Vastu Tips for Home: घर हर किसी के लिए सबसे खास जगह होती है। यह वह स्थान है जहां हम अपने परिवार के साथ खुशियां बांटते हैं, आराम करते हैं और जीवन के सबसे यादगार पल बिताते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके घर का नक्शा आपके जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है? जी हां, प्राचीन भारतीय वास्तुशास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर का डिजाइन और दिशाओं का चयन बेहद महत्वपूर्ण होता है। सही वास्तु के साथ बना घर आपके जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है। वहीं गलत दिशा या नक्शे वाला घर नकारात्मकता, अशांति और समस्याओं का कारण बन सकता है।
तो क्या आप भी जानना चाहेंगे कि वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के हिसाब से आपके सपनों का घर कैसा होना चाहिए? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस दिशा में क्या होना चाहिए, कौन सी बातों का ध्यान रखना जरूरी है और कैसे आप अपने घर को एक शांतिपूर्ण और खुशहाल स्थान बना सकते हैं।
घर के नक्शे का वास्तु शास्त्र समझने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए।
वास्तु के अनुसार घर का नक्शा क्यों बनवाना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर का नक्शा बनाने का महत्व अत्यंत है। नक्शा घर की नींव का आधार होता है और यह सुनिश्चित करता है कि घर की संरचना वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप हो। यह जीवन को सुखमय बनाने में सहायक होता है। नक्शा के माध्यम से, हम घर के विभिन्न हिस्सों के अनुपात और उनके बीच के संबंधों को योजनाबद्ध रूप से निर्धारित कर सकते हैं। यह घर के निर्माण में सहायता करता है और घर के वातावरण को शांत और समृद्ध बनाने में मदद करता है।
घर के नक्शे में दिशाओं का क्या महत्व है?
घर की योजना तैयार करते समय वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार दिशाओं का महत्व अपरिहार्य है। वास्तु शास्त्र(Vastu Shastra), एक प्राचीन भारतीय विज्ञान, जो इमारतों के निर्माण का मार्गदर्शन करता है, अष्टदिग्जयी दिशाओं का विशेष महत्व देता है। हर दिशा का अपना शासक देवता और विशिष्ट ऊर्जा होती है। उदाहरण के लिए, पूर्व दिशा इंद्र देवता द्वारा शासित होती है, जो वृष्टि और गरज के देवता हैं, और यह नई शुरुआत और वृद्धि से जोड़ी गई है। दक्षिण दिशा यम, मृत्यु के देवता, द्वारा शासित होती है, और यह स्थिरता और जमीनीयता से जुड़ी होती है, दिशाओं का यथोचित उपयोग सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) और लाभ ला सकता है।
उदाहरण के लिए, मुख्य प्रवेश द्वार को उत्तर-पूर्व में होना चाहिए, क्योंकि यह शुभ माना जाता है। रसोई को दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए, जो अग्नि तत्व से संबंधित होता है और पकाने के लिए अच्छी दिशा मानी जाती है। मुख्य बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम में होना चाहिए, जो स्थिरता से संबंधित होता है और आराम और विश्राम के लिए अच्छी दिशा मानी जाती है।इन दिशाओं को समझने और उनका उपयोग करने से आप अपने नए घर के नक्शे को वास्तु अनुकूल बना सकते हैं और आपके घर में संतुलन और सुख-शांति को बढ़ावा दे सकते हैं।
वास्तु के अनुसार भूमि चयन कैसे करें?
