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Kaal Sarp Dosh : क्यों होता है काल सर्प दोष? जाने लक्षण, और दूर करने का रामबाण उपाय

Kaal Sarp Dosh : क्यों होता है काल सर्प दोष? जाने लक्षण और दूर करने का रामबाण उपाय
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Kaal Sarp Dosh: क्या आप अपने जीवन में बार-बार आ रही समस्याओं और बाधाओं से परेशान हैं? क्या आपको लगता है कि आपकी मेहनत का फल आपको नहीं मिल पा रहा है? हो सकता है इन सब परेशानियों का कारण आपकी कुंडली में छिपा हो – कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh)।

हमारे प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को एक गंभीर योग माना गया है जो व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं ला सकता है। जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं तो यह दोष बनता है। इसके 12 प्रकार होते हैं जिनमें से प्रत्येक के अपने विशिष्ट प्रभाव होते हैं। कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) के कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, आर्थिक संकट, रिश्तों में तनाव जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं जैसे बार-बार डरावने सपने आना, दुर्घटनाओं का सामना करना, मेहनत का पूरा फल न मिलना आदि।

हालांकि कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) के होने का मतलब यह नहीं कि जीवन में केवल मुश्किलें ही आएंगी। इसका अंतिम परिणाम कुंडली में ग्रहों और भावों की स्थिति पर निर्भर करता है। साथ ही इस दोष के निवारण के उपाय भी बताए गए हैं जैसे विशेष पूजा-अनुष्ठान करना, मंत्रों का जाप करना और कुछ रत्नों को धारण करना।

तो आइए, कालसर्प दोष के बारे में विस्तार से जानते हैं और यह समझते हैं कि इससे कैसे निपटा जा सकता है!!

Table Of Content – Kaal Sarp Dosh

S.NOप्रश्न
1काल सर्प दोष क्या होता है?
2कालसर्प दोष के नुकसान
3कालसर्प दोष का उपाय
4कालसर्प दोष के लक्षण और उपाय
5कालसर्प दोष दूर करने का रामबाण उपाय
6काल सर्प दोष क्यों होता है
7काल सर्प दोष के लक्षण
8कालसर्प दोष कितने प्रकार के होते हैं
9कालसर्प दोष उपाय
10काल सर्प दोष के लक्षण
11कालसर्प दोष के प्रकार
12कालसर्प दोष पूजा कहा जाता है
13काल सर्प दोष के लक्षण
14काल सर्प दोष हिंदी में
15कालस्प दोष चोट इन हिंदी
16कालसर्प दोष का उपचार कहाँ होता है
17काल सर्प दोष दूर करने का उपाय
18कालसर्प दोष निवारण पूजा विधि
19कालसर्प दोष के फायदे और नुकसान
2012 प्रकार के कालसर्प योग
21कालसर्प दोष की पूजा कहां होती है

काल सर्प दोष क्या होता है? (What is Kaal Sarp Dosh)

Kaal Sarp Dosh: कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh), वैदिक ज्योतिष की एक अवधारणा है जिससे मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। जब सभी सात ग्रह – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि – कुंडली चार्ट में राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं, तब यह दोष उत्पन्न होता है। इसकी प्रकारों में अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पदम, महापदम, तक्षक, कर्कोटक, शंखनाद, विषधर, और शेषनाग शामिल हैं।

काल सर्प दोष के प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन, स्वास्थ्य, वित्तीय स्थिति, और वैवाहिक सम्बंधों पर देखे जा सकते हैं। इसके प्रभाव की गंभीरता दोष के प्रकार और शामिल होने वाले ग्रहों पर निर्भर करती है।

कालसर्प दोष के नुकसान

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) के 10 प्रमुख नुकसान इस प्रकार हैं:

