माता सिद्धिदात्री की कहानी (Mata Siddhidatri ki Kahani): देवी माता सिद्धिदात्री: नवरात्रि (Navaratri) की नवमीं शक्ति हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत महत्व रखता है, और इस पर्व में देवी माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ रूपों में से नवमीं शक्ति है माता सिद्धिदात्री, जो भगवान शिव की पत्नी और समस्त सिद्धियों की दाता हैं।
माता सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri Ki Kahani) की महिमा और शक्ति के बारे में जानने के लिए, हमें उनकी उत्पत्ति, स्वरूप, और पूजा विधि के बारे में जानना होगा। माता सिद्धिदात्री की कहानी पुराणों में वर्णित है, और उनकी पूजा करने से भक्तों को शक्ति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के नवमें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व है, और इस दिन भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और शक्ति की प्राप्ति होती है, और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। माता सिद्धिदात्री की महिमा और शक्ति के बारे में जानने से हमें उनकी पूजा करने की प्रेरणा मिलती है, और हमें उनकी कृपा की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता सिद्धिदात्री की उत्पत्ति कैसे हुई और उनकी प्रार्थना कैसे की जाती है? क्या आप जानते हैं कि माता सिद्धिदात्री का स्वरूप वर्णन क्या है और उनका प्रमुख मंत्र क्या है? इस लेख में, हम माता सिद्धिदात्री के बारे में विस्तार से जानेंगे और उनकी महिमा को समझेंगे।
तो आइए, माता सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) के बारे में जानें और उनकी शक्ति का लाभ उठाएं….
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देवी माता सिद्धिदात्री कौन हैं? (Devi Mata Siddhidatri kaun hain?)
शास्त्रों के अनुसार, मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) को सिद्धि और मोक्ष की देवी के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। उनके पास आठ सिद्धियों का भंडार है, जिसमें अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं। मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी की तरह कमल पर विराजमान हैं और उनका स्वरूप चार हाथों वाला है। उनके इन दिव्य गुणों के माध्यम से, वे अपने भक्तों को सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता करती हैं।
देवी माता सिद्धिदात्री की उत्पत्ति कैसे हुई? (Devi Mata Siddhidatri Ki Utpatti Kaise hui?)
सृष्टि के आरंभ में, भगवान रुद्र ने सृजन के उद्देश्य से आदि-पराशक्ति की आराधना की। मान्यताओं के अनुसार, देवी आदि-पराशक्ति का कोई निश्चित रूप या आकार नहीं था। शक्ति की सर्वोच्च देवी, जो अनंत शक्ति का प्रतीक हैं, ने भगवान शिव के वाम अंग से प्रकट होकर सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) के रूप में अवतरण किया। उनकी आराधना से न केवल सृष्टि का निर्माण हुआ, बल्कि वे शक्ति, ज्ञान और सिद्धि का अनूठा रूप भी बनीं, जो भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
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नवरात्रि पूजा (Navaratri Puja)
नवरात्रि के नौवे दिन, भक्तजन देवी सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) की विशेष पूजा और आराधना करते हैं, जो शक्ति, सिद्धि और समृद्धि की प्रतीक मानी जाती हैं।
शासनाधीन ग्रह (Shashnadheen Grah)
मान्यता है कि देवी सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) केतु ग्रह को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं, जिसके कारण केतु ग्रह का शासन देवी सिद्धिदात्री के अधीन माना जाता है।
स्वरूप वर्णन (Swaroop Varnan)
देवी सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) कमल पुष्प पर आसीन होकर, सिंह पर सवारी करती हैं, जो उनकी शक्ति और गरिमा को दर्शाता है। उन्हें चतुर्भुज रूप में प्रदर्शित किया गया है, जिसमें उनके एक दाहिने हाथ में गदा और दूसरे दाहिने हाथ में चक्र है। वहीं, उनके बायें हाथ में एक खूबसूरत कमल पुष्प और दूसरे बायें हाथ में शंख सुशोभित है। इस अद्वितीय स्वरूप में देवी माँ की दिव्यता और उनकी विभिन्न शक्तियों का समावेश है, जो भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
