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September 2024 Festival List: कब शुरू होंगे नवरात्रि और श्राद्ध, यहां देखिए सितंबर माह के प्रमुख त्योहारों की लिस्ट

September 2024 Festival List
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सितंबर महीने के सभी हिंदू त्यौहार लिस्ट (September 2024 Festival List): सितंबर का महीना हिंदू धर्म में त्योहारों और उत्सवों का महीना होता है। इस माह में कई प्रमुख त्योहार आते हैं जिनका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ये त्योहार न सिर्फ धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि इनका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। ये त्योहार लोगों को एक दूसरे के करीब लाते हैं और समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।

): सितंबर का महीना हिंदू धर्म में त्योहारों और उत्सवों का महीना होता है। इस माह में कई प्रमुख त्योहार आते हैं जिनका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ये त्योहार न सिर्फ धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि इनका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। ये त्योहार लोगों को एक दूसरे के करीब लाते हैं और समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।

सितंबर माह में आने वाले त्योहारों में गणेश चतुर्थी, ओणम, विश्वकर्मा जयंती, पितृ पक्ष, नवरात्रि जैसे प्रमुख त्योहार शामिल हैं। इनमें से हर त्योहार का अपना एक विशेष महत्व और मान्यता है। कुछ त्योहार भगवान की पूजा से जुड़े हैं तो कुछ ऋतु परिवर्तन और फसल कटाई से। कुछ पारिवारिक और सामाजिक त्योहार हैं तो कुछ राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रतीक। इन त्योहारों के दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं, मिठाइयां बनाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना होती है और लोग व्रत रखते हैं। कुछ त्योहारों पर मेले लगते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये त्योहार हमारी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखते हैं और हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं।

तो आइए जानते हैं सितंबर माह में आने वाले इन प्रमुख हिंदू त्योहारों के बारे में विस्तार से…

सितंबर माह के सभी त्योहार लिस्ट (September Maah ke Sabhi Tyohar List)

S.NOत्योहारदिनांक/दिनतिथि 
1(मासिक शिवरात्रि)1 सितंबर( कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि)
2(सोमवती अमावस्या)2 सितंबरअमावस्या (कृष्ण पक्ष अंतिन दिन) 
3(चंद्र दर्शन)4 सितम्बरशुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि
4(वराह जयंती)6 सितम्बर(तृतीया तिथि) 
5(हरतालिका तीज)6 सितंबर(भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि ) 
6(गणेश चतुर्थी व्रत)7 सितंबर ( भाद्रपद के चौथे दिन से शुरू)
7(ऋषि पंचमी)8 सितंबर(शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि)
8(राधा अष्टमी)11 सितंबर(भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि) 
9(दुर्गा अष्टमी)11 सितंबर(भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि)
10(महालक्ष्मी व्रत)11 सितंबर(भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि)
11(बुधअष्टमी व्रत)11 सितंबर(भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि)
12(दूर्वा अष्टमी)11 सितंबर(भाद्रपद माह की अष्टमीतिथि) 
13(परिवर्तिनी एकादशी)14 सितंबर(भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि) 
14(हिंदी दिवस)14 सितंबरहिंदी दिवस (14 सितंबर) 2024
15(प्रदोष व्रत)15 सितंबर(भाद्रपद माह की द्वादशी तिथि) 
16(ओणम)15 सितंबर(भाद्रपद माह के थिरुवोणम् नक्षत्र में) 
17(कन्या संक्रांति)16 सितंबर(भाद्रपद माह की त्रयोदशी  तिथि)
18(विश्वकर्मा जयंती)16 सितंबर(भाद्रपद माह की त्रयोदशी  तिथि) 
19(अनंत चतुर्दशी)17 सितम्बर(भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि) 
20(सत्यनारायण पूजा)17 सितम्बर(भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि) 
21(पूर्णिमा व्रत)17 सितम्बर(भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि) 
22(गणेश विसर्जन)17 सितम्बर(भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि) 
23(भाद्रपद पूर्णिमा)18 सितंबर(भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि) 
24(प्रतिप्रदा श्राद्ध)18 सितंबर(भाद्रपद माह की प्रतिपदा तिथि) 
25(आंशिक चंद्र ग्रहण)18 सितम्बर(भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि) 
26(संकष्टी चतुर्थी)20 सितंबर(भाद्रपद माह की त्रयोदशी तिथि) 
27(भरणी श्राद्ध)21 सितंबर(भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि)
28(रोहिणी व्रत)23 सितम्बर(भाद्रपद माह के रोहिणी नक्षत्र में )
29(महालक्ष्मी व्रत समापन)24 सितम्बर(भाद्रपद शुक्ल सप्तमी तिथि)
30(कालाष्टमी)25 सितंबर(भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि)
31(नवमी मातृ श्राद्ध)25 सितंबर(भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि) 
32(इंदिरा एकादशी)28 सितम्बर(आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में) 
33(प्रदोष व्रत)29 सितंबर(आश्विन माह की द्वादशी तिथि) 
34(मासिक शिवरात्रि)30 सितंबर(अश्विन मां की त्रयोदशी तिथि) 
  • मासिक शिवरात्रि (कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि) 1 सितंबर 2024 