  • जीवन में लगातार संघर्ष और बाधाएं आती हैं जिससे व्यक्ति हताश और निराश हो जाता है। वह अपने प्रयासों के बावजूद सफलता हासिल नहीं कर पाता।
  • मानसिक तनाव और चिंता बनी रहती है जिससे व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। उसे चैन और शांति नहीं मिलती।
  • आत्मविश्वास की कमी और हीन भावना से ग्रसित रहता है व्यक्ति। वह खुद को असफल और अयोग्य मानने लगता है।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और शारीरिक बीमारियां परेशान करती हैं। बार-बार बीमार पड़ना और दुर्घटनाओं का शिकार होना आम बात है।
  • आर्थिक नुकसान और गरीबी का सामना करना पड़ता है। कमाई के बावजूद पैसा टिकता नहीं और कर्ज में डूब जाता है व्यक्ति।
  • करियर और व्यवसाय में असफलता मिलती है। मेहनत के अनुरूप सफलता और तरक्की नहीं मिल पाती।
  • पारिवारिक रिश्तों में तनाव बना रहता है। पति-पत्नी के बीच अनबन, संतान न होना या उनकी उन्नति न होना जैसी समस्याएं सामने आती हैं।
  • मित्रों और शुभचिंतकों द्वारा विश्वासघात का सामना करना पड़ता है। अपनों से ही धोखा मिलता है व्यक्ति को।
  • मित्रों और रिश्तेदारों का सहयोग नहीं मिल पाता। व्यक्ति अकेला पड़ जाता है और उसे किसी का साथ हासिल नहीं होता।
  • जीवन में समग्र रूप से कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चाहे वो निजी जीवन हो, करियर हो या रिश्ते, हर क्षेत्र में दिक्कतें आती रहती हैं।

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) के ये नुकसान व्यक्ति के जीवन को अस्त-व्यस्त कर देते हैं, ज्योतिषीय दृष्टि से यह एक गंभीर दोष माना जाता है जिससे बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।

कालसर्प दोष का उपाय

ज्योतिष विज्ञान में काल सर्प दोष (Kaalsarp Dosh) एक ऐसा ग्रह संयोग है जिसका जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित होते हैं, तो काल सर्प दोष उत्पन्न होता है। 

परंतु यह भी सत्य है कि हर किसी को इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं होता। कई प्रसिद्ध व्यक्ति जैसे कि जवाहरलाल नेहरू, मोरारजी देसाई, और चंद्रशेखर ने अपने जीवन में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं, हालांकि उनकी कुंडली में काल सर्प दोष था। यदि काल सर्प दोष का प्रभाव नकारात्मक पाया जाता है, तो उसके प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों में विशेष पूजाएं करना, रत्न धारण करना, मंत्र जपना, और कुछ जीवनशैली में परिवर्तन करना शामिल है। उदाहरण के लिए, महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ करना, शिवलिंग पर दूध चढ़ाना, हर सोमवार को शिव मंदिर जाना, रोजाना 15-30 मिनट ध्यान करना, मांसाहारी भोजन और शराब से दूर रहना, और काल सर्प योग निवारण यंत्र का उपयोग करना, इनमें से कुछ हैं।

यह आवश्यक है कि किसी भी उपाय को एक योग्य ज्योतिषी की सलाह के अनुसार ही किया जाए। क्योंकि काल सर्प दोष के प्रभाव और उपाय व्यक्ति की जन्म कुंडली पर निर्भर करते हैं। इसलिए, एक सम्पूर्ण जन्म कुंडली विश्लेषण और एक योग्य ज्योतिषी का मार्गदर्शन, किसी भी नकारात्मक प्रभाव को कम करने और सफल और संतुष्ट जीवन सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।

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कालसर्प दोष के लक्षण और उपाय

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh), हिन्दी ज्योतिष की एक अवधारणा है, जिसे व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव लाने वाला माना जाता है। यह तब होता है जब सभी ग्रह व्यक्ति के जन्म पत्रिका में राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। कालसर्प दोष के 12 प्रकार होते हैं, जिनमें अनंत, कुलिक, वासुकी, शेषनाग, और काल आदि शामिल हैं।

इन दोषों के प्रभाव शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक, या सामाजिक हो सकते हैं, और वे व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि स्वास्थ्य, संबंध, करियर, और समृद्धि, को प्रभावित कर सकते हैं।

यद्यपि, यह महत्वपूर्ण है कि जन्म पत्रिका में कालसर्प दोष की उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति नकारात्मक प्रभावों का अनुभव करेगा। दोष के प्रभाव का निर्भर करना चार्ट में अन्य ग्रहों की स्थितियों और पहलुओं, साथ ही चार्ट की समग्र शक्ति पर होता है। इस दोष के उपाय में विभिन्न पूजाएं, मंत्र, और अन्य आध्यात्मिक अभ्यास शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए, काल कालसर्प दोष के साथ एक व्यक्ति महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक का पालन कर सकता है जो दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।

