Home पूजन विधि Karwa Chauth Puja Vidhi And Samagri: अक्टूबर में कब है करवा चौथ?...

Karwa Chauth Puja Vidhi And Samagri: अक्टूबर में कब है करवा चौथ? जानिए सरगी, 16 श्रृंगार, पूजा थाली, शुभ मुहूर्त, व पूजन की सामग्री के बारे में सब कुछ।

Karwa Chauth Puja Vidhi And Samagri
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करवा चौथ पूजन विधि सामग्री (karwa chauth puja vidhi and samagri): भारतीय संस्कृति में रवा चौथ एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो पति की लंबी आयु और सुखी विवाह की कामना के लिए मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, और इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी आयु और सुखी विवाह की कामना के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। करवा चौथ का त्यौहार न केवल पति-पत्नी के बीच प्रेम और स्नेह को मजबूत बनाता है, बल्कि यह त्यौहार महिलाओं के लिए अपने परिवार और समाज में सम्मान और गरिमा का भी प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ की संध्या पूजा कैसे की जाती है? क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ की पूजन सामग्री क्या है और 16 श्रृंगार की सामग्री सूची क्या है? इस लेख में, हम करवा चौथ के बारे में विस्तार से जानेंगे और इसके महत्व को समझेंगे। साथ ही, हम आपको बताएंगे कि करवा चौथ की थाली का महत्व क्या है और उसे कैसे सजाएं। हम आपको करवा चौथ के प्रमुख मंत्र के बारे में भी बताएंगे और करवा चौथ की सरगी क्या है, यह भी जानेंगे। 

तो आइए, करवा चौथ के इस महत्वपूर्ण त्यौहार के बारे में विस्तार से जानें, इस लेख को पढ़ें और करवा चौथ के महत्व को समझें…

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करवा चौथ 2024 (Karva Chauth 2024)

Karva Chauth 2024

हिन्दू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ (Karwa Chauth Puja Vidhi And Samagri) का पवित्र व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष, 2024 में यह विशेष अवसर रविवार, 20 अक्टूबर को सुबह 6:46 बजे से प्रारंभ होगा और अगले दिन, सोमवार 21 अक्टूबर को सूर्योदय से पहले, 4:16 बजे समाप्त होगा। व्रति महिलाएं इस दिन सुबह 6:25 बजे व्रत का संकल्प लेंगी। पूजा का यह अनुष्ठान चंद्रमा के उदय के साथ पूरी होगी, जिसमें चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत का समापन होगा।

करवा चौथ शुभ मूहुर्त (Karva Chauth Shubh Muhurat)

शुभ मुहूर्त का समय 20 अक्टूबर शाम 05:46 PM से लेकर शाम 07:02 PM तक रहेगा और पूजा का कुल समय 1 घंटा 16 मिनट है।

शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर शाम 05:46 PM से शाम 07:02 PM तक
पूजा का कुल समय1 घंटा 16 मिनट है।

करवा चौथ सरगी (Karwa Chauth Sargi)

करवा चौथ (Karva Chauth) की सरगी एक महत्वपूर्ण परंपरा है जो सास द्वारा बहू को दी जाती है। यह व्रत की शुरुआत का प्रतीक है और बहू के प्रति सास के स्नेह और आशीर्वाद को दर्शाता है। सरगी में पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन होते हैं जो व्रत के दौरान शक्ति प्रदान करते हैं।

सरगी में निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:

  1. फल, मिठाइयां, ड्राई फ्रूट्स जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ।
  2. दूध से बनी चीजें जैसे फेनी या खीर, और हल्का नाश्ता जैसे रोटी-सब्जी।
  3. श्रृंगार की 16 वस्तुएं और पूजन सामग्री।

सरगी का सेवन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से पहले सुबह 3:30 से 4:30 बजे के बीच करना चाहिए। इससे पहले स्नान आदि करके तैयार हो जाना चाहिए और सास का आशीर्वाद लेकर सरगी ग्रहण करनी चाहिए। सरगी खाने के बाद ही करवा चौथ का निर्जला व्रत शुरू होता है।

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करवा चौथ पूजा सामग्री  | Karwa Chauth Puja Samagri List

करवा चौथ (Karva Chauth) पूजन सामग्री सूची निम्नलिखित है:

1. चंदन

2. शहद

3. अगरबत्ती

4. पुष्प

5. कच्चा दूध

6. शकर

7. शुद्ध घी

8. दही

9. मिठाई

10. गंगाजल

11. कुंकुम

12. अक्षत (चावल)

