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Top 10 Bhagwat Katha Vachak in India : देश ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं भारत के यह 10 भागवत कथावाचक, जानिए इनके बारे में

Top 10 Bhagwat Katha Vachak in India
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Top 10 Bhagwat Katha Vachak in India: भारत (India) में भागवत कथा (Bhagwat Katha Vachak) की परंपरा सदियों पुरानी है। भागवत पुराण में वर्णित भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) और उनकी लीलाओं का वर्णन करने वाली इस कथा ने समय के साथ लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। भागवत कथा (Bhagwat Katha) का प्रवाह आज भी निरंतर जारी है, और इसमें अनेक प्रतिभाशाली कथावाचकों का योगदान अविस्मरणीय रहा है।

आज हम आपको भारत के 10 ऐसे प्रसिद्ध भागवत कथावाचकों (Bhagwat Katha Vachak) से परिचित करवाएंगे, जिन्होंने अपनी अद्भुत वाणी और अद्वितीय शैली से इस कथा को जन-जन तक पहुंचाया है। इनमें कुछ ऐसी महिला कथावाचक भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने करिश्माई व्यक्तित्व और गहन अध्यात्मिक ज्ञान से लाखों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है। ये कथावाचक न केवल भागवत कथा के माध्यम से धार्मिक शिक्षा देते हैं, बल्कि अपने प्रवचनों के द्वारा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास भी करते हैं। उनकी कथाएँ जहाँ एक ओर श्रोताओं को भक्ति के रंग में रंगती हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें जीवन जीने की कला भी सिखाती हैं।

तो आइए, हम आपको इन 10 असाधारण भागवत कथावाचकों (Bhagwat Katha Vachak) के जीवन और उनकी उपलब्धियों से रूबरू करवाते हैं, आपको यकीन हो जाएगा कि भागवत कथा की महिमा और इन कथावाचकों की प्रतिभा अनन्त और अतुलनीय है। 

यह लेख आपको अनोखी आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाएगा, जिसमें आप इन महान विभूतियों के साथ भक्ति और ज्ञान का रसपान कर पाएंगे। तो देर किस बात की, चलिए शुरू करते हैं इस अद्भुत सफर को!

List of All 10 Famous Bhagwat Katha Vachak – Overview

SN.O10 प्रसिद्ध भागवत कथावाचकों के नाम
1आचार्य श्री कौशिक जी महाराज
2आचार्य गौरव कृष्ण गोस्वामी जी
3देवी चित्रलेखा जी
4धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
5पंडित प्रदीप मिश्रा जी
6अनिरुद्धाचार्य जी महाराज
7देवकीनंदन ठाकुर जी
8जया किशोरी 
9इंद्रेश उपाध्याय जी
10राजेंद्र दास जी महाराज

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1. आचार्य श्री कौशिक जी महाराज (Acharya Shri Kaushik Ji Maharaj)

Acharya Shri Kaushik Ji Maharaj

आचार्य श्री कौशिक जी महाराज (Acharya Shri Kaushik Ji Maharaj) का जन्म 26 मार्च 1974 को आगरा (Agra) जिले के तासौड़ गाँव में एक सनातन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने साधु-संतों के साथ समय बिताना और विभिन्न धार्मिक उपदेशों में भाग लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के कई सत्रों में भाग लिया और संस्कृत भाषा में मास्टर डिग्री हासिल की। गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने अपने आलोचकों को साबित किया कि दृढ़ संकल्प और समर्पण से कोई भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।

आचार्य श्री कौशिक जी महाराज (Acharya Shri Kaushik Ji Maharaj) भागवत कथा के विद्वान हैं और उनके प्रवचन लाखों श्रोताओं के मन और आत्मा को शुद्ध करते हैं। उनका प्रभाव इतना गहरा है कि भक्तों की भारी संख्या उनकी शक्ति के लिए आभारी है और उनके जीवन को सकारात्मक रूप से बदलने के लिए प्रेरित है। उन्होंने अपने प्रवचनों में एक आत्मीय लोक और शास्त्रीय भारतीय संगीत का समावेश किया है। उनकी आवाज़ को सुनना निश्चित रूप से एक सम्मान की बात है जो लाखों अनुयायियों के लिए एक विशेषाधिकार है।