वास्तु शास्त्र(Vastu Shastra), प्राचीन भारतीय विद्यानुसार, नवीन घर का निर्माण करने से पहले, भूमि का चयन करना महत्वपूर्ण होता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) निर्माण के हर पहलू को सम्मिलित करता है, जिसमें भूमि का चयन, उसका आकार, उसकी दिशा, और उसकी स्थिति शामिल है। विशेष रूप से, विधि शूला या भूमि के जिस दिशा में सड़क होती है, उसे ध्यान में रखा जाता है। उत्तर-पूर्व विधि शूला सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है, जो अच्छी ऊर्जा लाती है।
भूमि का उत्तर या पूर्व की दिशा में होना भी अच्छा माना जाता है। घर का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर, पूर्व, या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, और यह घर का सबसे आकर्षक हिस्सा होना चाहिए। इसके अलावा, घर के अन्य हिस्सों के लिए भी विशेष दिशाओं की सिफारिश की गई है, जैसे कि बेडरूम के लिए दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व, और रसोई के लिए दक्षिण-पूर्व।
वास्तु के अनुसार भूमि की लंबाई और चौड़ाई कैसी होनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र(Vastu Shastra), एक प्राचीन भारतीय विज्ञान, इमारतों के निर्माण और आयोजन, सहित उन पर बने भूमि के आकार और आकार के साथ संबंधित है। यह विशेष रूप से घर के जमीन की लंबाई और चौड़ाई का विचार करता है।
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर की जमीन की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 2:1 से अधिक नहीं होना चाहिए। आदर्श अनुपात 2:1 या उससे कम होना चाहिए। लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 2:1 से अधिक होने वाली जमीन वास्तु शास्त्र में शुभ नहीं मानी जाती है। जमीन की आकृति के बारे में बात करते हुए, वर्ग या आयताकार आकृति को आदर्श माना जाता है। प्लॉट की लंबाई और चौड़ाई बराबर होनी चाहिए, और कोने समकोणीय होने चाहिए। जो प्लॉट पूरी तरह से वर्ग या आयताकार नहीं होता है, वह कम शुभ माना जाता है।
जमीन खरीदते समय लंबाई और चौड़ाई के अनुपात, आकार, दिशा, और जमीन की स्थिति को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण होता है। इन वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) सिद्धांतों का पालन करके, आप अपनी जमीन को शुभ बना सकते हैं और अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) ला सकते हैं।
वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार का नक्शा कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर का मुख्य द्वार सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का प्रवेश द्वार माना जाता है। इसलिए मुख्य द्वार का स्थान, दिशा और डिज़ाइन का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
वास्तु के नियमों के अनुसार, घर का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा की ओर खुलना चाहिए। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। दक्षिण या पश्चिम दिशा में द्वार होने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है। मुख्य द्वार के सामने कोई अवरोध जैसे बिजली का खंभा या पेड़ नहीं होना चाहिए। साथ ही द्वार के ठीक सामने तिराहा या चौराहा भी शुभ नहीं माना जाता। द्वार का आकार भी महत्वपूर्ण होता है। वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार घर के अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए। द्वार घड़ी की दिशा में खुलना चाहिए और बाहर की ओर खुलना चाहिए, अंदर की ओर नहीं।
द्वार के पास का क्षेत्र साफ-सुथरा और प्रकाशमय होना चाहिए। वास्तु के अनुसार पानी का फव्वारा लगाना भी शुभ माना जाता है, जो उत्तर दिशा में द्वार के पास होना चाहिए। इन वास्तु नियमों का पालन करके घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का संचार होता है और परिवार खुशहाल रहता है।
वास्तु के अनुसार घर के आंगन का नक्शा कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र(Vastu Shastra), प्राचीन भारतीय विज्ञान, हमें भवनों का निर्माण प्रकृति और ब्रह्मांड की ऊर्जा के संरेखण में करने की सलाह देता है। घर का आंगन, जिसे वास्तु शास्त्र में ‘ब्रह्म’ कहा जाता है, भवन का केंद्रीय भाग होता है, जिसमें प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
वास्तु (Vastu) के अनुसार, घर का आंगन वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए। इसका उद्देश्य घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है। आंगन का निर्माण घर के बीच में किया जाता है, ताकि सूर्य की प्राकृतिक रोशनी सीधे आंगन में पहुंच सके। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के प्रमुख द्वार को पूर्व, उत्तर, या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। इसका मतलब है कि आंगन की दिशा ऐसी होनी चाहिए कि घर का प्रमुख द्वार इन दिशाओं में से किसी एक में हो।
इस प्रकार, वास्तु के अनुसार घर के आंगन का नक्शा घर की सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy), प्रकाश, और वातावरण को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाता है। यह नियम न केवल आरामदायक और समृद्ध जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे हमें प्रकृति और ब्रह्मांड के साथ संरेखण में रहने का एक अद्वितीय तरीका भी प्रदान करते हैं।