इन उपायों के अलावा, व्यक्ति को शराब, मांसाहारी भोजन, और अन्य अशुद्ध पदार्थों से बचना चाहिए, और एक स्वच्छ और शांत वातावरण बनाए रखना चाहिए।

कालसर्प दोष दूर करने का रामबाण उपाय

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) निवारण का सबसे सरल और रामबाण उपाय है कालसर्प दोष निवारण पूजा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह पूजा जितनी जल्दी की जाए उतना ही अच्छा होता है ताकि दोष के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके।

इस पूजा में भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना की जाती है क्योंकि वे सर्पों के अधिपति माने जाते हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर को भारत में कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है, क्योंकि यहां भगवान शिव महाकाल के रूप में विराजमान हैं। उज्जैन में पूजा करने से 100% सफलता की गारंटी मिलती है।

काल सर्प दोष क्यों होता है?

काल सर्प दोष (Kaalsarp Dosh), जिसे वैदिक ज्योतिष में एक नकरात्मक प्रभाव के रूप में माना जाता है, तब होता है जब सभी सात ग्रह – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि – जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। यहाँ, राहु को सर्प का सिर माना जाता है, जबकि केतु को सर्प की पूछ कहा जाता है। इस विन्यास को माना जाता है कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा की प्रवाह को बाधित करता है, जिससे विभिन्न कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं

काल सर्प दोष के लक्षण

काल सर्प दोष (Kaalsarp Dosh) के मुख्य लक्षण और प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • मानसिक अशांति और अनिर्णय की स्थिति: व्यक्ति को महत्वपूर्ण कार्यों में निर्णय लेने में कठिनाई होती है और वह मानसिक तनाव से ग्रस्त रहता है।
  • वैवाहिक जीवन में समस्याएं: काल सर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में अनबन, तनाव और अविश्वास की स्थिति बनी रहती है।
  • संतान प्राप्ति में बाधा: इस दोष के कारण व्यक्ति को संतान प्राप्ति में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • आर्थिक समस्याएं: काल सर्प दोष से ग्रसित व्यक्ति को आर्थिक उतार-चढ़ाव, ऋण और वित्तीय हानि का सामना करना पड़ सकता है।
  • स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां: इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को विभिन्न शारीरिक और मानसिक रोगों से ग्रस्त होने की संभावना रहती है।
  • व्यावसायिक जीवन में अस्थिरता: काल सर्प दोष के कारण व्यक्ति के करियर में अस्थिरता और असफलताएं आ सकती हैं।
  • सामाजिक प्रतिष्ठा पर प्रभाव: इस दोष से प्रभावित व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा और साख को नुकसान पहुंच सकता है।
  • भाग्य का साथ न देना: काल सर्प दोष वाले व्यक्ति को अक्सर भाग्य का साथ नहीं मिलता और वह जीवन में संघर्ष करता रहता है।

कालसर्प दोष कितने प्रकार के होते हैं?

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। ज्योतिषियों के अनुसार कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार के होते हैं-

  • अनंत कालसर्प योग: जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। यह सबसे शक्तिशाली और खतरनाक प्रकार माना जाता है।
  • कुलिक कालसर्प योग: जब मंगल राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है और अन्य सभी ग्रह उनके बीच होते हैं। यह विवाह और रिश्तों में कठिनाइयों का कारण माना जाता है।
  • वासुकी कालसर्प योग: जब शुक्र राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है। यह वित्तीय कठिनाइयों और प्रेम संबंधों में समस्याओं का कारण माना जाता है।
  • शेषनाग कालसर्प योग: जब बृहस्पति राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है। यह शिक्षा और बौद्धिक प्रयासों में कठिनाइयों का कारण माना जाता है।
  • पद्म कालसर्प योग: जब शनि राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है। यह स्वास्थ्य समस्याओं और लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधाओं का कारण माना जाता है।
  • महापद्म कालसर्प योग: जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं, और बृहस्पति भी उनके बीच होता है। यह एक बहुत ही दुर्लभ और खतरनाक प्रकार माना जाता है।
  • कर्कोटक कालसर्प योग: जब चंद्रमा राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है। यह मानसिक तनाव और अस्थिरता का कारण माना जाता है।
  • तक्षक कालसर्प योग: जब बुध राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है। यह संचार और बौद्धिक प्रयासों में कठिनाइयों का कारण माना जाता है।
  • शंखचूड़ कालसर्प योग: जब शुक्र राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है। यह प्रेम संबंधों और वित्तीय कठिनाइयों में समस्याओं का कारण माना जाता है।
  • घातक कालसर्प योग: जब मंगल राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है। यह दुर्घटनाओं, चोटों और हिंसक घटनाओं का कारण माना जाता है।
  • विषधर कालसर्प योग: जब बृहस्पति राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है। यह स्वास्थ्य समस्याओं और लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधाओं का कारण माना जाता है।
  • शेषशायी कालसर्प योग: जब शनि राहु-केतु अक्ष के बाहर होता है। यह शिक्षा और बौद्धिक प्रयासों में कठिनाइयों का कारण माना जाता है।

