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Vrischik Rashi ke isht Dev Kaun Hai: वॄश्चिक राशि – जानें वॄश्चिक राशि के इष्ट देव, राशि तत्व, राशि का स्‍वामी, मंत्र, धातु, रत्न, रुद्राक्ष, राशि नाम अक्षर बारे में संपूर्ण जानकारी।

Vrischik Rashi ke isht Dev Kaun Hai
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वॄश्चिक राशि के बारे में संपूर्ण जानकारी (Vrischik Rashi ke Baare Mein Sampoorna jankari): हिंदू ज्योतिष में बारह राशियों में से वॄश्चिक राशि आठवीं राशि है, जो जल तत्व से संबंधित है। वॄश्चिक राशि (Vrischik Rashi) के जातक अपनी गहराई, भावनात्मकता और रहस्यमयता के लिए जाने जाते हैं। यह राशि अपनी अद्वितीय विशेषताओं और गुणों के कारण विशेष महत्व रखती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वॄश्चिक राशि के स्वामी कौन हैं? वॄश्चिक राशि का तत्व क्या है? और वॄश्चिक राशि की धातु क्या है? इस लेख में, हम आपको वॄश्चिक राशि (Vrischik Rashi) के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको बताएंगे कि वॄश्चिक राशि के इष्ट देव और प्रमुख मंत्र क्या है, Vrischik Rashi ke isht Dev Kaun Hai वॄश्चिक राशि का लकी नाम अक्षर क्या है, और वॄश्चिक राशि के जातकों की शुभ दिशा क्या है। इसके अलावा, हम आपको बताएंगे कि जन्मतिथि के अनुसार वॄश्चिक राशि के जातकों को कैसे पहचाना जा सकता है और उनकी व्यक्तिगत विशेषताएं क्या होती हैं। यह लेख वॄश्चिक राशि के जातकों के लिए तो उपयोगी होगा ही, साथ ही अन्य राशि के जातकों को भी वॄश्चिक राशि के बारे में जानने में मदद करेगा। 

तो आइए, जानें वॄश्चिक राशि (Vrischik Rashi) के बारे में और अपने जीवन को बेहतर बनाएं। इस लेख के माध्यम से, आप वॄश्चिक राशि के रहस्यों को उजागर करेंगे और अपने जीवन को अधिक सार्थक बनाएंगे…

Table Of Content 

विषयविवरण 
वृश्चिक राशिवृश्चिक राशि ज्योतिष में बारह राशियों में से आठवीं राशि है।
स्वामी ग्रहवृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ग्रह हैं।
तत्ववृश्चिक राशि का तत्व जल है।
इष्ट देववृश्चिक राशि के इष्ट देव हनुमानजी माने जाते हैं।
वृश्चिक राशि का मंत्र“ॐ ऎं क्लीं सौः
अन्य मंत्रॐ नारायणाय सुरसिंघाय नमः।
धातुवृश्चिक राशि के जातकों की शुभ धातु तांबा या चांदी है। 
रत्नवृश्चिक राशि का रत्न मूंगा है।
रुद्राक्षवृश्चिक राशि के जातकों को 8 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
मित्र राशियाँकर्क, सिंह, मेष, धनु, और मीन राशि
शत्रु राशियाँमीन राशि
लकी नाम के अक्षरकर्क, सिंह, मेष, धनु, और मीन राशि
दिशावृश्चिक राशि का वास उत्तर दिशा में माना जाता है
महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार प्रत्येक मंगलवार को व्रत रहना चाहिए।
विशेष पूजाप्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा करनी चाहिए।

वॄश्चिक राशि क्या है? (Vrischik Rashi kya Hai)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) ज्योतिष में बारह राशियों में से आठवीं राशि है। इस राशि का स्वामी मंगल ग्रह होता है। वृश्चिक राशि के जातक गंभीर, दृढ़ निश्चयी और साहसी होते हैं, लेकिन साथ ही क्रूर और खतरनाक भी हो सकते हैं। वे बुद्धिमान और जिज्ञासु होते हैं, हमेशा कुछ नया सीखने के लिए प्रयासरत रहते हैं। वे सीधे और निर्णायक होते हैं, लेकिन अप्रत्याशित और समझने में मुश्किल भी हो सकते हैं। इसके बावजूद, वृश्चिक राशि के लोग वफादार और विश्वसनीय मित्र होते हैं। प्रसिद्ध वृश्चिक राशि वाले व्यक्तियों में पाब्लो पिकासो, जवाहरलाल नेहरू, बिल गेट्स और विलियम शेक्सपियर शामिल हैं। वृश्चिक राशि में चंद्रमा नीच राशि का होता है।

वॄश्चिक राशि का तत्व क्या है? (Vrischik Rashi ka Tatva kya Hai)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) का तत्व जल है। जल तत्व इसे गहराई, भावनात्मकता और संवेदनशीलता का प्रतीक बनाता है, जो वृश्चिक राशि के जातकों के व्यक्तित्व में प्रमुख भूमिका निभाता है।

वॄश्चिक राशि के स्वामी कौन हैं? (Vrischik Rashi ka Swami kaun Hai)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) के स्वामी मंगल ग्रह होते हैं, जो इस राशि के जातकों को साहस, ऊर्जा और आत्मविश्वास प्रदान करते हैं।

वॄश्चिक राशि के इष्ट देव कौन हैं? (Vrischik Rashi ke isht Dev kaun Hain)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) के इष्ट देव हनुमानजी (Hanuman ji) माने जाते हैं, जिनकी कृपा से जातकों को साहस, शक्ति और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।

