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Muktidham Mukam : बिश्नोई समाज के बीच बेहद लोकप्रिय है ‘मुक्तिधाम मुकाम’, जानिए मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर के बारे में

Muktidham Mukam Nokha, Bikaner
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Muktidham Mukam: ‘मुकाम’ का नाम सुनते हैं तो बिश्नोई समाज (Bishnoi society) के लोगों के दिल में श्रद्धा और भक्ति की लहर दौड़ जाती है। मुकाम, राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा तहसील में स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है जहां गुरु जम्भेश्वर भगवान की समाधि बनी हुई है। यह स्थान बिश्नोई समाज के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? इसका कारण है कि गुरु जम्भेश्वर ने अपने स्वर्गवास से पूर्व इसी स्थान पर समाधि लेने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा था कि खेजड़ी के पास 24 हाथ खोदने पर भगवान शिव का त्रिशूल और धुना मिलेगा, और वहीं उनकी समाधि बनाई जाए। 

यहां हर साल फाल्गुन और आसोज की अमावस्या पर दो बड़े मेले लगते हैं जिनमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। मेलों की व्यवस्था अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा और गुरु जम्भेश्वर सेवक दल द्वारा की जाती है।

मुक्तिधाम मुकाम बिश्नोई समाज (Bishnoi society) के लिए सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि उनकी आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यह वह पावन भूमि है जहां उनके गुरु विराजमान हैं। यहां आकर हर कोई अपने आप को धन्य महसूस करता है। मुकाम की पवित्र वायु में सांस लेकर, गुरु की समाधि पर मत्था टेककर श्रद्धालु अपने जीवन को सार्थक मानते हैं। यह स्थान बिश्नोई समाज को एकता और समर्पण का संदेश देता है।

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर (Muktidham Bishnoi Temple) से संबंधित यह लेख आपको बिश्नोई मंदिर और संत गुरु जम्भेश्वर भगवान जी जी के बारे में अत्यधिक जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा इसीलिए हमारे इसलिए को अंत तक अवश्य पढ़िए…

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर ‘मुकाम’ के बारे में (About Muktidham Bishnoi Temple)

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर का फोन नंबर+917998100029 
मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर का पताNokha, Mukam, Rajasthan 334802
मुक्तिधाम मंदिर की आधिकारिक वेबसाइटhttps://www.temple.bishnoism.org/2021/01/guru-jambheshwar-mandir-mukam.html 
मुक्तिधाम मंदिर की फेसबुक प्रोफाइलhttps://www.facebook.com/mukam29?mibextid=ZbWKwL 
मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर की ईमेल आईडीbishnoisamaj108@gmail.com 
मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर की जयपुर रेलवे स्टेशन से दूरी332.1 किलोमीटर 
मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर की जयपुर एयरपोर्ट से दूरी347.5 किलोमीटर 
बस स्टैंड से मंदिर की दूरी 81.3 किलोमीटर 
Google Map https://maps.app.goo.gl/szGF1k49QsQofFqx6

संत गुरु जम्भेश्वर भगवान जी कौन हैं? (Who is Saint Guru Jambheshwar Bhagwan Ji) 

संत गुरु जम्भेश्वर भगवान जी (Saint Guru Jambheshwar Bhagwan Ji) , जिन्हें जम्भेश्वर जी महाराज के नाम से भी जाना जाता है, मध्यकालीन भारत के एक महान संत और दार्शनिक थे। उनका जन्म 1451 में राजस्थान (Rajasthan) के पिपासर में हुआ और वे 1536 में महासमाधि ले गए। उन्होंने हिंदू धर्म की रीतियों और औपचारिकताओं के विरुद्ध आवाज उठाई।

वे एक धनी राजपूत परिवार में पैदा हुए, लेकिन उन्होंने 34 वर्ष की आयु में वैष्णववाद के बिश्नोई उपसंप्रदाय की स्थापना की। उनकी शिक्षाएँ काव्यात्मक रूप में थीं, जिन्हें शबदवाणी के नाम से जाना जाता है। यह शिक्षाएं मनुष्यता और प्रकृति के सिद्धांतों पर आधारित हैं और बिश्नोई समुदाय के नैतिक और नैतिक संहिता के 29 सिद्धांतों की नींव हैं। गुरु जम्भेश्वर जी महाराज 15वीं शताब्दी के एक महान पर्यावरणविद थे। उन्होंने बिश्नोई पंथ के 29 नियम बनाए, जिनमें से कुछ जैव विविधता की सुरक्षा, अच्छा पशुपालन, स्वस्थ सामाजिक व्यवहार और व्यक्तिगत स्वच्छता को बढ़ावा देते हैं। वे भगवान विष्णु के अनुयायी थे और उन्होंने अपने अनुयायियों को प्रतिदिन विष्णु की पूजा करने की दिशा दी।

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर कहाँ है? (Where is Muktidham Bishnoi Temple?)