Kaal Sarp Dosh Remedies

  • भगवान विष्णु की पूजा: ज्योतिष शास्त्र में यह माना गया है कि जिन व्यक्तियों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
  • शनिवार को कोयले के टुकड़े पानी में बहाना: शनिवार के दिन बहते पानी में कोयले के टुकड़े प्रवाहित करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है।
  • सावन के महीने में महामृत्युंजय मंत्र का जाप: सावन के महीने में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना और भगवान शिव की प्रतिमा पर नियमित रूप से दूध मिला जल पतली धारा में अर्पित करना लाभकारी मन जाता है।
  • शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा: शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है।

Kaal Sarp Dosh Symptoms

  • जीवन में बार-बार असफलताएं और बाधाएं आना। व्यक्ति मेहनत करने के बावजूद सफलता हासिल करने में असमर्थ रहता है।
  • मानसिक अशांति, चिड़चिड़ापन और क्रोध जैसी समस्याएं। व्यक्ति को अक्सर नकारात्मक विचार आते हैं और वह तनाव में रहता है।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे बीमारियां, दुर्घटनाएं आदि। व्यक्ति को अक्सर शारीरिक कष्ट झेलने पड़ते हैं।
  • वैवाहिक जीवन में अशांति और तनाव। पति-पत्नी के बीच अनबन और झगड़े होते रहते हैं।
  • संतान प्राप्ति में देरी या बाधाएं। कई बार संतान सुख से भी वंचित रहना पड़ता है।
  • आर्थिक तंगी और कर्ज़ में डूबे रहना। धन की कमी के कारण जीवन में परेशानियां आती हैं।
  • कार्यक्षेत्र में अस्थिरता और बार-बार नौकरी बदलना। व्यापार में भी घाटे और मुश्किलें आती हैं।
  • सपनों में अक्सर सांप या मृत्यु से जुड़े दृश्य दिखाई देते हैं। व्यक्ति को डरावने सपने आते हैं।

हालांकि, काल सर्प दोष (Kaalsarp Dosh) के ये लक्षण सभी प्रभावित लोगों में एक जैसे नहीं होते। प्रभाव की तीव्रता व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती है। सटीक जानकारी के लिए एक कुशल ज्योतिषी से परामर्श करना उचित होगा।

कालसर्प दोष के प्रकार

S.NOकालसर्प दोष के प्रकार
1अनन्त काल सर्प योग
2कुलिक काल सर्प योग
3वासुकी काल सर्प योग
4शेषनाग काल सर्प योग
5पद्म काल सर्प योग
6महापद्म काल सर्प योग
7तक्षक काल सर्प योग
8कर्कोटक काल सर्प योग
9शंखपाल काल सर्प योग
10घाटक काल सर्प योग
11विषधर काल सर्प योग
12शेषनाग काल सर्प योग

कालसर्प दोष पूजा कहा होती है?