आचार्य जी ने वृंदावन में श्रीमद् भागवत कथा के कई सत्रों में भाग लिया है। भले ही उनके विरोधियों ने उन पर हमला किया हो, लेकिन उन्होंने उन्हें आशीर्वाद दिया और लंबे समय तक उनके पास एक विशाल भीड़ आती रही। उन्होंने विभिन्न देशों में प्रचार किया है और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे। बिना किसी औपचारिक संगीत प्रशिक्षण के, वे अपने प्रवचनों में एक आत्मीय लोक और शास्त्रीय भारतीय संगीत को बखूबी पेश करते हैं। उनका सार्वभौमिक संदेश यह है कि प्रेम और ज्ञान घृणा और संकट पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

2. आचार्य गौरव कृष्ण गोस्वामी जी (Acharya Gaurav Krishna Goswami ji)

Acharya Gaurav Krishna Goswami ji

आचार्य गौरव कृष्ण गोस्वामी जी (Acharya Gaurav Krishna Goswami ji) एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु, टेलीवेंजलिस्ट और भक्ति गायक हैं। उनका जन्म 6 जुलाई 1984 को हुआ था। वे आचार्य श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामी जी के पुत्र और संत स्वामी हरिदास के वंशज हैं।

गौरव जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से प्राप्त की और संस्कृत भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया। 18 साल की उम्र में उन्होंने 20,000 से अधिक भक्तों की उपस्थिति में अपना पहला शास्त्र प्रवचन दिया। अपने पवित्र गुरु और पिता श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी से उन्होंने 108 भागवत कथाएं सुनीं। गौरव जी श्रीमद्भागवत के प्रख्यात कथावाचक हैं। वे अपनी अनूठी और आकर्षक शैली के लिए जाने जाते हैं, जो युवा अनुयायियों को विशेष रूप से आकर्षित करती है। उन्होंने जालंधर, होशियारपुर, दिल्ली और शुक्ताल जैसे शहरों में कथा प्रवचन दिए हैं। उनके अनुसार, “श्रीमद् भागवत कथा (Bhagwat Katha) का प्रत्येक प्रसंग हमें मानवता की शिक्षा प्रदान करता है। हमारा जीवन किस मार्ग से चले जिससे लक्ष्य की प्राप्ति हो।” गौरव जी एक प्रतिभाशाली भक्ति गायक भी हैं। उनके लोकप्रिय भजनों में ‘राधे सदा मुझ पर रहमत की नजर रखना’, ‘मुझे तेरा दीवाना बना दिया’, ‘तेरा शुक्र गुजारा’ आदि शामिल हैं। वे अपने संकीर्तनों से श्रोताओं के दिल में एक “वृंदावन” बनाने और “राधा नाम” का प्रसार करने का प्रयास करते हैं।

20 जनवरी 2018 को गौरव जी को ‘आदर्श युवा आध्यात्मिक गुरु’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे भारत की समृद्ध संस्कृति को युवाओं तक पहुंचाने और उन्हें सही दिशा देने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। अपने आध्यात्मिक ज्ञान और गायन प्रतिभा से गौरव कृष्ण गोस्वामी जी लाखों लोगों के प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

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3.देवी चित्रलेखा जी (Devi Chitralekha ji) 

Devi Chitralekha ji

देवी चित्रलेखा जी (Devi Chitralekha ji) भारत की एक लोकप्रिय आध्यात्मिक संत, भागवत कथा वाचक  (Bhagwat Katha Vachak) और प्रेरणादायक वक्ता हैं। उनका जन्म 19 जनवरी 1997 को हरियाणा के पलवल जिले के खंबी गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि भजन और उपदेश में थी। महज 4 साल की उम्र में उन्होंने बंगाली गुरु गिरधारी बाबा की संस्था से जुड़कर ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी।

