Amavasya Ke Din Kya Kare: अमावस्या – वह तिथि जो हमारे जीवन में खास महत्व रखती है। यह वह समय होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से अंधेरे में डूब जाता है और आकाश में सिर्फ तारों की रोशनी नजर आती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पवित्र दिन को कैसे मनाया जाना चाहिए? क्या करना चाहिए। हमारे ऋषि-मुनियों ने अमावस्या के दिन को विशेष माना है। मान्यता है कि इस दिन पितरों की आत्मा पृथ्वी पर आती है और अपने वंशजों का कल्याण करती है। इसलिए अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। लेकिन अमावस्या के दिन सिर्फ अच्छे कर्म ही नहीं, कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए। जैसे इस दिन नकारात्मक विचारों और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए। साथ ही झूठ बोलने, क्रोध करने और किसी को दुख पहुंचाने जैसे कार्यों से भी बचना चाहिए।
तो आइए जानते हैं कि अमावस्या (Amavasya) के इस पावन दिन को कैसे सार्थक बनाया जा सकता है। इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि अमावस्या पर क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए, क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। तो पढ़ते रहिए और जानिए अमावस्या के रहस्यों के बारे में।
Table Of Content
S.No | प्रश्न |
1. | अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए? |
2. | अमावस्या के दिन घर में क्या करना चाहिए? |
3. | अमावस्या के दिन क्या करें क्या ना करें? |
4. | अमावस्या के दिन क्या नहीं खाना चाहिए? |
5. | अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए? |
6. | अमावस्या के दिन गाय को क्या खिलाना चाहिए? |
अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए? What Should be Done on Amavasya Day?
अमावस्या (Amavasya) के दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ और तर्पण किया जाता है। अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए, खासकर पवित्र नदी जैसे गंगा में स्नान करने से कई तपस्याओं का फल और पापों से मुक्ति मिलती है।
इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए। पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ में जल अर्पित करना शुभ माना जाता है क्योंकि इसमें देवताओं और पितरों का वास होता है। पितरों का विधिवत श्राद्ध और तर्पण करके उन्हें काले तिल, सफेद फूल और कुशा अर्पित करने से पितृ दोष दूर होता है और आशीर्वाद मिलता है। इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार दान-पुण्य करना चाहिए, खासकर चावल और दूध का दान करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उपवास रखना भी शुभ माना जाता है। हालांकि कुछ चीजों से बचना भी जरूरी है जैसे तामसिक भोजन, शराब और नकारात्मक सोच। इसके लिए हनुमान जी का जाप और मन पर नियंत्रण रखना चाहिए।
कुल मिलाकर अमावस्या का दिन आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है। पितरों और देवताओं की कृपा पाने के लिए इस दिन धार्मिक कर्मकांड करते हुए सकारात्मक और पवित्र रहना चाहिए। ऐसा करने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और सुख-समृद्धि मिलती है।
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अमावस्या के दिन घर में क्या करना चाहिए? (What Should be Done at Home on Amavasya Day)
अमावस्या के दिन घर में कई महत्वपूर्ण कार्य करने चाहिए जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। सबसे पहले, सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनना चाहिए। फिर सूर्य देव और पितरों को जल अर्पित करना चाहिए, जिससे घर में सद्भाव बना रहता है और झगड़े व गरीबी दूर होती है।
इसके बाद, पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए क्योंकि यह भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। तुलसी के पौधे के चारों ओर 108 परिक्रमा करने से शुभ फल मिलते हैं। पीले फूल, पीले वस्त्र, चंदन, सुपारी और कुमकुम अर्पित करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। घी का दीपक और अगरबत्ती जलाते हुए आरती करनी चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराना और जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। साथ ही, ब्रह्मचर्य का पालन करना और संयम रखना चाहिए। सूर्य देव की आरती करनी चाहिए, भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए। भोजन के लिए दूसरे घरों में जाने से बचना चाहिए और बहस व टकराव से दूर रहना चाहिए। शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए या मालिश नहीं करवानी चाहिए। स्तनपान कराने वाली माताओं को अपने बछड़ों को दूध पिलाना चाहिए या उन्हें दूध और चावल देना चाहिए।
