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Mata Kalratri ki kahani: नवरात्रि के सातवें दिन क्यों की जाती है माता कालरात्रि की पूजा?, जानिए देवी की उत्पत्ति, स्तोत्र, मंत्र, प्रिय पुष्प और आरती

Mata Kalratri Ki Kahani
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माता कालरात्रि की कहानी (Mata Kalratri Ki Kahani): देवी माता कालरात्रि: नवरात्रि की सातवीं शक्ति हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत महत्व रखता है, और इस पर्व में देवी माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ रूपों में से सातवीं शक्ति है और समस्त बुराइयों का नाश करने वाली हैं। माता कालरात्रि (Mata Kalratri Ki Kahani) की कहानी पुराणों में वर्णित है, और उनकी पूजा करने से भक्तों को शक्ति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है, और इस दिन भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। माता कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और शक्ति की प्राप्ति होती है, और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। माता कालरात्रि की महिमा और शक्ति के बारे में जानने से हमें उनकी पूजा करने की प्रेरणा मिलती है, और हमें उनकी कृपा की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता कालरात्रि Mata Kalratri) की उत्पत्ति कैसे हुई और उनकी प्रार्थना कैसे की जाती है? क्या आप जानते हैं कि माता कालरात्रि का स्वरूप वर्णन क्या है और उनका प्रमुख मंत्र क्या है? इस लेख में, हम माता कालरात्रि के बारे में विस्तार से जानेंगे और उनकी महिमा को समझेंगे। 

तो आइए, माता कालरात्रि (Mata Kalratri) के बारे में जानें और उनकी शक्ति का लाभ उठाएं…. 

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देवी माता कालरात्रि कौन हैं? (Devi Mata Kalratri Kaun Hain)

मां कालरात्रि, देवी दुर्गा (Devi Durga) की सातवीं शक्ति हैं, जो दुष्टों का संहार कर भय का अंत करती हैं। उनकी पूजा से न केवल भय समाप्त होता है, बल्कि जीवन की कठिनाइयाँ भी दूर होती हैं। इन्हें ‘शुभंकरी’ भी कहा जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों को सदैव शुभ और सकारात्मक परिणाम प्रदान करती हैं। मान्यता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

देवी माता कालरात्रि की उत्पत्ति कैसे हुई? (Devi Mata Kalratri Ki Utpatti Kaise Hui)

देवी पार्वती का उग्रतम रूप देवी कालरात्रि (Devi Kalratri) के नाम से जाना जाता है, जो शुम्भ और निशुम्भ नामक असुरों के संहार हेतु प्रकट हुआ था। इस रूप में देवी ने अपनी स्वर्णिम कांति को त्यागकर भयावह रूप धारण किया, जो उनके अद्वितीय और शक्तिशाली स्वरूप का प्रतीक है। कालरात्रि भय और विनाश की देवी हैं।

नवरात्रि पूजा (Navaratri Puja)

नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा विशेष रूप से की जाती है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक हैं, उनकी आराधना से भय और नकारात्मकता का नाश होता है।

शासनाधीन ग्रह (Shashnadheen Grah)

मान्यता है कि देवी कालरात्रि (Devi Kalratri) शनि ग्रह की अधिष्ठात्री देवी हैं, उनके प्रभाव से शनि दोष शांत होता है और भक्तों को जीवन में आने वाली चुनौतियों से मुक्ति मिलती है।

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स्वरूप वर्णन (Swaroop Varnan)

देवी कालरात्रि (Devi Kalratri) का घोर श्याम रूप उन्हें अद्वितीय बनाता है, और वह गधे पर सवार रहती हैं। चार भुजाओं वाली देवी के दाहिने हाथ अभय एवं वरद मुद्रा में हैं, जबकि बाएं हाथों में तलवार और लोहे का अँकुश धारण किए हुए हैं।

प्रिय पुष्प (Priya Pushp)

  • देवी कालरात्रि को रात की रानी के नाम से विख्यात ही सुगंधित पुष्प अतिरिक्त प्रिय है।

मन्त्र (Mantra)

  • ॐ देवी कालरात्र्यै नमः

प्रार्थना (Prarthana)

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

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स्तुति (stuti)

  • या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्तोत्र (Stotra)

हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥

क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

आरती (Aarti)

कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुँह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचण्डी तेरा अवतारा॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूँ तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिन्ता रहे ना बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥

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Conclusion:- Mata Kalratri Ki Kahani

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (Mata Kalratri Ki kahani) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s

Q. माता कालरात्रि कौन हैं?

Ans. माता कालरात्रि देवी दुर्गा का एक स्वरूप हैं, जो उनके भयंकर रूप को दर्शाता है। उनके शरीर का रंग काला है और उनके बाल खुले हुए होते हैं। उनके तीन नेत्र और चार हाथ होते हैं। माता कालरात्रि का यह रूप अंधकार और असुरी शक्तियों का नाश करने के लिए जाना जाता है।

Q. माता कालरात्रि की पूजा क्यों की जाती है?

Ans. माता कालरात्रि की पूजा बुरी शक्तियों, भय, और नकारात्मकता से मुक्ति पाने के लिए की जाती है। माना जाता है कि माता कालरात्रि की उपासना से भक्त को जीवन के कठिन समय में साहस, आत्मविश्वास और सुरक्षा प्राप्त होती है। वे समस्त प्रकार के भय और अवरोधों को दूर करती हैं।

Q. माता कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा क्या है?

Ans. माता कालरात्रि की उत्पत्ति की कहानी असुर रक्तबीज से जुड़ी है। जब रक्तबीज को मारने के लिए कोई उपाय नहीं बचा था, तब माता दुर्गा ने अपने भयंकर रूप ‘कालरात्रि’ को धारण किया। रक्तबीज जब भी एक बूंद खून गिराता, तब नए असुर उत्पन्न होते। माता कालरात्रि ने अपने विकराल रूप में रक्तबीज का संहार कर दिया और इस तरह से असुरी शक्तियों का नाश किया।

Q. माता कालरात्रि की पूजा का क्या महत्व है?

Ans. माता कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। इस दिन भक्त विशेष रूप से अपने भय, दु:ख, और तनाव से मुक्ति पाने के लिए देवी की आराधना करते हैं। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह हमें सिखाता है कि साहस, धैर्य और विश्वास के साथ किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है।

Q. माता कालरात्रि की पूजा से कौन-कौन सी समस्याएं दूर होती हैं?

Ans. माता कालरात्रि की पूजा से भय, भूत-प्रेत बाधा, तंत्र-मंत्र, दुश्मनों का भय और जीवन की अन्य समस्याओं से मुक्ति मिलती है। वे भक्तों को जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और संकटों से रक्षा करती हैं।

Q. देवी कालरात्रि का प्रिय पुष्प कौन सा है?

Ans. देवी कालरात्रि (Devi Kalratri) को रात की रानी के नाम से मशहूर सुगंधित पुष्प अत्यधिक प्रिय है।