6 साल की उम्र में चित्रलेखा जी (Chitralekha ji)ने पहली बार लोगों के बीच उपदेश देना शुरू किया। उन्होंने अपना पहला उपदेश उत्तर प्रदेश के बरसाना में दिया था। इसके बाद उन्होंने वृंदावन में 7 दिन के लिए ‘भागवत कथा’ का कार्यक्रम आयोजित किया। आज उनके कार्यक्रम भारत के साथ-साथ यूके, यूएस और अफ्रीका में भी होते हैं। चित्रलेखा जी (Chitralekha ji) भगवान कृष्ण की कथाओं पर विशेष रूप से प्रवचन देती हैं। उनकी कथाएं सुनने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। अपने प्रवचनों में वह राधे-कृष्ण और हरे कृष्णा का मंत्र सिखाती हैं ताकि लोगों का जीवन भगवान के काम में लगे और सफल हो सके। उन्होंने कई लोकप्रिय भजन भी गाए हैं जैसे ‘मेरा आपकी कृपा से’, ‘कृष्ण कृष्ण’, ‘एक तेरा सहारा’ आदि। 2008 में चित्रलेखा जी (Chitralekha ji) ने पलवल में ‘वर्ल्ड संकीर्तन यात्रा ट्रस्ट’ शुरू किया जिसका उद्देश्य हिंदू संस्कृति और विरासत को संरक्षित करना, भगवान के पवित्र नाम का प्रचार करना, दुनिया भर में भागवत कथा  (Bhagwat Katha) का प्रचार करना और गौ सेवा करना है। 2013 में उन्होंने पलवल में ‘गौ सेवा धाम अस्पताल’ भी शुरू किया जहां वह परित्यक्त और घायल गायों की देखभाल करती हैं।

2019 में चित्रलेखा जी (Chitralekha ji) को ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ द्वारा युवा भागवत कथा वाचक  (Bhagwat Katha Vachak) के रूप में सम्मानित किया गया। आज वह भारत की सबसे कम उम्र की धार्मिक कथा वाचकों में से एक हैं। उनके यूट्यूब चैनल पर लाखों सब्सक्राइबर हैं जो उनकी कथाओं और प्रवचनों को लाइव देखते हैं।

4. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri)

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri), जिन्हें बागेश्वर महाराज (Bageshwar Maharaj) के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय व्यक्तित्व हैं। वे मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित प्रसिद्ध मंदिर बागेश्वर धाम के मुख्य पुजारी हैं, जो हनुमान जी को समर्पित है। वे अपने भागवत कथा  (Bhagwat Katha) वाचन के लिए जाने जाते हैं और उनके पास लोगों को शारीरिक और मानसिक बीमारियों से मुक्त करने की शक्ति मानी जाती है।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) का जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर (Chhatarpur) जिले के गाढ़ा गांव में हुआ था। उनके पिता राम कर्पाल गर्ग एक पुजारी थे जो पूजा किया करते थे और उनकी माता सरोज गर्ग एक गृहिणी थीं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) का परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों की जरूरतों को सरल तरीके से पूरा करने का प्रयास किया। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) के दादा जी भगवान दास गर्ग एक संत और निर्मोही अखाड़े के सदस्य थे। उनके मार्गदर्शन में ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) ने रामायण और भगवद गीता में रुचि विकसित की। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव के एक सरकारी स्कूल में पूरी की और पत्राचार के माध्यम से उच्च शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा पूरी करने के बाद, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) ने अपना जीवन समाज सेवा को समर्पित करने का निर्णय लिया। उन्होंने मानवता की सेवा को अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य माना। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) का परिवार ब्राह्मण जाति से संबंध रखता है और उन्हें बचपन से ही पूजा, पाठ और भक्ति का अनुभव हुआ, जिसका उनके मन और विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ा।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) के गुरु उनके दादा जी भगवान दास गर्ग हैं, जिनका बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) से गहरा लगाव था। अपने दादा जी के पदचिह्नों पर चलते हुए, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) ने भी बागेश्वर धाम में सेवा करने का निर्णय लिया और वहां पुजारी बन गए। उन्होंने बागेश्वर धाम में दिव्य दरबार आयोजित करना शुरू किया, जिससे वे लोगों के बीच प्रसिद्ध और लोकप्रिय हो गए। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) अपनी भागवत कथा (Bhagwat Katha) वाचन के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनकी कथाओं में लोगों को जीवन के गहन सत्य और ज्ञान की अनुभूति होती है। उनकी कथाएं लोगों को प्रेरित करती हैं और उन्हें जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। उनकी कथाओं में भगवान कृष्ण और गीता के उपदेशों का विशेष महत्व होता है।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) की लोकप्रियता हाल के वर्षों में बढ़ी है और वे भारत में एक घरेलू नाम बन गए हैं। वे अपनी सरलता, विनम्रता और सहज स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। वे भगवद गीता और रामायण की शिक्षाओं के सच्चे अनुयायी हैं।

