छोटी दीपावली क्यों मनाई जाती है? (Choti Diwali 2024): दिवाली के पहले मनाए जाने वाले त्योहार को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) या छोटी दिवाली (Choti Diwali) कहा जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) की महिमा को दर्शाता है और हमें बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है। नरक चतुर्दशी के दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं, दीये जलाते हैं, और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है? क्या आप जानते हैं कि इसकी पौराणिक कथा क्या है? और क्या आप जानते हैं कि यह त्योहार हमारे जीवन में क्या महत्व रखता है? इस लेख में, हम आपको नरक चतुर्दशी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे और इसकी पौराणिक कथा को समझाएंगे। साथ ही, हम आपको नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा का पीडीएफ भी शेयर करेंगे, जिसे आप डाउनलोड कर सकते हैं और पढ़ सकते हैं। तो आइए, नरक चतुर्दशी के बारे में जानें और इसका महत्व समझें।
इस लेख के माध्यम से, हम आपको नरक चतुर्दशी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आप इसकी महत्ता को समझ सकें और इसका लाभ उठा सकें…
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी क्या है? (Chhoti Diwali ya Narak Chaturdashi kya Hai)
छोटी दिवाली (Choti Diwali), जिसे नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। यह भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) द्वारा राक्षस नरकासुर पर विजय और हनुमान जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन लोग सूर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान करते हैं और अपने घरों में दीये जलाते हैं। शाम को यम देव की पूजा की जाती है और भगवान यह के नाम का दीपक भी जलाया जाता है। परिवार एकत्रित होते हैं, भोज करते हैं और उपहार का आदान-प्रदान करते हैं। यह पाँच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।
छोटी दीपावली क्यों मनाई जाती है? (Chhoti Diwali kyon Manai Jati Hai)
छोटी दिवाली (Choti Diwali) या नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Krishna) ने भौमासुर नामक राक्षस का वध किया था, जो देवताओं और मानव कन्याओं पर अत्याचार करता था। श्रीकृष्ण ने भौमासुर द्वारा कैद की गई 16,100 कन्याओं को मुक्त किया और उन्हें सम्मानपूर्वक आश्रय दिया। छोटी दिवाली के दिन लोग सुबह उबटन लगाकर स्नान करते हैं और शाम को घरों के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके 14 दीये जलाते हैं। इस दिन हनुमान जयंती और काली पूजा भी की जाती है।
नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Narak Chaturdashi ki Pauranik katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) अपनी पत्नियों के साथ द्वारिका में निवास करते थे। एक दिन देवराज इंद्र उनके पास आए और अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने कहा, “हे कृष्ण, दैत्यराज भौमासुर के अत्याचारों के कारण देवताओं का जीवन संकट में है। भौमासुर, जिसे नरकासुर के नाम से भी जाना जाता है, ने न केवल देवताओं से वरुण का छत्र, अदिति के कुंडल और मणि छीन ली है, बल्कि उसने तीनों लोकों पर अपना अधिपत्य जमा लिया है। इस क्रूर दैत्य ने पृथ्वी के अनेक राजाओं और सामान्य लोगों की कन्याओं का अपहरण कर उन्हें बंदी बना रखा है। कृपया इन लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराइए।”
इंद्र की प्रार्थना सुनकर भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ गरुड़ पर सवार होकर भौमासुर के नगर प्रागज्योतिषपुर की ओर प्रस्थान किया। वहाँ पहुँचकर, उन्होंने मुर नामक दैत्य और उसके छह पुत्रों का वध सत्यभामा की सहायता से कर दिया। मुर के अंत की खबर सुनते ही भौमासुर अपनी विशाल सेना के साथ युद्ध के लिए निकला। उसे एक शाप था कि वह स्त्री के हाथों मारा जाएगा। इसीलिए भगवान कृष्ण ने सत्यभामा को सारथी बनाया और युद्ध के अंतिम क्षणों में सत्यभामा की मदद से भौमासुर का अंत कर दिया। इसके पश्चात, भगवान कृष्ण ने भौमासुर के पुत्र भगदत्त को अभयदान देते हुए प्रागज्योतिष का राजा नियुक्त किया। जिस दिन भौमासुर का वध हुआ, वह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी, जिसे आज नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) ने न केवल भौमासुर का अंत किया, बल्कि उसकी कैद से 16,000 महिलाओं को मुक्त भी कराया। इसी विजय और मुक्ति के उपलक्ष्य में उस दिन दीप जलाए गए, और चारों ओर दीपदान किया गया, जो आज भी नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) की परंपरा का हिस्सा है।
नरक चतुर्दशी पौराणिक कथा पीडीएफ (Narak Chaturdashi Pauranik katha Pdf)
नरक चतुर्दशी व्रत कथा PDF Download | View Kahaniइस विशेष लेख के जरिए हम आपसे नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) की पौराणिक कथा का पीडीएफ (PDF) साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ को डाउनलोड करने के बाद आप बेहद सरलता पूर्वक नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा का श्रवण व पठन कर सकते हैं।
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Conclusion:-Choti Diwali 2024
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FAQ’s:-Choti Diwali 2024
1. छोटा दिवाली 2024 कब है?
