गुप्त नवरात्रि की कथा।Gupt Navratri katha PDF Download:नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बेहद खास माना जाता है। साल में चार बार मनाई जाने वाली नवरात्रि में से दो नवरात्रि ऐसी होती हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। ये नवरात्रि आषाढ़ और माघ महीने में आती हैं। इन्हें गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें मां दुर्गा के गुप्त स्वरूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि का एक रहस्यमयी पहलू भी है। इस दौरान तंत्र-मंत्र और गुप्त विद्याओं की साधना की जाती है। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में सही विधि से पूजा-अर्चना करने से साधक को सिद्धियां प्राप्त होती हैं और वह अलौकिक शक्तियों का अनुभव कर सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि क्या है? इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं? गुप्त नवरात्रि के क्या लाभ हैं? यदि आप भी इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।
इस विशेष लेख के जरिए हम आपको गुप्त नवरात्रि के बारे में विस्तार से बताएंगे और इससे जुड़े कई रोचक तथ्यों से भी अवगत कराएंगे….
टॉपिक | गुप्त नवरात्रि की कथा।Gupt Navratri katha PDF Download |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
व्रत | गुप्त नवरात्रि व्रत |
प्रमुख देवी | सर्वेश्वरकारिणी देवी |
व्रत का दिन | 10 फरवरी |
व्रत का पारण | 11 फरवरी |
व्रत का शुभ समय | 10 फरवरी के दिन सुबह 8:45 बजे से 11 फरवरी 2024 को रात 12 बजकर 47 मिनट तक |
महत्व | शांति, खुशी और सफलता एवं आध्यात्मिक चेतना का जागरण |
गुप्त नवरात्रि क्या है?(Gupt Navratri kya hai?)
गुप्त नवरात्रि )Gupt Navratri) हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जो नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान, भक्तगण मां शक्ति के विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं। यह विशेष अवसर भक्तों के लिए आत्मिक उन्नति और देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अवसर होता है। इस दौरान भक्त उपवास रखते हैं, मंत्रोच्चार करते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं। गुप्त नवरात्रि के इन दिनों में मां की आराधना से विशेष सिद्धियां प्राप्त होने की मान्यता है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और शुभ फल प्राप्ति की राह खोलती हैं।
गुप्त नवरात्रि कब-कब आती है? (Gupt Navratri kab kab aati hai?)
गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) वर्ष में दो बार मनाई जाती है—पहली माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है, और दूसरी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में आती है। इस खास पर्व में देवी की दस महाविद्याओं का विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। गुप्त नवरात्रि का व्रत मुख्यतः मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह पर्व भक्तों के लिए देवी के दिव्य आशीर्वाद और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने का एक अनोखा अवसर है।
गुप्त नवरात्रि कब आती है ।Gupt Navratri kab aati hai
गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) का पावन पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार यह माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है, जबकि दूसरी बार इसे आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है।
गुप्त नवरात्रि में किसकी पूजा की जाती है। Gupt Navratri me kiski puja ki jati hai
गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) के दौरान देवी मां दुर्गा की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि देवी शक्ति के रूप में अपनी दिव्य शक्ति से जुड़ी हैं, दिव्यता की शक्तिशाली अभिव्यक्ति जिसने राक्षस महिषासुर (Demon Mahishasur) का वध किया था, जिसके लिए उन्हें महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है।
इस अवसर को भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं जो माता दुर्गा की पूजा और भक्ति करते हैं। त्योहार के दौरान भक्तों द्वारा दिखाया गया उल्लास माता दुर्गा के प्रति उनकी भक्ति की विशालता को पार कर जाता है। यह पूरे भारत में, विशेषकर उत्तरी राज्यों में बहुत लोकप्रिय है।
गुप्त नवरात्रि की कथा। Gupt Navratri Vrat katha
गुप्त नवरात्रि की कथा कुछ इस प्रकार है-
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार कहा गया है कि एक बार ऋषि श्रृंगी (Rishi Shringi) अपने सभी भक्तों के बीच बैठकर उनकी सभी समस्याओं का समाधान कर रहे थे इन सभी भक्तों के बीच एक स्त्री भी ऋषि के पवित्र वचन को सुन रही थी वह स्त्री बहुत परेशान थी और श्रृंगी ऋषि के सामने प्रकट होकर उसने अपनी सभी समस्याएं व्यक्त की ।
