Home व्रत कथाएँ प्रदोष व्रत कथा|Pradosh Fast Story :करिए प्रदोष व्रत, पूर्ण होंगी सभी मनोकामनाएं

प्रदोष व्रत कथा|Pradosh Fast Story :करिए प्रदोष व्रत, पूर्ण होंगी सभी मनोकामनाएं

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Pradosh Fast Story :प्रदोष व्रत बड़ी संख्या में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक अत्यंत शुभ व्रत है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। त्रयोदशी (चंद्र माह का 13वां दिन) पर पड़ने वाले प्रदोषम के इस दिन को देश भर के सभी शिव मंदिरों और यहां तक कि विदेशों में भी एक भव्य पूजा समारोह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह से उपवास रखते हैं और शाम को निकटतम शिव मंदिर में जाकर मुख्य देवता और नंदिकेश्वर की पवित्र स्नान और पूजा करते हैं जिसके बाद वे अपना उपवास समाप्त करते हैं । आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको इसी प्रदोष व्रत के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे हम आपको बताएंगे कि प्रदोष व्रत की कथा क्या है?What is the story of Pradosh Vrat? , प्रदोष व्रत के प्रकारTypes of Pradosh Vrat , प्रदोष व्रत की पूजा विधि क्या है?What is the worship method of Pradosh Vrat? , प्रदोष व्रत के नियम क्या हैं?What are the rules of Pradosh Vrat? , प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?What is the importance of Pradosh Vrat? इत्यादि इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

Pradosh Fast Story Overview

टॉपिक प्रदोष व्रत कथा|Pradosh Fast Story 
लेख प्रकार आर्टिकल 
व्रत प्रदोष व्रत 
प्रमुख देवताभगवान शिव 
व्रत की तिथि हर माह की त्रयोदशी तिथि को
व्रत का कारण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए
प्रमुख मंत्र ओम नमः शिवाय एवं महामृत्युंजय मंत्र 
प्रदोष व्रत के प्रकारप्रदोष व्रत के छह प्रकार हैं

प्रदोष व्रत की कथा क्या है?What is the story of Pradosh Vrat?

प्रदोष व्रत की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है जैसा कि हम सभी जानते हैं इसी समुद्र मंथन के कारण भगवान शिव को हलाहल विष पीना पड़ा था । प्रदोष व्रत कथा समुद्रमंथन या समुद्र मंथन और भगवान शिव द्वारा हलाहल विष पीने से जुड़ी है। अमृत या जीवन का अमृत पाने के लिए, देवताओं और असुरों ने भगवान विष्णु की सलाह पर समुद्र मंथन शुरू किया। समुद्र मंथन से भयानक हलाहल विष उत्पन्न हुआ जो ब्रह्मांड को निगलने की क्षमता रखता था।भगवान शिव देवताओं और राक्षसों के बचाव में आए और उन्होंने हलाहल विष पी लिया। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवता और असुर दोनों ही अमृत की खोज में भगवान विष्णु के पास पहुंचे, भगवान विष्णु के सलाह पर समुद्र मंथन किया गया।

इस समुद्र मंथन में कीमती रत्न, आभूषण इत्यादि देवताओं और असुरों के द्वारा प्राप्त किया गया, साथ ही अमृत और हलाहल विष प्राप्त हुए । यह हलाहल विष इतना ज्यादा जहरीला और खतरनाक था कि यह पूरे ब्रह्मांड को नष्ट कर सकता था, इसलिए ब्रह्मांड की रक्षा हेतु भगवान शिव ने इस हलाहल विष को अपने कंठ में धारण कर लिया राक्षसों और देवताओं ने समुद्र मंथन जारी रखा और अंततः चंद्र पखवाड़े के बारहवें दिन उन्हें अमृत मिला।

तेरहवें दिन देवताओं और असुरों ने भगवान शिव को धन्यवाद दिया। माना जाता है कि भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने नंदी बैल के सींगों के बीच नृत्य किया था। जिस समय शिव अत्यंत प्रसन्न थे वह प्रदोष काल या गोधूलि समय था। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव इस अवधि के दौरान बेहद प्रसन्न होते हैं और सभी भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल के दौरान उनकी इच्छाओं को पूरा करते हैं।