सितंबर में मासिक शिवरात्रि 1 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। मासिक शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव की उपासना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जल, दूध, बेल पत्र, और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाते हैं। मासिक शिवरात्रि का उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाना है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो आध्यात्मिक उन्नति और समस्याओं से मुक्ति चाहते हैं।

  • सोमवती अमावस्या (कृष्ण पक्ष अंतिन दिन) 2 सितंबर 2024 

सितंबर में सोमवती अमावस्या 2 सितंबर 2024 को है। सोमवती अमावस्या उस अमावस्या को कहा जाता है जो सोमवार के दिन पड़ती है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान शिव और पितरों की उपासना के लिए शुभ माना जाता है। भक्त गंगा स्नान करते हैं, व्रत रखते हैं और पवित्र नदी या तालाब में स्नान करके पितरों का तर्पण करते हैं। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं।

  • चंद्र दर्शन (शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि ) 4 सितम्बर 2024

सितंबर में चंद्र दर्शन का त्योहार 4 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। चंद्र दर्शन का त्योहार अमावस्या के बाद पहली बार दिखने वाले चंद्रमा को देखने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि चंद्र दर्शन को शुभ और सौभाग्यवर्धक माना जाता है। लोग चंद्रमा के दर्शन करके अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करते हैं और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह दिन नई ऊर्जा और सकारात्मकता की शुरुआत का प्रतीक होता है। चंद्र दर्शन करने से मन को शांति और संतोष मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

  • वराह जयंती (तृतीया तिथि) 6 सितम्बर 2024 

वराह जयंती भगवान विष्णु के तीसरे अवतार, वराह (सूअर) के रूप में जन्म लेने की तिथि को मनाई जाती है। इस दिन, भगवान विष्णु ने पृथ्वी को राक्षस हिरण्याक्ष से बचाने के लिए वराह अवतार लिया था। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान विष्णु की विशेष आराधना करते हैं। वराह जयंती का उद्देश्य भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना और जीवन में धर्म, न्याय, और सत्य की स्थापना के लिए प्रेरणा लेना है। 2024 में वराह जयंती 6 सितंबर को मनाई जाएगी। यह दिन भक्ति, आस्था, और धर्म के महत्व को उजागर करता है।

  • हरतालिका तीज (भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि ) 6 सितंबर 2024 

2024 में हरतालिका तीज 6 सितंबर को मनाई जाएगी। हरतालिका तीज मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, विशेषकर विवाहित और अविवाहित महिलाओं द्वारा। यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और रात्रि जागरण करती हैं, बिना जल ग्रहण किए। वे शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करती हैं। अविवाहित लड़कियां अच्छे पति की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज का व्रत कठोरता और श्रद्धा से पालन किया जाता है।