वॄश्चिक राशि के लिए मंत्र (Vrischik Rashi ke liye Mantra)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) का बीज मंत्र “ॐ ऎं क्लीं सौः” है, जिसे साधना में प्रयोग करने से जातकों को शक्ति, मानसिक शांति, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

वॄश्चिक राशि के लिए धातु (Vrischik Rashi ke liye Dhatu)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) के जातकों को तांबे या चांदी की धातु पहनने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे उन्हें विशेष लाभ और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

वॄश्चिक राशि के लिए रत्न (Vrischik Rashi ke liye Ratn)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) का रत्न मूंगा है, जो मंगल ग्रह से जुड़ा होता है और सर्वसुख प्रदान करने वाला माना जाता है, जिससे जातकों को शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है।

वॄश्चिक राशि की शत्रु राशियाँ कौन सी है? (Vrischik Rashi ki Shatru Rashiyaan kaun si Hain)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) के जातक मीन राशि वालों की झूठ बोलने की आदत सहन नहीं कर पाते, इसलिए मीन राशि को वृश्चिक का शत्रु माना जाता है, जो इनके संबंधों में चुनौती बनती है।

वॄश्चिक राशि की मित्र राशियाँ कौन सी है? (Vrischik Rashi ki Mitra Rashiya kaun si Hoti Hai)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) के संबंध कर्क, सिंह, मेष, धनु, और मीन राशि वालों से मजबूत होते हैं, जिससे मित्रता और भागीदारी बनी रहती है। इन्हें वृश्चिक राशि की मित्र राशियाँ माना जाता है।

वॄश्चिक राशि नाम अक्षर (Vrischik Rashi Naam Akshar)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) के लिए शुभ नाम अक्षर तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, और यू माने जाते हैं, जो इस राशि के जातकों के नाम चुनने में सहायक होते हैं।

वॄश्चिक राशि की दिशा क्या है? (Vrischik Rashi ki Disha kya Hai)

वृश्चिक राशि (Vrischik Rashi) का वास उत्तर दिशा में माना जाता है, और इसे शीर्षोदयी राशियों में गिना जाता है, जो इसे विशेष रूप से ऊर्जावान और प्रभावशाली बनाती है।

जन्मतिथि से वॄश्चिक राशि पहचानिए (Birth Date Se Vrischik Rashi Jane)

जिन व्यक्तियों का जन्म 23 अक्टूबर से 21 नवंबर के बीच होता है, उनकी राशि वृश्चिक होती है, जो गहराई, रहस्यमयता और भावनात्मकता के गुणों से परिपूर्ण मानी जाती है।

Conclusion:-Vrischik Rashi ke isht Dev Kaun Hai

आशा करते हैं की (वृश्चिक राशि – इष्ट देव, राशि तत्व, राशि का स्‍वामी,मंत्र, धातु, रत्न, रुद्राक्ष, राशि नाम अक्षर) से संबंधित यह बेहद खास लेख आपको पसंद आया होगा अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें,बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in/ पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s:-Vrischik Rashi ke isht Dev Kaun Hai

व्रिश्चिक राशि के जातकों के इष्ट देव कौन होते हैं?
व्रिश्चिक राशि के इष्ट देव भगवान शिव माने जाते हैं। भगवान शिव की कृपा से व्रिश्चिक राशि के जातक जीवन में आने वाली बाधाओं और समस्याओं से मुक्त हो सकते हैं। भगवान शिव के अलावा, हनुमान जी और माँ काली भी इस राशि के लिए महत्वपूर्ण देव माने जाते हैं।

व्रिश्चिक राशि के जातक किन मंत्रों का जाप करें?
व्रिश्चिक राशि के जातक भगवान शिव के “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके अलावा, हनुमान जी के भक्तों के लिए “ॐ हनुमते नमः” मंत्र भी अत्यंत लाभकारी होता है। नियमित रूप से इन मंत्रों का जाप करने से मानसिक शांति और शक्ति मिलती है।

व्रिश्चिक राशि के जातक को कौन से व्रत रखने चाहिए?
व्रिश्चिक राशि के जातक भगवान शिव की आराधना के लिए सोमवार का व्रत रख सकते हैं। इसके साथ ही हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए मंगलवार का व्रत भी शुभ माना जाता है। शिवरात्रि, सोमवती अमावस्या और प्रदोष व्रत भी व्रिश्चिक राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होते हैं।

क्या व्रिश्चिक राशि के जातक को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए?
हां, व्रिश्चिक राशि के जातक को नियमित रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। इससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की परेशानियाँ कम होती हैं। साथ ही, सोमवार को विशेष पूजा करना अत्यंत शुभ होता है।

व्रिश्चिक राशि के जातक किन रत्नों को धारण करें?
व्रिश्चिक राशि के लिए मूंगा (लाल मूंगा) और पुखराज मुख्य रूप से शुभ माने जाते हैं। इन रत्नों को सही मुहूर्त और उचित प्रक्रिया के तहत धारण करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।

व्रिश्चिक राशि के जातकों के लिए कौन से उपाय लाभकारी हो सकते हैं?
व्रिश्चिक राशि के जातक नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करें, हनुमान चालीसा का पाठ करें और माँ काली की आराधना करें। साथ ही, रुद्राक्ष धारण करना भी इनके लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। शिवलिंग पर बेलपत्र और जल अर्पित करना, ध्यान और योग करने से भी मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

क्या व्रिश्चिक राशि के जातकों को हरिद्राक्ष पहनना चाहिए?
हां, व्रिश्चिक राशि के जातक हरिद्राक्ष (पीले रंग का रुद्राक्ष) पहन सकते हैं। इसे धारण करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।