रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra in Hindi): रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) – भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना का एक पावन अनुष्ठान। यह एक ऐसी पूजा विधि है जिसमें भगवान शिव के रुद्र स्वरूप की पूजा की जाती है। भगवान शंकर अपने इसी रुद्र रूप में अपने भक्तों के संकट और दुःख दूर करते हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य अपने किए हुए पापों के कारण ही दुःख भोगता है। रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) करने से इन पापों का प्रभाव कम हो जाता है और व्यक्ति को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। यह अनुष्ठान व्यक्तिगत समस्याओं और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में भी मदद करता है। भगवान शिव (Lord Shiva) अत्यंत करुणामय हैं और अपने भक्तों की भक्ति और आस्था देखकर उन पर अपनी कृपा अवश्य बरसाते हैं।भगवान शिव के इस रुद्र स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि इस पूजा को करने से व्यक्ति के जीवन से हर प्रकार का दुःख-दर्द दूर हो जाता है। यह अनुष्ठान व्यक्ति की कुंडली से बड़े-बड़े पाप और नकारात्मक प्रभावों को भी हटाने में सक्षम है। इस पूजा को करने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं और लक्ष्य प्राप्त होते हैं।
तो आइए जानते हैं कि आखिर रुद्राभिषेक क्या होता है? इसमें किन-किन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है? इन मंत्रों का क्या अर्थ है? इस पूजा विधि को करने से क्या-क्या लाभ मिलते हैं? रुद्राभिषेक के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए? इस लेख में हम आपको रुद्राभिषेक के बारे में विस्तार से बताएंगे। तो पढ़ते रहिए यह रोचक और ज्ञानवर्धक लेख…
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Table Of Content :-Rudrabhishek Mantra in Hindi
S.NO | प्रश्न |
1 | रुद्राभिषेक कैसे करें |
2 | रुद्राभिषेक मंत्र |
3 | रुद्राभिषेक मंत्र अर्थ सहित |
4 | रुद्राभिषेक मंत्र पीडीएफ |
5 | रुद्राभिषेक मंत्र का प्रभाव |
6 | रुद्राभिषेक मंत्र जाप करने के लाभ |
7 | रुद्राभिषेक मंत्र जाप करने के लाभ |
रुद्राभिषेक क्या है और कैसे करें? (Rudrabhishek kya Hai or kaise kare)
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रुद्राभिषेक एक प्राचीन हिन्दू धार्मिक रीति है जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसमें शिवलिंग को पानी, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, बेलपत्र, धातू, और बिल्वपत्र से स्नान कराया जाता है। यह पूजा शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है।
संध्या समय स्नान आदि से निवृत्त होकर, सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद भगवान शिव, पार्वती सहित सभी देवता और नौ ग्रहों का स्मरण कर रुद्राभिषेक का संकल्प लें। मिट्टी से शिवलिंग बनाकर उत्तर दिशा में स्थापित करें, और पूर्व दिशा की ओर मुख करके रुद्राभिषेक की विधि आरंभ करें।
शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं, फिर गन्ने का रस, गाय का कच्चा दूध, शहद, घी और मिश्री से अभिषेक करें। हर सामग्री के अभिषेक के पहले और बाद में पवित्र जल या गंगाजल चढ़ाएं। प्रभु पर बिल्व पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, काला तिल, भांग, धतूरा, आंक, शमी पुष्प, कनेर, कलावा, फल, मिष्ठान और सफेद फूल अर्पित करें। इसके बाद शिव परिवार सहित समस्त देवी-देवताओं की पूजा करें और प्रभु को भोग लगाएं। अंत में पूरी श्रद्धा के साथ शिव जी की आरती करें और क्षमा प्रार्थना करें। अर्पित जल और अन्य द्रव्यों को इकट्ठा कर घर के सभी कोनों और लोगों पर छिड़कें और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। रुद्राभिषेक विद्वान पंडित द्वारा करवाना अत्यंत सिद्ध माना जाता है, लेकिन आप स्वयं भी रुद्राष्टाध्यायी का पाठ कर इस विधि को संपूर्ण कर सकते हैं। इस तरह, पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक रुद्राभिषेक संपन्न करें।
रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra in Hindi)
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ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥
रुद्राभिषेक मंत्र पीडीएफ (Rudrabhishek Mantra pdf)