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5. पंडित प्रदीप मिश्रा जी (Pandit Pradeep Mishra ji)

Pandit Pradeep Mishra ji

पंडित प्रदीप मिश्रा जी (Pandit Pradeep Mishra ji), जिन्हें उनकी जन्म भूमि सीहोर के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध कथावाचक, गायक और आध्यात्मिक गुरु हैं। 1980 में जन्मे मिश्रा जी ने अपनी शिक्षा स्नातक तक पूरी की और उनके पिता श्री रामेश्वर दयाल जी मिश्रा ने चने बेचकर परिवार की देखभाल की। युवा आयु से ही उन्होंने भजन-कीर्तन करना शुरू कर दिया था

उनकी कथा वाचन (Katha Vachan) की यात्रा उनके बचपन के दिनों से शुरू हुई, जब एक ब्राह्मण महिला ने उन्हें कथा वाचन की ओर प्रेरित किया। उन्होंने अपने प्रवचन की शुरुआत एक शिव मंदिर (Shiv Mandir) में की और बाद में सीहोर में एक मंच पर पहली बार प्रवचन दिया। मिश्रा जी की कथाएं (katha) मुख्य रूप से शिव पुराण (Shiv Puran) पर आधारित होती हैं। उन्होंने अपने प्रवचनों में लोगों को उनकी समस्याओं के समाधान के लिए पानी से लोटा भरने की सलाह दी, जिसने उन्हें लोकप्रियता दिलाई। उनके प्रवचन और भजन लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान और सामाजिक सुधार के लिए प्रेरित करते हैं। उनके शब्दों में गहराई और मूल्यवानता होती है। मिश्रा जी की कथाएं न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हैं। उनका नाम एक प्रमुख कथावाचक के रूप में विश्वभर में मान्यता प्राप्त कर चुका है। यूट्यूब और फेसबुक पर उनके लाखों अनुयायी हैं, जिनसे उन्हें खासी आमदनी होती है। वह अपनी अधिकांश कमाई जरूरतमंदों की मदद करने में दान करते हैं।

मिश्रा जी की कहानी (kahani) उन लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है, जो सादगी से उठकर खुद का नाम रोशन करना चाहते हैं। उन्होंने दिखाया है कि समर्पण और कठिनाई से आगे बढ़ने के साथ, कोई भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।

6. अनिरुद्धाचार्य जी महाराज (Aniruddhacharya Ji Maharaj)

Aniruddhacharya Ji Maharaj

अनिरुद्धाचार्य जी महाराज (Aniruddhacharya Ji Maharaj) एक प्रसिद्ध भागवत कथा वाचक  (Bhagwat Katha Vachak) हैं जो अपनी प्रेरणादायक कथा वाचन के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 27 सितंबर 1989 को मध्य प्रदेश के दमोह जिले के रिनवाझा गांव में एक आध्यात्मिक परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री अवधेशानंद गिरी भी एक भागवताचार्य थे।

