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भगवान शिव के गले में क्यों विराजते हैं नागराज वासुकी? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

Why does Lord Shiva wear Nagraj Vasuki Around His Neck
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भगवान शिव (Lord Shiva) और नागराज वासुकि (Nagraj Vasuki) का संबंध हिंदू धर्म और पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। शिव जी को अक्सर अपने कंठ में वासुकी नाग को धारण करते हुए देखा जाता है, जो उनकी शक्ति और करुणा का प्रतीक है। वासुकि, जो नागों के राजा हैं, भगवान शिव के परम भक्त माने जाते हैं। उनका जन्म कश्यप और कद्रु के पुत्र के रूप में हुआ था और वे अपने विशाल और लंबे शरीर के लिए जाने जाते थे। 

यह संबंध केवल सौंदर्य का ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक महत्व का भी प्रतीक है। शिव जी द्वारा वासुकी को अपने गले में धारण करना उनकी करुणा, संरक्षण और समर्पण को दर्शाता है। साथ ही, यह प्रकृति और जीवों के प्रति प्रेम और सम्मान का भी संदेश देता है। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों के कष्ट दूर करते हैं और मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

तो लिए आज के इस विशेष लेख के जरिए जानते हैं कि भगवान शिव (Lord Shiva) नागराज वासुकी को अपने गले में धारण क्यों करते हैं साथ ही हम यह भी जानेंगे कि नागराज वासुकी की पूजा कब और कैसे की जाती है? तो इन सभी जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िएगा। 

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भगवान शिव कौन है? (Who is Lord Shiva?)

भगवान शिव (Lord Shiva) हिंदू धर्म (Hindu religion) के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे त्रिदेवों में से एक हैं और संहार के देवता माने जाते हैं। शिव का अर्थ है “शुद्ध और विनाशक”। हालांकि वे विनाश के देवता हैं, लेकिन वास्तव में वे पुराने को नए में बदलने वाले हैं। वे अनंत चेतना के प्रतीक हैं जो समय और स्थान से परे है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव योगियों के देवता हैं और कैलाश पर्वत पर तपस्या करते हैं। उन्हें महादेव, पशुपति, भैरव, विश्वनाथ, भोले नाथ, शंभू और शंकर जैसे कई नामों से जाना जाता है। वे आदियोगी भी कहलाते हैं, जिन्होंने सप्तऋषियों को योग की विद्या दी थी। शिव को अक्सर ध्यान में लीन, जटाजूट वाले बालों में गंगा और चंद्रमा धारण किए हुए, गले में सर्प और हाथों में त्रिशूल और डमरू लिए हुए दर्शाया जाता है। उनके माथे पर तीसरी आंख है और शरीर पर भस्म लगी होती है।

भगवान शिव गले में नागराज वासुकि को धारण क्यों करते हैं? (Why does Lord Shiva wear Nagraj Vasuki around his neck?)

भगवान शिव (Lord Shiva) के गले में नाग क्यों रहता है, इसके पीछे एक रोचक कथा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव (Lord Shiva) के गले में लिपटा हुआ सांप वासुकि नाग है, जिसे सभी नागों का राजा माना जाता है। वासुकि भगवान शिव के परम भक्त थे और अपनी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपने गले में धारण करने का वरदान दिया था।

इसके अलावा, वासुकि का संबंध भगवान श्री कृष्ण और समुद्र मंथन से भी जुड़ा हुआ है। जब वासुदेव श्री कृष्ण को गोकुल ले जा रहे थे, तब यमुना नदी के तूफान में वासुकि ने उनकी रक्षा की थी। साथ ही, जब देवताओं और दानवों के बीच अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया गया, तब मेरु पर्वत को मथने के लिए वासुकि को ही रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया था। इस दौरान निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया।

पुराणों में यह भी उल्लेख है कि हिमालय (Himalaya) क्षेत्र में रहने वाले नाग वंश के लोग भगवान शिव (Lord Shiva) के बड़े भक्त थे। नागों की उत्पत्ति ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से मानी जाती है। कद्रू के हजारों पुत्रों में अनंत (शेष), वासुकि, तक्षक, कार्कोटक आदि प्रमुख थे।

इस प्रकार, भगवान शिव (Lord Shiva) के गले में वासुकि नाग का रहना उनकी भक्ति, समुद्र मंथन की घटना और नागों के साथ शिव के घनिष्ठ संबंध का प्रतीक है। यह शिव की करुणा और भक्तवत्सलता को भी दर्शाता है कि वे अपने भक्त वासुकि को हमेशा अपने साथ रखते हैं।

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नागराज वासुकि कौन हैं? (Who is Nagraj Vasuki?)

