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Mahashivratri 2024 : मार्च में इस दिन मनाई जाएगी महा शिवरात्रि, जाने इस दिन का महत्व,इतिहास

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Maha Shivaratri 2024: फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि, जब अमावस्या (Amavasya) की छाया धरती पर गहराती है, उस समय महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का पावन पर्व मनाया जाता है। यह एक ऐसा पर्व है जो अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञानता से ज्ञान की ओर और मोह से मुक्ति की ओर यात्रा का प्रतीक है। इस रात भगवान शिव का विशेष पूजन किया जाता है। भक्त उपवास रखते हैं, शिवलिंग पर जल और बिल्वपत्र चढ़ाते हैं, और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हैं। शिवरात्रि भगवान शिव की भक्ति का उत्सव है, जो समस्त दुखों का नाश करते हैं और भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व से संबंधित इस लेख में हम आपको बताएंगे महा शिवरात्रि हिंदी में (maha shivratri in hindi) , महा शिवरात्रि कब है(maha shivratri kab hai) , महा शिवरात्रि क्या है? (what is maha shivaratri) , महा शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ( why do we celebrate mahashivratri) , महाशिवरात्रि का महत्व (importance of mahashivratri ) , महा शिवरात्रि इतिहास (maha shivratri history) , महा शिवरात्रि कथा (maha shivaratri story) , महा शिवरात्रि उत्सव (maha shivaratri festival Celebration , महा शिवरात्रि पर क्या करें? ( what to do on maha shivratri ) , महा शिवरात्रि पर क्या ना करें? ( what not to do on maha shivratri ) , महाशिवरात्रि व्रत कथा (mahashivratri vrat katha) , महा शिवरात्रि कैसे मनाई जाती है (how is maha shivaratri celebrated ) इत्यादि इसीलिए हमारे इसलिए हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।

Maha Shivratri 2024 Overview

टॉपिकमार्च में इस दिन मनाई जाएगी महा शिवरात्रि, जाने इस दिन का महत्व,इतिहास
लेख प्रकारआर्टिकल
त्योहारमहाशिवरात्रि
प्रमुख देवताभगवान शिव
तिथि“फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी”
महत्वभगवान शिव की पूजा का पर्व
उत्सवउपवास, पूजा-अर्चना, अनुष्ठान, भजन-कीर्तन, शिव तांडव नृत्य
पारण तिथि08 मार्च 2024

महा शिवरात्रि हिंदी में (Maha Shivratri in Hindi)

Maha Shivaratri: हिंदू धर्म (Hindu religion) के प्रमुख त्योहारों में से एक, महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri), भगवान शिव (Lord Shiva) के प्रति समर्पण और आराधना का पर्व है। यह त्योहार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, शिव मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं, और भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं।

महा शिवरात्रि कब है (Maha Shivratri kab hai)

2024 में महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) 8 मार्च, शुक्रवार को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को रात 9:57 बजे शुरू होगी और 9 मार्च को शाम 6:17 बजे समाप्त होगी।

महा शिवरात्रि क्या है? (What is Maha Shivaratri)

महा शिवरात्रि (Maha Shivratri) का त्योहार भगवान शिव (Lord Shiva) के प्रति समर्पण और आराधना का पर्व है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, शिव मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं, और भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं।

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का महत्व भक्ति, आस्था और आत्म-साक्षात्कार से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार हमें भगवान शिव के प्रति समर्पण करने, आत्म-ज्ञान प्राप्त करने, और सदाचारी जीवन जीने की प्रेरणा देता है.

महा शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ( why do we Celebrate Mahashivratri)

महाशिवरात्रि Maha Shivratri के पीछे कई पौराणिक कथाएँ और विश्वास हैं, जिनमें से सबसे प्रचलित यह है कि इसी दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) का विवाह marriage हुआ था। इसलिए, यह दिन शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है। एक अन्य कथा के अनुसार, इसी रात्रि को शिव (Lord Shiva) ने नीलकंठ (Neelkanth)रूप धारण करके समुद्र मंथन से निकला विष पी लिया था, जिससे सृष्टि की रक्षा हुई। इस कारण उन्हें विश्व का संहारक और संरक्षक माना जाता है।