घर की हर कोने में रोशनी करनी चाहिए और अंधेरा नहीं होने देना चाहिए। पानी में नमक डालकर घर में छिड़कना चाहिए ताकि नकारात्मक ऊर्जा (Negative energy) दूर हो जाए। आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने पर देसी घी का दीपक जलाकर माँ लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। भूखे जानवरों और गरीबों को भोजन कराना चाहिए। कौवों और काले बाज़ों को भोजन देना चाहिए। गेहूं के आटे की रोटी बनाकर पास की झील या नदी में मछलियों को खिलानी चाहिए। काली चींटियों को गुड़ और आटा खिलाना चाहिए। कालसर्प दोष शांति के लिए कर्म करने चाहिए। इसके अलावा, रात में बहते हुए नदी में पांच लाल फूल और पांच जले हुए दीपक अर्पित करने चाहिए। शराब और अन्य नशीले पदार्थों से बचना चाहिए। परिवार में शांति और सद्भाव के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना चाहिए। पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। इस दिन उपवास रखना चाहिए।
इन दिशा-निर्देशों का पालन करके, पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है और आंतरिक शांति, खुशी और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। अमावस्या के दिन सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और नकारात्मकता को दूर करने के लिए ये उपाय बेहद लाभदायक होते हैं।
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अमावस्या के दिन क्या करें क्या ना करें? (What to do and what not to do on Amavasya day)
अमावस्या के दिन क्या करें:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, विशेषकर पवित्र नदियों जैसे गंगा में डुबकी लगाएं। अगर संभव न हो तो स्नान के पानी में गंगाजल मिलाएं।
- स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अवश्य दें।
- अधिक से अधिक ध्यान, प्रार्थना और अन्य धार्मिक क्रियाएं करें।
- जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करें। निस्वार्थ सेवा करना इस दिन शुभ फल देता है।
- पक्षियों और पशुओं को दाना-पानी डालें।
- होम (अग्नि पूजा) और यज्ञ जैसे धार्मिक अनुष्ठान करें।
- ध्यान और योग का अभ्यास करें।
- धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों का पाठ करें।
- मंदिरों में जाकर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करें।
- दिनभर मौन व्रत का पालन करने का प्रयास करें। गृहस्थ लोग पूजा के बाद मौन तोड़ सकते हैं।
अमावस्या के दिन क्या न करें:
- अनावश्यक बोलने से बचें। मौन रहने का प्रयास करें।
- मांसाहार, मद्यपान और अन्य अशुद्ध पदार्थों का सेवन न करें।
- भौतिक सुखों और लालसाओं में लिप्त न हों।
- झूठ बोलने, धोखा देने और अन्य अनैतिक कार्यों से दूर रहें।
- क्रोध करने और आपा खोने से बचें।
- गपशप और चुगली करने से परहेज करें।
- भोजन और संसाधनों की बर्बादी न करें।
- चाकू और कैंची जैसी नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें।
- शेविंग या बाल काटने से बचें।
- दिन में सोने से परहेज करें।
इसके अलावा, अमावस्या के दिन नई गाड़ी, जेवर या संपत्ति खरीदने और महत्वपूर्ण लेनदेन शुरू करने से बचना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन शुरू किया गया कोई भी नया काम सफल नहीं हो सकता है। तामसिक भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए और नकारात्मक विचारों व भावनाओं को अपने अंदर नहीं आने देना चाहिए।
अमावस्या के दिन क्या नहीं खाना चाहिए? What should not be eaten on Amavasya day?
- तामसिक भोजन: अमावस्या के दिन तामसिक (भारी और अस्वस्थ) खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। ये खाद्य पदार्थ शरीर और भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
- मांसाहार: अमावस्या के दिन घर में किसी भी तरीके से मांसाहार का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- शराब और अन्य मादक पदार्थ: अमावस्या के दिन शराब और अन्य मादक पदार्थों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये शरीर और भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए? What Should Not be Done on Amavasya Day?