  • गणेश चतुर्थी व्रत ( भाद्रपद के चौथे दिन से शुरू) 7 सितंबर 2024

2024 में गणेश चतुर्थी व्रत 7 सितंबर को मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि तथा सौभाग्य के देवता हैं। इस दिन, भक्त गणपति की मूर्ति की स्थापना करते हैं और दस दिनों तक उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। भक्त गणेश जी को मोदक, लड्डू और अन्य मिठाइयाँ अर्पित करते हैं। उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश प्रतिमा के विसर्जन के साथ होता है। यह त्योहार श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक समरसता का प्रतीक है, जो भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है।

  • ऋषि पंचमी (शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि) 8 सितंबर 2024

सितंबर 2024 में ऋषि पंचमी 8 सितंबर को मनाई जाएगी। ऋषि पंचमी हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो रजस्वला अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की अशुद्धि के लिए क्षमा मांगती हैं। इस दिन सप्त ऋषियों—कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, और वशिष्ठ की पूजा की जाती है। व्रत करने वाले दिनभर उपवास रखते हैं और विशेष रूप से सफाई और पवित्रता का ध्यान रखते हैं। ऋषि पंचमी का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त करना और धार्मिक जीवन को बढ़ावा देना है।

  • राधा अष्टमी (भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि) 11 सितंबर 2024
  • 2024 में राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी। राधा अष्टमी, देवी राधा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो भगवान कृष्ण की प्रियतम और साकार प्रेमिका हैं। यह त्योहार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। भक्त इस दिन राधा के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं, विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। राधा अष्टमी के दिन राधा-कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें उनकी आरती, भजन और कथा वाचन शामिल होते हैं। यह दिन राधा की भक्ति, प्रेम और समर्पण को सम्मानित करने का अवसर है।
  • दुर्गा अष्टमी (भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि) 11 सितंबर 2024

11 सितंबर 2024 को मासिक दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी क्योंकि यह दिन अष्टमी तिथि का समापन है। मासिक दुर्गा अष्टमी प्रत्येक महीने की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है और इसे विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा का दिन माना जाता है। इस दिन, भक्त देवी दुर्गा की पूजा और व्रत करते हैं, ताकि उनकी कृपा प्राप्त हो सके और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो नियमित रूप से देवी की आराधना करते हैं।

  • महालक्ष्मी व्रत (भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि) 11 सितंबर 2024

सितंबर 2024 में महालक्ष्मी व्रत 11 सितंबर को मनाया जाएगा। महालक्ष्मी व्रत विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा का अवसर होता है, जिसे धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। इस व्रत के दौरान भक्त देवी लक्ष्मी की पूजा, उपवासी रहकर व्रत रखते हैं और विशेष रूप से शुक्रवार को इस व्रत का आयोजन होता है। व्रत के दिन घरों को स्वच्छ कर, दीपक जलाकर और लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। यह व्रत विशेष रूप से आर्थिक समृद्धि और घर में खुशहाली बनाए रखने के लिए किया जाता है।

  • बुध अष्टमी व्रत (भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि) 11 सितंबर 2024

11 सितंबर 2024 को मनाए जाने वाली बुध अष्टमी व्रत विशेष रूप से बुध ग्रह के पूजन के लिए आयोजित किया जाता है। यह व्रत अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इसे विशेष रूप से बुध ग्रह के प्रभाव को मजबूत करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस दिन, भक्त उपवासी रहते हैं और भगवान विष्णु या गणेश की पूजा करके बुध ग्रह को संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं। यह व्रत विशेष रूप से व्यापारिक और शैक्षिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