प्रदोष व्रत के प्रकारTypes of Pradosh Vrat

  • रवि प्रदोष (रविवार को पड़ता है)
  • सोम प्रदोष (सोमवार को पड़ता है)
  • भौम प्रदोष (मंगलवार को पड़ता है)
  • सौम्यवारा बुधवार) प्रदोष (को पड़ता है)
  • गुरुवर प्रदोष (गुरुवार को पड़ता है)
  • भृगुवर प्रदोष (शुक्रवार को पड़ता है)
  • शनि प्रदोष (शनिवार को पड़ता है)

प्रदोष व्रत की पूजा विधि क्या है?What is the worship method of Pradosh Vrat?

  • प्रदोष व्रत का आरंभ सूर्यास्त के बाद होता है इसीलिए सभी भक्तों को सूर्यास्त के बाद ही पूजा की शुरुआत करनी चाहिए।
  • प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए
  • पूजा से पहले स्नान करें और नए कपड़े पहनें।
  • पूजा शुरू करने से पहले सभी पूजा सामग्री एकत्र कर लें।
  • एक कलश रखें और उसमें गंगाजल और फूल भरें
  • इस शुभ दिन पर भगवान शिव का अभिषेक गंगाजल, घी, दूध, दही और शहद से करें।
  • शिवलिंग पर अगरबत्ती, बेलपत्र और धतूरा (भगवान शिव का पसंदीदा फूल) चढ़ाएं।
  • प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें, महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें, शिव चालीसा का जाप करें। आरती करके पूजा का समापन करें।

प्रदोष व्रत के नियम क्या हैं?What are the rules of Pradosh Vrat?

  • व्रत की शुरुआत भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर करें।
  • शांति से बैठकर भगवान शिव का ध्यान करें ।
  • ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें।
  • व्रत रखते समय खाने के लिए आप फल, दूध, साबूदाना, सिंघाड़ा आदि ले सकते हैं।
  • प्याज, लहसुन, चावल, गेहूं और मांसाहारी भोजन के सेवन से बचें।
  • गलत शब्दों के प्रयोग से बचें।

प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?What is the importance of Pradosh Vrat?

प्रदोष भगवान शिव का एक शुभ दिन है और इसका संबंध सूर्यास्त से है। प्रदोष तिथि सूर्यास्त से 72 मिनट पहले पड़ती है। प्रदोष का संबंध भगवान शिव के साथ-साथ शिव परिवार से भी है। प्रदोष के दिन भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी की पूजा की जाती है। 

हिंदू मान्यता के अनुसार, जो लोग इस दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं और दिन भर उपवास रखते हैं उन्हें स्वास्थ्य, धन, समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जो लोग विभिन्न रोगों से पीड़ित हैं उन्हें  प्रदोष की वजह से राहत मिलती है। इन्हें भगवान शिव की कृपा के साथ-साथ उस दिन के संबंधित ग्रह का भी लाभ मिलता है। कुछ महिला श्रद्धालु सुयोग्य वर या संतान प्राप्ति के लिए सोम प्रदोष व्रत रखती हैं।

Summary 

प्रदोष व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका है। इस व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, पापों का नाश होता है और सुख-शांति प्राप्त होती है। यदि आप भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।

FAQ’S 

Q. प्रदोष व्रत कब किया जाता है?

Ans. प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

Q. प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?

Ans. प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।  

Q. प्रदोष व्रत के दौरान कौन से मंत्र और स्तोत्र का जाप किया जाता है?

Ans. प्रदोष व्रत के दौरान ओम नमः शिवाय या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए ।

Q. भगवान शिव का वाहन क्या है?

Ans.  भगवान शिव का वाहन नंदी बैल है। नंदी बैल शक्ति, धैर्य और ज्ञान का प्रतीक है।

Q. भगवान शिव के प्रमुख नाम कौन से हैं?

Ans. भगवान शिव के प्रमुख नामों में महादेव, शंकर, रुद्र, नीलकंठ, अर्धनारीश्वर, नटराज आदि शामिल हैं।