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) पूजा देश के कई प्रसिद्ध मंदिरों में की जाती है जहां इस दोष से पीड़ित लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए जाते हैं। कुछ प्रमुख मंदिर हैं:

S.NOकालसर्प दोष पूजा के प्रमुख मंदिर
1त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक
2कालहस्तीश्वर मंदिर, श्रीकालहस्ती, आंध्र प्रदेश
3नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, द्वारका, गुजरात
4श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन 

इन मंदिरों में विशेष पूजा, अभिषेक और होम किए जाते हैं। साथ ही, कई ज्योतिषी और पंडित भी कालसर्प दोष पूजा करवाते हैं जिससे इस दोष का प्रभाव कम किया जा सके और व्यक्ति को जीवन में सफलता मिल सके।

kaal sarp dosh ke lakshan

  • सफलता में बाधा: काल सर्प दोष से ग्रसित व्यक्ति को अपने प्रयासों में सफलता पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। चाहे वह करियर हो, व्यवसाय हो या निजी जीवन, हर क्षेत्र में रुकावटें आती रहती हैं।
  • तनाव और थकान: इस दोष के कारण व्यक्ति लगातार तनाव और थकान महसूस करता है। मानसिक शांति का अभाव रहता है और चिंता बनी रहती है।
  • निर्णय लेने में कठिनाई: काल सर्प दोष वाले लोगों को निर्णय लेने और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है। वे भ्रमित रहते हैं और उचित फैसले नहीं ले पाते।
  • निजी जीवन में उथल-पुथल: इस दोष से प्रभावित लोगों के वैवाहिक जीवन में समस्याएं आती हैं। पारिवारिक कलह और तनाव का सामना करना पड़ता है। संबंधों में मधुरता का अभाव रहता है।
  • स्वास्थ्य समस्याएं: काल सर्प दोष के कारण स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। कई तरह की शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं जिससे जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
  • आर्थिक कठिनाइयां: इस दोष का असर वित्तीय स्थिति पर भी देखने को मिलता है। आय के स्रोत प्रभावित होते हैं और व्यक्ति को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
  • सपनों में सांप दिखना: काल सर्प दोष से पीड़ित लोग अक्सर सपनों में सांप देखते हैं। इसके अलावा मृत व्यक्तियों के दर्शन भी हो सकते हैं जो मानसिक अशांति पैदा करते हैं।
  • विभिन्न भय का सामना: इस दोष के कारण कई तरह के अनावश्यक डर सताते हैं जैसे ऊंचाई से डर, अकेलेपन का डर या सांपों से डर। ये भय दिन-प्रतिदिन के कामकाज में बाधा डालते हैं।

Kaal Sarp Dosh in Hindi

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) वैदिक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं, तो इसे कालसर्प दोष कहा जाता है। 

इस दोष के 12 प्रकार होते हैं, जैसे अनंत, कुलिक, वासुकी आदि। कालसर्प दोष से ग्रसित व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे आर्थिक अस्थिरता, स्वास्थ्य समस्याएं और मानसिक तनाव। हालांकि, इस दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय सुझाए गए हैं, जैसे भगवान विष्णु की पूजा करना, शनिवार को कोयले के टुकड़े बहते पानी में डालना और सावन के महीने में शिव जी पर दूध और जल चढ़ाना।

कालसर्प दोष निवारण इन हिंदी

यह पांच उपाय जो कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं-

  • प्रतिदिन भगवान विष्णु की पूजा करें: ज्योतिष के अनुसार, भगवान विष्णु की पूजा करने से कालसर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • शनिवार को बहते हुए जल में अहुति दें: शनिवार को बहते हुए जल में कोयले के टुकड़े फेंकने से कालसर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • मसूर दाल और नारियल का उपचार करें: बहते हुए जल में मसूर दाल और नारियल की अहुति देने से भी कालसर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • महा मृत्युंजय मंत्र का जप करें: सावन मास में महा मृत्युंजय मंत्र का जप करने और भगवान शिव को दूध और जल चढ़ाने से कालसर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • पीपल का पेड़ पूजें: शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करने से भी कालसर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

कालसर्प दोष का निवारण कहां होता है

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) का निवारण भारत (India) के महाराष्ट्र (Maharashtra) राज्य के नासिक के पास स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर में होता है। यह मंदिर ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के संयुक्त स्वरूप के कारण अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहां गंगा नदी का संगम सभी दुःखों को धोने के लिए माना जाता है। यह पूजा एक दिन की घटना है जो 2-3 घंटे चलती है और विशेष रीति-रिवाजों के अनुसार की जाती है।