  • दूर्वा अष्टमी (भाद्रपद माह की अष्टमीतिथि)  11 सितंबर 2024

11 सितंबर 2024 को मनाई जाने वाली दूर्वा अष्टमी विशेष रूप से भगवान गणेश के पूजन के लिए समर्पित है। इस दिन को दूर्वा अष्टमी कहते हैं क्योंकि अष्टमी तिथि को दूर्वा (घास) का विशेष महत्व होता है। भक्त इस दिन भगवान गणेश की पूजा करते हैं और दूर्वा घास अर्पित करते हैं, जिसे गणेशजी की पसंदीदा सामग्री माना जाता है। दूर्वा अर्पित करने से समृद्धि, सौभाग्य और विघ्नों का नाश होता है। यह व्रत विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के आसपास मनाया जाता है और भगवान गणेश के प्रति भक्ति और समर्पण को प्रकट करता है।

  • परिवर्तिनी एकादशी (भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि) 14 सितंबर 2024

14 सितंबर 2024 को मनाई जाने वाली परिवर्तिनी एकादशी हिंदू संस्कृति में विशेष महत्व रखती है। इस दिन, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखने से न केवल आभामयी लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि धन और अन्न से भरपूर जीवन का वादा भी होता है। वैदिक पुराणों के अनुसार, इस व्रत को वाजपेय यज्ञ के फल के बराबर माना गया है, जो इसके धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। इस व्रत के दौरान, भक्त सच्चे मन से पूजा करके भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करते हैं।

  • हिंदी दिवस (14 सितंबर 2024)

हिंदी दिवस 2024 को 14 सितंबर को मनाया जाएगा। यह दिन हर साल हिंदी भाषा की महत्ता और प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। हिंदी दिवस की शुरुआत 1953 में हुई थी, जब भारत सरकार ने हिंदी को एक प्रमुख राजभाषा के रूप में मान्यता दी थी। इस दिन, विभिन्न शैक्षिक संस्थानों, सरकारी दफ्तरों और सांस्कृतिक संगठनों द्वारा हिंदी भाषा के उपयोग को प्रोत्साहित करने और इसके विकास के लिए विशेष कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। यह दिन हिंदी भाषा की सांस्कृतिक और भाषायी धरोहर को संजोने का अवसर प्रदान करता है।

  • प्रदोष व्रत (भाद्रपद माह की द्वादशी तिथि) 15 सितंबर 2024

सितंबर 2024 में प्रदोष व्रत 15 सितंबर को मनाया जाएगा। प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो हर माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, विशेषकर संक्रांति के समय। इस व्रत को भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। भक्त इस दिन उपवासी रहते हैं और संध्या समय शिवलिंग पर जल, बेल पत्र और पुष्प अर्पित करते हैं। प्रदोष व्रत के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति की जाती है। यह व्रत विशेष रूप से शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।

  • ओणम (भाद्रपद माह के थिरुवोणम् नक्षत्र में) 15 सितंबर 2024

ओणम एक प्रमुख मलयालम त्योहार है, जो मुख्यतः केरल राज्य में 15 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। यह त्योहार हर साल ‘चिंगम’ माह की शुरुआत में मनाया जाता है और हर तीन से चार साल में ही यह दिन 15 सितंबर को आता है। ओणम की प्रमुख विशेषता इसकी भव्य सजावट, पारंपरिक नृत्य (पुक्कलम), और स्वादिष्ट खाने (साद्य) है। यह त्योहार राजा महाबली की धरती पर वापसी की खुशी में मनाया जाता है। ओणम के दौरान लोग घरों की सफाई और सजावट के साथ-साथ एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

  • कन्या संक्रांति (भाद्रपद माह की त्रयोदशी  तिथि) 16 सितंबर 2024

16 सितंबर 2024 को हम कन्या संक्रांति का स्वागत करेंगे, जब सूर्य देव अपने अनंत यात्रा पथ पर एक नई दिशा में प्रवेश करेंगे। इस खास दिन, सूर्य सिंह राशि को छोड़कर कन्या राशि में कदम रखेंगे, और इसी पल को कन्या संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के पूर्वी राज्यों, विशेषकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा में गहरे श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर, लोग सूर्य की कृपा प्राप्ति के लिए खास अनुष्ठान और पूजा करते हैं, और त्यौहार की खासियत को संजोते हैं।

