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Mata Mahagauri ki kahani: नवरात्रि के आठवें दिन क्यों की जाती है माता महागौरी की पूजा?, जानिए देवी की उत्पत्ति, स्तोत्र, मंत्र, प्रिय पुष्प आरती इत्यादि।

Mata Mahagauri Ki Kahani
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माता महागौरी की कहानी (Mata Mahagauri ki Kahani): देवी माता महागौरी नवरात्रि (Navarti) की आठवीं शक्ति। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत महत्व रखता है, और इस पर्व में देवी माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ रूपों में से आठवीं शक्ति है माता महागौरी, जो भगवान शिव की पत्नी और समस्त शुद्धता और सौंदर्य की प्रतीक हैं। 

माता महागौरी (Mata Mahagauri) की महिमा और शक्ति के बारे में जानने के लिए, हमें उनकी उत्पत्ति, स्वरूप, और पूजा विधि के बारे में जानना होगा। नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है, और इस दिन भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। माता महागौरी (Mata Mahagauri Ki Kahani) की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और शक्ति की प्राप्ति होती है, और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। माता महागौरी की महिमा और शक्ति के बारे में जानने से हमें उनकी पूजा करने की प्रेरणा मिलती है, और हमें उनकी कृपा की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता महागौरी की उत्पत्ति कैसे हुई और उनकी प्रार्थना कैसे की जाती है? क्या आप जानते हैं कि माता महागौरी का स्वरूप वर्णन क्या है और उनका प्रमुख मंत्र क्या है? इस लेख में, हम माता महागौरी के बारे में विस्तार से जानेंगे और उनकी महिमा को समझेंगे। तो आइए, माता महागौरी के बारे में जानें और उनकी शक्ति का लाभ उठाएं…

देवी माता महागौरी कौन हैं? (Devi Mata Mahagauri Kaun Hain)

माता पार्वती (Mata Mahagauri) की आठवीं शक्ति, मां महागौरी, को मान्यता प्राप्त है। कथाओं के अनुसार, पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद जब शैलपुत्री सोलह वर्ष की हुईं, तब उनकी सुंदरता अत्यधिक थी। उस समय उनका रंग गोरा था, जिसके चलते उन्हें महागौरी के नाम से पुकारा जाने लगा। उनकी दिव्यता और शुद्धता का यह नाम विशेष महत्व रखता है।

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देवी माता महागौरी की उत्पत्ति कैसे हुई? (Devi Mata Mahagauri ki Utpatti Kaise Hui)

नवरात्रि (Navaratri) की आठवीं शक्ति, माता महागौरी (Mata Mahagauri), शुद्धता और सौंदर्य की देवी हैं। उनकी पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि और सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। दरअसल, मां दुर्गा की आठवीं शक्ति मां महागौरी की पौराणिक कथा के अनुसार, मां ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की. तपस्या के दौरान मां हजारों वर्षों तक निराहार रहीं, जिस कारण इनका शरीर काला पड़ गया था. जब मां की कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया, जिस कारण इनका काला रंग गौर वर्ण जैसा हो गया. इसके बाद मां पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना गया.

नवरात्रि पूजा (Navaratri Puja)

नवरात्रि उत्सव के आठवें दिन भक्त देवी महागौरी (Devi Mahagauri) की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। यह दिन उनके प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का महत्वपूर्ण अवसर है।

शासनाधीन ग्रह (Shashnadheen Grah)

मान्यताओं के अनुसार, देवी महागौरी (Devi Mahagauri) राहु ग्रह की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनके प्रभाव से राहु की उथल-पुथल और प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।

स्वरूप वर्णन (Swaroop Varnan)

देवी महागौरी (Devi Mahagauri) और देवी शैलपुत्री (Devi Shailputri) का वाहन बैल है, इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। देवी महागौरी को चतुर्भुज रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनके एक दाहिने हाथ में त्रिशूल है, जबकि दूसरा दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है। बाएं हाथ में डमरू धारण करती हैं और दूसरे बाएं हाथ को वर मुद्रा में रखती हैं। यह उनकी शक्ति और कृपा का प्रतीक है।

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प्रिय पुष्प (Priya Pushp)

  • माता महागौरी (Mata Mahagauri) को रात की रानी का पुष्प अत्यंत प्रिय है।

मन्त्र (Mantra)

  • ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

प्रार्थना (Prarthana)

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

स्तुति (Stuti)

  • या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्तोत्र (Stotra)

सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

आरती (Aarti)

जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवासा॥

चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुण्ड में था जलाया। उसी धुयें ने रूप काली बनाया॥

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आने वाले का संकट मिटाया॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥

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Conclusion:- Mata Mahagauri Ki Kahani

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s

Q. माता महागौरी कौन हैं?

Ans. माता महागौरी देवी दुर्गा का आठवां रूप हैं। उनका रंग बहुत उज्ज्वल और श्वेत है, इसीलिए उन्हें ‘महागौरी’ कहा जाता है। वह सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनके चार हाथ होते हैं। उनके हाथों में त्रिशूल और डमरू होता है, और एक हाथ से वह आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

Q. माता महागौरी की पूजा क्यों की जाती है?

Ans. माता महागौरी की पूजा जीवन से सभी पापों और नकारात्मकता को दूर करने के लिए की जाती है। मान्यता है कि उनकी कृपा से भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। उनका पूजन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वैवाहिक जीवन में सुख आता है।

Q. माता महागौरी की कथा क्या है?

Ans. माता महागौरी की कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण उनका शरीर काला पड़ गया था। जब भगवान शिव ने उन्हें तपस्या से संतुष्ट होकर स्वीकार किया, तो उन्होंने गंगाजल से माता पार्वती को स्नान कराया, जिससे उनका शरीर उज्ज्वल हो गया और वह महागौरी के रूप में प्रसिद्ध हुईं।

Q. माता महागौरी का स्वरूप कैसा है?

Ans. माता महागौरी का स्वरूप बहुत ही शांति और सौम्यता से भरा हुआ है। वह श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, और उनका वाहन वृषभ (बैल) है। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू होता है। उनके चेहरे पर अलौकिक तेज और सौम्यता होती है, जो उनके भक्तों को शांति प्रदान करती है।

Q. माता महागौरी की पूजा विधि क्या है?

Ans. माता महागौरी की पूजा के लिए शुद्ध मन से उनकी आराधना करनी चाहिए। सफेद फूल, चंदन, धूप, दीपक, और सफेद मिठाई का भोग उन्हें अर्पित करना चाहिए। उनकी पूजा में दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।

Q. नवरात्रि में माता महागौरी का कौन-सा दिन होता है?

Ans. नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन को ‘अष्टमी’ भी कहा जाता है और यह दिन विशेष रूप से कन्या पूजन के लिए भी जाना जाता है।