वास्तु के अनुसार स्नान घर और शौचालय का नक्शा कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, स्नान घर और शौचालय (Vastu Tips for toilet) का नक्शा बनाते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, बाथरूम और टॉयलेट को घर के उत्तर या उत्तर-पश्चिम हिस्से में बनाना श्रेष्ठ माना जाता है। दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में इन्हें नहीं बनाना चाहिए। बाथरूम का फर्श जमीन से कम से कम एक फुट ऊंचा होना चाहिए और हल्के रंगों जैसे बेज या क्रीम का इस्तेमाल करना उचित रहता है। काले और लाल रंग के टाइल्स से बचना चाहिए।
शौचालय का निर्माण जमीनी स्तर से एक से दो फीट ऊंचा होना चाहिए और उसका दरवाजा हमेशा बंद रहना चाहिए। शौचालय की सीट भी हमेशा बंद रहनी चाहिए ताकि नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश न हो। वास्तु (Vastu) के अनुसार, शौचालय के लिए सबसे उपयुक्त दिशा दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) मानी जाती है। उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय बनाने से रोजगार और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
इसके अलावा, बाथरूम को घर के अन्य हिस्सों से अलग रखना चाहिए। खिड़कियां पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा में खुलनी चाहिए। बाथटब गोल या वर्गाकार होना चाहिए और उसके सामने हल्के रंग का मैट बिछाना चाहिए। ओवरहेड पानी की टंकी को दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना श्रेष्ठ होता है।
वास्तु के अनुसार घर की सीढ़ी का नक्शा कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर की सीढ़ियों का निर्माण और स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। सीढ़ियों के वास्तु के कुछ मुख्य नियम इस प्रकार हैं:
- सीढ़ियों की संख्या: वास्तु के अनुसार, सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए, जैसे 9, 15 या 21। सम संख्या में सीढ़ियाँ शुभ नहीं मानी जाती हैं।
- सीढ़ियों की दिशा: सीढ़ियों का मुख दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर या पूर्व दिशा में सीढ़ियाँ बनाना वास्तु के विपरीत माना जाता है।
- सीढ़ियों का आकार: सीढ़ियों का आकार आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए। गोलाकार या अनियमित आकार की सीढ़ियाँ वास्तु के अनुकूल नहीं होती हैं
- सीढ़ियों का रखरखाव: सीढ़ियों को हमेशा साफ-सुथरा और अच्छी हालत में रखना चाहिए। टूटी-फूटी या गंदी सीढ़ियाँ नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।
इन वास्तु नियमों का पालन करके, घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और परिवार के सदस्यों को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। हालांकि, यदि पहले से बने घर में वास्तु दोष हों, तो उन्हें सुधारने के लिए वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
वास्तु के अनुसार घर के बेडरूम का नक्शा कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, बेडरूम (vastu Tips for bedroom) का नक्शा बनाते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, बेडरूम का मुख्य द्वार दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा की ओर नहीं खुलना चाहिए।
बेड का सिरहाना दक्षिण या पश्चिम की ओर होना चाहिए और पैर पूर्व या उत्तर की ओर होने चाहिए। बेड के ठीक ऊपर या नीचे कोई भारी वस्तु या बीम नहीं होनी चाहिए। बेडरूम में आईना बिस्तर के सामने नहीं होना चाहिए। कमरे में बेड के अलावा, अलमारी दक्षिण-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
टॉयलेट और बाथरूम बेडरूम के अंदर नहीं होने चाहिए। रंगों के मामले में, बेडरूम के लिए हल्के और शांत रंग जैसे सफेद, क्रीम, हल्का नीला या हरा सबसे उपयुक्त हैं। तेज और उत्तेजक रंगों से बचना चाहिए। इन वास्तु टिप्स का पालन करके, आप अपने बेडरूम में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का वास कर सकते हैं।
वास्तु के अनुसार घर के ड्राइंग रूम का नक्शा कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, ड्राइंग रूम का नक्शा बनाते समय दिशाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ड्राइंग रूम (Drawing room) का दरवाज़ा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर खुलना चाहिए। कमरे में रोशनी और हवा के लिए खिड़कियाँ पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए। फर्नीचर जैसे सोफा, कुर्सियाँ आदि दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना शुभ माना जाता है। ड्राइंग रूम में एक्वेरियम या फव्वारा लगाना भी शुभ होता है, लेकिन उन्हें दक्षिण-पूर्व कोने में स्थापित करना चाहिए। दीवारों के रंग हल्के और शांत होने चाहिए जो सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा दें। नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए, ड्राइंग रूम में टूटे हुए या क्षतिग्रस्त सामान नहीं रखने चाहिए।
इन वास्तु (Vastu) सिद्धांतों का पालन करके, आप एक ऐसा ड्राइंग रूम डिज़ाइन कर सकते हैं जो सकारात्मक ऊर्जा से भरा हो, शांति और सद्भाव को बढ़ावा दे, और परिवार के सदस्यों के बीच मधुर संबंधों को प्रोत्साहित करे। एक सुखद और समृद्ध जीवन जीने के लिए वास्तु के इन मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करना बुद्धिमानी होगी।
वास्तु के अनुसार घर की बालकनी का नक्शा कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर की बालकनी का नक्शा निम्नलिखित तरीके से होना चाहिए:
- दिशा: बालकनी का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं और घर में सुख-समृद्धि लाती हैं।