  • विश्वकर्मा जयंती (भाद्रपद माह की त्रयोदशी  तिथि) 16 2824 सितंबर

सितंबर 2024 में विश्वकर्मा जयंती 16 तारीख को मनाई जाएगी। यह त्योहार भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए समर्पित है, जो निर्माण और शिल्प के देवता माने जाते हैं। विश्वकर्मा जयंती के दिन, विशेषकर निर्माण क्षेत्र में कार्यरत लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह दिन आमतौर पर औद्योगिक संस्थानों, निर्माण स्थलों और कारखानों में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। भक्त अपने उपकरणों और मशीनों की पूजा करके कार्यस्थल पर सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।

  • अनंत चतुर्दशी (भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि) 17 सितम्बर 2024

सितंबर 2024 में अनंत चतुर्दशी 17 तारीख को मनाई जाएगी। यह हिंदू त्योहार विशेष रूप से भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है। अनंत चतुर्दशी का महत्व विशेषकर महाराष्ट्र और अन्य भारतीय राज्यों में बहुत अधिक है, जहां इसे गणेश विसर्जन के दिन के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग ‘अनंत चौदस’ या ‘अनंत चतुर्दशी’ के व्रत के तहत भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और अनंत धागा बांधते हैं, जो उनकी दीर्घकालिक समृद्धि और सुख-शांति की कामना को दर्शाता है। इस अवसर पर भक्त विशेष अनुष्ठान, उपवास और पूजा अर्चना करते हैं।

  • सत्यनारायण पूजा (भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि) 17 तारीख 2024

सितंबर 2024 में सत्यनारायण पूजा 17 तारीख को मनाई जाएगी। सत्यनारायण पूजा भगवान विष्णु की पूजा का एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो विशेष रूप से सत्य और धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में की जाती है। इस पूजा के दौरान भक्त भगवान सत्यनारायण की आराधना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए व्रत और उपवास रखते हैं। पूजा में कथा, आरती, और भोग का आयोजन होता है, जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने की मान्यता है। यह पूजा परिवार की समृद्धि और खुशहाली के लिए भी की जाती है।

  • पूर्णिमा व्रत (भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि) 17 सितम्बर 2024

सितंबर 2024 में पूर्णिमा 17 तारीख को मनाई जाएगी। पूर्णिमा व्रत, भारतीय धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूर्णता होती है और यह व्रत विशेष रूप से धार्मिक लाभ और पुण्य प्राप्ति के लिए किया जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उपवास करते हैं, और पूजा-अर्चना करते हैं। पूर्णिमा व्रत में खासकर भगवान विष्णु, शिव, और देवी-देवताओं की आराधना की जाती है। यह दिन मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए माना जाता है।

  • गणेश विसर्जन  (भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि) 17 सितम्बर 2024

सितंबर 2024 में गणेश विसर्जन 17 तारीख को मनाया जाएगा। गणेश विसर्जन, गणेश चतुर्थी के समाप्ति पर आयोजित एक धार्मिक अनुष्ठान है, जब भक्त भगवान गणेश की मूर्तियों को उनके वास स्थान से लेकर जलाशयों में विसर्जित करते हैं। यह समारोह गणेश चतुर्थी के दस दिनों की पूजा के समापन का प्रतीक होता है। विसर्जन के दौरान भक्त भक्ति भाव और नृत्य-गान के साथ मूर्तियों को जल में प्रवाहित करते हैं, जो समर्पण, विदाई, और भगवान गणेश से अगले वर्ष पुनः आगमन की कामना का प्रतीक है। यह प्रक्रिया समर्पण और श्रद्धा के साथ की जाती है।

  • भाद्रपद पूर्णिमा (भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि) 18 सितंबर 2024