बचपन से ही अनिरुद्धाचार्य जी महाराज आध्यात्मिक गतिविधियों और भक्ति में रुचि रखते थे। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वे वृंदावन (vrindavan) चले गए और अपने गुरु संत गिरिराज शास्त्री महाराज से दीक्षा ली। उन्होंने भागवद गीता, रामायण और महाभारत जैसे विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया। अनिरुद्धाचार्य जी महाराज (Aniruddhacharya Ji Maharaj) ने अपने करियर की शुरुआत एक कथावाचक (Kathavachak)nऔर भक्ति गायक के रूप में की। उनकी कथा वाचन शैली में लोगों को कठिन बातें भी आसानी से समझाने की क्षमता है। आज वे टेलीविजन चैनलों और यूट्यूब पर भागवत कथा  (Bhagwat Katha) का प्रवचन देते हैं, जिससे हजारों लोग जुड़ते हैं। उनकी कथा वाचन स्थलों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। अनिरुद्धाचार्य जी महाराज (Aniruddhacharya Ji Maharaj) गायों के कल्याण के लिए भी काम करते हैं। उन्होंने वृद्ध गायों के लिए गौरी गोपाल वृद्ध आश्रम की स्थापना की है। साथ ही एक रसोई भी शुरू की है जहां कोई भी आकर भोजन कर सकता है। उनकी इन पहलों से समाज में उनकी सकारात्मक छवि बनी है।

उनकी कथा की बुकिंग के लिए 4 से 6 महीने का इंतजार करना पड़ता है। एक कथा के लिए 8 से 10 लाख रुपये शुल्क लिया जाता है। उनके यूट्यूब चैनल, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लाखों फॉलोअर्स हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार उनकी कुल संपत्ति लगभग 5 करोड़ रुपये है। अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा वे वृद्धाश्रम, गौशाला और निःशुल्क भोजन वितरण में खर्च करते हैं।

7. देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji)

Devkinandan Thakur ji

देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji) एक प्रसिद्ध हिंदू पुराण कथावाचक (Katha Vachak), गायक और आध्यात्मिक गुरु हैं। वे 12 सितंबर 1978 को उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) जिले के ओहावां गांव में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। उनके पिता का नाम राजवीर शर्मा और माता का नाम श्रीमती अंसुईया देवी है, जिन्होंने बचपन से ही उनमें कृष्ण और पौराणिक कथाओं के प्रति प्रेम जगाया।

देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji)  महाराज मात्र 6 साल की उम्र में घर छोड़कर वृंदावन चले गए और ब्रज के रासलीला संस्थान में शामिल हो गए। वे कृष्ण की कथाओं में इतने खोए रहते थे कि लोग उन्हें ठाकुरजी कहने लगे। बाद में, वे पुरुषोत्तम शरण शास्त्री के शिष्य बने और प्राचीन शास्त्रों और ग्रंथों के बारे में सीखा।

1997 से देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji) महाराज श्रीमद्भागवत कथा, श्रीराम कथा, देवी भागवत, शिव पुराण कथा, भगवद्गीता आदि विभिन्न धार्मिक ग्रंथों पर व्याख्यान देते आ रहे हैं। उन्होंने हजारों व्याख्यान किए हैं और प्रेम, करुणा और समाज सेवा का संदेश फैलाने में सफल रहे हैं। उनकी कथाएं हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य विभिन्न धर्मों के लाखों लोगों को आकर्षित करती हैं।

उनकी मधुर आवाज़ और भजन-कीर्तन हर आत्मा के भीतर आनंद की अनुभूति कराते हैं। उनकी कथाएं पूरी दुनिया में सुनी जाती हैं और उनके द्वारा सुनाई गई कथाएं विश्व में अपना सत्संग करती हैं। उन्हें विश्वगुरु भी कहा जाता है।

देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji) को उनके सामाजिक योगदान के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें ब्राह्मण महासभा द्वारा आचार्य इंद्र की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है। देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji) महाराज हिंदू धर्म के कट्टर समर्थक हैं जो हिंदू धर्म की रक्षा और प्रचार के लिए वकालत करते हैं।

8.जया किशोरी जी  (Jaya Kishori ji)