रुद्राभिषेक (Rudrabhishek Mantra in Hindi) के प्रमुख मंत्र को हम आपसे पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप रुद्राभिषेक के सभी मंत्र को श्रद्धा पूर्वकपढ़ सकते हैं।
रुद्राभिषेक मंत्र का प्रभाव (Rudrabhishek Mantra ka prabhav)
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रुद्राभिषेक Rudrabhishek) एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है। रुद्राभिषेक मंत्र से निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं:
- शांति और समृद्धि: रुद्राभिषेक से मानसिक शांति मिलती है और परिवार में समृद्धि आती है। भगवान शिव की कृपा से जीवन में शांति और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- स्वास्थ्य लाभ: इस अनुष्ठान से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का निवारण होता है। भगवान शिव की कृपा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- नेगेटिव ऊर्जा का नाश: रुद्राभिषेक से नेगेटिव ऊर्जा और बुरी शक्तियों का नाश होता है। यह अनुष्ठान सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और बुरी शक्तियों को दूर रखता है।
- कर्म बंधनों का नाश: इस अनुष्ठान से पिछले कर्म बंधनों का नाश होता है और नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
- धन और संपत्ति: रुद्राभिषेक से धन और संपत्ति में वृद्धि होती है। भगवान शिव की कृपा से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और वित्तीय स्थिति में सुधार होता है।
- मन की शांति और एकाग्रता: इस अनुष्ठान से मन की शांति और एकाग्रता बढ़ती है। ध्यान और साधना में एकाग्रता प्राप्त होती है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
- आध्यात्मिक विकास: रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) से आध्यात्मिक विकास होता है। भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति के आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मा की उन्नति होती है।
ये प्रभाव रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra) के नियमित जाप और समर्पण से अनुभव किए जा सकते हैं।
रुद्राभिषेक मंत्र जाप करने की विधि (Rudrabhishek Mantra Jaap karne ki Vidhi)
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रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra in Hindi) जाप करने की विधि इस प्रकार है:
- सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- फिर पूजा स्थल पर आसन बिछाकर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।
- अब शिवलिंग स्थापित करें। उसके बाद शिवलिंग पर जल से अभिषेक करें।
- फिर दूध, दही, घी, शहद और शर्करा से अभिषेक करें।
- इसके बाद भस्म, चंदन, केसर और फूल चढ़ाएं। अब आचमन करके प्राणायाम करें।
- फिर गायत्री मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद शिव के मूल मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का 108 बार जाप करें।
- मंत्र जाप के दौरान ध्यान रखें कि मन एकाग्र रहे। मंत्र का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट हो।
- श्रद्धा और भक्ति के साथ मंत्र का जाप करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
- मंत्र जाप के बाद शिवलिंग पर पुष्प, बेलपत्र, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- अंत में शिव आरती करके प्रसाद ग्रहण करें। इस प्रकार श्रद्धापूर्वक रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक की मनोकामना पूरी करते हैं।
- रुद्राभिषेक से जीवन के कष्टों का निवारण होता है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
रुद्राभिषेक पूजा (Rudrabhishek Puja), जो भगवान शिव (Lord Shiva) की स्तुति के लिए संपन्न की जाती है, कई घंटों तक चल सकती है, यह अनुष्ठान के प्रकार और मापदंड पर निर्भर करता है। सामान्यतः, यह 1 से 8 घंटे तक चल सकता है, जिसमें पूजा की तैयारी, भगवान शिव (Lord Shiva) की प्रार्थना, शिवलिंग के साथ स्नान, फूलों, फलों और अन्य उपहारों की पेशकश, और प्रार्थना और आरती के साथ समापन शामिल होता है।
रुद्राभिषेक मंत्र जाप करने के लाभ (Benefits of Chanting Rudrabhishek Mantra)
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- रुद्राभिषेक पूजा (Rudrabhishek Puja) के अनेक लाभ होते हैं। यह पूजा भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है। इस पूजा में शिवलिंग को विशेष सामग्रियों से स्नान कराया जाता है, जो आत्मशुद्धि, संतुलन और आत्म-विकास में सहायक होते हैं। यह पूजा शांति और समृद्धि के लिए अनुशासन, समर्पण और भक्ति को बढ़ाती है। शिवलिंग के स्नान से मानसिक और शारीरिक