प्रिय पुष्प (Priya Pushp)
- माता सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) को रात की रानी का पुष्प अत्यंत प्रिय है।
मन्त्र (Mantra)
- ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
प्रार्थना (Prarthana)
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
स्तुति (Stuti)
- या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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स्तोत्र (Stotra)
कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
आरती (Aarti)
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता। तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥हिमाचल है पर्वत जहाँ वास तेरा। महा नन्दा मन्दिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥यह भी पढ़े:–चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में अंतर | शारदीय नवरात्रि | दुर्गा आरती | देवी कात्यायनी | दुर्गा स्तोत्र | दुर्गा चालीसा | दुर्गा के 108 नाम | नौ देवियों बीज मंत्र| शरद पूर्णिमा |रमा एकादशी व्रत कथा | शरद पूर्णिमा आरती | नवरात्रि के 9 दिन नौ रंगो | माँ दुर्गा के नौ रूप | विजयदशमी | रावण का परिवार |दशहरा | धनतेरस | दशहरा शस्त्र पूजा | रावण दहन | धनतेरस पूजा | करवा चौथ आरती |धनतेरस खरीदारी |करवा चौथ कहानी | पहली बार करवा चौथ कैसे करें | करवा चौथ व्रत खाना | करवा चौथ शुभकामनाएं | देवी शैलपुत्री कहानी | देवी ब्रह्मचारिणी कहानी | देवी चंद्रघंटा कहानी | करवा चौथ पूजन विधि सामग्री | माता कुष्मांडा पूजा |माता स्कंदमाता कहानी |माता कालरात्रि कहानी | माता महागौरी कहानी | माता सिद्धिदात्री कहानी
Conclusion:- Mata Siddhidatri Ki Kahani
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FAQ’s
Q. माता सिद्धिदात्री कौन हैं?
Ans. माता सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के नौवें रूप में पूजी जाती हैं। वह नवरात्रि के अंतिम दिन (नवमी तिथि) पर विशेष रूप से पूजी जाती हैं। उनके नाम का अर्थ है “सिद्धियों को प्रदान करने वाली”, अर्थात् सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी। उन्हें चार भुजाओं और कमल के फूल पर बैठी हुए चित्रित किया जाता है।
Q. माता सिद्धिदात्री की पूजा क्यों की जाती है?
Ans. माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, जैसे कि ध्यान, भक्ति, योग, और आत्मसाक्षात्कार। यह माना जाता है कि उनकी कृपा से भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलताओं का आशीर्वाद मिलता है।
Q. माता सिद्धिदात्री की पूजा का क्या महत्व है?
Ans. माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के नवें दिन उनकी पूजा करने से भक्त के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। यह दिन भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन माता सिद्धिदात्री की आराधना से सभी प्रकार की आध्यात्मिक और भौतिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
Q. माता सिद्धिदात्री की कथा क्या है?
Ans.पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सिद्धिदात्री ने भगवान शिव को अष्ट सिद्धियों से आशीर्वादित किया था। भगवान शिव ने इन्हीं सिद्धियों के माध्यम से “अर्धनारीश्वर” रूप धारण किया था, जो आधे पुरुष और आधी स्त्री का रूप है। यह देवी शक्ति का ही आशीर्वाद था जिससे शिव को यह रूप प्राप्त हुआ।
Q. क्या माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है?
Ans. जी हाँ, ऐसा माना जाता है कि माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वह भक्त को न केवल आध्यात्मिक लाभ देती हैं बल्कि जीवन के भौतिक सुखों की भी पूर्ति करती हैं।
Q. माता सिद्धिदात्री की पूजा के लाभ क्या हैं?
Ans. माता सिद्धिदात्री की पूजा से भक्त को आत्म-साक्षात्कार, आध्यात्मिक जागृति, और मन की शांति प्राप्त होती है। उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्यता, और सफलता प्राप्त होती है। साथ ही, सभी प्रकार की सिद्धियों का आशीर्वाद मिलता है जो व्यक्ति के जीवन को सफल और संतुष्ट बनाता है।