उस स्त्री के दुख और समस्या को सुनकर श्रृंगी ऋषि बहुत द्रवित हुए और उन्होंने स्त्री से कहा कि है पुत्री आप गुप्त नवरात्रि में मां भगवती की पूजा करें आपकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होगी तभी वह स्त्री बोली हे मुनिवर में माता भगवती की पूजा करना तो चाहती हूं लेकिन मेरे पति नशेड़ी और तामसी प्रवृत्ति के हैं उनके तामसी प्रवृत्ति के होने के कारण हमारी पूजा सफल नहीं हो पाती है जबकि मैं पूरे समर्पण भाव के साथ माता भगवती की पूजा अडिग में रहती हूं उसे स्त्री के वचनों से श्रृंगी ऋषि बेहद प्रसन्न हुए और बोले की है पुत्री आप सर्वेश्वर करणी देवी की आराधना करिए और आपका इससे कल्याण भी होगा ।
ऋषि श्रृंगी (Rishi Shringi) ने स्त्री से कहा कि “सर्वेश्वरकारिणी देवी (Sarveshwar Karini Devi) गुप्त नवरात्रि की अधिष्ठात्री देवी हैं, इनकी पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अभयदान से अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली गुप्त नवरात्रि के दिनों में सर्वेश्वरकारिणी देवी (Sarveshwar Karini Devi) की पूजा को बहुत ही पवित्र और मह्त्वपूर्ण माना जाता है।”
श्रृंगी ऋषि ने स्त्री से कहा कि – “जो भी व्यक्ति कभी पूजा नहीं कर सकता और लोभ, वासना, व्यसन के अधीन है, ऐसा व्यक्ति अगर गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में भगवती (bhagvati) की पूजा करता है, तो उसके जीवन में और कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। श्रृंगी ऋषि के वचन का पालन करते हुए महिला पूरी श्रद्धा से गुप्त नवरात्रि की पूजा करने लगी।
माता भगवती उन पर प्रसन्न हुई और धीरे-धीरे उनका जीवन बदलने लगा और उनके पति के सभी अनुचित व्यसन छूट गए। गुप्त नवरात्रि में भगवती की पूजा करने से उनके जीवन में सुख-समृद्धि का पुनः संचार होता है।
गुप्त नवरात्रि व्रत कथा PDF Download | Gupt Navratri Vrat katha PDF Download
गुप्त नवरात्रि व्रत कथा PDF Download | View Kathaगुप्त नवरात्रि का रहस्य (Gupt Navratri ka rahasya)
गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) का विशेष महत्व तंत्र साधनाओं से जुड़ा हुआ है, जिन्हें अत्यंत गोपनीय तरीके से संपन्न किया जाता है। यही कारण है कि इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस पावन अवधि में अघोरी और तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए विशेष अनुष्ठान और साधनाएं करते हैं। तंत्र साधना के इस काल को मोक्ष प्राप्ति की दिशा में अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। यह अवधि न केवल तांत्रिक विधियों के लिए, बल्कि आत्मा के उत्थान और दिव्य ऊर्जा की प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
गुप्त नवरात्रि में क्या करना चाहिए? (Gupt Navratri me kya karna chahiye?)
- कलश स्थापना और पाठ का महत्व: गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में मां दुर्गा की विधिवत पूजा के साथ कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश स्थापना के बाद सुबह और शाम के समय दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अनिवार्य माना जाता है।
- भोग और अर्पण की परंपरा: पूजा के दौरान माता रानी को लोंग और बताशे का भोग अर्पित करें, जो उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रतीक है। साथ ही, कलश स्थापना करते समय मां दुर्गा को लाल पुष्प और चुनरी चढ़ाना शुभ माना जाता है, जिससे पूजा की पूर्णता होती है।
गुप्त नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए? (Gupt Navratri mai kya nahi karna chahiye?)
- मां जगत जननी की पूजा और नियम पालन: गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में मां जगदंबा की आराधना में पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ लीन रहना चाहिए। इस दौरान बाल और नाखून कटवाने से परहेज करना आवश्यक है, क्योंकि यह परंपरा और साधना के नियमों के विपरीत माना जाता है।
- तामसिक पदार्थों से परहेज: गुप्त नवरात्रि के दिनों में शुद्धता बनाए रखने के लिए लहसुन और प्याज जैसे तामसिक पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। यह परहेज साधना को प्रभावी और सफल बनाने में सहायक होता है।
गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि (Gupt Navratri Puja Vidhi)
गुप्त नवरात्रि में पूजा विधि (6 मुख्य चरणों में):
- शारीरिक और मानसिक शुद्धि: गुप्त नवरात्रि के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और शारीरिक व मानसिक शुद्धि का ध्यान रखें। इसके बाद पूजा स्थल और घर को अच्छे से साफ करें ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो। इस दिन लाल रंग के पारंपरिक वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- पूजा वेदी की स्थापना: पूजा स्थल में एक पवित्र वेदी स्थापित करें। इस वेदी पर देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र विराजमान करें। उनके समक्ष शुद्ध देसी घी का दीपक प्रज्वलित करें, जिससे वातावरण पवित्र और आध्यात्मिक हो जाए।
- मां दुर्गा का श्रृंगार: मां दुर्गा की प्रतिमा को कुमकुम, अक्षत, लाल पुष्प, और श्रृंगार सामग्री से सजाएं। उनके चरणों में लाल रंग की माला अर्पित करें और तिलक लगाकर मां का पूजन करें।