Muktidham Mukam
Credit by- Facebook.com

मुक्तिधाम मुकाम (Muktidham Mukam), बिश्नोई समुदाय के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है, जो राजस्थान (Rajasthan) के बीकानेर (Bikaner) जिले के टालवंडी गांव के पास स्थित है। यह मंदिर 15वीं शताब्दी के संत गुरु जम्भेश्वर भगवान की समाधि के लिए प्रसिद्ध है, जिन्होंने यहां मोक्ष प्राप्त किया था। मूल मंदिर को एक भव्य मंदिर परिसर में नवीनीकृत किया जा रहा है, जिसे निज मंदिर के रूप में जाना जाता है।

मुक्तिधाम मंदिर की कथा (Story of Muktidham Temple)

Muktidham Mukam: मुकाम धाम बिश्नोई समाज (Bishnoi society) के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जहाँ गुरु जम्भेश्वर भगवान की पवित्र समाधि स्थित है। मान्यता है कि गुरु जम्भेश्वर ने अपने भौतिक शरीर को त्यागने से पहले एक खिजड़ी के पेड़ की ओर इशारा करके अपनी समाधि का स्थान बताया था। उन्होंने अपने अनुयायियों को पेड़ के पास 24 हाथ गहराई तक खोदने और उनका त्रिशूल और धुन्ना ढूंढने का निर्देश दिया, और वहीं उनकी समाधि स्थापित करने को कहा। कहा जाता है कि वह त्रिशूल और धुन्ना आज भी मुकाम मंदिर में मौजूद हैं।

बिश्नोई समुदाय का मानना है कि जब जम्भेश्वर भगवान ने अपना भौतिक शरीर छोड़ा, तो उन्हें एक कपड़े से खिजड़ी के पेड़ से बांधकर जमीन से ऊपर रखा गया, जब तक उनका त्रिशूल और धुन्ना नहीं मिल गया। इस दौरान उनके भक्त उनके साथ रहे। जब त्रिशूल और धुन्ना मिले, तो उसी स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई। गुरु जम्भेश्वर की समाधि पर बना मंदिर अब निज मंदिर के नाम से जाना जाता है। मुकाम में हर साल दो मेले लगते हैं, एक फाल्गुन अमावस्या और दूसरा आसोज अमावस्या के दौरान। फाल्गुन अमावस्या का मेला अनादि काल से चला आ रहा है, जबकि आसोज अमावस्या का मेला संत वीरहोजी ने विक्रम संवत 1648 में शुरू किया था। हाल के वर्षों में, दोनों मेलों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होने लगे हैं। 

मुकाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए समुदाय द्वारा कई वर्षों से मुफ्त भोजन स्टॉल लगाए जाते हैं। मुकाम आने वाले भक्त समाधि पर प्रार्थना करते हैं और अनुष्ठान करते हैं। मेलों के दौरान एक बड़ा हवन किया जाता है, जिसमें घी और अनाज आहुति के रूप में अर्पित किए जाते हैं। श्रद्धालु समाधि के पास पक्षियों को भी खिलाते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जम्भेश्वर भगवान ने स्वयं तपस्या के समय पक्षियों को भोजन कराया था। 

मुकाम से थोड़ी दूर स्थित समरथल धोरा भी जम्भेश्वर भगवान से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थल है। माना जाता है कि जम्भेश्वर भगवान ने इस स्थान पर लंबे समय तक तपस्या की और सभी जीवों के कल्याण के लिए गतिविधियों में लगे रहे। मुकाम आने वाले भक्त हमेशा समरथल धोरा जाने और वहां अनुष्ठान करने का प्रयास करते हैं।

मुक्तिधाम मंदिर तक कैसे पहुंचे (How to reach Muktidham Temple)

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर (Muktidham Bishnoi Temple), जिसे “मुकाम” के नाम से भी जाना जाता है, यहां रेल, सड़क और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

मार्ग द्वारा:

  • मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर (Muktidham Bishnoi Temple) का निकटतम रेलवे स्टेशन नोखा रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 10 किलोमीटर दूर है। देश के विभिन्न शहरों से नोखा के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं। स्टेशन से मंदिर तक आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा किराए पर ले सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा:

  • मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर (Muktidham Bishnoi Temple) सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप राष्ट्रीय राजमार्ग 52 (एनएच 52) या राज्य राजमार्ग 15 (एसएच 15) के माध्यम से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। बीकानेर, जोधपुर, जयपुर और दिल्ली जैसे शहरों से मंदिर तक नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। आप अपनी सुविधानुसार कार या टैक्सी भी किराए पर ले सकते हैं।

वायु मार्ग द्वारा:

  • मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा बीकानेर नागरिक उड्डयन हवाई अड्डा है, जो लगभग 110 किलोमीटर दूर है। दिल्ली, मुंबई, जयपुर और अहमदाबाद जैसे प्रमुख शहरों से बीकानेर के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से मंदिर तक आप टैक्सी या कैब किराए पर ले सकते हैं।

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर में दर्शन का समय (Darshan Timing of Muktidham Mandir) 

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर (Muktidham Bishnoi Temple) यात्रियों व पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे खोल दिया जाता है और फिर यह प्रक्रिया रात के 8:00 बजे खत्म होती है।

मुक्तिधाम मंदिर में प्रवेश शुल्क क्या है? (What is the Entry Fees of Muktidham Mandir?)

