूजा के दौरान पूरी श्रद्धा और सात्विकता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

भगवान जगन्नाथ की पूजा के लिए पूजा सामग्री (Puja Material For Worship of Lord Jagannath)

भगवान जगन्नाथ की पूजा के लिए आवश्यक पूजन सामग्री की सूची इस प्रकार है:

S.NOसामग्री सूची 
1धूप, अगरबत्ती, कपूर
2केसर, चंदन
3यज्ञोपवीत
4कुंकु, चावल, हल्दी, रोली, सिंदूर
5पान के पत्ते, सुपारी
6पुष्पमाला, तुलसीमाला
7पंच मेवा, गंगाजल
8धनिया खड़ा, दूर्वा
9शहद, शक्कर, घी, दही, दूध
10ऋतुफल, नैवेद्य/मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि)
11इलायची, लौंग
12भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां
13उन्हें अर्पित करने के लिए वस्त्र
14पूजा के लिए आसन, चौकी
15पंचामृत, तुलसी दल
16केले के पत्ते
17जल कलश (तांबे या मिट्टी का)
18पूजा के लिए सफेद और लाल कपड़ा
19दीपक और दीपक के लिए तेल
20नारियल, चावल, गेहूँ
21गुलाब और लाल कमल के फूल
22अर्घ्य पात्र सहित अन्य पूजा पात्र

भगवान जगन्नाथ की पूजा करते समय जरूर करें कीर्तन

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भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की पूजा करते समय, भक्तगण हरे कृष्ण कीर्तन में मग्न हो जाते हैं। यह कीर्तन समर्पण और भक्ति की अद्भुत भावना जगाता है। यदि आपका परिवार भी पूजा समारोह में भाग लेता है, तो वे भी इस मधुर कीर्तन का हिस्सा बन सकते हैं। झांझ और मृदंग की ध्वनि इस पवित्र अनुष्ठान को और भी मंत्रमुग्ध कर देती है। झांझ का ताल हर किसी के लिए सहज होता है, परंतु मृदंग की लय को साधने के लिए कुछ अभ्यास की आवश्यकता होती है।

भगवान कृष्ण (Lord Krishna), जिन्हें भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) का ही रूप माना जाता है, उनके भक्ति में डूबे इस कीर्तन में समर्पण का अनुभव अनूठा होता है। आप हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करते हुए भगवान जगन्नाथ की विशेष पूजा-अर्चना कर सकते हैं। यदि आपके पास शंकराचार्य रचित जगन्नाथाष्टकम का ज्ञान या पुस्तक है, तो उसकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रार्थना का भी गायन करें। हालांकि इसके बोल और धुन में थोड़ी कठिनाई हो सकती है, किंतु पूर्व अभ्यास इसे सरल बना सकता है।

पूरे समर्पण और भक्ति के साथ, जब आप इन अनुष्ठानों का पालन करते हैं, तो भगवान जगन्नाथ की कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है। इस प्रकार, परिवार सहित पूजा-अर्चना और कीर्तन करते हुए, आप आध्यात्मिक आनंद और शांति की प्राप्ति कर सकते हैं।

Conclusion:- Jagannath Rath Yatra in Hindi

भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की रथ यात्रा हिंदू धर्म की एक प्रमुख परंपरा है जो प्रत्येक वर्ष श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है। यह यात्रा भक्तों को भगवान के साथ एक अटूट बंधन का अनुभव करवाती है। भगवान जगन्नाथ के दर्शन और पूजा से भक्तों को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह यात्रा हमें भक्ति और समर्पण का महत्व सिखाती है। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी लेख को भी एक बार जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s:- Jagannath Rath Yatra in Hindi

Q. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है?

Ans. पद्म पुराण के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा जताई। तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी बहन को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े और मौसी के घर गुंडिचा भी गए। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

Q. रथ यात्रा में कितने रथ होते हैं और उनमें कौन-कौन विराजमान होते हैं? 

Ans. रथ यात्रा में तीन रथ होते हैं – सबसे आगे बलभद्र का रथ, उनके पीछे बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ। इन तीनों रथों पर क्रमशः भगवान बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ विराजमान होते हैं।

Q. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का इतिहास क्या है? 

Ans. स्कंद पुराण के अनुसार, प्रथम मन्वंतर के द्वितीय खंड सतयुग में जगन्नाथ जी की पहली रथयात्रा निकली थी। उस समय महाराजा इंद्रद्युम्न ने जगन्नाथ जी का भव्य मंदिर का निर्माण कराया और पहली रथयात्रा गुंडिचा मंदिर से उस मंदिर तक हुई थी।

Q. रथ यात्रा के दौरान भगवान कितने दिन मौसी के घर रहते हैं? 

Ans. रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ सात दिन तक मौसी के घर गुंडिचा मंदिर में रहते हैं। मान्यता है कि इस दौरान वे खूब पकवान खाते हैं और फिर बीमार पड़ जाते हैं। इलाज के बाद ही वे फिर से भक्तों को दर्शन देते हैं।

Q. रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ की पूजा कैसे की जाती है?

Ans. रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है। रथ पर विराजमान होने के बाद उनकी आरती और पूजा होती है। भक्त उन्हें फल, फूल, भोग आदि अर्पित करते हैं और रथ को खींचते हुए यात्रा में शामिल होते हैं।

Q. रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को क्या भोग लगाया जाता है? 

Ans. रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को 56 प्रकार के व्यंजन भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं, जिसे ‘चप्पन भोग’ कहा जाता है। इसमें मीठे और नमकीन दोनों तरह के व्यंजन शामिल होते हैं। इसके अलावा फल, मिठाइयां भी भोग में चढ़ाई जाती हैं।