सितंबर 2024 में भाद्रपद पूर्णिमा 18 तारीख को मनाई जाएगी। भागवत पूर्णिमा, भाद्रपद पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक विशेष धार्मिक उत्सव है। इस दिन, भक्त भगवान विष्णु और उनके अवतार श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। भागवत पूर्णिमा का महत्व विशेष रूप से भागवत पुराण की उपासना और श्री कृष्ण के प्रति भक्ति प्रकट करने के लिए है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उपवास करते हैं, और भागवत कथा का श्रवण करते हैं। यह पूजा आशीर्वाद, शांति और पुण्य प्राप्ति का अवसर मानी जाती है।

  • प्रतिप्रदा श्राद्ध (भाद्रपद माह की प्रतिपदा तिथि) 18 सितंबर 2024

इस साल सितंबर महीने में 18 सितंबर को मनाया जाएगा। प्रतिप्रदा श्राद्ध, विशेष रूप से पितृ पक्ष के दौरान आयोजित एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। यह श्राद्ध प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, जिसमें परिवार के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान और तर्पण करते हैं। यह अनुष्ठान पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। श्राद्ध के दिन पंडितों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा देकर विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जिससे पितृ दोषों से मुक्ति और परिवार में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

  • आंशिक चंद्र ग्रहण (भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि) 18 सितम्बर 2024

सितंबर 2024 में आंशिक चंद्र ग्रहण 18 तारीख को होगा। आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आंशिक रूप से आ जाती है, जिससे चंद्रमा का एक हिस्सा छाया में चला जाता है। इस खगोलीय घटना के दौरान, चंद्रमा पर एक अंधेरा क्षेत्र दिखाई देता है जो पृथ्वी की छाया से उत्पन्न होता है। आंशिक चंद्र ग्रहण धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे एक अद्वितीय खगोलीय घटना के रूप में देखा जाता है, और कई लोग इसे विशेष अवसर मानते हैं और इसे देखने के लिए उत्सुक रहते हैं।

  • संकष्टी चतुर्थी (भाद्रपद माह की त्रयोदशी तिथि) 20 सितंबर 2024

संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म में विशेष रूप से मनाई जाती है, इस वर्ष संकष्टी चतुर्थी 20 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है, जिन्हें बाधाओं का नाश करने वाले और अच्छी शुरुआत के देवता के रूप में जाना जाता है। इस दिन व्रत का पालन करने से मान्यता है कि बाधाओं का नाश होता है और इच्छाएं पूरी होती हैं।

  • भरणी श्राद्ध (भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि) 21 सितंबर 2024

भरणी श्राद्ध हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के दौरान किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण श्राद्ध है। यह भरणी नक्षत्र के दिन किया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में 1 सितंबर से 30 सितंबर के बीच पड़ता है। और इस वर्ष 2024 में यह त्यौहार 21 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन यम देवता की पूजा की जाती है और यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है जो अपने जीवन में किसी भी तीर्थ यात्रा करने में सक्षम नहीं हुए हैं। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और मृतकों को मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है। श्राद्ध में पूर्वजों को भोजन, जल और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है, साथ ही प्रार्थनाएं और मंत्र भी पढ़े जाते हैं।

  • रोहिणी व्रत (भाद्रपद माह के रोहिणी नक्षत्र में) 23 सितम्बर 2024

रोहिणी व्रत और रोहिणी नक्षत्र के बीच एक अद्वितीय संबंध होता है। जब सूरज की पहली किरणों के बाद रोहिणी नक्षत्र आ जाता है, तब विशेष रूप से उस दिन रोहिणी व्रत का आयोजन किया जाता है। सितंबर में यह व्रत 23 तारीख को मनाया जाएगा। जैन धर्म में इस व्रत को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसके पालन से जीवन में मौजूद समस्याओं और कठिनाइयों से मुक्ति की संभावना बनती है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन के संकटों से उबरने की एक दिव्य प्रक्रिया भी है। रोहिणी व्रत का यह अनुष्ठान, व्यक्ति को आंतरिक बल और शांति प्रदान करता है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करना सरल हो जाता है।

