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Baba Ramdev ji ka Mantra Jaap: इस लेख में जानिए बाबा रामदेव जी के मंत्र, बीज मंत्र, दोहे और उनकी पूजा विधि के बारे में

Baba Ramdev ji ka Mantra jaap
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बाबा रामदेव जी का मंत्र जाप, स्तुति, बीज मंत्र, (Baba Ramdev ji ka Mantra Jaap, Stuti Beej Mantra): लोक देवता बाबा रामदेव जी राजस्थान (Rajasthan) के सबसे प्रसिद्ध और पूज्य संतों में से एक हैं। वे हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक माने जाते हैं और उन्होंने अपने अल्प जीवन में समाज सेवा और लोक कल्याण के अद्भुत कार्य किए। बाबा रामदेव जी के अनेक चमत्कारी कार्यों और उपदेशों की कहानियां आज भी लोगों की जुबान पर हैं। बाबा रामदेव के भक्तों के लिए उनके मंत्र, दोहे और स्तुति मंत्र बड़े ही पवित्र और प्रभावशाली माने जाते हैं। इन मंत्रों में बाबा के प्रति गहरी श्रद्धा और समर्पण की भावना झलकती है। बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev ji) का बीज मंत्र तो उनके अनुयायियों के लिए सबसे शक्तिशाली और फलदायी माना जाता है। इसके साथ ही बाबा रामदेव जी की पूजा विधि भी बड़ी सरल और सहज है। उनके देवरों और मंदिरों में लाखों श्रद्धालु नियमित रूप से पूजा-अर्चना करते हैं और उनकी कृपा की कामना करते हैं।

तो आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानते हैं बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev ji ka Mantra jaap) के प्रमुख मंत्रों, दोहों, स्तुति मंत्रों और पूजा विधि के बारे में। साथ ही समझते हैं कि ये मंत्र और विधि क्यों इतने महत्वपूर्ण और प्रभावी माने जाते हैं। यकीनन, यह जानकारी हर भक्त के लिए अमूल्य और प्रेरणादायक होगी। तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए…

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Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1बाबा रामदेव जी का मंत्र जाप
2बाबा रामदेव जी की स्तुति
3बाबा रामदेव जी का बीज मंत्र
4बाबा रामदेव जी के श्लोक
5बाबा रामदेव जी के दोहे

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बाबा रामदेव जी का मंत्र जाप (Baba Ramdev ji ka Mantra Jaap)

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बाबा रामदेव जी का प्रमुख और शक्तिशाली मंत्र निम्नलिखित है इस मंत्र का जब सभी भक्तों को प्रातः काल उठकर नियमित तौर से करना चाहिए:

मंत्र:

1: ॐ नमो भगवते रामदेवाय नमः

2: अहंग गुरूजी ॐ नमो सत नामे कोटि सिमरण,
तपे धरतीमाता अजपा जाप थी तपे रामापीर,
जपता जाप धरता ध्यान सिंगवाणी शुन्य में परछाया!!

बाबा रामदेव जी की स्तुति (Baba Ramdev ji ki Stuti)

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|| दोहा ||

श्री गुरु पद नमन करि, गिरा गनेश मनाय।
कथूं रामदेव विमल यश, सुने पाप विनशाय।।
द्वार केश से आय कर, लिया मनुज अवतार।
अजमल गेह बधावणा, जग में जय जयकार।।

|| चौपाई ||

जय जय रामदेव सुर राया, अजमल पुत्र अनोखी माया।
विष्णु रूप सुर नर के स्वामी, परम प्रतापी अन्तर्यामी।

ले अवतार अवनि पर आये, तंवर वंश अवतंश कहाये।
संज जनों के कारज सारे, दानव दैत्य दुष्ट संहारे।

परच्या प्रथम पिता को दीन्हा, दूश परीण्डा माही कीन्हा।
कुमकुम पद पोली दर्शाये, ज्योंही प्रभु पलने प्रगटाये।