महाशिवरात्रि का महत्व (Importance of Mahashivratri )

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का त्यौहार हिन्दू धर्म (Hindu religion) में बहुत उच्च महत्व रखता है, जो भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना और उनके प्रति गहरी भक्ति का प्रतीक है। यह त्यौहार न केवल भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) के विवाह (marriage) की याद दिलाता है, बल्कि यह उस रात की भी स्मृति है जब शिव (Lord Shiva) ने समस्त सृष्टि की रक्षा के लिए विष पी लिया था। इस त्यौहार के माध्यम से भक्त अपने जीवन में शिवतत्व को आत्मसात करने और आध्यात्मिक जागृति की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन व्रत, पूजा, जागरण और शिवलिंग पर जलाभिषेक जैसी धार्मिक गतिविधियाँ करके भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। यह मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से भगवान शिव (Lord Shiva) प्रसन्न होकर भक्तों के सभी पापों का नाश करते हैं और उन्हें मोक्ष का मार्ग प्रदान करते हैं। महाशिवरात्रि Maha Shivratri, इस प्रकार, नवीन आध्यात्मिक आरंभ और जीवन में उच्चतर चेतना की ओर अग्रसर होने का एक अवसर प्रदान करती है।

महा शिवरात्रि इतिहास (Maha Shivratri History)

सबसे पवित्र हिंदू त्योहारों में से एक, महा शिवरात्रि, भगवान शिव (lord shiva) और मां पार्वती के विवाह और उनसे जुड़ी कई अन्य लौकिक घटनाओं का स्मरण कराती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस रात भगवान शिव ने अपनी दिव्य पत्नी मां शक्ति से दूसरी बार विवाह किया था। यह उनके दिव्य मिलन के उत्सव में है कि उस दिन को ‘भगवान शिव की रात’ के रूप में मनाया जाता है। जबकि भगवान शिव (lord shiva) पुरुष का प्रतीक हैं – जो कि सचेतनता है, माँ पार्वती प्रकृति का प्रतीक हैं – जो प्रकृति है। इस चेतना और ऊर्जा का मिलन सृजन को बढ़ावा देता है।

एक अन्य किंवदंती कहती है कि ब्रह्मांड के निर्माण के दौरान, भगवान शिव भगवान ब्रह्मा की कृपा से महा शिवरात्रि की आधी रात के दौरान भगवान रुद्र के रूप में अवतरित हुए थे। यह भी माना जाता है कि इस शिवरात्रि, भगवान शिव (Lord Shiva) ने अपनी पत्नी मां सती (Goddess Sati) के आत्मदाह (suicide) की खबर सुनकर विनाश का अपना लौकिक नृत्य किया था। यह स्वर्गीय नृत्य उनके भक्तों के बीच रुद्र तांडव के नाम से जाना जाता है। पंचांग (calendar) के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला. इसमें संपूर्ण सृष्टि को नष्ट करने की शक्ति थी। हालाँकि, भगवान शिव Lord Shiva ने जहर पी लिया और पूरी दुनिया को विनाश से बचा लिया। इसलिए, ब्रह्माण्ड के संरक्षण के लिए भगवान शिव को धन्यवाद देने के लिए उनके भक्त महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) मनाते हैं

महा शिवरात्रि कथा (Maha Shivaratri Story)

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) हिन्दू धर्म (Hindu Religion) के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, और इसकी धूमधाम से मनाए जाने के पीछे कई वजहों में से शिव-पार्वती विवाह की पौराणिक कथा का विशेष स्थान है। माता सती के रूप में भगवान शिव को पति मान चुकीं पार्वती, उनके पुनर्जन्म के बाद राजा हिमवान  और रानी मैना की पुत्री के रूप में जन्म लेती हैं। बचपन से ही उनका मन शिवजी में रम जाता है और वे उन्हें ही अपने पति के रूप में पाने का संकल्प कर लेती हैं।

