धनतेरस की पूजा कैसे करें? (Dhanteras ki Puja kaise kare): धनतेरस (Dhanteras) – वह पावन पर्व जो हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियों का संचार करता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है और दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रथम दिन होता है। धनतेरस को धन त्रयोदशी या धनवंतरी त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस के शुभ दिन माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है, जो क्रमशः संपत्ति और धन के देवता हैं। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर खरीदारी करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं धनतेरस 2024 कब मनाया जाएगा? इस दिन क्या खरीदना शुभ होगा? पूजा का सही मुहूर्त और विधि क्या है? आइए, इस लेख में हम धनतेरस (Dhanteras) से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर एक विस्तृत नजर डालते हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि धनतेरस (Dhanteras) के दिन पूजा करने का महत्व क्या है पूजा मंत्र क्या है इत्यादि!
तो चलिए, शुरू करते हैं धनतेरस (Dhanteras) के पावन त्योहार से संबंधित इस विशेष जानकारी को तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए…
धनतेरस 2024 कब है? (Dhanteras 2024 kab Hai)
धनतेरस (Dhanteras) का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है, जो इस वर्ष 29 अक्टूबर, मंगलवार को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। धनतेरस का यह विशेष दिन शुभ मानी जाने वाली खरीदारी और समृद्धि के आगमन का प्रतीक होता है, और इसे हर घर में उल्लासपूर्वक मनाया जाता है।
धनतेरस की पूजा कैसे की जाती है? (Dhanteras ki Puja kaise ki Jati Hai)
धनतेरस (Dhanteras) की पूजा विशेष रूप से धन, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए की जाती है। इस दिन, देवी लक्ष्मी और धन्वंतरि की पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत सुबह सूर्योदय से पहले की जाती है। घर को स्वच्छ करके, पूजा स्थल पर एक चौकी पर देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद, ताम्बूल, फल, मिठाई, और वस्त्रों का भोग अर्पित करें। दियों का प्रज्वलन करें और फूलों से सजावट करें। इस दौरान विशेष मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।”
धनतेरस (Dhanteras) के दिन नए बर्तन, सोने-चांदी या अन्य बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी करना भी शुभ माना जाता है। पूजा के अंत में, परिवार के सभी सदस्यों के लिए शुभकामनाएं दें और धन की देवी लक्ष्मी का स्वागत करें। इस प्रकार, धनतेरस की पूजा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)
धनतेरस की पूजा विधि कुछ इस प्रकार है:
- शुद्धिकरण और सजावट: धनतेरस (Dhanteras) की पूजा से पहले घर की सफाई करें और पूजा स्थल को फूलों, रंगोली और दीयों से सजाएं। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- पूजन सामग्री एकत्रित करें: पूजा के लिए कलश, गंगाजल, रोली, अक्षत, पुष्प माला, मिट्टी के दीये, झाड़ू, धनिया, सुपारी, कुबेर यंत्र आदि जुटाएं।
- शुभ मुहूर्त का चयन: 29 अक्टूबर की शाम 6:30 से लेकर रात 8:12 तक का शुभ मुहूर्त रहेगा, इस शुभ मुहूर्त में ही पूजा-अर्चना करें।
- देवी-देवताओं का आह्वान: पूजा में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर एवं धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर उनका आह्वान करें।
- मंत्रोच्चारण और आरती: लक्ष्मी मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं लक्ष्म्यै नम:” और कुबेर मंत्रों का जाप करते हुए देवी-देवताओं की आरती करें।
- भोग लगाएं: आटे का हलवा, गुड़ और धनिया/बूंदी के लड्डू भगवान को भोग के रूप में अर्पित करें।
- प्रसाद वितरण और दान: पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान देना शुभ होता है।
धनतेरस पूजा विधि मंत्र (Dhanteras Puja Vidhi Mantra)
धनतेरस की पूजा (Dhanteras Puja) विधि को पांच मुख्य बिंदुओं में इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है:
- स्नान एवं स्वच्छता: सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या चित्र को साफ, पवित्र स्थान पर स्थापित करें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- मंत्र का आह्वान: भगवान धन्वंतरि का आह्वान निम्न मंत्र से करें:
“सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।”
- आसन और आचमन: पूजा स्थल पर चावल चढ़ाकर आसन अर्पित करें और आचमन के लिए जल अर्पित करें। भगवान धन्वंतरि को वस्त्र (मौली) अर्पित करें।
- सुगंधित सामग्री अर्पण: भगवान की मूर्ति या चित्र पर अबीर, गुलाल, पुष्प, रोली और सुगंधित सामग्री चढ़ाएं।
- भोग और औषधि अर्पण: चांदी के बर्तन (या किसी अन्य पात्र) में खीर का भोग लगाएं, मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी अर्पित करें, और शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी जैसी औषधियां भगवान धन्वंतरि को समर्पित करें।
धनतेरस पूजा मुहूर्त और नियम (Dhanteras Puja Muhurat Aur Niyam)