- आकार: बालकनी का आकार आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए। अनियमित या गोलाकार बालकनी से बचना चाहिए।
- स्थान: बालकनी घर के बाहरी हिस्से में होनी चाहिए, अंदर नहीं। वह ड्राइंग रूम या बेडरूम से जुड़ी हो सकती है।
- ऊँचाई: बालकनी का फर्श घर के मुख्य फर्श से थोड़ा ऊपर होना चाहिए। यह पानी के बहाव को सुनिश्चित करता है।
- रेलिंग: बालकनी की रेलिंग लोहे या लकड़ी की बनी होनी चाहिए। कांच या प्लास्टिक की रेलिंग से बचें।
- रंग: बालकनी के लिए हल्के और शांत रंगों का चयन करें जैसे सफेद, क्रीम या पेस्टल शेड्स। चमकीले रंगों से परहेज करें।
- पौधे: बालकनी में हरे पौधे या फूल लगाना शुभ माना जाता है। ये सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं।
वास्तु के अनुसार घर के किचन का नक्शा कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, रसोई घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो घर की सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। वास्तु के हिसाब से, किचन का निर्माण दक्षिण-पूर्व दिशा में करना चाहिए, जिसे अग्नि कोण भी कहा जाता है।
किचन का आकार वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए और इसका क्षेत्रफल घर के कुल क्षेत्रफल का लगभग 10-15% होना चाहिए। गैस स्टोव को दक्षिण-पूर्व कोने में रखना चाहिए और सिंक उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। वास्तु के अनुसार, किचन में खिड़कियां पर्याप्त होनी चाहिए ताकि प्राकृतिक प्रकाश और हवा का संचार हो सके।
किचन में भारी उपकरणों और अलमारियों को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। इसके अलावा, किचन का रंग हल्का और शांत होना चाहिए। इन वास्तु टिप्स को ध्यान में रखकर बनाया गया किचन न केवल खाना पकाने के लिए एक आदर्श स्थान होगा, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि भी लाएगा।
वास्तु के अनुसार घर के पूजा का नक्शा कैसा होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, घर के पूजा कक्ष का नक्शा बनाते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, पूजा कक्ष को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में स्थित होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। कमरे का आकार वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए, जिसमें लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 1:2 हो। पूजा कक्ष का प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
पूजा कक्ष में पर्याप्त प्रकाश और हवा का संचार होना चाहिए, इसलिए पूर्व या उत्तर दिशा में खिड़कियां और वेंटिलेशन होना आवश्यक है। फर्श संगमरमर, ग्रेनाइट या अन्य प्राकृतिक पत्थरों से बना होना चाहिए और साफ-सुथरा रखना चाहिए। दीवारों पर हल्के रंग का पेंट और धार्मिक चित्र या देवी-देवताओं की तस्वीरें लगानी चाहिए।
Summary-
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर का निर्माण, केवल एक भौतिक संरचना बनाने से कहीं अधिक है। यह एक ऐसा स्थान बनाने के बारे में है जो सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देता है। इस लेख में दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करके, आप अपने घर को एक ऐसे स्थान में बदल सकते हैं जो आपको और आपके परिवार को प्रेरित, शांत और आनंदित करेगा। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।
Disclaimer: इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां मान्यताओं पर आधारित है। हम आपको बता दें कि janbhakti.com ऐसी मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए इन सभी वास्तु टिप्स को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें ।
FAQ’S
Q. वास्तु शास्त्र क्या है?
Ans. वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और वास्तुकला के सिद्धांतों का अध्ययन करता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा के सकारात्मक प्रवाह को बढ़ावा देकर इमारतों में सद्भाव और समृद्धि लाना है।
Q. नए घर का निर्माण करते समय किन दिशाओं का ध्यान रखना चाहिए?
Ans. मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। पूजा कक्ष ईशान कोण में होना चाहिए। शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में और रसोईघर दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
Q. क्या घर का आकार वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण है?
Ans. हाँ, घर का आकार वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ग या आयताकार आकार वाले घर शुभ माने जाते हैं। अनियमित आकार वाले घरों में वास्तु दोष हो सकते हैं।
Q. वास्तु दोषों को कैसे दूर किया जा सकता है?
Ans. कुछ वास्तु दोषों को वास्तु विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों, जैसे कि रंगों का उपयोग, फर्नीचर का पुनर्विन्यास, या यंत्रों की स्थापना द्वारा दूर किया जा सकता है।
Q. वास्तु शास्त्र के पालन से क्या लाभ होते हैं?
Ans. वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे घर में शांति, समृद्धि, और खुशी आती है।
Q. गृह प्रवेश करते समय किन रीति-रिवाजों का पालन करना चाहिए?
Ans. गृह प्रवेश करते समय, सबसे पहले घर की लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। फिर, घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से स्वस्तिक बनाना चाहिए और घर में प्रवेश करते समय दीप प्रज्वलित करना चाहिए।