Jaya Kishori ji

जया किशोरी जी (Jaya Kishori ji) एक प्रसिद्ध भारतीय कथावाचक हैं जो भागवत कथा, रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अपने मनमोहक वाचन के लिए जानी जाती हैं। वह 13 जुलाई 1995 को राजस्थान (Rajasthan) के सुजानगढ़ में एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में पैदा हुईं। बचपन से ही उनकी अध्यात्मिकता की ओर झुकाव स्पष्ट था और उन्होंने बहुत कम उम्र में भगवद्गीता और रामायण सीखना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने गुरु गोविंदराम मिश्र जी से आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की, जिन्होंने भगवान कृष्ण के प्रति उनकी गहरी भक्ति के कारण उन्हें ‘किशोरी’ की उपाधि दी।

जया किशोरी जी (Jaya Kishori ji) ने सात साल की उम्र में अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की और कोलकाता (Kolkata) के बसंत महोत्सव में अपना पहला भजन प्रदर्शन दिया। वह श्रीमद्भागवत और नानी बाई के मायरो की सात दिवसीय और तीन दिवसीय कथा के लिए प्रसिद्ध हैं। दस साल की उम्र में उन्होंने पूरा सुंदरकांड पाठ किया, जिसकी उनके श्रोताओं ने खूब सराहना की। उनके कथा प्रदर्शन अध्यात्मिकता, प्रेरणा और मनोरंजन का एक मिश्रण हैं, जो हर वर्ग के लोगों को आकर्षित करता है।

जया किशोरी जी (Jaya Kishori ji) सिर्फ एक कथावाचक (Katha Vachak) ही नहीं बल्कि एक कथावाचक ही नहीं बल्कि एक समाज सेविका और प्रेरक वक्ता भी हैं। उन्होंने अपना मोबाइल ऐप लॉन्च किया है और 2018 में भारत के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं को 11,000 साड़ियाँ वितरित करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल हुईं। वह मानती हैं कि मानवता की सेवा करना जीवन का असली उद्देश्य है और उन्होंने अपना जीवन इस उद्देश्य को समर्पित कर दिया है।

9. इंद्रेश उपाध्याय जी  (Indresh Upadhyay ji)

Indresh Upadhyay ji

इंद्रेश उपाध्याय जी (Indresh Upadhyay ji) एक प्रसिद्ध भागवत कथा वाचक  (Bhagwat Katha Vachak) हैं जो अपनी मधुर वाणी और भक्तिमय कथा-पाठ के लिए जाने जाते हैं। वे 7 अगस्त 1997 को वृंदावन (vrindavan), उत्तर प्रदेश में एक आध्यात्मिक परिवार में जन्मे थे। उनके पिता श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री भी एक प्रसिद्ध कथावाचक हैं जिन्हें ‘ठाकुर जी’ के नाम से जाना जाता है।

इंद्रेश जी ने बचपन से ही अपने पिता से श्रीमद्भागवत का अध्ययन किया और दिव्य अस्त्रों की दीक्षा प्राप्त की। इससे उन्हें न केवल गहन आध्यात्मिक ज्ञान मिला बल्कि वैदिक विद्या की भी गहरी समझ हासिल हुई। वे एक प्रख्यात कथावाचक (Kathavachak) हैं जिनकी प्रतिष्ठा उज्ज्वल और प्रसिद्ध है। उनकी मधुर आवाज़ सभी को भक्ति में सराबोर कर देती है। इंद्रेश जी हमेशा गौ सेवा करते हैं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कई सुंदर भजन साझा किए हैं जो व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं। वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं जहां उनके “भक्ति पथ” नामक चैनल पर 454k फॉलोअर्स हैं। वे अपनी कथाओं में हमेशा गौ सेवा और संरक्षण के बारे में बात करते हैं।

इंद्रेश जी की कथा पाठ सभी भक्तों को भक्ति में सराबोर कर देती है और उनका मधुर स्वर चारों ओर भक्तिमय वातावरण स्थापित करता है। वे अपने श्रोताओं के दिलों में “वृंदावन” बनाने और गौ माता की महिमा फैलाने के मिशन के लिए तत्पर रहते हैं। उनका जीवन पूरी तरह गौ सेवा को समर्पित है।

10.राजेंद्र दास जी महाराज (Rajendra Das Ji Maharaj)