शिवजी (Shivaji) को प्रसन्न करने के लिए पार्वती कठोर तपस्या करती हैं। वह हिमालय (Himalaya) की कठोर परिस्थितियों को सहन करती हैं, अन्न-जल त्याग देकर केवल पत्ते खाकर रहती हैं, और ध्यान में लीन होकर शिवजी की आराधना करती हैं। उनकी तपस्या से देवता तक विचलित हो जाते हैं। पार्वती (Goddess Parvati) की तपस्या को भंग करने के लिए, परम शिव विभिन्न रूप धारकर उनके सामने आते हैं। लेकिन पार्वती अटल रहती हैं। उनका दृढ़ संकल्प और अटूट प्रेम देखकर अंततः शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें स्वीकार कर लेते हैं।

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) के बीच दिव्य प्रेम का उत्सव है। यह जीवन में समर्पण, प्रेम और कर्तव्यनिष्ठा के महत्व को भी दर्शाता है।

महा शिवरात्रि उत्सव (Maha Shivaratri Festival Celebration)

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) को भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Goddess Parvati) के विवाह का प्रतीक माना जाता है। यह आध्यात्मिक जागरण, आत्म-संयम, और शुभता का त्योहार है। महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) भारत )India) के विभिन्न राज्यों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर भव्य शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं, जबकि अन्य स्थानों पर भगवान शिव की विशाल प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है। महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है जो भक्तों को भगवान शिव (Lord Shiva) के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

महा शिवरात्रि पर क्या करें? What to Do On Maha Shivratri?

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) जिसका अर्थ है “शिव की महान रात”, भारत के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भगवान शिव (Lord Shiva) के सम्मान में मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म में विनाशक और सृष्टिकर्ता दोनों के रूप में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओं में से एक हैं। इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि यह न केवल भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह का प्रतीक है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरण और मोक्ष प्राप्ति की रात के रूप में भी जाना जाता है।

  • व्रत रखना: भक्त पूरे दिन या आंशिक रूप से उपवास रखते हैं, केवल फल, दूध और पानी का सेवन करते हैं।
  • पूजा-अर्चना: भक्त मंदिरों में जाते हैं या घर पर भगवान शिव की पूजा करते हैं। अभिषेक (पवित्र जल या दूध से शिवलिंग का अभिषेक) किया जाता है, बेलपत्र, धतूरे के फूल और भांग चढ़ाए जाते हैं, और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप किया जाता है।
  • जागरण: रात भर जागरण किया जाता है, भगवान शिव के भजन गाए जाते हैं, और आध्यात्मिक चर्चा की जाती है।
  • दान-दक्षिणा: दान पुण्य का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, या धन दान किया जाता है।
  • ध्यान और मंत्र जप: महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाता है, जो भगवान शिव का एक शक्तिशाली मंत्र है, और शिवरात्रि की कथा सुनी जाती है।

महा शिवरात्रि पर क्या ना करें? ( what not to Do On Maha Shivratri )

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित एक पवित्र त्योहार है। इस दिन भक्त भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि महाशिवरात्रि पर क्या नहीं करना चाहिए।

  • मांसाहारी भोजन: महाशिवरात्रि पर मांसाहारी भोजन, मदिरा और नशीली दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • झगड़ा: इस दिन घर में झगड़ा या किसी के साथ भी मनमुटाव नहीं करना चाहिए।
  • निंदा: किसी की भी निंदा या बुराई नहीं बोलनी चाहिए।
  • क्रोध: क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।
  • दिन में सोना: महाशिवरात्रि पर दिन में सोना नहीं चाहिए।
  • शिवलिंग पर कुछ चीजें न चढ़ाएं: शिवलिंग पर तुलसी, केतकी, चंपा, काले तिल, टूटे चावल, बासी फूल, शंख, और सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए।
  • ब्रह्मचर्य: महाशिवरात्रि पर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • शिवलिंग: पर जल चढ़ाते समय: शिवलिंग या शिव की मूर्ति या तस्वीर पर कमल,कनेर,केतकी के फूल अर्पित ना करें।
  • प्रसाद: शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • काले कपड़े: महाशिवरात्रि के दिन काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।

महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri vrat katha)

एक बार की बात है, एक शिकारी था जिसका नाम चित्रभानु (Chitrabhanu) था। वह एक दिन जंगल में शिकार करने गया। उसने एक मृग को देखा और उसे तीर से मारना चाहा। तभी, मृग ने कहा, “हे शिकारी, मैं गर्भवती हूँ। यदि तुम मुझे मारोगे, तो तुम एक ही तीर से दो जीवों की हत्या करोगे। कृपया मुझे जाने दो। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे सामने प्रस्तुत हो जाऊंगी।” शिकारी ने मृग की बात सुन ली और उसे जाने दिया। मृग जंगल में लुप्त हो गई। शिकारी भी घर लौट आया।