- कलश स्थापना: विधि-विधान से कलश की स्थापना करें। कलश को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कलश के पास नारियल, आम के पत्ते, और जल भरकर रखें।
- भोग और पाठ: मां दुर्गा को हलवा-पूड़ी और चने का भोग अर्पित करें। इसके बाद वैदिक मंत्रों और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हुए मां दुर्गा का आह्वान करें। यह पाठ गुप्त नवरात्रि के दौरान अत्यधिक शुभ माना जाता है।
आरती और प्रसाद वितरण: पूजा के अंतिम चरण में मां दुर्गा की आरती करें और घर के सभी सदस्यों के बीच प्रसाद का वितरण करें। यह प्रक्रिया घर में सकारात्मकता और दिव्यता का संचार करती है।
गुप्त नवरात्रि के फायदे (Gupt Navratri ke fayde)
गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) के फायदे:
- विशेष कामनाओं की सिद्धि: गुप्त नवरात्रि में तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए साधना की जाती है। इस दौरान विशेष पूजा से भक्त अपनी इच्छाओं और कामनाओं को पूरा करने के लिए विशेष शक्तियां प्राप्त कर सकते हैं।
- दुखों से मुक्ति: गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है। “ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विद्या” महामंत्र की मदद से शैतानी शक्तियों को दूर किया जाता है और भक्तों के दिलों से बुराई का डर दूर होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा होती है जिससे मोक्ष की कामना की जाती है। अघोर तांत्रिक लोग इस दौरान महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। गुप्त रूप से की जाने वाली तांत्रिक साधनाएं और देवी दुर्गा को अर्पित गुप्त प्रार्थनाएं भक्तों को मोक्ष प्राप्त करने में सहायता करती हैं।
गुप्त नवरात्रि के नियम (Gupt Navratri ke Niyam)
गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) के 5 महत्वपूर्ण नियम इस प्रकार हैं:
- देवी का चयन: गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक अपनी इच्छानुसार सौम्य कोटि, उग्र कोटि या सौम्य-उग्र कोटि की किसी भी देवी का चयन कर उनकी पूजा या साधना कर सकते हैं।
- अघोर साधना: जो साधक अघोर साधना करना चाहते हैं, वे दस महाविद्याओं में से किसी एक का चयन कर साधना कर सकते हैं। हालांकि यह साधना केवल अनुभवी साधकों के लिए ही उपयुक्त है।
- तांत्रिकों के लिए महत्व: गुप्त नवरात्रि का तांत्रिकों और शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े साधकों के लिए विशेष महत्व है। इस दौरान साधक कठोर साधना करते हैं और दुर्लभ सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
- दुर्गा की पूजा: गुप्त नवरात्रि में आपदाओं और बुरी शक्तियों से सुरक्षा के लिए दुर्गा की पूजा जरूरी मानी जाती है। क्योंकि इस समय देवताओं की दिव्य शक्तियां कमजोर और नकारात्मक शक्तियां प्रबल हो जाती हैं।
- नियमों का कड़ाई से पालन: गुप्त नवरात्रि के व्रत के नियमों का सख्ती से पालन करना जरूरी है। इसमें किसी गंभीर आपातकाल को छोड़कर किसी भी कारण से व्रत न तोड़ना, तामसिक भोजन या शराब का सेवन न करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना और झूठ न बोलना या क्रोधित न होना शामिल है।
गुप्त नवरात्रि का महत्व । Gupt Navratri Significance
गुप्त नवरात्रि का त्योहार दिव्य सर्वशक्तिमान, माता दुर्गा को समर्पित है जिसमें उनके सभी नौ दिव्य रूपों की पूजा की जाती है।
नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह एक बहुत ही धार्मिक अवसर है और यह किसी की आत्मा को लौकिक दबावों के बोझ से मुक्त करता है, जिससे भक्त को जीवन में अपने चुने हुए प्रयास में शांति, खुशी और सफलता मिलती है।
पौराणिक ग्रंथों में यह माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा करना किसी की आत्मा को अनुचित बोझ से मुक्त करने और आध्यात्मिक चेतना प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, इसके अलावा कई अन्य लाभ भी होते हैं जो एक व्यक्तिगत भक्त को प्राप्त होते हैं।
Conclusion
गुप्त नवरात्रि एक ऐसा अवसर है जब भक्त देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सफल और सुखी बना सकते हैं। गुप्त नवरात्रि से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर साझा करिए साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़िए ।
FAQ’S
Q. गुप्त नवरात्रि कितने दिनों तक मनाई जाती है?
Ans. गुप्त नवरात्रि 9 दिनों तक मनाई जाती है।
Q. गुप्त नवरात्रि का महत्व क्या है?
Ans. गुप्त नवरात्रि को शक्ति की उपासना का त्योहार माना जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
Q. गुप्त नवरात्रि में क्या-क्या भोग लगाया जाता है?
Ans. गुप्त नवरात्रि में देवी को फल, फूल, मिठाई, नारियल, और पान का भोग लगाया जाता है।
Q.गुप्त नवरात्रि में कौन-कौन से विशेष पूजन किए जाते हैं?
Ans. गुप्त नवरात्रि में कई तरह के विशेष पूजन किए जाते हैं। कुछ लोग कन्या पूजन, नवग्रह पूजन, और शांति पूजन करते हैं।
Q.गुप्त नवरात्रि का समापन कैसे होता है?
Ans. गुप्त नवरात्रि का समापन दशमी तिथि को होता है। इस दिन लोग कन्याओं को भोजन कराते हैं और उन्हें दक्षिणा देते हैं।