परचा दूजा जननी पाया, दूध उफणता चरा उठाया।
परचा तीजा पुरजन पाया, चिथड़ों का घोड़ा ही साया।

परच्या चैथा भैरव मारा, भक्त जनों का कष्ट निवारा।
पंचम परच्या रतना पाया, पुंगल जा प्रभु फंद छुड़ाया।

परच्या छठा विजयसिंह पाया, जला नगर शरणागत आया।
परच्या सप्तम सुगना पाया, मुवा पुत्र हंसता भग आया।

परच्या अष्टम बौहित पाया, जा परदेश द्रव्य बहु लाया।
भंवर डूबती नाव उबारी, प्रगट टेर पहुँचे अवतारी।

नवमां परच्या वीरम पाया, बनियां आ जब हाल सुनाया।
दसवां परच्या पा बिनजारा, मिश्री बनी नमक सब खारा।

परच्या ग्यारह किरपा थारी, नमक हुआ मिश्री फिर सारी।
परच्या द्वादश ठोकर मारी, निकलंग नाड़ी सिरजी प्यारी।

परच्या तेरहवां पीर परी पधारया, ल्याय कटोरा कारज सारा।
चैदहवां परच्या जाभो पाया, निजसर जल खारा करवाया।

परच्या पन्द्रह फिर बतलाया, राम सरोवर प्रभु खुदवाया।
परच्या सोलह हरबू पाया, दर्श पाय अतिशय हरषाया।

परच्या सत्रह हर जी पाया, दूध थणा बकरया के आया।
सुखी नाडी पानी कीन्हों, आत्म ज्ञान हरजी ने दीन्हों।

परच्या अठारहवां हाकिम पाया, सूते को धरती लुढ़काया।
परच्या उन्नीसवां दल जी पाया, पुत्र पाया मन में हरषाया।

परच्या बीसवां पाया सेठाणी, आये प्रभु सुन गदगद वाणी।
तुरंत सेठ सरजीवण कीन्हा, उक्त उजागर अभय वर दीन्हा।

परच्या इक्कीसवां चोर जो पाया, हो अन्धा करनी फल पाया।
परच्या बाईसवां मिर्जो चीहां, सातों तवा बेध प्रभु दीन्हां।

परच्या तेईसवां बादशाह पाया, फेर भक्त को नहीं सताया।
परच्या चैबीसवां बख्शी पाया, मुवा पुत्र पल में उठ धाया।

जब-जब जिसने सुमरण कीन्हां, तब-तब आ तुम दर्शन दीन्हां।
भक्त टेर सुन आतुर धाते, चढ़ लीले पर जल्दी आते।

जो जन प्रभु की लीला गावें, मनवांछित कारज फल पावें।
यह चालीसा सुने सुनावे, ताके कष्ट सकल कट जावे।

जय जय जय प्रभु लीला धारी, तेरी महिमा अपरम्पारी।
मैं मूरख क्या गुण तव गाऊँ, कहाँ बुद्धि शारद सी लाऊँ।

नहीं बुद्धि बल घट लवलेशा, मती अनुसार रची चालीसा।
दास सभी शरण में तेरी, रखियों प्रभु लज्जा मेरी।

।। इति श्री रामदेव चालीसा समाप्त ।।

बाबा रामदेव जी का बीज मंत्र (Baba Ramdev ji ka Beej Mantra)

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~ॐ नमो भगवते नेतल नाथाय,
सकल रोग हराय सर्व सम्पति कराय।
मम मनाभिलाशितं देहि देहि कार्यम साधय,
ॐ नमो रामदेवाय स्वाहा।।

बाबा रामदेव जी की पूजा विधि (Baba Ramdev ji ki Puja Vidhi)

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रामसा पीर बाबा रामदेव जी की पूजा विधि 7 बिंदुओं में निम्नलिखित है:

  • मन और शरीर को पवित्र करना: भक्त मंदिर जाने से पहले स्नान करके अपने आप को शुद्ध करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो मन और शरीर दोनों को पवित्र करता है।
  • प्रणाम करना: मंदिर पहुंचने पर, श्रद्धालु बाबा रामदेव जी को प्रणाम करते हैं और उनके समक्ष विनम्रता से सिर झुकाते हैं।
  • दीप और धूप जलाना: भक्त अपने भीतर के प्रकाश को प्रज्वलित करने और बाबा रामदेव जी के दिव्य मार्गदर्शन की याचना करने के प्रतीक के रूप में दीप और धूप जलाते हैं।
  • भेंट चढ़ाना: भक्ति और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में फूल, फल और मिठाइयाँ बाबा को अर्पित की जाती हैं।
  • भजन और मंत्र का जाप करना: श्रद्धालु बाबा रामदेव जी का आशीर्वाद और मार्गदर्शन पाने के लिए भजन, स्तुति और मंत्रों का पाठ करते हैं।
  • आरती में भाग लेना: भक्त आरती समारोह में भाग लेते हैं, जहां दिव्य ज्योति को देवता के चारों ओर घुमाया जाता है, जो भक्तों को दिव्य प्रकाश से आच्छादित और संरक्षित करने का प्रतीक है।
  • प्रसाद ग्रहण करना: पूजा के बाद, श्रद्धालु मंदिर अधिकारियों द्वारा वितरित प्रसाद ग्रहण करते हैं, जो दिव्य अनुग्रह और आशीर्वाद को साझा करने का प्रतीक है।

बाबा रामदेव जी के दोहे (Baba Ramdev ji Ke Dohe)

दोहा :- रामा सामा आवजो, कलजुग बहोत करूर। अरज करू अजमाल रा, थे साम्भळजो जरूर।।

स्थाई :- साम्भलो नी सायल रामदे जी म्हारी ओ।

आपरी सेवा तो म्हाने लागे प्यारी ओ।
मालको री सेवा लागे म्हाने प्यारी ओ।।

अजमल भगती कीनी हद भारी ओ।
तन मन तपस्या कीनी करारी ओ।।

गढ़ रे गोकुल में गायो चराई ओ।
मुरली री टेर सुणाई हद भारी ओ।।

Conclusion

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (बाबा रामदेव जी का मंत्र जाप, स्तुति, बीज मंत्र, पूजा विधि,श्लोक) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in/ पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद

FAQ’s

Q1. बाबा रामदेव जी कौन थे?

Ans. बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev ji) एक प्रसिद्ध लोक देवता थे, जिन्हें राजस्थान के लोगों द्वारा उनकी करुणा और चमत्कारी शक्तियों के लिए पूज्य माना जाता है।

Q2. बाबा रामदेव जी का जन्म कब और कहां हुआ था?

Ans. बाबा रामदेव जी का जन्म 1409 ईस्वी में राजस्थान के रनिचा गाँव में हुआ था।

Q3. बाबा रामदेव जी की प्रमुख शिक्षाएं क्या थीं?

Ans. बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev ji) ने समानता, भाईचारा और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष का संदेश दिया, और सभी धर्मों के लोगों के प्रति सद्भावना की शिक्षा दी।

Q4. बाबा रामदेव जी के प्रमुख मंदिर कहां स्थित हैं?

Ans. बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev ji) का प्रमुख मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में रामदेवरा में स्थित है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

Q5. बाबा रामदेव जी की पूजा विधि में क्या शामिल होता है?

Ans. बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev ji) की पूजा विधि में उनकी मूर्ति के सामने दीपक जलाना, मंत्रों का उच्चारण, और भजन-कीर्तन करना शामिल है।

Q6. बाबा रामदेव जी के प्रमुख मंत्र कौन से हैं?

Ans. बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev ji) के प्रमुख मंत्रों में “ॐ ह्रीं श्री रामदेवाय नमः” और “ॐ श्री रामसप्ताय नमः” शामिल हैं।