  • शिव पूजा करें और शिव मंदिर में रुद्राभिषेक करवाएं।
  • नागपंचमी के दिन नाग-नागिन का जोड़ा चांदी का बनवाकर पूजन कर जल में बहाएं।
  • नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  • शनिवार को बहते जल में नारियल अर्पित करें।
  • महामृत्युंजय मंत्र और संजीवनी मंत्र का जाप करें।
  • “ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्” मंत्र का जप करें।
  • शिवलिंग पर चंदन और इत्र चढ़ाएं तथा स्वयं भी लगाएं।

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) को दूर करने के लिए एक ज्योतिषी से परामर्श करना और उनके मार्गदर्शन में उपाय करना सबसे अच्छा रहेगा।

कालसर्प दोष निवारण पूजा विधि

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) निवारण पूजा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो त्र्यंबकेश्वर मंदिर में किया जाता है। यह पूजा उन लोगों के लिए फायदेमंद मानी जाती है जिनकी कुंडली में सभी ग्रह राहु एवं केतु के बीच स्थित हों। 

इस पूजा में गणेश पूजन, पुण्याहवाचन, मातृका पूजन, नवग्रह पूजन, रुद्र कलश पूजन और पूर्णाहुति जैसी विभिन्न क्रियाएँ शामिल हैं। इसके अलावा महा मृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप, पीपल वृक्ष को जल अर्पित करना, नाग पंचमी के दिन 11 नारियल नदी में प्रवाहित करना और प्रतिदिन रुद्राभिषेक करना भी कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के उपाय हैं। यह पूजा त्र्यंबकेश्वर मंदिर के अधिकृत पुरोहितों द्वारा निर्धारित विधि-विधान से संपन्न की जाती है।

कालसर्प दोष के फायदे और नुकसान

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh), एक ज्योतिषीय अवधारणा है, जो व्यक्ति के जीवन में कष्ट और परेशानी ला सकती है। यह तब होता है जब सभी सात ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। 

इसके परिणामस्वरूप, व्यक्ति को वित्तीय अस्थिरता, करियर में कठिनाईयाँ, और व्यक्तिगत जीवन में बाधाएं आ सकती हैं। इसके अतिरिक्त, यह मानसिक और शारीरिक तनाव, अपूर्णता की भावना, विवाह में देरी, और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। फिर भी, कालसर्प दोष के कुछ लाभ भी हैं। यदि राहु कुंडली में अनुकूल स्थिति में हो, तो कालसर्प दोष धन और करियर में सफलता ला सकता है। यदि शनि की स्थिति अनुकूल हो, तो यह नाम, प्रसिद्धि, और कानूनी मामलों में सफलता ला सकता है। यदि बृहस्पति की स्थिति अनुकूल हो, तो यह ज्ञान, बुद्धिमत्ता, और अच्छी शिक्षा ला सकता है।

12 प्रकार के कालसर्प योग

कालसर्प योग (Kaalsarp Dosh) के 12 प्रकार और उनके प्रभाव इस प्रकार हैं:

  • अनंत कालसर्प योग: जब राहु पहले भाव में और केतु सातवें भाव में होता है। यह योग शारीरिक, मानसिक और सरकार से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • कुलिक कालसर्प योग: जब राहु दूसरे भाव में और केतु आठवें भाव में होता है। यह योग आर्थिक और सामाजिक समस्याएं पैदा कर सकता है और पारिवारिक जीवन को प्रभावित कर सकता है।
  • वासुकी कालसर्प योग: जब राहु तीसरे भाव में और केतु नौवें भाव में होता है। यह योग भाग्य की कमी का कारण बन सकता है और व्यक्ति के जीवन को कठिन बना सकता है।
  • शंखपाल कालसर्प योग: जब राहु चौथे भाव में और केतु दसवें भाव में होता है। यह योग माता, भूमि, परिवार और करियर से संबंधित समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • पद्म कालसर्प योग: जब राहु पांचवें भाव में और केतु ग्यारहवें भाव में होता है। यह योग शिक्षा, प्रसिद्धि और संतान से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • महापद्म कालसर्प योग: जब राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में होता है। यह योग शारीरिक और प्रेम संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • तक्षक कालसर्प योग: जब राहु सातवें भाव में और केतु पहले भाव में होता है। यह योग वैवाहिक समस्याओं और साझेदारी के नुकसान का कारण बन सकता है।
  • कर्कोटक कालसर्प योग: जब राहु आठवें भाव में और केतु दूसरे भाव में होता है। यह योग जीवन काल को कम कर सकता है और स्वास्थ्य, वित्तीय और बोलने संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • शंखचूड़ कालसर्प योग: जब राहु नौवें भाव में और केतु तीसरे भाव में होता है। यह योग सफलता में बाधा, काम पर समस्याएं और कानूनी मुद्दे पैदा कर सकता है।
  • घातक कालसर्प योग: जब राहु दसवें भाव में और केतु चौथे भाव में होता है। यह योग व्यवसाय में नुकसान, पद में गिरावट और अधिकारियों और मानसिक शांति के साथ कठिनाइयों का कारण बन सकता है।
  • विषधर कालसर्प योग: जब राहु ग्यारहवें भाव में और केतु पांचवें भाव में होता है। यह योग सीखने में कठिनाइयों, परीक्षाओं में विफलता और संतान की खुशी के नुकसान का कारण बन सकता है।
  • शेषनाग कालसर्प योग: जब राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में होता है। यह योग शत्रुओं, कानूनी मुद्दों और मानसिक तनाव से संबंधित समस्याएं पैदा कर सकता है।

