भाई दूज कब है? जानें तिथि, तिलक का शुभ समय मुहूर्त और परंपराएं (Bhai Dooj Kab Hai 2024): भाई दूज (Bhai Dooj) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भाई-बहन के प्यार और स्नेह को समर्पित है। यह त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता है और इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों के लिए विशेष पूजा करती हैं और उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भाई दूज 2024 में कब है? क्या आप जानते हैं कि भाई दूज का शुभ मुहूर्त क्या है? और क्या आप जानते हैं कि भाई दूज के पीछे की पौराणिक कथा क्या है? इस लेख में, हम आपको भाई दूज के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे और इसके महत्व को समझाएंगे। हम आपको बताएंगे कि कैसे भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाता है और कैसे यह त्योहार हमारे जीवन में स्नेह और प्रेम को बढ़ावा देता है। तो आइए, भाई दूज (Bhai Dooj) के बारे में जानें और इसकी महत्ता को समझें।
इस लेख के माध्यम से, हम आपको भाई दूज के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आप इसकी महत्ता को समझ सकें और इसका त्यौहार का लाभ उठा सकें…
भाई दूज 2024 कब है? (Bhai Dooj Kab Hai 2024)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष द्वितीया तिथि का आरंभ 2 नवंबर 2024 को रात 8:21 बजे होगा, जो 3 नवंबर 2024 तक चलेगा। इसी के आधार पर, भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व 3 नवंबर 2024, रविवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए विशेष पूजा-अर्चना करेंगी, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।
भैया दूज 2024 की तिथि एवं मुहूर्त (Bhaiya Dooj 2024 Ki Tithi Aur Muhurat)
भाई दूज 2024 तिथि 02 नवंबर 2024 को रात 08:21 बजे से 03 नवंबर रात 10:05 बजे तक है और शुभ मुहूर्त 03 नवंबर 2024 को दोपहर 01:10 बजे से 03:22 बजे तक रहेगा।
दूज 2024 तिथि | 02 नवंबर 2024 को रात 08:21 बजे से 03 नवंबर रात 10:05 बजे तक |
शुभ मुहूर्त | 03 नवंबर 2024 को दोपहर 01:10 बजे से 03:22 बजे तक |
भाई दूज पूजा विधि (Bhai Dooj Pooja Vidhi)
- स्नान और तिलक की थाली सजाना: भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन बहनें स्नान के बाद तिलक की थाली सजाती हैं, जिसमें फल, मिठाई, कुमकुम, चावल और चंदन रखे जाते हैं।
- भाई का तिलक करना: भाई स्नान के बाद तिलक के लिए तैयार होता है, और बहन अनामिका उंगली से उसके मस्तक पर तिलक लगाती है।
- गोला देना: तिलक के बाद बहन भाई के हाथ में गोला देती है, जो भाई की सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक होता है।
- मिठाई खिलाना और आरती करना: बहन अपने भाई को मिठाई खिलाती है और उसकी आरती उतारती है।
- उपहार देना: अंत में भाई अपनी बहन को अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार भेंट करता है, जिससे भाई-बहन के स्नेह का आदान-प्रदान होता है।
भाई दूज तिलक के नियम (Bhai Dooj Tilak Ke Niyam)
- भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन प्रातः काल स्नान करके स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
- इसके बाद नए और साफ वस्त्र धारण करें और तिलक की थाली को तैयार करें।
- इस थाली में फल, फूल, मिठाई, कुमकुम, चंदन, रोली, सुपारी आदि शुभ वस्तुएं सुसज्जित करें।
- फिर भाई को किसी स्वच्छ और शुभ स्थान पर बैठाकर तिलक के शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें।
- मुहूर्त के अनुसार, भाई के मस्तक पर तिलक लगाएं, उसे मिठाई खिलाएं, और उसके हाथों में फूल, सुपारी, काले चने, बताशे, और सूखा नारियल आदि शुभ सामग्री अर्पित करें।
- यह विधि भाई के उज्ज्वल भविष्य और दीर्घायु की मंगलकामना का प्रतीक होती है।
भैया दूज का महत्व (Bhaiya Dooj Ka Mahatva)
- भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक: भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व भाई और बहन के बीच प्रेम, विश्वास और सम्मान के बंधन को मजबूत करने का प्रतीक है। यह दिन उनके रिश्ते की गहराई और महत्व को दर्शाता है। बहनें अपने भाई की दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा और देखभाल का वचन देते हैं।
- पौराणिक कथाओं से जुड़ा महत्व: भाई दूज (Bhai Dooj) की परंपरा कई पौराणिक कथाओं से जुड़ी है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, यमराज ने अपनी बहन यमुना द्वारा किए गए स्वागत और आतिथ्य से प्रसन्न होकर वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से मिलेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। इसके अलावा, भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा की कथा भी इस पर्व से जुड़ी है।
- सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व: भाई दूज (Bhai Dooj) हिंदू समाज में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक अवसर है। यह पर्व परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और भाई-बहन के बंधन को मजबूत करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों का पूजन और आरती करती हैं, उन्हें उपहार देती हैं और उनकी मंगल कामना करती हैं। यह पारिवारिक एकता, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
भाई दूज से जुड़ीं पौराणिक कथाएं (Bhai Dooj Se Judi Pauranik Kathayen)
भैया दूज (Bhaiya Dooj) से जुड़ी एक प्राचीन पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है। सूर्य देव की पत्नी संज्ञा से उनके दो संतानें थीं—पुत्र यमराज (Yamraj) और पुत्री यमुना (Yamuna)। संज्ञा सूर्य के प्रचंड तेज को सहन नहीं कर सकीं और अपनी छाया मूर्ति का निर्माण करके स्वयं वहां से चली गईं। छाया को यमराज और यमुना से वैसा स्नेह नहीं था, जैसा संज्ञा को होता, लेकिन यमुना अपने भाई यमराज से गहरा प्रेम करती थीं। वह अक्सर अपने भाई से मिलने जातीं और उनके हालचाल पूछतीं, साथ ही उन्हें बार-बार अपने घर आने का निमंत्रण भी देतीं। हालांकि, यमराज अपने व्यस्त जीवन और जिम्मेदारियों के चलते यमुना के घर आने का समय नहीं निकाल पाते थे।
लेकिन एक दिन, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के अवसर पर यमराज अचानक अपनी बहन यमुना के घर आ पहुंचे। उनके इस आगमन के दौरान, उन्होंने नरक में रहने वाले जीवों को भी मुक्त कर दिया। यमुना ने अपने भाई का बड़े स्नेह और आदर के साथ स्वागत किया। उन्होंने यमराज के लिए तरह-तरह के व्यंजन बनाए, उन्हें भोजन करवाया और उनके माथे पर तिलक लगाया। जब यमराज वापस जाने लगे, तो उन्होंने यमुना से कोई वरदान मांगने का आग्रह किया। इस पर यमुना ने विनम्रता से कहा, “भैया, यदि आप मुझे वरदान देना ही चाहते हैं, तो मुझे यह वर दीजिए कि हर साल इस दिन आप मेरे घर आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे। साथ ही, जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर आए और बहन अपने भाई को तिलक लगाकर भोजन कराए, उन्हें आपका भय न हो।” यमराज (Yamraj) ने यमुना (Yamuna) की इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। उन्होंने यह भी आशीर्वाद दिया कि इस दिन जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करेंगे, वे यमराज के कोप से बचे रहेंगे। इसी वरदान के साथ, भाई-बहन का यह विशेष पर्व भैया दूज के रूप में मनाया जाने लगा।
भाई दूज से जुड़ीं पौराणिक कथाएं PDF Download
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Conclusion:- Bhai Dooj Kab Hai 2024
आशा करते हैं की (Bhai Dooj Kab Hai 2024 जानें तिथि, तिलक का शुभ समय मुहूर्त और परंपराएं) से संबंधित यह बेहद खास लेख आपको पसंद आया होगा अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’S
Q. भाई दूज क्या है?
Ans. भाई दूज एक हिंदू त्योहार है, जिसे बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाती हैं। इस दिन बहनें भाइयों को तिलक लगाती हैं और उनकी आरती करती हैं।
Q. भैया दूज का शुभ मुहूर्त कब है?
Ans. भैया दूज का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर 2024 को दोपहर 1:10 बजे से 3:22 बजे तक है।
Q. भाई दूज कब मनाया जाता है?
Ans. भाई दूज दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है।
Q. भाई दूज पर क्या विशेष परंपराएं होती हैं?
Ans. इस दिन बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उनकी आरती करती हैं और मिठाई खिलाती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनके सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
Q. भाई दूज का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है?
Ans. भाई दूज का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के प्रेम और संबंध को मजबूत करना है। यह त्योहार रिश्तों में स्नेह, विश्वास और सम्मान को बढ़ाता है। धार्मिक दृष्टि से, यह यमराज और यमुनाजी की कथा से भी जुड़ा हुआ है।
Q. भाई दूज पर तिलक कैसे किया जाता है?
Ans. बहन अनामिका उंगली से भाई के मस्तक पर कुमकुम, चंदन, और अक्षत का तिलक लगाती है और उसकी आरती उतारती है।