भारत (India) के उत्तराखंड (Uttarakhand) के राजसी हिमालय (Himalaya) में स्थित केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple), भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। यह प्राचीन मंदिर न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए बल्कि अपनी उल्लेखनीय स्थापत्य सुंदरता के लिए भी बहुत महत्व रखता है केदारनाथ मंदिर बेहद ही दिव्य और अलौकिक है , उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर का इतिहास बेहद ही प्राचीन है । आज के इस लेख के जरिए हम आपको उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे,केदारनाथ मंदिर की पौराणिक कथा, Mythology of Kedarnath Temple,केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला, Architecture of Kedarnath Temple,केदारनाथ मंदिर की पूजा, Kedarnath temple worship ,केदारनाथ मंदिर में दर्शन का समय,Darshan time in Kedarnath temple,केदारनाथ में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार, Major festivals celebrated in Kedarnath,
How to reach Kedarnath Temple?, केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?, साथ ही हम आपको केदारनाथ मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को भी समझाएंगे, इसलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए तभी आप उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल कर पाएंगे।
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Kedarnath Temple of Uttarakhand overview
टॉपिक | जानिए उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर के बारे में, Know about Kedarnath Temple of Uttarakhand |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
मंदिर | केदारनाथ मंदिर |
स्थान | उत्तराखंड |
प्रमुख देवता | भगवान शिव |
इतिहास | पांडवों से संबंधित इतिहास |
धार्मिक महत्व | भगवान शिव का एक प्रमुख मंदिर है। |
स्थापना | 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया । |
केदारनाथ मंदिर की पौराणिक कथा, Mythology of Kedarnath Temple:
प्राचीन महाकाव्य महाभारत (Mahabharata) के अनुसार जब पांच पांडव (Pandava) भाइयों ने अपने रिश्तेदारों कौरव (Kaurav) की कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) के युद्ध में हत्या की तब उन पर हत्या का पाप लगा तभी पांडव भाइयों ने हत्या के पाप से छुटकारा पाने के लिए महादेव (Lord Shiva) की शरण में जाने का निश्चय किया और फिर अपने अपराध से छुटकारा पाने के लिए, उन्होंने भगवान शिव से क्षमा और आशीर्वाद मांगा। हालाँकि, भगवान शिव उन्हें कोई दर्शन नहीं देना चाहते थे और उन्हें माफ नहीं करना चाहते थे। पांडव भाइयों से बचने के लिए, उन्होंने खुद को नंदी (एक बैल) के रूप में प्रच्छन्न किया और हिमालय (Himalaya) की ओर चले गए।
काफी दिनों तक भगवान शिव को ढूंढने के बाद आखिरकार पांडव भाइयों ने भगवान शिव को ढूंढ ही लिया लेकिन भगवान शिव उन्हें दर्शन देना नहीं जाते थे इसीलिए वे जमीन के अंदर जाने लगे, हालांकि पांडवों में सबसे शक्तिशाली भीम ने भगवान शिव का कूबड़ पकड़ लिया । भीम की शक्ति से अभी भूत होकर भगवान शिव ने अपना कूबड़ (hump) केदारनाथ में ही छोड़ दिया और अपने नंदी के अवतार को भी त्याग दिया, और अपने मूल रूप में भी लौट आए । और तो और भगवान शिव के नंदी अवतार के अन्य अंग पर्वत श्रृंखला के पांच स्थानों पर पुनः प्रकट हो गए । यही कारण है कि इन पांच स्थानों को पंच केदार के नाम से भी जाना जाता है । माना जाता है कि भगवान शिव ने पांडवों को क्षमा कर दिया था और फिर पांडव भाइयों ने यहां पर भव्य शिव मंदिर का निर्माण भी करवाया था और फिर इसके बाद आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) ने यहां पर दोबारा भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था ।
केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला, Architecture of Kedarnath Temple
देश के किसी भी अन्य हिंदू मंदिर की तरह, केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) में दो अलग-अलग खंडों वाली एक विशिष्ट वास्तुकला संरचना है। एक गर्भगृह है जिसमें पीठासीन देवता रहते हैं और दूसरा मंडप है जो बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों और भक्तों को समायोजित करने के लिए एक विशाल स्थान है। मंदिर को विशाल और भारी पत्थर के स्लैब से एक आयताकार मंच पर समान रूप से निर्मित किया गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर नंदी (भगवान शिव का वाहन) की एक विशाल मूर्ति मौजूद है।
पवित्र तीर्थस्थल एक शंक्वाकार आकार की चट्टान से बना है जिसे भक्त भगवान शिव (Lord Shiva) के सदाशिव (Sadashiv) रूप के रूप में अत्यधिक पूजनीय मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह स्वयंभू, सर्वोच्च भगवान शिव (Lord Shiva) का स्वयंभू रूप है और इसे भारत भर में फैले सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे ऊंचा माना जाता है।
केदारनाथ मंदिर की पूजा, Kedarnath Temple worship