13. सिंदूर

14. मेहंदी

15. महावर

16. कंघा

17. बिंदी

18. चुनरी

19. चूड़ी

20. बिछुआ

21. मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन

22. दीपक

23. रुई

24. कपूर

25. गेहूं

26. शकर का बूरा

27. हल्दी

28. पानी का लोटा

29. गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी

30. लकड़ी का आसन

31. चलनी

32. आठ पूरियों की अठावरी

33. हलुआ

34. दक्षिणा के लिए पैसे ।

सोलह श्रृंगार की सामग्रियां (16 Shringar Ki Samagri)

16 श्रृंगार की 16 वस्तुओं की सूची निम्नलिखित है:

  • चूड़ियां
  • मेहंदी
  • काजल
  • सिंदुर
  • बिंदी
  • झुमके
  • मांग टीका
  • गजरा
  • नथ
  • मंगल सूत्र
  • अंगूठी
  • पायल
  • बिछिया
  • कमरबंद
  • बाजूबंद
  • स्नान

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करवा चौथ की थाली (Karva Chauth ki Thali)

करवा चौथ की थाली से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित है:

  • थाली सजाने का तरीका: करवा चौथ पूजा के दौरान थाली को विशेष रूप से सजाने का महत्व है। सबसे पहले, एक साफ थाली लें और उसमें ईयर बड को तेल में डुबोकर शुभ चिह्न (जैसे स्वस्तिक या ओम) बनाएं। इसके बाद, चुटकी भर सिंदूर, हल्दी या रंगोली के रंग डालें और थाली को अच्छे से हिलाएं। जो रंग थाली पर टिक जाए, वही बने रहने दें और बाकी को हटा दें। इस प्रक्रिया से थाली पर सुंदर डिजाइन उभर कर सामने आता है।
  • सजावट में इस्तेमाल होने वाली सामग्री: थाली को सजाने के लिए विभिन्न सामग्री का इस्तेमाल किया जा सकता है। आप इसमें हीरे, मोती, और अन्य सजावटी सामग्री जोड़ सकती हैं, जो इसे और भी आकर्षक बना देती हैं। इसके अलावा, फूलों और रंगों से भी थाली को सजाया जा सकता है, जिससे उसकी सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं।
  • रंग-बिरंगे कोन और कांच के चमचमाते टुकड़े: बाजार में रंगों के कोन उपलब्ध होते हैं, जिन्हें मेहंदी की तरह थाली पर सुंदर आकृतियाँ बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही कांच के चमचमाते टुकड़े और रंग-बिरंगी चमकती लेस भी थाली की सुंदरता को और बढ़ा सकते हैं। ये सामग्री थाली को आकर्षक और चमकदार बनाती हैं।
  • थाली का आकार और डिजाइन: थाली का आकार और डिजाइन पूरी तरह से आपकी रचनात्मकता पर निर्भर करता है। आप थाली को अपनी पसंद और विचारों के अनुसार सजाएं। चाहे तो थाली पर गोलाकार डिजाइन बनाएं या फिर किसी खास रूप में सजावट करें। इसमें कोई सीमा नहीं है, आप अपनी शैली के अनुसार थाली को सजाने के लिए स्वतंत्र हैं।
  • बुजुर्ग सदस्य को थाली सौंपना: पूजा के अंत में, थाली घर के सबसे बुजुर्ग सदस्य को दी जाती है। वह सदस्य पूजा के बाद आपको आशीर्वाद देते हैं और ढेर सारा प्यार प्रदान करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो परिवार की एकता और प्रेम को दर्शाती है, और करवा चौथ के उत्सव को और भी खास बनाती है।

करवा चौथ व्रत की संध्या पूजा विधि (Karva Chauth Vrat Sandhya Puja Vidhi)

करवा चौथ की पूजा विधि (Karva Chauth Puja Vidhi) को प्रमुख चरणों में विस्तार से इस प्रकार समझा जा सकता है:

  • प्रातःकाल का संकल्प और सरगी का सेवन: करवा चौथ (Karva Chauth) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान करके, देवी-देवताओं को प्रणाम करें और व्रत रखने का संकल्प लें। इस दौरान, सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें, जो आमतौर पर सास द्वारा बहू को दी जाती है, जिसमें फल, मेवे और हल्का भोजन होता है।
  • पूजन स्थल तैयार करना: संध्या से पहले, गेरू से फलक पूजा स्थल को तैयार करें। फिर चावल के आटे से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। इसके अलावा, प्रिंटेड कैलेंडर का भी उपयोग कर सकती हैं।
  • चौक और देवताओं की स्थापना: संध्या के समय शुभ मुहूर्त में, पूजा स्थान पर चौक स्थापित करें। फिर भगवान शिव (Bhagwan Shiva), मां पार्वती (Maa Parvati) और उनके गोद में बैठे भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) का चित्र रखें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और पूजा स्थान पर मिट्टी के करवे में जल भरकर रखें।
  • करवा चौथ कथा और पूजा: अब भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh), मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान करते हुए, करवा चौथ की कथा सुनें। चंद्रमा की पूजा करें और उन्हें अर्घ्य दें।
  • चंद्रमा और पति को देखना: छलनी से चंद्रमा को देखें और फिर अपने पति का चेहरा देखें। इसके बाद, पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। अंत में, घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करना न भूलें।

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करवा चौथ मंत्र (Karva Chauth Mantra)

करवा चौथ (Karva Chauth) के दिन संध्या पूजा करते समय निम्नलिखित मंत्रो का जाप जरुर करना चाहिए:

  • पार्वतीजी का मंत्र – ॐ शिवायै नमः 
  • शिव का मंत्र – ॐ नमः शिवाय 
  • स्वामी कार्तिकेय का मंत्र – ॐ षण्मुखाय नमः  
  • श्रीगणेश का मंत्र – ॐ गणेशाय नमः 
  • चंद्रमा का पूजन मंत्र – ॐ सोमाय नमः

ऐसे दें चंद्रमा को अर्घ्य (Aise Den Chandrama ko Arghya)

  • करवा चौथ (Karva Chauth) के दिन, पूजा के बाद शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। 
  • इस समय, एक कलश में चांदी का सिक्का और अक्षत डालकर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें। 
  • इस दिन, अपनी परंपराओं के अनुसार पति के दर्शन करें, ताकि व्रत का उद्देश्य पूरा हो सके। 
  • इस साल करवा चौथ बुधवार को पड़ रहा है, जो ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जा रहा है।
  • हालांकि, अगर महिलाएं मासिक धर्म या सूतक-पातक की स्थिति में हों, तो उन्हें चंद्रमा को अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
  • ऐसी स्थिति में, महिलाएं पांच बार चावल चंद्रमा को अपर्ण कर सकती हैं। 
  • इस दौरान चंद्रदेव की पूजा करने की मनाही है, और करवा चौथ व्रत कथा को भी नहीं छूना चाहिए। 
  • इस स्थिति में, कथा किसी अन्य व्यक्ति से सुनी जा सकती है, ताकि व्रत की सभी धार्मिक मान्यताओं का पालन किया जा सके।

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Conclusion:- Karwa Chauth Puja Vidhi And Samagri

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FAQ’s:- Karwa Chauth Puja Vidhi And Samagri

Q. करवा चौथ की पूजा कब की जाती है?

Ans. करवा चौथ की पूजा कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को की जाती है। यह त्यौहार अमूमन अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करती हैं।

Q. सरगी का क्या महत्व है?

Ans. सरगी वह भोजन है जो व्रत शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले खाया जाता है। इसे सास अपने बहू को देती है। सरगी में मिठाई, फल, ड्राई फ्रूट्स, और पानी होता है, जिससे दिनभर व्रत करने की ऊर्जा मिलती है।

Q. अगर चांद देर से निकले तो क्या करें?

Ans. अगर चांद देर से निकलता है तो आप पूजा की बाकी तैयारियों को पहले पूरा कर सकती हैं। चांद के निकलने तक आप कथा सुन सकती हैं और जब चांद दिख जाए, तब अर्घ्य देकर व्रत खोल सकती हैं।

Q. क्या करवा चौथ का व्रत केवल निर्जला ही करना चाहिए?

Ans. पारंपरिक रूप से करवा चौथ का व्रत निर्जला होता है, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से कुछ महिलाएं पानी या फलाहार भी ले सकती हैं। मुख्य बात है व्रत की निष्ठा और श्रद्धा।

Q. करवा चौथ पर क्या नहीं करना चाहिए?

Ans. 1. करवा चौथ के दिन जल ग्रहण नहीं किया जाता।

2. व्रत के दौरान किसी प्रकार की नकारात्मक बातों से बचना चाहिए।

3. व्रत तोड़ने के लिए सूर्यास्त के बाद ही चंद्रमा के दर्शन किए जाते हैं।