कालसर्प दोष की पूजा कहां होती है?

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) की यह पूजा भारत के विभिन्न स्थलों पर की जाती है। मुख्य रूप से, नासिक, महाराष्ट्र (Maharashtra) में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर में इसका आयोजन होता है। इसके अलावा, बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड; त्रिजुगी नारायण मंदिर, केदारनाथ; प्रयागराज, उत्तर प्रदेश; त्रियम्बकेश्वरम वासुकी नाग मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु; और उज्जैन के सिद्धवट, मध्य प्रदेश में भी इस पूजा का आयोजन होता है।

Conclusion:

कालसर्प दोष (Kaalsarp Dosh) ज्योतिष शास्त्र में एक जटिल अवधारणा है, जिसके अनेक प्रकार और प्रभाव होते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि यदि आपको अपनी कुंडली में कालसर्प दोष है तो आप किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लें। कालसर्प दोष जैसे प्रमुख विषय से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इस लेख को अपने सभी प्रिय जनों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य सभी आर्टिकल्स को भी एक बार जरूर पढ़ें। इसलिए उत्पन्न हुए आपके मन में अगर कोई प्रश्न है तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखिए हम आपके सभी प्रश्नों के उत्तर देने का हर संभव प्रयास करेंगे, ऐसे ही और भी शानदार लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’S 

Q. कालसर्प दोष ज्योतिष में क्या है?

Ans. ज्योतिष के अनुसार, कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति के जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। इसे माना जाता है कि यह व्यक्ति के जीवन में वित्तीय, शारीरिक, और मानसिक कठिनाईयों का कारण बनता है।

Q. कालसर्प दोष के लक्षण क्या हैं?

Ans. कालसर्प दोष के लक्षणों में शारीरिक, मानसिक, और वित्तीय कठिनाइयाँ शामिल होती हैं। इस दोष के साथ व्यक्ति को संतान संबंधी समस्याएं, नियमित रूप से नौकरी बदलने, सपनों में सांप या मृत्यु देखने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

Q. ज्योतिष के अनुसार कालसर्प दोष के उपाय क्या हैं?

Ans. कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय हैं। इनमें भगवान विष्णु की नियमित पूजा, शनिवार को बहते पानी में कोयले के टुकड़े डुबोना, महा मृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करना, और पीपल के पेड़ की पूजा करना शामिल है।

Q. ज्योतिष में सर्प के सिर का प्रतिष्ठान किसे माना जाता है?

Ans.ज्योतिष में, सर्प के सिर का प्रतिष्ठान राहु को माना जाता है।

Q. ज्योतिष में राहु और केतु का महत्व क्या है?

Ans. ज्योतिष में, राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, और वे व्यक्ति के जीवन में विभिन्न समस्याओं का कारण माने जाते हैं, जब वे व्यक्ति के जन्मकुंडली में एक निश्चित तरीके से स्थित होते हैं।

Q. ज्योतिष में राहु का अर्थ क्या है?

Ans. ज्योतिष में, राहु को सर्प का सिर माना जाता है, और इसे माना जाता है कि जब यह व्यक्ति के जन्म कुंडली में एक विशेष तरीके से स्थित होता है, तो यह व्यक्ति के जीवन में विभिन्न समस्याओं का कारण बनता है।