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) के मुख्य पुजारी (priest) को रावल के नाम से जाना जाता है, जो कर्नाटक के वीरशैव समुदाय (Veerashaiva community) से हैं। रावल द्वारा दिए गए निर्देशों पर केदारनाथ में पुजारी सभी अनुष्ठान और पूजा करते हैं। भक्त केदारनाथ मंदिर में विशेष पूजा (ऑनलाइन भी) कर सकते हैं। कुछ पूजाओं के लिए भक्तों की उपस्थिति की आवश्यकता होती है और कुछ पूजाओं को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है और भक्तों की भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती है ।
केदारनाथ मंदिर में दर्शन का समय,Darshan Time in Kedarnath Temple
केदारनाथ मंदिर शीतकाल के दौरान बंद रहता है यह मंदिर आमतौर पर अप्रैल (April) या मई (May) में भक्तों के लिए खोला जाता है और फिर नवंबर (November) में बंद हो जाता है केदारनाथ मंदिर में दर्शन का समय कुछ इस प्रकार है-
- प्रातः पूजा: प्रातः 4:00 बजे से प्रातः 7:00 बजे तक
- दर्शन: सुबह 6:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक और शाम 5:00 बजे से 7:00 बजे तक
- संध्या आरती: शाम 6:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक
केदारनाथ में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार, Major Festivals Celebrated in Kedarnath
- बद्री-केदार महोत्सव – बद्री-केदार महोत्सव इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक है जो हर साल जून के महीने में आयोजित किया जाता है। यह आठ दिनों तक चलता है और दुनिया भर से तीर्थयात्री इस अवसर को उच्च उत्साह और भक्ति के साथ मनाने के लिए एक साथ आते हैं।
- श्रावणी अन्नकूट मेला – यह त्योहार अगस्त महीने में रक्षा बंधन से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन ताजे कटे हुए धान से तैयार भोजन भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इसके अलावा, शिव लिंगम को नए कटे हुए चावल, मक्का, गेहूं और अन्य अनाज और दालों से बने पेस्ट से सजाया जाता है।
- समाधि पूजा – समाधि पूजा एक विशेष पूजा है जो सर्दियों के दौरान छह महीने की अवधि के लिए केदारनाथ मंदिर के बंद होने के दिन आयोजित की जाती है। मंदिर समिति हर साल विशेष रूप से इस पूजा का आयोजन करती है।
How to Reach Kedarnath Temple?, केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?
- हवाई मार्ग – केदारनाथ का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से, आप देहरादून के लिए उड़ान ले सकते हैं और फिर सड़क या हेलीकॉप्टर द्वारा केदारनाथ तक अपनी यात्रा जारी रख सकते हैं।
- ट्रेन द्वारा – केदारनाथ के निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार हैं। दिल्ली से, आप इनमें से किसी भी स्टेशन तक ट्रेन ले सकते हैं और फिर सड़क मार्ग से केदारनाथ जा सकते हैं। दिल्ली से ऋषिकेश और हरिद्वार के लिए नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं।
- सड़क मार्ग – केदारनाथ सड़क मार्ग द्वारा दिल्ली से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दिल्ली से केदारनाथ की यात्रा के लिए आप निजी कार, टैक्सी या बस का विकल्प चुन सकते हैं। आमतौर पर अपनाया जाने वाला मार्ग दिल्ली-हरिद्वार-ऋषिकेश-रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड (केदारनाथ की यात्रा का आधार) है। गौरीकुंड से, आप केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए या तो ट्रेक कर सकते हैं या टट्टू या पालकी किराए पर ले सकते हैं।
- हेलीकाप्टर सेवाएँ -तीर्थयात्रा सीजन के दौरान दिल्ली से केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध हैं। .आप एक हेलीकॉप्टर यात्रा बुक कर सकते हैं जो आपको सीधे केदारनाथ या नजदीकी हेलीपैड तक ले जाएगी जहां से आप सड़क या ट्रैकिंग मार्ग से अपनी यात्रा जारी रख सकते हैं।
Summary
केदारनाथ मंदिर हिन्दू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। केदारनाथ मंदिर के दर्शन से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। केदारनाथ मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर है। यह मंदिर भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है। आज के इस लेख के जरिए हमने आपको केदारनाथ मंदिर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान की, अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर साझा करें, साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।
FAQ’S
1. केदारनाथ मंदिर कहां स्थित है?
Ans. यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
Q. केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया था।
Ans.मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में करवाया था।
Q. केदारनाथ मंदिर की ऊंचाई कितनी है?
Ans. यह मंदिर 3,584 मीटर (11,759 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
Q. केदानाथ मंदिर के मुख्य देवता कौन हैं?
Ans. भगवान शिव मंदिर के मुख्य देवता हैं।
Q. केदारनाथ मंदिर कब खुलता है और कब बंद होता है?
Ans. मंदिर हर साल अप्रैल/मई में खुलता है और नवंबर में बंद होता है।