नवदुर्गा के बीज मंत्र (Navdurga ke Beej mantra): माता दुर्गा – शक्ति की अवतार, जो अधर्म पर धर्म की विजय का सबसे सशक्त प्रतीक मानी जाती हैं। हिन्दू धर्म में देवी दुर्गा को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का प्रतीक माना गया है, जिन्हें सर्वोच्च शक्ति के रूप में पूजा जाता है। वह देवी पार्वती का ही रूप हैं, जो भगवान शिव की पत्नी और सभी देवताओं की माता हैं। उनकी शक्ति और महिमा इतनी अद्वितीय है कि वह समस्त संसार के लिए कल्याणकारी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता दुर्गा के नौ विभिन्न रूप हैं? हर एक रूप की अपनी विशेष शक्ति, महत्व और अनूठी कथा है, जो इनकी पूजा को और भी पवित्र और रहस्यमयी बनाती है। इन नौ रूपों को नवदुर्गा कहा जाता है और उनकी पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान होती है, जो शक्ति उपासना का प्रमुख पर्व है।
नवरात्रि के नौ पवित्र दिनों में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। प्रत्येक स्वरूप का एक अलग महत्व है और उनकी पूजा से भक्तों को विभिन्न प्रकार के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इन स्वरूपों की कहानियां प्रेरणादायक हैं, जो धर्म और शक्ति के साथ-साथ आध्यात्मिकता की ओर भी मार्ग प्रशस्त करती हैं। तो आइए, इस लेख के माध्यम से हम माता दुर्गा के इन नौ दिव्य स्वरूपों को गहराई से जानें और इन नवदुर्गाओं के विशेष बीज मंत्रों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें। चलिए, माता दुर्गा के इन नौ अद्भुत और शक्तिशाली स्वरूपों के रहस्यों और महिमा को विस्तार से समझते हैं…
माता दुर्गा कौन हैं? (Mata Durga kaun Hain)
माता दुर्गा (Mata Durga) हिंदू धर्म में शक्ति और शक्ति की देवी मानी जाती हैं। उन्हें आदिशक्ति का स्वरूप माना जाता है, जो सृष्टि की रचना, पालन और संहार की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। देवी दुर्गा को कई रूपों में पूजा जाता है, जिनमें उनके नौ रूप विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। शेर पर सवार और दस भुजाओं में शस्त्र धारण किए हुए, माता दुर्गा (Mata Durga) का यह रूप बुराई के प्रतीक महिषासुर का वध करने के लिए हुआ था। उनका अवतार अन्याय, अज्ञानता और अंधकार से संसार को मुक्त करने के लिए हुआ। नवरात्रि (Navaratri) में माता दुर्गा की विशेष रूप से पूजा होती है, जो श्रद्धालुओं के लिए शक्ति, साहस और विश्वास का प्रतीक है। माता दुर्गा (Mata Durga) न केवल शक्ति की देवी हैं, बल्कि वे करुणा, दया, और सुरक्षा की देवी भी मानी जाती हैं, जो अपने भक्तों की हर विपत्ति से रक्षा करती हैं।
नवदुर्गा के नव नाम (Navdurga ke 9 Naam)
नवदुर्गा दुर्गा माँ के नौ विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान इनकी विशेष पूजा की जाती है। नवदुर्गा के बारे में नौ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:
- शैलपुत्री: नवरात्रि के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री (Shailputri)की पूजा की जाती है। वह बैल पर सवार दिखाई देती हैं और पर्वतों की शक्ति का प्रतीक हैं।
- ब्रह्मचारिणी: दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) तपस्या या गहन ध्यान और तपस्या की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वह माला और जल पात्र धारण किए हुए दिखाई देती हैं, जो उनकी आध्यात्मिक प्रथाओं के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
- चंद्रघंटा: चंद्रघंटा (Chandraghanta) दुर्गा का तीसरा रूप है, जिनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन होती है। उनके माथे पर अर्धचंद्र है जो शांति और प्रसन्नता का प्रतीक है। वह राक्षसों का नाश करने के लिए भी जानी जाती हैं।
- कूष्मांडा: कूष्मांडा (Kushmanda) दुर्गा का चौथा रूप है, जिनकी पूजा नवरात्रि के चौथे दिन होती है। उन्हें आठ भुजाओं के साथ हथियार और कमल धारण किए हुए दिखाया जाता है। माना जाता है कि वह दीर्घायु, शक्ति और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।
- स्कंदमाता: दुर्गा का पांचवां रूप स्कंदमाता (Skandmata) है, जिनकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है। वह अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में लिए हुए दिखाई देती हैं, जो मातृ प्रेम और संरक्षण का प्रतीक है।
- कात्यायनी: कात्यायनी (Katyayani) दुर्गा का छठा रूप है, जिनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन होती है। वह चार भुजाओं के साथ तलवार और कमल धारण किए हुए दिखाई देती हैं। माना जाता है कि वह अपने भक्तों को जीवन के चार लक्ष्य – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करती हैं।