उस दिन महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) थी। शिकारी को याद आया कि उसने आज व्रत रखा हुआ है। उसने व्रत रखा और भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा की। रात में, शिकारी को नींद आ गई। सपने में, उसने देखा कि मृग बच्चे को जन्म देकर उसके सामने उपस्थित हो गई है। मृग ने कहा, “हे शिकारी, तुमने मुझे जाने दिया था। मैं तुम्हें धन्यवाद देने आई हूँ।” शिकारी ने कहा, “हे मृग, तुमने मुझे व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने का अवसर दिया। मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा।” अगले दिन, शिकारी जंगल में गया। उसने मृग को और उसके बच्चे को देखा। उसने उन्हें कुछ फल और पानी दिया। मृग और उसका बच्चा शिकारी के प्रति कृतज्ञ थे। शिकारी ने मृग और उसके बच्चे को जाने दिया। उसने फिर कभी शिकार नहीं किया। वह भगवान शिव (Lord Shiva) का भक्त बन गया।

महाशिवरात्रि व्रत कथा pdf (Mahashivratri vrat katha pdf)

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) की व्रत कथा से संबंधित यह पीडीएफ PDF हम आपसे साझा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो आप इस PDF को डाउनलोड कर सकते हैं और कथा को सफलतापूर्वक पढ़ सकते हैं। 

महा शिवरात्रि कैसे मनाई जाती है (How is Maha Shivaratri celebrated )

उपवास और पूजा:

  • इस दिन, भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। वे शिवलिंग पर जल, दूध, घी, शहद, और फूल चढ़ाते हैं। ‘ॐ नमः शिवाय’ का मंत्र जपना भी इस दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। कई भक्त रात भर जागकर भजन गाते हैं और भगवान शिव की स्तुति करते हैं।

शिव बारात:

  • कुछ स्थानों पर, ‘शिव बारात’ निकाली जाती है। भक्त भगवान शिव की वेशभूषा धारण करते हैं और ढोल-नगाड़ों के साथ नृत्य करते हैं। यह बारात शहर के विभिन्न भागों से होकर गुजरती है और लोगों को भगवान शिव की भक्ति में लीन कर देती है।

मंदिरों में उत्सव:

  • इस दिन, शिव मंदिरों को फूलों और रंगीन रोशनी से सजाया जाता है। भक्तों की भीड़ मंदिरों में दर्शन के लिए उमड़ती है। भगवान शिव का अभिषेक भी इस दिन विशेष रूप से किया जाता है।

महाशिवरात्रि का महत्व:

  • महाशिवरात्रि का त्योहार भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है। यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने का माना जाता है।

Summary

महाशिवरात्रि (mahashivratri vrat) का पर्व आध्यात्मिकता, भक्ति, और आत्म-विश्लेषण का पर्व है। यह हमें जीवन के सही अर्थ को समझने और मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व से संबंधित यह लिखा अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें ।

FAQ”s

Q. महाशिवरात्रि के दिन क्या किया जाता है?

Ans.  महाशिवरात्रि के दिन भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, जागरण करते हैं और शिव मंदिर में दर्शन करते हैं।

Q. महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है?

Ans. महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है।

Q. महाशिवरात्रि का महत्व क्या है?

Ans. महाशिवरात्रि भगवान शिव के प्रति समर्पण और भक्ति का त्योहार है। 

Q. महाशिवरात्रि के दिन क्या किया जाता है?

Ans. महाशिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखते हैं, भगवान शिव का अभिषेक करते हैं, ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हैं और रातभर जागरण करते हैं।

Q. महाशिवरात्रि का अभिषेक कैसे किया जाता है?

Ans. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पंचामृत, दूध, दही, घी, शहद, जल आदि से अभिषेक किया जाता है।

Q. महाशिवरात्रि का जागरण क्यों किया जाता है?

Ans. महाशिवरात्रि के दिन रातभर जागरण करके भगवान शिव की भक्ति की जाती है।