- रोगों का उपचार होता है और व्यक्ति को शक्ति और स्थैर्य प्रदान करता है। इस पूजा में भावनात्मक और मानसिक स्थिति को सुधारने का भी प्रभाव होता है, जिससे व्यक्ति का जीवन सकारात्मक और संतुलित बनता है।
- रुद्राभिषेक का सर्वोत्तम समय सावन का महीना होता है, जो भगवान शिव के लिए समर्पित होता है। इसके अलावा, शिवरात्रि और सोमवार का दिन भी इस अनुष्ठान के लिए शुभ माना जाता है। यदि सावन के दौरान अनुष्ठान करने में असमर्थ हों, तो पंडित या धार्मिक गुरु से शुभ समय का पता लगा सकते हैं।
- रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra) का जाप भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्त करने का शक्तिशाली साधन है। मंत्र के उच्चारण से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, बाधाएं दूर होती हैं और समृद्धि आती है। यह शांति, खुशी और आध्यात्मिक विकास प्रदान करता है। इसके अलावा, रुद्राभिषेक मंत्र विभिन्न रोगों और कष्टों को दूर करने में भी सहायक माना जाता है। विशेष अवसरों, त्योहारों या शिव पूजा के शुभ दिनों पर इन मंत्रों का जाप किया जाता है। जाति, पंथ या धर्म की परवाह किए बिना कोई भी इन मंत्रों का जाप कर सकता है। मंत्र जाप से आंतरिक शांति और खुशी प्राप्त होती है।
Conclusion:- Rudrabhishek Mantra in Hindi
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रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा पाने और मनोकामनाएं पूरी करने का एक प्रभावशाली माध्यम है इसके द्वारा न केवल व्यक्ति अपने पापों से मुक्त होता है, बल्कि उसके जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है। विशेषज्ञों के अनुसार, रुद्राभिषेक की यह प्राचीन विधि आज भी प्रासंगिक है और इसके माध्यम से लोग अपनी आध्यात्मिक और भौतिक समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। अगर आपको हमारा यह विशेष लेख पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी धार्मिक लेख को भी जरूर पढ़िए और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करिए।
FAQ’s:- Rudrabhishek Mantra in Hindi
Q. रुद्राभिषेक का क्या अर्थ है?
Ans. रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान शिव का अभिषेक करना। रुद्र शिव का एक रौद्र रूप माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के दुखों का नाश होता है और उसे शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Q. रुद्राभिषेक के मुख्य लाभ क्या हैं?
Ans..रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं जैसे – सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति, कुंडली के दोषों का नाश, मनोकामनाओं की पूर्ति, आर्थिक लाभ, रोगों से निजात, शत्रुओं पर विजय, बुद्धि में वृद्धि आदि।
Q. रुद्राभिषेक के लिए सर्वोत्तम समय क्या है?
Ans. रुद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ समय सावन का महीना और महाशिवरात्रि का दिन माना जाता है। इसके अलावा प्रदोष व्रत के दिन भी रुद्राभिषेक करना बहुत फलदायी होता है।
Q. रुद्राभिषेक की मुख्य सामग्री क्या होती है?
Ans. रुद्राभिषेक के लिए मुख्य सामग्री में गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र, सफेद फूल, चंदन, रुद्राक्ष आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा जिस विशेष मनोकामना के लिए रुद्राभिषेक किया जा रहा हो, उससे संबंधित विशेष सामग्री का भी प्रयोग किया जाता है।
Q. रुद्राभिषेक के दौरान कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
Ans. रुद्राभिषेक के समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना सर्वोत्तम माना जाता है। इसके अलावा “रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:” मंत्र का भी विशेष महत्व है जिसका अर्थ है कि रुद्र हमारे दुखों को दूर कर उन्हें नष्ट कर देते हैं।
Q. रुद्राभिषेक किस प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है?
Ans. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति अपने वर्तमान जन्म के साथ-साथ पिछले जन्मों के पापों से भी मुक्ति पा सकता है। कुंडली में मौजूद पाप और दोष भी रुद्राभिषेक से दूर हो जाते हैं।