- धनतेरस पूजन मुहूर्त- शाम 06:30 PM से रात 08:12 PM मिनट तक।
धनतेरस (Dhanteras) के नियम–
- पवित्रता और सफाई: धनतेरस की सुबह की शुरुआत पवित्र स्नान से करें, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शुद्धि का प्रतीक भी है। इसके बाद, अपने घर और मंदिर की अच्छे से सफाई करें। स्वच्छता का यह कार्य एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और आपके घर में लक्ष्मी का वास बढ़ाता है। साफ-सुथरे वातावरण में पूजा का आयोजन करना विशेष महत्व रखता है, जिससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- पूजा की तैयारी: पूजा के शुभ मुहूर्त के दौरान भगवान गणेश, मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमाओं को स्थापित करें। इस अवसर पर, देसी घी का दीपक जलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रकाश और समृद्धि का प्रतीक है। इसके अलावा, चंदन और कुमकुम का तिलक लगाकर, भगवान को फूलों की माला, फल, और मिठाई का भोग अर्पित करें। यह न केवल श्रद्धा का प्रदर्शन है, बल्कि इसे पूजन का अभिन्न अंग माना जाता है।
- शुभ खरीदारी और यमराज को दीपक अर्पित करना: इस दिन शुभ मुहूर्त में कोई भी आवश्यक वस्तु खरीदें और उसे भगवान के समक्ष तिलक कर, धूप जलाकर पूजा करें। यह क्रिया आपकी संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि का प्रतीक है। संध्या के समय, घर के बाहर दक्षिण-पश्चिम दिशा में यमराज जी की ओर एक दीपक जलाएं। यह दीपक न केवल यमराज का आभार प्रकट करता है, बल्कि आपके घर में शांति और सुरक्षा का वातावरण बनाने में भी मदद करता है।
धनतेरस पर क्या खरीदना चाहिए? (Dhanteras Par kya kharidna Chahiye)
धनतेरस (Dhanteras) के पावन अवसर पर सोने व चांदी के आभूषण के अलावा इन निम्नलिखित पांच वस्तुओं को खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है:
- नई झाड़ू: झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक मानते हुए इसे घर लाना शुभ होता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- मिट्टी की गणेश-लक्ष्मी प्रतिमा: धनतेरस पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मिट्टी की प्रतिमा खरीदनी चाहिए, जो सुख और समृद्धि का प्रतीक है।
- लक्ष्मी चरण: मां लक्ष्मी के चरण चिन्ह मुख्य द्वार और पूजा स्थल पर लगाने से घर में धन का प्रवाह और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
- धनिया: धनतेरस के दिन धनिया खरीदकर इसे मां लक्ष्मी को अर्पित करें और धन स्थान पर छिड़कें, जिससे उनकी कृपा बनी रहती है।
- पान के पत्ते: धनतेरस पर पान के 5 पत्ते खरीदकर मां लक्ष्मी को अर्पित करें, जो उनके प्रिय माने जाते हैं, और दीपावली के बाद इन्हें बहते जल में प्रवाहित करें।
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Conclusion:-Dhanteras ki Puja kaise kare
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FAQ’s
1. धनतेरस की पूजा किस समय करनी चाहिए?
धनतेरस की पूजा प्रदोष काल (संध्या समय) में करना शुभ माना जाता है। इस समय देवी लक्ष्मी और धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व होता है। आमतौर पर, सूर्यास्त के बाद 1 से 2 घंटे का समय पूजा के लिए उपयुक्त होता है।
2. धनतेरस की पूजा के लिए कौन-कौन से सामग्री चाहिए?
धनतेरस की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- चांदी या सोने का सिक्का
- एक स्वच्छ थाली
- दीपक, धूप, अगरबत्ती
- फूल, खासकर गुलाब और कमल के फूल
- मिठाई, प्रसाद
- गंगाजल और चावल
- लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति या चित्र
3. धनतेरस की पूजा कैसे करें?
धनतेरस की पूजा करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- सबसे पहले पूजा स्थल को स्वच्छ करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
- एक स्वच्छ थाली में लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि को फूल, चावल, मिठाई, और प्रसाद अर्पित करें।
- दीपक जलाएं और धूप व अगरबत्ती का उपयोग करें।
- लक्ष्मी माता की आरती गाएं और अंत में प्रार्थना करें कि आपके घर में सुख, शांति और धन का वास हो।
4. धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ होता है?
धनतेरस के दिन चांदी, सोना, बर्तन या नए वाहन खरीदना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं घर में समृद्धि और धन का आगमन लाती हैं।
5. क्या धनतेरस पर झाड़ू खरीदना शुभ होता है?
हां, धनतेरस पर झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रतीक होता है और माना जाता है कि यह घर में सफाई और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
6. धनतेरस की पूजा में कौन से मंत्र का जाप करें?
धनतेरस की पूजा में निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जा सकता है:
- “ॐ श्री लक्ष्मी नमः”
- “ॐ धन्वंतरि नमः” यह मंत्र धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी माने जाते हैं।
7. धनतेरस पर क्या नहीं करना चाहिए?
धनतेरस पर निम्नलिखित कार्यों से बचना चाहिए:
- कर्ज लेना या देना
- अपशब्द बोलना या लड़ाई-झगड़ा करना
- घर की सफाई ना करना