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर (Muktidham Bishnoi Temple) ‘मुकाम’ में प्रवेश शुल्क नहीं है। यह मंदिर सभी के लिए मुफ्त है। यह मंदिर बिश्नोई समाज का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में दान स्वीकार किए जाते हैं। दान का उपयोग मंदिर के रखरखाव और विभिन्न धार्मिक कार्यों के लिए किया जाता है।

मुक्तिधाम मंदिर ‘मुकाम’ की फोटो (Photo of Muktidham Temple Muqaam)

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर (Muktidham Bishnoi Temple) ‘मुकाम’ यात्रियों के बीच प्रसिद्ध लोकप्रिय स्थल है, इसमें मंदिर के भव्य द्वार और आसपास के परिसर है। इस लेख के जरिए हम आपको मुक्तिधाम मंदिर की कुछ विशेष तस्वीरें साझा कर रहे हैं-

विशेष आयोजन (Special Event)

मुक्तिधाम बिश्नोई मंदिर (Muktidham Bishnoi Temple) ‘मुकाम’ में वार्षिक रूप से दो मेले आयोजित किए जाते हैं, जो फाल्गुन और अशोज अमावस्या के दौरान होते हैं। यह मेले अधिक नहीं तो 500 वर्षों से अधिक समय से आयोजित हो रहे हैं। इन मेलों के दौरान, एक विशाल हवन का आयोजन किया जाता है, जिसमें घी और अनाज को आहुति के रूप में चढ़ाया जाता है।

इन मेलों के दौरान भक्तगण कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित विभिन्न भागों से आते हैं।

Conclusion:

मुक्तिधाम मुकाम सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि प्रकृति प्रेम और पर्यावरण संरक्षण का भी एक प्रतीक है। यह स्थान सिर्फ बिश्नोई समाज ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का केंद्र है। मुक्तिधाम मुकाम से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी आर्टिकल्स को भी एक बार जरूर पढ़िए, साथ ही अगर इस लेख को पढ़ने के बाद  आपके मन में कोई प्रश्न उत्पन्न हुआ हो तो इन प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में जरूर लिखिए हम आपके सभी उत्तर देने का हर संभव प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेखक को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s : Muktidham Mukam

Q. मुक्तिधाम मुकाम बिश्नोई समाज के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

Ans. मुक्तिधाम मुकाम बिश्नोई समाज के लिए सबसे पवित्र स्थल है क्योंकि यह गुरु जम्भेश्वर भगवान की समाधि की स्थली है। यहां पर उनका श्रद्धालु उनकी उपासना करते हैं और उनके दिखाए पथ पर चलने का संकल्प लेते हैं।

Q. मुक्तिधाम मुकाम कहां स्थित है?

Ans. मुक्तिधाम मुकाम, राजस्थान, भारत के हनुमानगढ़ जिले के बिश्नोई गाँव मुकाम में स्थित है, यह स्थान भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल की तरह है।

Q. मुक्तिधाम मुकाम का इतिहास क्या है?

Ans. मान्यता है कि गुरु जम्भेश्वर भगवान ने एक खिजड़ी वृक्ष की ओर इशारा करके अपनी समाधि का स्थान निर्देशित किया था. उन्होंने अपने अनुयायियों को निर्देशित किया था कि वे 24 हाथ गहराई तक खुदाई करें, जहां उन्हें शिव का त्रिशूल और धुनी मिलेगी।

Q. मुक्तिधाम मुकाम पर प्रतिवर्ष कौन से दो मेले आयोजित किए जाते हैं?

Ans. हिन्दी मासों के अमावस्या के दौरान फाल्गुन और अशोज, मुक्तिधाम मुकाम पर हर साल दो मेले आयोजित किए जाते हैं, ये मेले विशाल आकर्षण का केंद्र बनते हैं, जहां भक्तगण भगवान गुरु जम्भेश्वर की उपासना करते हैं।

Q. अशोज मेला कब आरंभ हुआ?

Ans. अशोज मेला संत वीरजी द्वारा विक्रम संवत 1648 में शुरू किया गया, यह मेला भक्तों के बीच बहुत ही लोकप्रिय है और हर साल इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।