- कालरात्रि: दुर्गा का सातवां रूप कालरात्रि (Kalratri) है, जिनकी पूजा नवरात्रि के सातवें दिन होती है। उन्हें काले रंग और बिखरे हुए बालों के साथ दिखाया जाता है, जो उनके भयानक और शक्तिशाली स्वभाव का प्रतीक है। माना जाता है कि वह सभी नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।]
- महागौरी: महागौरी (Mahagauri) दुर्गा का आठवां रूप है, जिनकी पूजा नवरात्रि के आठवें दिन होती है। उन्हें गोरे रंग के साथ दिखाया जाता है और माना जाता है कि वह शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद देती हैं।
- सिद्धिदात्री: सिद्धिदात्री (Siddhidatri) दुर्गा का नौवां और अंतिम रूप है, जिनकी पूजा नवरात्रि के नौवें दिन होती है। उन्हें चार भुजाओं के साथ गदा, चक्र, शंख और कमल धारण किए हुए दिखाया जाता है। माना जाता है कि वह अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां या अलौकिक शक्तियां प्रदान करती हैं।
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नवदुर्गा के नव बीज मंत्र (Navdurga ke 9 beej Mantra)
यहाँ नवदुर्गा के नौ बीज मंत्रों की सूची प्रस्तुत की गई है:
क्रमांक | देवी का नाम | बीज मंत्र |
1 | शैलपुत्री | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः। |
2 | ब्रह्मचारिणी | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः। |
3 | चंद्रघंटा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नमः। |
4 | कूष्मांडा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः। |
5 | स्कंदमाता | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नमः। |
6 | कात्यायनी | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायन्यै नमः। |
7 | कालरात्रि | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः। |
8 | महागौरी | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नमः। |
9 | सिद्धिदात्री | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः। |
यह नौ बीज मंत्र नवदुर्गा की पूजा में उपयोग किए जाते हैं और हर देवी के विशेष शक्ति और गुणों का प्रतीक होते हैं।
नवदुर्गा (Navdurga) के सभी बीज मंत्रों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया गया है:
1. मां शैलपुत्री बीज मंत्र – ह्रीं शिवायै नम:
2. मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र – ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
3. मां चंद्रघंटा बीज मंत्र – ऐं श्रीं शक्तयै नम:
4. मां कूष्मांडा बीज मंत्र – ऐं ह्रीं देव्यै नम:
5. मां स्कंदमाता बीज मंत्र – ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
6. मां कात्यायनी बीज मंत्र – क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
7. मां कालरात्रि बीज मंत्र – क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:
8. मां महागौरी बीज मंत्र – श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
9. मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र – ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धये नम:
Conclusion
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FAQ’s
Q. माता दुर्गा को किस रूप में पूजा जाता है?
Ans. माता दुर्गा को शक्ति और साहस की देवी के रूप में पूजा जाता है। वह शेर पर सवार हैं और दस भुजाओं में शस्त्र धारण किए हुए हैं, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
Q. नवदुर्गा कौन हैं?
Ans. नवदुर्गा माता दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनकी पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के नौ दिनों में की जाती है। हर दिन एक विशेष रूप की पूजा होती है, जैसे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा आदि।
Q. कालरात्रि का क्या महत्व है?
Ans. कालरात्रि दुर्गा का सातवां रूप है, जो सभी नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करती हैं। उन्हें काले रंग और बिखरे बालों के साथ दिखाया जाता है और वह अपने भक्तों की हर विपत्ति से रक्षा करती हैं।
Q. सिद्धिदात्री कौन हैं?
Ans. सिद्धिदात्री नवदुर्गा का अंतिम रूप हैं, जो सभी सिद्धियों या अलौकिक शक्तियों की प्रदाता मानी जाती हैं। उनकी पूजा नवरात्रि के नौवें दिन होती है।
Q. स्कंदमाता का रूप क्या दर्शाता है?
Ans. स्कंदमाता दुर्गा का पांचवां रूप है, जो अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में लिए हुए होती हैं। उनका यह रूप मातृ प्रेम, सुरक्षा और शक्ति का प्रतीक है।
Q. महागौरी किसकी देवी मानी जाती हैं?
Ans. महागौरी दुर्गा का आठवां रूप हैं, जो शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास की देवी मानी जाती हैं। उनकी पूजा नवरात्रि के आठवें दिन होती है।