Rajendra Das Ji Maharaj

राजेंद्र दास जी महाराज (Rajendra Das Ji Maharaj) एक प्रसिद्ध संत, कथावाचक (Kathavachak) और आचार्य हैं। उनका जन्म मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के अचर्रा गाँव में हुआ था। वर्तमान में वे वृंदावन स्थित श्री मलूक पीठ के अधीश्वर हैं।

राजेंद्र दास जी महाराज का मुख्य कार्यक्षेत्र सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार, शास्त्र सेवा, साधु सेवा और गौ सेवा है।उनका मानना है कि जब घर-घर में गौ सेवा होगी, तब अच्छे दिन आएंगे।उनका अलौकिक चिंतन और मनन प्राणी-मात्र के भक्तिमय जीवन के लिए समर्पित है। राजेंद्र दास जी महाराज (Rajendra Das Ji Maharaj) एक उत्कृष्ट कथावाचक हैं। वे भागवत कथा का वाचन अत्यंत प्रभावशाली ढंग से करते हैं। उनके भागवत कथा वाचन की कई वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध हैं।उनकी कथा वाचन शैली सरल, रोचक और प्रेरणादायक होती है। वे श्रोताओं को भागवत कथा के गूढ़ रहस्यों से परिचित कराते हुए भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

राजेंद्र दास जी महाराज ने महाभारत कथा का भी वाचन किया है जो कृष्णकोश वेबसाइट पर उपलब्ध है। उनका महाभारत कथा वाचन भी उतना ही लोकप्रिय और प्रभावशाली है।

Conclusion:

यह 10 प्रसिद्ध कथाकार भारत की विशाल साहित्यिक प्रतिभा का एक छोटा सा नमूना हैं। इनकी रचनाओं ने न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है, बल्कि पाठकों को जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में सोचने और समझने के लिए प्रेरित किया है। अगर आपको हमारा यह विशेष लेख पसंद आया हो तो कृपया इसे अपने सभी प्रियजनों के साथ अवश्य साझा करें और अगर इस लेख से उत्पन्न आपके मन में कोई प्रश्न हो तो कृपया उन प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में जरूर लिखिए हम आपके सभी प्रश्नों का हर संभव जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसी और भी बेहद रोचक लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें। 

FAQ’s:

Q. क्या है श्रीमद भागवत कथा?

Ans. श्रीमद भागवत कथा हिन्दू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसे भगवान कृष्ण का साहित्यिक अवतार माना जाता है। इसमें भगवान कृष्ण के जीवन और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन है, जो भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है^1^.

Q. श्रीमद भागवत कथा का आयोजन क्यों किया जाता है?

Ans. श्रीमद भागवत कथा का आयोजन आध्यात्मिक विकास, भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण और आत्मसाक्षात्कार को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

Q. श्रीमद भागवत कथा की सुनने से क्या लाभ होता है?

Ans. श्रीमद भागवत कथा की सुनने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे जीवन की समस्याओं से राहत मिलती है। इसका मानना जाता है कि इसे सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Q. श्रीमद भागवत कथा का मोदर्न जीवन में क्या महत्व है?

श्रीमद भागवत कथा का मोदर्न जीवन में भी महत्व है, क्योंकि यह आध्यात्मिकता और भक्ति का महत्व बताती है। यह आयोजन आज भी भारत भर में होता है, जिससे हमें जीवन में आध्यात्मिकता और भक्ति का महत्व याद दिलाया जाता है।

Q. श्रीमद भागवत कथा का आयोजन कितने दिनों के लिए होता है?

Ans. श्रीमद भागवत कथा का आयोजन सामान्यतया सात दिनों के लिए होता है। यह परंपरा राजा परीक्षित के पश्चाताप के साथ शुरू हुई थी, जिन्होंने व्यासपुत्र शुकदेव मुनि से सात दिनों तक श्रीमद भागवत कथा की कथा सुनी थी।

Q. श्रीमद भागवत कथा के कौन से अंश महत्वपूर्ण हैं?

Ans. श्रीमद भागवत कथा में भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न अंश, उनकी दिव्य लीलाएं और उनके द्वारा दिए गए उपदेश महत्वपूर्ण माने जाते हैं।