Who is Nagraj Vasuki?
Sorce- mysticadii

वासुकि हिंदू पौराणिक कथाओं में एक प्रसिद्ध नागराज हैं। वे कश्यप और कद्रु के पुत्र माने जाते हैं तथा कैलाश पर्वत के आस-पास के क्षेत्र के शासक थे। पुराणों के अनुसार, वासुकी का शरीर विशाल और लंबा था। वे भगवान शिव (Lord Shiva) के परम भक्त थे और उनके शरीर पर निवास करते थे।

समुद्र मंथन के दौरान, देवताओं और दानवों ने मंदराचल पर्वत को मथनी और वासुकी को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया। त्रिपुरदाह के समय भी वासुकी शिव के धनुष की डोरी बने थे।

जब वासुकि को पता चला कि नागकुल का विनाश होने वाला है और उसकी रक्षा केवल उनकी बहन के पुत्र द्वारा ही हो सकती है, तब उन्होंने अपनी बहन का विवाह जरत्कारु से कर दिया। जरत्कारु के पुत्र आस्तीक ने जनमेजय के नागयज्ञ के समय सर्पों की रक्षा की। इस प्रकार, वासुकी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पात्र हैं जो पौराणिक कथाओं में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं। वे शिव (Lord Shiva) के भक्त, नागों के राजा और नागकुल के संरक्षक के रूप में जाने जाते हैं।

नागराज वासुकि की पूजा कब और कैसे की जाती है? (When and how is Nagraj Vasuki worshipped?)

भगवान शिव (Lord Shiva) के परम भक्त नागराज वासुकि (Nagraj Vasuki) की पूजा प्रतिवर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी (Nag Panchami) के दिन की जाती है। हिंदू धर्म (Hindu religion) में नाग पंचमी का विशेष महत्व है। 

इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ नागों की भी पूजा की जाती है और उन्हें दूध चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि नाग पंचमी पर नागराज वासुकी सहित अन्य नाग देवताओं की पूजा करने से कालसर्प दोष और राहु-केतु के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

नागराज वासुकि  (Nagraj Vasuki) भगवान शिव (Lord Shiva) के परम भक्त हैं और उनके गले में विराजमान रहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय वासुकी ने रस्सी का काम किया था और इस दौरान वे बुरी तरह घायल हो गए थे। उनके अतुलनीय सहयोग से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपने गले में स्थान दिया। नागराज वासुकि  (Nagraj Vasuki) की पूजा करने से शिव (Lord Shiva) प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट दूर करके मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। प्रयागराज (Prayagraj) के नागराज वासुकि मंदिर में उनके दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष दूर होने की मान्यता है।

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Conclusion:

भगवान शिव (Lord Shiva) और नागराज वासुकि का अटूट संबंध ब्रह्मांडीय संतुलन और सद्भाव का प्रतीक है। वासुकि, शिव की शक्ति और तेजस्विता का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि शिव वासुकि की शांत और रक्षक प्रकृति को संतुलित करते हैं। भगवान शिव और नागराज वासुकि की कहानी से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया  हमारे मैं और सभी आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़िए, और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर रोज़ाना विज़िट करें ।

FAQ’s :

Q. वासुकी कौन हैं?

Ans.  वासुकी नागों के राजा हैं और शेषनाग के भाई हैं। वे समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों द्वारा नाग वासुकी को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया था। 

Q. भगवान शिव के गले में वासुकी क्यों विराजमान हैं? 

Ans. शिव पुराण के अनुसार, जब समुद्र मंथन के समय विष निकला तो भगवान शिव ने उस विष को पी लिया था जिससे उनका गला नीला पड़ गया। नागराज वासुकी ने भगवान शिव के गले में विराजमान होकर उस विष को ठंडक पहुंचाई और भगवान शिव की रक्षा की।

Q. भगवान शिव ने वासुकी को क्या वरदान दिया? 

Ans. शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने प्रसन्न होकर वासुकी को वरदान दिया कि वे अमर रहेंगे और उनके दंश से कोई नहीं मरेगा।

Q. नागराज वासुकी को भगवान शिव के गले में धारण करने से क्या लाभ होता है?

Ans. वासुकी जी, भगवान शिव के तेज को सहन करने में सक्षम हैं। उनके द्वारा धारण किए जाने से भगवान शिव की शक्ति और तेज नियंत्रित रहता है।

Q. भगवान शिव को कैलाश पर्वत पर नागों द्वारा घिरे रहने का क्या महत्व है?

Ans. नाग, भगवान शिव के रक्षक और भक्त हैं। उनकी उपस्थिति, कैलाश पर्वत की सुरक्षा और पवित्रता का प्रतीक है।

Q. नागराज वासुकी के अलावा, भगवान शिव के साथ किन नागों का संबंध है?

Ans. भगवान शिव के साथ, नागराज शेषनाग, नागकन्या मणिनागा और नागराज तक्षक का भी संबंध है।