  • महालक्ष्मी व्रत समापन (भाद्रपद शुक्ल सप्तमी तिथि) 24 सितम्बर 2024

महालक्ष्मी व्रत हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर 16 दिनों तक चलता है। इस वर्ष यह व्रत 11 सितंबर 2024 को शुरू होकर 24 सितंबर 2024 को समाप्त होगा। यह व्रत धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस दौरान व्रती महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करते हैं और उनकी कथा सुनते हैं। अंतिम दिन 16 गाँठ वाले रक्षासूत्र को खोलकर जल में विसर्जित करते हैं। इस व्रत से महालक्ष्मी प्रसन्न होकर भक्तों को सुख-संपत्ति का आशीर्वाद देती हैं।

  • कालाष्टमी (भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि) 25 सितंबर 2024

सितंबर 2024 में कालाष्टमी व्रत बुधवार, 25 सितंबर को मनाया जाएगा। कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12:39 बजे शुरू होकर 25 सितंबर को दोपहर 12:11 बजे समाप्त होगी। कालाष्टमी व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को दुख-दरिद्रता से मुक्ति दिलाते हैं। इस दिन भैरव बाबा को कच्चा दूध, शराब और मिठाई का भोग लगाया जाता है।

  • नवमी मातृ श्राद्ध (भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि) 25 सितंबर 2024

सितंबर 2024 में नवमी मातृ श्राद्ध 25 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। मातृ श्राद्ध एक हिंदू अनुष्ठान है जिसमें मृत माता की आत्मा की शांति के लिए पूजा और तर्पण किया जाता है। यह पितृ पक्ष के नौवें दिन किया जाता है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर 16 दिनों तक चलता है। इस दिन विशेष रूप से मां को याद किया जाता है और उनकी मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। श्राद्ध में पिंडदान और ब्राह्मण भोज का विशेष महत्व होता है।

  • 28 सितम्बर (आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में) इंदिरा एकादशी 2024

इंदिरा एकादशी 28 सितंबर 2024, शनिवार को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 27 सितंबर दोपहर 01:20 बजे से शुरू होकर 28 सितंबर दोपहर 02:49 बजे तक रहेगी। आश्विन मास कृष्ण पक्ष की यह एकादशी भटकते हुए पितरों की मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार इंद्रसेन राजा ने नारद मुनि की सलाह पर इस व्रत को करके अपने पिता को यमलोक की यातना से मुक्ति दिलाई थी। इस व्रत से सात पीढ़ियों के पितरों का उद्धार होता है।

  • 29 सितंबर (आश्विन माह की द्वादशी तिथि) प्रदोष व्रत 2024

सितंबर 2024 में प्रदोष व्रत 29 सितंबर को मनाया जाएगा। प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो हर माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, विशेषकर संक्रांति के समय। इस व्रत को भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। भक्त इस दिन उपवासी रहते हैं और संध्या समय शिवलिंग पर जल, बेल पत्र और पुष्प अर्पित करते हैं। प्रदोष व्रत के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति की जाती है। यह व्रत विशेष रूप से शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।

  • 30 सितंबर  (अश्विन मां की त्रयोदशी तिथि) मासिक शिवरात्रि 2024 

सितंबर में मासिक शिवरात्रि 30 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। मासिक शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव की उपासना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जल, दूध, बेल पत्र, और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाते हैं। मासिक शिवरात्रि का उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाना है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो आध्यात्मिक उन्नति और समस्याओं से मुक्ति चाहते हैं।

Conclusion:-September 2024 Festival List

आशा करते हैं कि सितंबर माह के इन सभी हिंदू त्योहारों से संबंधित यह बेहद खास लेख आपको पसंद आया होगा, अगर आपका कोई सवाल है September 2024 Festival List तो हमे कॉमेंट करके जरुर बताएं और ऐसे ही रोचक और ज्ञानवर्धक लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करिए।