छोटा दिवाली 2024 में 1 नवंबर को मनाई जाएगी, जो मुख्य दिवाली से एक दिन पहले होती है।
2. छोटा दिवाली क्यों मनाई जाती है?
छोटा दिवाली को नरकासुर नामक दानव के वध के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन नरकासुर का वध कर संसार को उसके आतंक से मुक्त किया था। इसी जीत की खुशी में इस पर्व को “नरक चतुर्दशी” या छोटा दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
3. छोटा दिवाली और मुख्य दिवाली में क्या अंतर है?
छोटा दिवाली दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और इसे मुख्य दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। मुख्य दिवाली पर लक्ष्मी पूजन और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जबकि छोटा दिवाली पर श्रीकृष्ण और मां काली की पूजा होती है।
4. छोटा दिवाली के दिन क्या पूजा की जाती है?
छोटा दिवाली के दिन मुख्य रूप से यमराज, भगवान श्रीकृष्ण, और मां काली की पूजा की जाती है। इस दिन लोग यमराज से प्रार्थना करते हैं कि वे उनके परिवार को लंबी उम्र और समृद्धि प्रदान करें।
5. क्या छोटा दिवाली पर दीप जलाने का रिवाज है?
हां, छोटा दिवाली पर भी घरों और आंगन में दीए जलाने की परंपरा है। इसे “तमस से प्रकाश की ओर” जाने का प्रतीक माना जाता है। लोग अपने घरों के बाहर और आंगन में दीए जलाकर अंधकार को दूर करते हैं।
6. छोटा दिवाली पर कौन-सी खास मिठाइयां बनाई जाती हैं?
छोटा दिवाली के अवसर पर विभिन्न प्रकार की मिठाइयां बनाई जाती हैं। लड्डू, गुजिया, बर्फी, और काजू कतली इस दिन के मुख्य आकर्षण होते हैं। हर घर में इस दिन मिठाइयां बांटने की परंपरा होती है।
7. क्या छोटा दिवाली पर पटाखे फोड़े जाते हैं?
छोटा दिवाली पर पटाखे फोड़ने की भी परंपरा है, हालांकि मुख्य पटाखे दिवाली के दिन ही जलाए जाते हैं। यह दिन उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और इसे लोग धूमधाम से मनाते हैं।
8. छोटा दिवाली के लिए शुभ मुहूर्त क्या है?
छोटा दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त आमतौर पर प्रातःकाल या संध्या काल में होता है। विशेष रूप से पूजा के लिए परिवार के बड़े बुजुर्ग और पंडित से सलाह लेना शुभ माना जाता है।
9. छोटा दिवाली पर कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
छोटा दिवाली पर लोग नरक चतुर्दशी स्नान करते हैं। इस स्नान को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह पापों से मुक्ति दिलाता है। इसके अलावा, घर की साफ-सफाई, दीयों की सजावट, और पूजा-अर्चना इस दिन के प्रमुख अनुष्ठान होते हैं।
10. क्या छोटा दिवाली पर गिफ्ट देने की परंपरा है?
हां, छोटा दिवाली पर भी उपहार देने की परंपरा होती है। लोग अपने मित्रों और परिवारजनों को मिठाइयां, सूखे मेवे और अन्य उपहार भेंट करते हैं। यह दिन प्यार और खुशी बांटने का दिन होता है।