अमावस्या के दिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, इस दिन नॉनवेज और तामसिक भोजन का सेवन बिल्कुल न करें। शराब और अन्य नशीली चीजों से भी दूर रहें।
अमावस्या (Amavasya) पर नकारात्मक विचार आ सकते हैं, इसलिए हनुमान जी का जाप करते रहना चाहिए और पूजा-पाठ में मन लगाएं। भावुक लोगों को खास सावधानी बरतनी चाहिए। इस दिन उपवास रखना शुभ माना जाता है। देर रात तक जागने और सोने से बचना चाहिए। मौनी अमावस्या पर भूत-प्रेत और दानवी शक्तियां सक्रिय रहती हैं, इसलिए सकारात्मक रहने की कोशिश करनी चाहिए। झूठ बोलने से भी बचें क्योंकि इसका बुरा असर हो सकता है। इस प्रकार सावधानी बरतकर अमावस्या का पावन दिन मनाया जा सकता है।
अमावस्या के दिन गाय को क्या खिलाना चाहिए? What should be fed to a cow on Amavasya day?
अमावस्या (Amavasya) के दिन गाय को खिलाने के लिए कुछ विशेष चीज़ें हैं जिनका उल्लेख हिंदू धर्म की मान्यताओं में किया गया है। इस दिन गाय को ताज़ी रोटी खिलानी चाहिए, बासी रोटी देने से लाभ के बजाय नुकसान हो सकता है।
इसके अलावा, गाय को गुड़ और आटे की लोई मिलाकर भी खिलाया जा सकता है जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अमावस्या पर गाय को चारा भी अवश्य देना चाहिए। साथ ही इस दिन गाय को पांच फल खिलाने से घर में शुभता और खुशहाली बनी रहती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि गाय को सात्विक आहार ही देना चाहिए। गाय की सेवा और पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मानसिक शांति एवं सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है। अमावस्या के दिन गाय को भोजन कराने से पितर भी प्रसन्न होते हैं। अतः इस पवित्र दिन गाय की सेवा अवश्य करनी चाहिए।
Conclusion:
अमावस्या (Amavasya) का प्रभाव व्यक्ति के राशि और जन्म नक्षत्र के अनुसार भिन्न होता है। कुछ लोगों के लिए यह शुभ होता है, तो कुछ के लिए नहीं। अमावस्या के दिन से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इसे अपने मित्रगणों एवं परिवारजनों के साथ जरूर साझा करें, साथ ही हमारे और भी रोचक और ज्ञानवर्धक लेख को भी जरूर पढ़ें। ऐसे ही तमाम रोचक और ज्ञानवर्धक लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’S
Q. वैशाख अमावस्या हिंदू धर्म में क्या महत्व रखती है?
Ans. वैशाख अमावस्या को हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है। इस दिन की पूजा-अर्चना से मान्यता है कि पूर्वजों को शांति मिलती है और नकारात्मक प्रभाव हटते हैं।
Q. वैशाख अमावस्या पर कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
Ans. इस दिन लोग पितृ तर्पण और पिंड दान करते हैं, जिससे उनके पूर्वजों को शांति मिलती है। तामसिक भोजन और पदार्थों का त्याग भी किया जाता है।
Q. अमावस्या का अर्थ क्या है?
Ans. अमावस्या हिंदू कैलेंडर के अनुसार नया चंद्रमा का दिन होता है, और इसे अनुष्ठान और तर्पण करने के लिए शुभ दिन माना जाता है।
Q. ग्रह और कालसर्प दोष का महत्व क्या है?
Ans. ग्रह और कालसर्प दोष को मान्यता है कि वे व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, और अमावस्या पर अनुष्ठान करने से इन दोषों को दूर किया जा सकता है।
Q. वैशाख अमावस्या पर उपवास का महत्व क्या है?
Ans. वैशाख अमावस्या पर उपवास रखना शुभ माना जाता है, और इसे अच्छी किस्मत और आशीर्वाद लाने वाला माना जाता है।
Q. वैशाख मास में पितृ पूजा का महत्व क्या है?
Ans. वैशाख मास में पितृ पूजा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है, जहां पूर्वजों की पूजा की जाती है |